जिंदगी पर इन दिनों थकन नामक पाकिस्तानी धारावाहिक का प्रसारण हो रहा है. धारावाहिक की मुख्य अभिनेत्री सदफ अपने पिता की मौत के बाद अपने परिवार की अकेली लड़की है, जो अपने परिवार की जिम्मेदारियों का वाहन कर रही हैं. सदफ की मां सदफ को सिर्फ पैसे कमाने वाली एक मशीन के रूप में देखती है. उसे अपने बाकी सारे बच्चों का ख्याल है. उनके लिए चिंता भी है और ममता भी. लेकिन सदफ के लिए नहीं. वह लगातार सदफ के लिए आये रिश्ते ठुकरा रही है, क्योंकि उसे डर है कि अगर उसने शादी कर ली तो घर में जो कमाई का जरिया है. वह खत्म न हो जाये. किसी को सदफ की परेशानी, उसके जज्बात की कद्र नहीं. बांग्ला फिल्म मेघे ढाके तारा की भी यही कहानी है. इस फिल्म में परिवार में निलकंठा बागची अपने परिवार का पूरा ख्याल रखती है. वक्त आने पर हालात ये होते हैं कि निलकंठा अपने प्यार से भी हाथ धो बैठती है. दरअसल, सदफ व निलकंठा जैसी कई लड़कियां हमारे इर्द गिर्द हैं, जिनमें अपने परिवार की जिम्मेदारियां उठाने का जज्बा है. 19 सितंबर को प्रसारित हो रहे केबीसी के एपिसोड में भी ऐसी ही एक युवती की कहानी दर्शाई जायेगी. लेकिन उसे परिवार से सम्मान हासिल है.स्पष्ट है कि लड़कियों में ममता व करुणा पुरुषों की तुलना में अधिक होती है. इसलिए लड़कियां इस जिम्मेदारी को उठाने में डरती नहीं हैं. वह मां बन सकती हैं तो अपने परिवार का पालन पोषण भी कर सकतीं. लेकिन क्या यह फर्ज परिवार का नहीं, कि उस लड़की को कम से कम सम्मान और प्यार के दो बोल बोले जायें. हालांकि कुसुम नामक हिंदी धारावाहिक कुसुम को परिवार से प्यार मोहब्बत हासिल करते दिखाया गया है. लेकिन यह सतही सच नहीं है. भारत के अनेकों घर ऐसे हैं, जहां सदफ और निलकंठा जैसी जिंदगी जीने के लिए मजबूर हैं
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20141203
इर्द गिर्द हैं सदफ-निलकंठा
जिंदगी पर इन दिनों थकन नामक पाकिस्तानी धारावाहिक का प्रसारण हो रहा है. धारावाहिक की मुख्य अभिनेत्री सदफ अपने पिता की मौत के बाद अपने परिवार की अकेली लड़की है, जो अपने परिवार की जिम्मेदारियों का वाहन कर रही हैं. सदफ की मां सदफ को सिर्फ पैसे कमाने वाली एक मशीन के रूप में देखती है. उसे अपने बाकी सारे बच्चों का ख्याल है. उनके लिए चिंता भी है और ममता भी. लेकिन सदफ के लिए नहीं. वह लगातार सदफ के लिए आये रिश्ते ठुकरा रही है, क्योंकि उसे डर है कि अगर उसने शादी कर ली तो घर में जो कमाई का जरिया है. वह खत्म न हो जाये. किसी को सदफ की परेशानी, उसके जज्बात की कद्र नहीं. बांग्ला फिल्म मेघे ढाके तारा की भी यही कहानी है. इस फिल्म में परिवार में निलकंठा बागची अपने परिवार का पूरा ख्याल रखती है. वक्त आने पर हालात ये होते हैं कि निलकंठा अपने प्यार से भी हाथ धो बैठती है. दरअसल, सदफ व निलकंठा जैसी कई लड़कियां हमारे इर्द गिर्द हैं, जिनमें अपने परिवार की जिम्मेदारियां उठाने का जज्बा है. 19 सितंबर को प्रसारित हो रहे केबीसी के एपिसोड में भी ऐसी ही एक युवती की कहानी दर्शाई जायेगी. लेकिन उसे परिवार से सम्मान हासिल है.स्पष्ट है कि लड़कियों में ममता व करुणा पुरुषों की तुलना में अधिक होती है. इसलिए लड़कियां इस जिम्मेदारी को उठाने में डरती नहीं हैं. वह मां बन सकती हैं तो अपने परिवार का पालन पोषण भी कर सकतीं. लेकिन क्या यह फर्ज परिवार का नहीं, कि उस लड़की को कम से कम सम्मान और प्यार के दो बोल बोले जायें. हालांकि कुसुम नामक हिंदी धारावाहिक कुसुम को परिवार से प्यार मोहब्बत हासिल करते दिखाया गया है. लेकिन यह सतही सच नहीं है. भारत के अनेकों घर ऐसे हैं, जहां सदफ और निलकंठा जैसी जिंदगी जीने के लिए मजबूर हैं
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