विशाल भारद्वाज की फिल्म हैदर 2 अक्तूबर को रिलीज हो रही है. फिल्म के कई पोस्टर जारी किये गये हैं. हाल ही में जो पोस्टर जारी किया गया है. उसे गौर से देखें तो उस पर लिखा है. 2 अक्तूबर इज द डे आॅफ रिवेंज अर्थात 2 अक्तूबर का दिन बदला लेने का दिन है. फिल्म की मार्केटिंग इन दिनों पूरी तरह से हावी है. हर निर्माता निर्देशक फिल्म की मेकिंग से अधिक फिल्म की मार्केटिंग पर ध्यान दे रहे हैं. लेकिन अपने मतलब के लिए किसी विशेष दिन के अर्थ का अनर्थ करने का हक इन्हें किसने दिया है. 2 अक्तूबर अहिंसा दिवस है. विश्व शांति दिवस. गांधीजी का जन्मदिन. आप उसे बदला दिवस कैसे बना सकते हैं. और सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि इस पर कोई मीडिया सवाल खड़े नहीं कर रहा. फिल्म से विशाल भारद्वाज का नाम जुड़ा हुआ है. विशाल बुद्धिजीवी वर्ग से आते हैं और वह संस्कृति सभ्यता का सम्मान करते हैं. फिर उन्होंने इस पर कैसे हामी भरी. पहले फिल्मों की रिलीज के लिए पहले केवल दीवाली और अन्य त्योहार फोकस में होते थे. लेकिन अब 2 अक्तूबर चूंकि छुट्टी का दिन है. सो, इस दिन का भी इस्तेमाल किया जा रहा है. खैर, इसमें खास हर्ज नहीं. लेकिन कम से कम किसी दिन का मजाक नहीं बनाना चाहिए. 2 अक्तूबर को ड्राइ दिवस के रूप में भी मनाया जाता है और उस दिन आप अपनी फिल्म से यह संदेश दे रहे कि खून की नदियां बहेंगी. एक बाप अपने बेटे से बदला लेगा. ठीक है कि वर्तमान में फिल्मकार ज्यादा रियलिस्टिक हो चुके हैं. लेकिन वास्तविकता का यह मतलब कतई नहीं कि आप किसी दिन का औचित्य ही न समझें. इससे पहले भी फिल्में स्वतंत्रता व गणतंत्र दिवस पर रिलीज होती रही हैं. लेकिन ऐसे टैगलाइन का इस्तेमाल कभी नहीं किया गया है. धिक्कार है ऐसी फिल्ममेकिंग और फिल्म मेकर व मार्केटिंग की सोच पर
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20141203
2 अक्तूबर बदले का दिन
विशाल भारद्वाज की फिल्म हैदर 2 अक्तूबर को रिलीज हो रही है. फिल्म के कई पोस्टर जारी किये गये हैं. हाल ही में जो पोस्टर जारी किया गया है. उसे गौर से देखें तो उस पर लिखा है. 2 अक्तूबर इज द डे आॅफ रिवेंज अर्थात 2 अक्तूबर का दिन बदला लेने का दिन है. फिल्म की मार्केटिंग इन दिनों पूरी तरह से हावी है. हर निर्माता निर्देशक फिल्म की मेकिंग से अधिक फिल्म की मार्केटिंग पर ध्यान दे रहे हैं. लेकिन अपने मतलब के लिए किसी विशेष दिन के अर्थ का अनर्थ करने का हक इन्हें किसने दिया है. 2 अक्तूबर अहिंसा दिवस है. विश्व शांति दिवस. गांधीजी का जन्मदिन. आप उसे बदला दिवस कैसे बना सकते हैं. और सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि इस पर कोई मीडिया सवाल खड़े नहीं कर रहा. फिल्म से विशाल भारद्वाज का नाम जुड़ा हुआ है. विशाल बुद्धिजीवी वर्ग से आते हैं और वह संस्कृति सभ्यता का सम्मान करते हैं. फिर उन्होंने इस पर कैसे हामी भरी. पहले फिल्मों की रिलीज के लिए पहले केवल दीवाली और अन्य त्योहार फोकस में होते थे. लेकिन अब 2 अक्तूबर चूंकि छुट्टी का दिन है. सो, इस दिन का भी इस्तेमाल किया जा रहा है. खैर, इसमें खास हर्ज नहीं. लेकिन कम से कम किसी दिन का मजाक नहीं बनाना चाहिए. 2 अक्तूबर को ड्राइ दिवस के रूप में भी मनाया जाता है और उस दिन आप अपनी फिल्म से यह संदेश दे रहे कि खून की नदियां बहेंगी. एक बाप अपने बेटे से बदला लेगा. ठीक है कि वर्तमान में फिल्मकार ज्यादा रियलिस्टिक हो चुके हैं. लेकिन वास्तविकता का यह मतलब कतई नहीं कि आप किसी दिन का औचित्य ही न समझें. इससे पहले भी फिल्में स्वतंत्रता व गणतंत्र दिवस पर रिलीज होती रही हैं. लेकिन ऐसे टैगलाइन का इस्तेमाल कभी नहीं किया गया है. धिक्कार है ऐसी फिल्ममेकिंग और फिल्म मेकर व मार्केटिंग की सोच पर
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