20141203

ीवी से छोटा सा ब्रेक लिया है : मोना सिंह

 छोटे परदे की जस्सी यानी मोना सिंह इन दिनों अपनी आनेवाली फिल्म जेड प्लस को लेकर उत्साहित हैं. पेश है
 मोना, जेड प्लस को हां कहने की क्या वजह रही?
मुझे फिल्म के निर्देशक डॉ चंद्रप्रकाश द्विवेद्वी ने जब कहानी सुनायी. और यह बताया कि वह फिल्म के अंत के बारे में किसी को नहीं बतायेंगे. वही मेरे लिए इस फिल्म को हां कहने की सबसे बड़ी वजह थी. साथ ही द्विवेद्वी सर ने जिस तरह फिल्में आज तक बनाई है. वह बेहद अलग हट के है. यह फिल्म कॉमेडी फिल्म थी और मुझे कॉमेडी अच्छी लगती है.  फिल्म का नैरेशन काफी दिलचस्प तरीके से मुझे सुनाया गया था. और मुझे सुनने में ही इतना मजा आया कि मैंने तय कर लिया कि मैं यह फिल्म जरूर करूंगी.
जेड प्लस कैसे अन्य फिल्मों से अलग है?
इस फिल्म की खासियत यह है कि यह रोमांटिक फिल्मों की केटेगरी में नहीं आयेगी. अलग तरह का कांसेप्ट है. एक कॉमन मैन की कहानी है. लेकिन अलग अंदाज दिया गया है. मुझे ऐसी फिल्में करने में मजा आता है. मैं रोमांटिक फिल्मों की विरोधी नहीं हूं. लेकिन इंटेलिजेंट सिनेमा को मैं तवज्जो देती हूं. मैं क्वीन जैसी फिल्में कई बार देख सकती हूं. आंखों देखी एक महत्वपूर्ण फिल्म है. मुझे ऐसी ही फिल्में करने में मजा आता है. मेरा मानना है कि ऐसी फिल्में कम बनती हैं, क्योंकि ऐसी फिल्में बनने में वक्त लगता है. अच्छी स्क्रिप्ट को वक्त तो देना ही होता है. बतौर एक्टर जेड प्लस जैसी फिल्मों से जुड़ना आपको संतुष्टि देता है. चूंकि इस तरह की फिल्म में इमोशन, ड्रामा और साथ ही साथ राजनीतिक दृष्टिकोण भी नजर आता है. जेड प्लस एक पॉलिटिकल सटायर है और काफी हुमरस है.
आप टेलीविजन पर भी डेली सोप में नजर नहीं आ रहीं. कोई खास वजह?
मुझे डेली सोप करना थोड़ा अब बोरिंग सा लगने लगा है. 50-60 एपिसोड तक तो ऊर्जा और उत्साह बनी रहती है. बाद में वह ड्रैग हो जाता है. एंकरिंग व शो होस्टिंग में ऐसा नहीं होता. एक तो वक्त बहुत ज्यादा नहीं देना पड़ता. फिर हर दिन आप एक सा काम नहीं करते. आपको अपनी एंकरिंग में नयापन लाना पड़ता है. तो वह चीजें मुझे अच्छी लगती हैं. यही वजह है कि मैंने छोटा ब्रेक लेने के लिए भी फिल्म की है. लेकिन हां, मैं फिल्में और टीवी दोनों ही करती रहूंगी. न टीवी के लिए फिल्म को और न ही फिल्म के लिए टीवी को छोड़ूंगी. टीवी में भी अगर नयी चीजें हों , नये तरह के कांसेप्ट होंगे तो मैं वहां भी कोई भी प्रोजेक्ट्स कर सकती हूं. हां, मगर यह जरूर है कि मैं डेली सोप से ज्यादा खुद को रिलेट नहीं कर पाती हूं. जिस तरह के किरदार मैं निभाना चाहती. वे इन दिनों लिखे नहीं जा रहे. इसलिए मैं एंकरिंग करती हूं ज्यादा से ज्यादा.
टेलीविजन से फिल्मों की दुनिया में कितना अंतर है. दोनों जगह काम करने के तरीके में कितना अंतर महसूस करती हैं आप?
मुझे लगता है कि एक एक्टर को मीडियम कांसस नहीं होना चाहिए. हां, बस यह जरूर है कि इन बातों का ख्याल रखें कि जिस मीडियम में हैं, उसकी क्या डिमांड है और फिर उसके मुताबिक आप प्लानिंग कर लें. और उसी अनुसार परफॉर्म करने की कोशिश करें. इस फिल्म में एक सीन जो कि मेरा ड्रीम सीन था. शायद टीवी में किसी धारावाहिक में चूंकि जरूरत नहीं पड़ी तो कभी कर नहीं पायी. लेकिन फिल्म में करने का मौका मिला. मुझे बचपन से हीरोइन के चेहरे पर जब पानी डाला जाता है और उसे स्लो मोशन में दिखाया जाता था. वह सीन मैंने 1942 लव स्टोरी में देखा था. उस वक्त से मेरी इच्छा थी. जेड प्लस में वह करने का मौका मिला. तो आपको यह पता नहीं होता कि कब कहां किस तरह से मौके मिलेंगे. जेड प्लस उस लिहाज से भी मेरे लिए स्पेशल फिल्म है.
झलक दिखला जा जैसे रियलिटी शो की आप विनर रही हैं. क्या कभी डांसिंग स्कील्स को और आगे बढ़ाने की इच्छा नहीं हुई?
मुझे लगता है कि मैं कॉमेडी में ज्यादा कंफर्टेबल हूं. जस्सी जैसी कोई नहीं जैसे किरदार मिलें या कॉमेडी किरदार मिले तो उसे सहजता से निभा पाऊंगी. डांस भी पसंद है. लेकिन फिलहाल कॉमेडी करने में ज्यादा दिलचस्पी लूंगी. 

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