मैं मानता हूं कि मेरी जिंदगी की पहली फिल्म की शूटिंग का पहला दिन मेरे लिए बिल्कुल डिजास्टर था. इसकी वजह मैं खुद था. मैं शुरू से फिल्में बनते हुए देखता था. मैं जब रूप की रानी चोरो का राजा देखने गया था. तभी तय कर लिया था कि मैं फिल्मों में ही जाऊंगा, क्योंकि मुझे कॉस्टयूम देखना, कैमरा, क्रू, लाइट्स ये सब फैंटेसी लगते थे और मैं उन्हें देख कर खुश होता था. मुझे लगा कि मैं भी ये सब आसानी से कर लूंगा. लेकिन बात जब खुद अभिनय करने की आयी तो मैं पहले दिन बहुत नर्वस हो गया था. लखनऊ में फिल्म इशकजादे की शूटिंग हुई थी. मेरा पहला शॉर्ट था...कि परिणीति और गौहर झल्ला वल्ला गाने की शूटिंग कर रहे थे और मुझे वहां बाइक से पहुंचना था. स्क्रिप्ट में मैंने पढ़ा था तो मुझे बहुत आसान लगा था. लेकिन जब करने की बारी आयी तो मैं वैनिटी वैन से बाहर ही नहीं निकल पा रहा था. मैं वाकई में रो रहा था. वैन में बैठ कर. सुबह का सीन था. 5 बज रहे थे. मुझे लग रहा था मैं नहीं कर पाऊंगा. बमुश्किल मैं निकला. बाइक पर बैठा और शूटिंग शुरू हुई. अचानक बाइक रुक गयी और हेडलाइट्स भी बाइक के टूट चुके थे. सभी कह रहे थे कि जल्दी करो.. क्योंकि फिर उजाला हो जाता. और मैं अपना बेस्ट दे ही नहीं पा रहा था. दरअसल, मुझे जो बाइक दी गयी थी. वह बहुत पुराने जमाने की बाइक थी और मैं उसे चलाना ही नहीं जानता था. तो मेरे लिए अभिनय करना और बाइक चलाना दोनों फर्स्ट टाइम था. दूसरी बात यह भी थी कि मैंने ज्यादा रिहर्सल नहीं किया था. लेकिन बाद में मुझे हबीब सर ने काफी सपोर्ट किया. उन्होंने कहा कि परेशान मत हो. हो जायेगा... और अंतत: मैंने कर लिया. मेरा पहला डायलॉग था...ऐ छिपकली चुप...
My Blog List
20141203
फर्स्ट डे फर्स्ट शोb arjun kapoor
मैं मानता हूं कि मेरी जिंदगी की पहली फिल्म की शूटिंग का पहला दिन मेरे लिए बिल्कुल डिजास्टर था. इसकी वजह मैं खुद था. मैं शुरू से फिल्में बनते हुए देखता था. मैं जब रूप की रानी चोरो का राजा देखने गया था. तभी तय कर लिया था कि मैं फिल्मों में ही जाऊंगा, क्योंकि मुझे कॉस्टयूम देखना, कैमरा, क्रू, लाइट्स ये सब फैंटेसी लगते थे और मैं उन्हें देख कर खुश होता था. मुझे लगा कि मैं भी ये सब आसानी से कर लूंगा. लेकिन बात जब खुद अभिनय करने की आयी तो मैं पहले दिन बहुत नर्वस हो गया था. लखनऊ में फिल्म इशकजादे की शूटिंग हुई थी. मेरा पहला शॉर्ट था...कि परिणीति और गौहर झल्ला वल्ला गाने की शूटिंग कर रहे थे और मुझे वहां बाइक से पहुंचना था. स्क्रिप्ट में मैंने पढ़ा था तो मुझे बहुत आसान लगा था. लेकिन जब करने की बारी आयी तो मैं वैनिटी वैन से बाहर ही नहीं निकल पा रहा था. मैं वाकई में रो रहा था. वैन में बैठ कर. सुबह का सीन था. 5 बज रहे थे. मुझे लग रहा था मैं नहीं कर पाऊंगा. बमुश्किल मैं निकला. बाइक पर बैठा और शूटिंग शुरू हुई. अचानक बाइक रुक गयी और हेडलाइट्स भी बाइक के टूट चुके थे. सभी कह रहे थे कि जल्दी करो.. क्योंकि फिर उजाला हो जाता. और मैं अपना बेस्ट दे ही नहीं पा रहा था. दरअसल, मुझे जो बाइक दी गयी थी. वह बहुत पुराने जमाने की बाइक थी और मैं उसे चलाना ही नहीं जानता था. तो मेरे लिए अभिनय करना और बाइक चलाना दोनों फर्स्ट टाइम था. दूसरी बात यह भी थी कि मैंने ज्यादा रिहर्सल नहीं किया था. लेकिन बाद में मुझे हबीब सर ने काफी सपोर्ट किया. उन्होंने कहा कि परेशान मत हो. हो जायेगा... और अंतत: मैंने कर लिया. मेरा पहला डायलॉग था...ऐ छिपकली चुप...
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment