20141203

आज भी पढ़ने की आदत बदस्तूर जारी है

 बोमन ईरानी भले ही मल्टी स्टारर फिल्मों में नजर आयें. लेकिन अपने अभिनय में विभिन्नता से वे अपनी अलग पहचान स्थापित कर ही लेते हैं. हाल ही में रिलीज हुई फिल्म हैप्पी न्यू ईयर में भी उनके किरदार को बेहद सराहा गया.
बोमन आप जब भी फिल्म में होते हैं. आप एक अलग जगह बना ही लेते हैं.तो ऐसी क्या खास बात का आप ध्यान रखते हैं, जब आप अभिनय कर रहे होते हंै तो?
ईमानदारी से बताऊं कि मैं कभी कुछ अलग हट कर करने की कोशिश नहीं करता. न ही कोशिश होती है कि फिल्म के जो लीड किरदार हैं, उनके सामने खुद को बिल्कुल कुछ अलग करके प्रूव करूं. मैं फिल्म के धारा प्रवाह के साथ ही आगे बढ़ता हूं. मेरी कोशिश होती है कि यह जान पाऊं कि फिल्म क्या है, किस बारे में हैं. क्या डायरेक्टर का वीजन है और उसके अनुसार ही मैं अपना कैरेक्टर डिजाइन करता हूं. मैं फिल्म के टोन पर काम करता हूं. यह नहीं कि चल यार कुछ अलग दिखा दूं इस बार. फिल्म अगर आर्ट है तो जाहिर है, वैसा ही काम करूंगा. कर्मशियल है तो मुझे समझना होगा कि वह कर्मशियल है और उसके क्या डिमांड हैं. तो उसके अनुसार ही काम कर सकता.
फराह के आप दोस्त भी  रहे हैं. लेकिन हैप्पी न्यू ईयर के दौरान उन्होंने आपको निर्देशित किया तो कितना अलग होता है एक दोस्त के अंडर में काम करना?
फराह मेरी बहुत अच्छी दोस्त है. इसमें कोई शक नहीं है. लेकिन इसका यह बिल्कुल मतलब नहीं था कि मैं सेट भी उससे एक दोस्त की तरह पेश आऊं. मैं सेट पर उसे मैम कह कर ही बुलाता था. वजह यह थी कि अगर मैं ऐसा नहीं करूंगा तो बाकी लोग भी उसके  साथ ऐसे ही बर्ताव करने लगेंगे. और यह तो हकीकत है न कि वह फिल्म की निर्देशिका हैं तो कैप्टन वही है. तो वह जैसा कहती है मैं कर देता था. इसके अलावा कहूं तो फराह और मेरी दोस्ती शिरीन फरहाद की वजह से काफी गहरी हो गयी है. हम फोन पर भी लंबी बातचीत करते हैं. हां, मगर मैं उसके काम में दखल देने की हरगिज कोशिश नहीं करता.

बोमन आप कभी किसी अभिनय इंस्टीटयूट नहीं गये. लेकिन इसके बावजूद आपके किरदार में बारीकी नजर आती है. तो कहां से ला पाते हैं आप वह बारीकी?
मैं न कभी एक्टर नहीं बनना चाहता था. लेकिन मैं ये सारे एक्सरसाइज करता था. मैं किताबें बहुत पढ़ता था. ग्रेट एक्टर्स की स्टोरी. क्या क्या उनकी तैयारियां होती है. कैरेक्टर क्या होता. बिहेवियर क्या होता है. मैं बहुत फिल्में देखता था. जिन फिल्मों को आॅस्कर मिलता था. उन्हें देख कर सोचा करता था कि आखिर क्यों उसे आॅस्कर मिल रहा है. क्या खास बात है उसमें. मैंने कलाकारों के काम को देख कर स्टडी किया है. फिल्में देख कर ही सिखा है मैंने कि सिर्फ रोना धोना एक्टिंग नहीं है. एक्टिंग का मतलब है कि आप अपने आॅडियंस को विश्वास दिला दो कि जो आप निभा रहे हो वह आप हो. 3 इडियट्स देखने पर आपको लगे कि हां, मेरा प्रोफेसर भी ऐसा ही था. हर तरह के लोग देखें लेकिन हर किसी को लगे कि अरे कुछ तो मिलता है इस किरदार से,तो उस बारीकी से मैंने अभिनय सीखी.
राजकुमार हिरानी के आप पसंदीदा कलाकार हैं. राजकुमार फिल्ममेकिंग के जीनियस माने जाते हैं तो आप दोनों की बांडिंग के बारे में बताएं ?
मैं मानता हूं कि राजकुमार हिरानी को राजकुमार हिरानी उसकी काबिलियत बनाती है. मैं उन्हें जीनियस नहीं मानता. जीनियस होता तो हर दिन फिल्में बना लेता न. दरअसल, वह मेहनती बहुत है. वह हड़बड़ी में स्क्रिप्ट नहीं लिखता. तीन तीन साल पांच साल स्क्रिप्ट पर देता है. उसकी खासियत है कि जब वह पहला ड्राफ्ट बना लेता है तो फिर वह अपने सबसे अच्छे और आलोचना करने वाले दोनों दोस्तों को बुलाता है. उन्हें कहानी सुनाता है. और अगर एक ने भी कह दिया कि क्या बकवास लिखा है. वह दोबारा सोचता है कि आखिर ऐसा क्यों हुआ. क्यों उसे स्क्रिप्ट कनेक्ट नहीं कर पा रही. तो यह तरीका है उसका. इसलिए उसकी फिल्में जब आती हैं तो कमाल करती हैं. हम दोनों जब मिलते हैं. हमारी लंबी लंबी बातें होती हैं. हम एक दूसरे के साथ काफी वॉक करते हैं और सिनेमा, खान पान, हर तरह की बातें होती हैं. वह अब भी आम लोगों से जुड़ा हुआ है. इसलिए वैसी फिल्में बना पाता है. मुझे लगता है कि मुझे अच्छे निर्देशकों के साथ काम करने का मौका मिला है और इस वजह से मैंने यह मुकाम हासिल किया है.
आपकी इच्छा नहीं है कभी निर्देशन में आने की?
मुझे लिखना अच्छा लगता है. काफी अच्छा लगता है. लेकिन मैं फेम के लिए नहीं लिखता. खुद के लिए लिखता हूं. आगे का फिलहाल पता नहीं. अभी तो अच्छे अच्छे किरदार निभा लूं पहले. 

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