स्टार प्लस के धारावाहिक एवरेस्ट के माध्यम से आशुतोष गोवारिकर एक पिता और बेटी के रिश्ते की कहानी को कह रहे हैं. भले ही शो का कांसेप्ट एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ना है, लेकिन धारावाहिक की नायिका यह सिर्फ इसलिए कर रही, क्योंकि वह चाहती है कि वह अपने पिता के दिल में जगह बना पाये. वह एवरेस्ट पर सिर्फ इसलिए चढ़ना चाहती हैं, ताकि उसके पापा यह स्वीकार कर लें कि बेटा न भी हो तो बेटियां वह सबकुछ कर सकती हैं, जो एक लड़के कर सकते. वह जिस द्वंद्व से गुजर रही है, उस पीड़ा से भारत की कई लड़कियां गुजरती हैं. अपने पिता का प्रेम हासिल करने के लिए वे जिस जद्दोजहद से गुजरती हैं. वह सिर्फ वही समझ सकतीं, जिनके पास पिता का साया नहीं. जिंदगी चैनल के धारावाहिक जिंदगी गुलजार हैं कि काशफ अपने पिता का नाम भी नहीं सुनना चाहती. ठीक इसी तरह सोनी के हमशफरस की आरजू भी अपने पिता से नफरत करती है. दरअसल, धारावाहिकों ने पिता और पुत्री के रिश्तों को काफी बारीकी से प्रस्तुत करने की कोशिश बरकरार रखी है. एक मुट्ठी आसमां में कल्पी अपनी मां से अधिक अपने पिता से करीब होती हैं. असल जिंदगी में भी यह हकीकत है कि लड़कियां पिता के ज्यादा करीब होती हैं.लेकिन जिन बच्चों को अपने पिता का साथ नहीं मिलता. वे ताउम्र अपनी ही अंर्तरात्मा से जूझती रहती हैं. फिल्म अभिनेत्री पूजा चोपड़ा की दर्द भरी कहानी किसी ने नहीं छुपी. ऐसे में धारावाहिकों के माध्यम से वाकई ऐसी बेटियों को कम से कम एक आवाज मिल रही हैं. धारावाहिक विरुद्ध में स्मृति ईरानी अपने पिताजी के विरुद्ध खड़ी होती हैं. यह भी पिता और पुत्री के रिश्ते की अलग कहानी दर्शाता है. ऐसी कहानियां दरअसल समाज के अलग अलग वर्गों में पिता पुत्री के रिश्ते की सच्चाई बयां करते हैं. कई बार कई कड़वी सच्चाईयों से भी सामना होता है.
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20141203
पिता पुत्री का रिश्ता
स्टार प्लस के धारावाहिक एवरेस्ट के माध्यम से आशुतोष गोवारिकर एक पिता और बेटी के रिश्ते की कहानी को कह रहे हैं. भले ही शो का कांसेप्ट एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ना है, लेकिन धारावाहिक की नायिका यह सिर्फ इसलिए कर रही, क्योंकि वह चाहती है कि वह अपने पिता के दिल में जगह बना पाये. वह एवरेस्ट पर सिर्फ इसलिए चढ़ना चाहती हैं, ताकि उसके पापा यह स्वीकार कर लें कि बेटा न भी हो तो बेटियां वह सबकुछ कर सकती हैं, जो एक लड़के कर सकते. वह जिस द्वंद्व से गुजर रही है, उस पीड़ा से भारत की कई लड़कियां गुजरती हैं. अपने पिता का प्रेम हासिल करने के लिए वे जिस जद्दोजहद से गुजरती हैं. वह सिर्फ वही समझ सकतीं, जिनके पास पिता का साया नहीं. जिंदगी चैनल के धारावाहिक जिंदगी गुलजार हैं कि काशफ अपने पिता का नाम भी नहीं सुनना चाहती. ठीक इसी तरह सोनी के हमशफरस की आरजू भी अपने पिता से नफरत करती है. दरअसल, धारावाहिकों ने पिता और पुत्री के रिश्तों को काफी बारीकी से प्रस्तुत करने की कोशिश बरकरार रखी है. एक मुट्ठी आसमां में कल्पी अपनी मां से अधिक अपने पिता से करीब होती हैं. असल जिंदगी में भी यह हकीकत है कि लड़कियां पिता के ज्यादा करीब होती हैं.लेकिन जिन बच्चों को अपने पिता का साथ नहीं मिलता. वे ताउम्र अपनी ही अंर्तरात्मा से जूझती रहती हैं. फिल्म अभिनेत्री पूजा चोपड़ा की दर्द भरी कहानी किसी ने नहीं छुपी. ऐसे में धारावाहिकों के माध्यम से वाकई ऐसी बेटियों को कम से कम एक आवाज मिल रही हैं. धारावाहिक विरुद्ध में स्मृति ईरानी अपने पिताजी के विरुद्ध खड़ी होती हैं. यह भी पिता और पुत्री के रिश्ते की अलग कहानी दर्शाता है. ऐसी कहानियां दरअसल समाज के अलग अलग वर्गों में पिता पुत्री के रिश्ते की सच्चाई बयां करते हैं. कई बार कई कड़वी सच्चाईयों से भी सामना होता है.
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