20220505

Akanksha Singh ! अमिताभ सर ने कहा है अगर मैंने अच्छा अभिनय किया तो वह मुझे भी लेटर जरूर भेजेंगे

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मैं व्यक्तिगत रूप से तब बेहद खुश होती हूँ, जब टीवी की दुनिया के सितारे, फिल्मों में चमकते हैं। ऐसे में आकांक्षा सिंह, जो कि एक बेहतरीन अभिनेत्री हैं और टीवी के साथ-साथ ओटीटी की दुनिया में भी पहचान बना ली है। में उन्होंने अच्छी पहचान भी बना ली है। ऐसे में वह अजय देवगन, अमिताभ बच्चन और रकुल प्रीत सिंह के साथ फिल्म रनवे 34 में नजर आ रही हैं, तो मेरी ख़ुशी दोगुना हो गई है, क्योंकि मुझे आकांक्षा टीवी के दिनों से ही पसंद हैं। ऐसे में आकांक्षा सिंह ने खुद बताया है कि इस फिल्म में काम करना उनके लिए स्पेशल क्यों है और कौन सी एक बात है, जो वह हमेशा याद रखेंगी। मैं यहाँ उस बातचीत के अंश शेयर कर रही हूँ।

अमिताभ बच्चन और अजय देवगन ने परिवार की तरह दिया साथ

आकांक्षा ने बताया कि जब उन्हें इस फिल्म की शूटिंग के दौरान चोट लग गई थी, उस वक़्त अमिताभ बच्चन और अजय देवगन ने इनका बहुत ध्यान रखा।

वह बताती हैं

मुझे अजय सर और अमिताभ बच्चन ने बिल्कुल घर जैसा ट्रीटमेंट दिया। एक दिन, जब अमिताभ सर ने देखा कि मेरे प्लास्टर में काफी कुछ लिखा हुआ है, तो उन्होंने भी आकर, उसपर टूटी फ्रूटी लिख दिया था, यह बात मुझे टच कर गयी। शुरू में मुझे लगा था कि शायद अमिताभ सर का ध्यान मेरे ऊपर नहीं गया है, लेकिन फिर एक दिन अमिताभ सर ने मुझे बिस्किट का पैकेट लाकर दिया, फिर एक बघी भी दिया, क्योंकि मैं व्हील चेयर पर थी, तो इसकी मदद से मुझे चलने-फिरने में दिक्कत न हो। फिर मैंने अमिताभ सर को एक लेटर लिखा, फिर अमिताभ बच्चन सर ने भी मुझे एक लेटर लिखा और मुझे कहा कि अभी मैं आपको स्नेह दे रहा हूँ, लेकिन जब आप अच्छा काम करेंगी, तो आपको एक लेटर और लिखूंगा।  मुझे उस दिन का इंतजार है, जब अमिताभ सर मेरे अभिनय को देख कर मुझे लेटर लिखें। मेरे लिए यह बड़ी बात थी कि लीजेंड अमिताभ बच्चन सर ने मेरे लिए ऐसा किया, इतने बड़े स्टार होकर भी।
Source : Instagram I @aakankshasingh30

आकांक्षा, अमिताभ के बारे में  यह भी कहती हैं कि उन्होंने आज तक उनसे अधिक पैशिनेट एक्टर नहीं देखा है।  वह अब भी सेट पर जिस तरह से मेहनत करते हैं, ऐसा लगता है कि कोई नए कलाकार हों।

रनवे 34 का हिस्सा बन कर खुश हूँ।

आकांक्षा सिंह कहती हैं कि उन्हें इस तरह की फिल्म में काम करने का मौका मिला है, वह इस बात से खुश हैं।

वह कहती हैं

मैं फिल्म में अजय देवगन की पत्नी के किरदार में हूँ, लेकिन वह सिर्फ ट्रॉफी वाली वाइफ नहीं है, फिल्म में उसकी अपनी एक आइडेंटिटी भी होती है, वह अपने पति की बैकबोन होती है, आप मेरे काम को देखेंगे, तो पसंद आएगा आपको।

अजय सर को पता है कि उन्हें अपने एक्टर्स से क्या चाहिए

आकांक्षा बताती हैं कि उन्हें अजय के साथ काम करके काफी मजा आया .

वह बताती हैं

अजय सर काफी कम शब्द करते हैं, कम बातें करते हैं, लेकिन उन्हें अच्छे से मालूम है कि बतौर डायरेक्टर उन्हें अपने एक्टर से क्या चाहिए। उन्होंने अपने एक्टर्स को फ्री माइंड दे रखा था कि आप जो चाहें कर सकती हैं, जो आपके किरदार को बेस्ट बनाए।

आकांक्षा, टीवी, ओटीटी और फिल्मों में भी अब काम कर रही हैं, ऐसे में मुझे पूरी उम्मीद है कि धीरे-धीरे ही सही, वह अपनी एक अच्छी पहचान बना लेंगी, क्योंकि मुझे उनमें प्रतिभाशाली अभिनेत्री नजर आती हैं। उनकी फिल्म रनवे 34 रिलीज होने वाली है और मुझे उम्मीद है कि उन्होंने  अपना बेस्ट दिया होगा।

'हीरोपंती 2', 'रमन राघव 2.0' और 'किक' जैसी 5 फिल्में हैं, जिनमें नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने खूब डराया और चौंकाया है दर्शकों को

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हिंदी सिनेमा में कुछ ऐसे स्टार्स हैं, जो हर तरह के किरदार निभाने में माहिर रहे हैं, ऐसे ही कुछ कलाकारों की गिनती में सबसे शीर्ष पर मैं नाम लेती हूँ, तो वह हैं नवाजुद्दीन सिद्दीकी का। नवाजुद्दीन सिद्दीकी शानदार अभिनेता हैं और हमेशा ही अपना बेस्ट देते हैं, फिर चाहे वह कॉमेडी फिल्म हो या ग्रे शेड्स, वह अपना बेस्ट देने में नहीं चूकते हैं, ऐसे में उनकी नयी फिल्म हीरोपंती 2 में भी उन्होंने जिस तरह से लैला का लुक लिया है, वह दिलचस्प नजर आ रहा है मुझे, हीरोपंती 2 में उनका सामना टाइगर श्रॉफ से होगा, जो कि फिल्म के हीरो हैं। तो,  मैं यहाँ उनके ऐसे 5 ग्रे शेड्स वाले किरदारों के बारे में बात करने जा रही हूँ, जिसमें उन्होंने लोगों को खूब डराया है।  

हीरोपंती 2

हाल ही में जब मेरी नवाजुद्दीन सिद्दीकी से मुलाकात हुई, तो उन्होंने इस बारे में बताया कि उनकी एनएसडी के दिनों से ही चाहत थी कि वह कुछ ऐसा किरदार चुनें, जिसमें उन्हें फेमिन टच देने का मौका मिले, उनका मानना है कि ऐसे किरदार काफी डराते हैं, इसलिए जब हीरोपंती 2 उनके सामने आई, तो उन्होंने फ़ौरन इसे हाँ कह दिया और अपना भी इनपुट दिया और अब वह लैला किरदार निभा कर काफी संतुष्ट महसूस कर रहे हैं।

Source : Instagram I @nawazuddin._siddiqui

रमन राघव 2 . 0

रमन राघव की 2 . 0 में भी एक साइकोलॉजिकल मर्डर के रूप में नवाजुद्दीन सिद्दीकी नजर आये हैं और उन्होंने फिल्म में कमाल का काम किया था, इस फिल्म का तो उन पर इस कदर असर हुआ था कि कई बार वह नींद में भी इस फिल्म के डायलॉग बोलते हुए नजर आये थे। फिल्म को क्रिटिक्स ने काफी पसंद किया था और नवाज के काम की काफी तारीफ़ हुई थी।

Source : Instagram I @nawazuddin._siddiqui

बदलापुर

बदलापुर फिल्म में भी नवाजुद्दीन सिद्दीकी को एकदम अलहदा किरदार निभाने का मौका मिला और उन्होंने इसे शानदार तरीके से निभाया भी, दर्शक भी उन्हें इस फिल्म में देख कर, पूरी तरह से हैरान हो गए थे। फिल्म में वरुण धवन में अच्छी लोकप्रियता हासिल की, लेकिन नवाज को भी अपने किरदार के लिए बहुत प्यार मिला।

Source : Instagram I @nawazuddin._siddiqui

किक

किक फिल्म में नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने जिस तरह से विलेन का किरदार निभाया था, उनकी हंसी मुझे कभी नहीं भूलती है, वह उनकी एक सिग्नेचर ट्यून बनी। इस फिल्म में सलमान खान मुख्य किरदार में हैं और नवाज के साथ उनका आमना-सामना जबरदस्त तरीके से होता है, दर्शकों को नवाज का काम इस फिल्म में भी काफी पसंद आया।

Source : Instagram I @nawazuddin._siddiqui

गैंग्स ऑफ़ वासेपुर

वैसे तो इस फिल्म के जान ही नवाजुद्दीन सिद्दीकी थे, उन्हें फिल्म में दूसरे भाग में पूरी लाइम लाइट लूट ली थी। फिल्म में वह ग्रे शेड में हैं, हालाँकि वह हीरो भी हैं फिल्म के। फिल्म का क्लाइमेक्स सीन, जो तिग्मांशु धूलिया के साथ है, वह हिंदी सिनेमा के कल्ट सीन में से एक माना जाता है।

इन फिल्मों के अलावा सेक्रेड गेम्स में उनके किरदार को भूला नहीं जा सकता है, वह भी नवाज के कल्ट अभिनय में से एक है।

वैसे , मुझे तो पूरी उम्मीद है कि आने वाले समय में नवाजुद्दीन ऐसे और भी एक्ट से अपने दर्शकों को चौंकाने वाले हैं, फिलहाल उनकी फिल्म हीरोपंती 2 आ रही है, तो पूरी उम्मीद है कि इस फिल्म में वह कुछ तो धमाल करेंगे ही। अब देखना यह है कि उनका यह लैला किरदार दर्शकों तक किस रूप में पहुंचता है। उनकी फिल्म हीरोपंती 2, 29 अप्रैल2022 को रिलीज हो रही है।  फिल्म में टाइगर श्रॉफ और तारा सुतारिया मुख्य किरदारों में हैं।

Web Series Review ! Never Kiss Your Best Friend ! पहले सीजन से मैच्योर हुआ है सीजन2 , रोमांस, दोस्ती और इमोशन का मिलेगा यूथफूल कनेक्शन

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युवाओं में बेहद लोकप्रिय सीरीज नेवर किस योर बेस्ट फ्रेंड  का  दूसरा सीजन है नेवर किस योर बेस्ट फ्रेंड 2। इस सीरीज की यह खासियत रही कि इसने ओवर द टॉप जाकर, दोस्ती और रोमांस के रिश्ते को नहीं दिखाया, यही वजह है कि मेरे जैसे और भी दर्शक, जिन्हें स्लाइस ऑफ़ लाइफ और जिंदादिली पर आधारित सीरीज पसंद हैं, उन्हें एक कनेक्ट महसूस हुआ, साथ ही नकुल मेहता, आन्या सिंह ने भी अपनी मैच्योरिटी से इस कहानी के सीजन 2 को बिंज वॉच बना दिया है, इस बार कहानी लंदन पहुंची है और दो दोस्त किस तरह से यहाँ से दोस्ती और प्यार के रिश्ते के कॉम्प्लेक्स पलों से सामना करते हैं, यह देखना इस बार दिलचस्प है। अब मैं ऐसा क्यों कह रही हूँ, यहाँ विस्तार में बताती हूँ।

क्या है कहानी

पहले सीजन में हमने दो किरदार, जो एक दूसरे के बेस्ट फ्रेंड हैं, यानी सुमेर सिंह ढिल्लन ( नकुल मेहता) और तानी ब्रार ( आन्या सिंह), दोनों में तकरार, लेकिन एक दूसरे के लिए जान दे देने वाला प्यार और एक दूसरे के बगैर नहीं रह पाते हैं, पिछले सीजन में एक गलतफहमी के कारण अलग हो गए थे। लेकिन इस बार कहानी लंदन पहुँचती है, जहाँ एक बार फिर से समर और तानी मिलते हैं, इस बार कहानी में एक न्यू एंट्री भी है, करण (करण वाही) की। कहानी पांच साल आगे बढ़ चुकी है, सुमेर और तानी का मिलना, डेस्टिनी में था, सो दोनों को एक ही वेब फिल्म बनाने के लिए  लावन्या( सारा ) से जुड़ना होता है, लावन्या एक प्रोडक्शन कम्पनी चलाती है और उसने तानी को राइटर और सुमेर को डायरेक्टर के रूप में हायर किया हुआ है, ऐसे में न छाते हुए भी काम करने के लिए एक ही बोर्ड पर आना ही पड़ता है। दोनों को ही काम की जरूरत है और यह बेहतरीन प्रोजेक्ट है, सो दोनों अपनी पिछली जिंदगी भूल कर, टीम की तरह काम करते हैं, तानी अपने लाउड पेरेंट्स जिनका किरदार निक्की वालिया और जावेद जाफरी ने निभाया है, उनके बेकार के आइडिया से भी तंग आ गई है, इसलिए भी वह अपना बेस्ट देना चाहती है। इन सबके बीच एंट्री होती है, करण की। करण  एक एक्टर है  अब वह तानी की जिंदगी में क्या नयापन लाता है और सुमेर का इसपर क्या असर होता है, क्या तानी और सुमेर की वेब सीरीज बन पाती है, यह मैं आपको यहाँ नहीं बताऊंगी, उसके लिए आपको एक बार सीरीज तो देखनी होगी, यकीन मानिए आप बोर भी नहीं होंगे।

बातें जो मुझे पसंद आयीं

निर्देशक ने इस बार सीजन को सिर्फ अमूमन जैसे रॉम -कॉम होते हैं, वैसे सिर्फ काम चलाऊ नहीं बनाया है। इस बार न सिर्फ कहानी मैच्योर हुई है, किरदार मैच्योर हुए हैं, बल्कि निर्देशक का निर्देशन भी मैच्योर हुआ है, इस बार की कहानी में अधिक फ्रेशनेस है। इमोशन है और एक कनेक्ट है, जो काफी नेचुरल तरीके से हर एपिसोड में आता है। इस बार कैनवास भी मेकर्स ने बड़ा कर दिया है, कहानी का ट्रीटमेंट कुछ ऐसा रखा गया है, जैसे कोई बॉलीवुड की फिल्म हो, इसकी वजह से भी सीरीज दिलचस्प हुई है। कहानी में इस बार खूब सारा ड्रामा भी है, इमोशन भी है, रोमांस भी है।  सारा और करण जैसे नए कलाकारों का जुड़ना कहानी में और फ्रेशनेस दे जाता है। सीरीज में खूबसूरत म्यूजिक, लोकेशंस भी सीरीज देखने के लिए प्रेरित करते हैं।

अभिनय

नकुल मेहता और आन्या सिंह दोनों ही इस सीरीज में पिछले सीजन से अधिक मैच्योर नजर आये हैं। उनके बीच की केमेस्ट्री आकर्षित करती है। एक फ्रेशनेस है, दोनों के ही अभिनय में इस बार। वहीं करण वाही ने कहानी में आइसिंग ऑन द केक का काम किया है। उनका आना कहानी में चार चाँद लगा रहा है। सारा जेन डायस  का भी काम काफी अच्छा है, उनका रुआब उनके किरदार पर फिट बैठता है। निकी और जावेद जाफरी अपने किरदारों में फिट बैठे हैं। जावेद की कॉमिक टाइमिंग कमाल की लगी है।

बातें जो बेहतर होने की गुंजाइश थीं

कहीं-कहीं कहानी ओवर मेलोड्रमैटिक हुई है, वह कहानी को कई दृश्यों में कमजोर बना देती है, सीरीज की अवधि भी थोड़ी छोटी की जा सकती थी।

कुल मिला कर, कहूं तो सुमृत शाही और दुर्जोय दत्ता  की इस नॉवेल का यह सीरीज रूप दर्शकों को पसंद आएगा, मुझे ऐसी उम्मीद है, खासतौर से युवा दर्शकों के लिए यह एक अच्छा वीकेंड बिंज वॉच बन सकता है, जो कि वह अपने दोस्तों के साथ देखें।

वेब सीरीज : नेवर किस योर बेस्ट फ्रेंड पार्ट 2

कलाकार : नकुल मेहता, आन्या सिंह, करण वाही,

सारा जेन डायस, निकी अनेजा वालिया, जावेद जाफरी, ऋतुराज

निर्देशक : हर्ष देहिया

चैनल : जी 5

मेरी रेटिंग 5 में से 3 स्टार

Exclusive ! Divyendu Sharma ! 'मिर्जापुर' के बाद से निर्देशकों ने मुझे टाइपकास्ट करना ही बंद नहीं किया, बल्कि मुझे और अधिक एक्सप्लोर करना शुरू किया है

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कुछ कलाकार जब फ़िल्मी दुनिया में कदम रखते हैं, तो इसी सोच के साथ आते हैं कि आएंगे और छा जायेंगे और फिर वह चकाचौंध में आकर कई बार ऐसी फिल्मों का चुनाव कर लेते हैं, जो गैर जरूरी होते हैं और जो उनके पर्सोना को और कमजोर करते हैं, और कुछ कलाकार यह सोच कर ही आते हैं कि कम फिल्में ही सही, लेकिन दमदार और यादगार किरदार निभाऊंगा। नवाजुद्दीन सिद्दीकी, पंकज त्रिपाठी, इरफ़ान खान और ऐसे कई कलाकार हैं, जो इसी श्रेणी में आते हैं। मिर्जापुर के मुन्ना भईया उर्फ़ दिव्येंदु शर्मा भी मुझे ऐसे ही कलाकारों की श्रेणी में नजर आते हैं, जिन्हें भागने की हड़बड़ी नहीं है, बहुत सोच-समझ कर, अच्छे किरदारों के साथ वह अपनी पैठ इंडस्ट्री में जमा रहे हैं। वह अपने काम से संतुष्ट भी हैं और दर्शकों को भी संतुष्ट कर रहे हैं, यह उनसे बातचीत करने पर मैंने तो महसूस किया। इन दिनों, दिव्येंदु अपनी नयी फिल्म मेरे देश की धरती को लेकर चर्चे में हैं। फिल्म किसान आंदोलन के एक अहम मुद्दे को भी उजागर करता है, ऐसे में दिव्येंदु ने इस मुद्दे पर और अपनी करियर प्लानिंग को लेकर भी विस्तार से बातचीत की है मुझसे, जिसके अंश मैं यहाँ शेयर कर रही हूँ।

डेमोक्रेसी का मतलब ही जनता है

दिव्येंदु का मानना है कि देश में जो किसान क्रांति की जीत हुई, वह दर्शाती है कि डेमोक्रेसी की ताकत इसी को कहते हैं। किसान आंदोलन को लेकर अपनी बेबाक राय रखते हुए दिव्येंदु ने एक जरूरी बात रखी है।

वह कहते हैं

मैं तो अपने देश के किसानों के लिए बेहद खुश हूँ, उन्होंने जो किया है, वह उल्लेखनीय भी है और अद्भुत भी है, इसे नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है, क्योंकि आसान नहीं होता है कि इतने दिनों तक, इस तरह एकता जो बरक़रार रख कर अपनी आवाज उठाना और क्रांति लाना, क्रांति को आवाज दे पाना। जितनी बड़ी और लम्बी मुहिम चलाई है, उन्होंने वह आसान नहीं रही है।  इस क्रान्ति की जीत यह भी बताती है कि अगर आपको कुछ अच्छा नहीं लगे, तो आप आवाज उठा सकते हैं, और इसको ही डेमोक्रेसी कहते हैं, जो है वह जनता ही है। जनता ही सरकार बनती है। सरकार बनने के बाद, वह हमें नहीं बता सकते कि हम क्या करें क्या नहीं, बल्कि उनको समझना होगा कि आपको वहां जनता ने ही बिठाया है और जनता के हित में जो कुछ भी है, आपको करना ही होगा। देश के लोग ही सबकुछ हैं।

मेरे देश की धरती एक महत्वपूर्ण विषय पर करती है बात

दिव्येंदु कहते हैं कि बतौर कलाकार, वह इस फिल्म से जुड़े, क्योंकि इसमें किसान आंदोलन और देश में युवाओं के  बीच बढ़ रहे बेरोजगार की बात को भी दर्शाया गया है।

वह कहते हैं

मेरे देश की धरती की जो थीम है, वहीं मुझे कहीं न कहीं इस फिल्म को करने के लिए काफी अट्रैक्ट हो गया।  किसानों के मुद्दे की बात हुई है इसमें, हालाँकि यह कहानी फार्मर बिल को लेकर हुए निर्णय से पहले ही हमने शुरू कर दी बननी। लेकिन मुद्दा तो अहम है, इसके अलावा कहानी में युवाओं के बेरोजगार होने पर जो आत्महत्या की बात हो रही है, इन बातों ने मुझे अट्रैक्ट किया है। बतौर एक आर्टिस्ट के रूप में मुझे लगा कि कहीं न कहीं मैं इनकी एक  वॉइस बन पाऊंगा  और लोगों तक अपनी बात पहुंचा पाऊंगा।

हड़बड़ी में नहीं हूँ मैं

दिव्येंदु शर्मा साफ़तौर पर कहते हैं कि उन्हें काम को लेकर कोई हड़बड़ी नहीं है। वह नाम बनाने के चक्कर में कोई भी फिल्म नहीं चुन लेंगे।

Source : Instagram I @divyenndu

वह विस्तार से इस बारे में कहते हैं

मैं शुरू से अपने काम को लेकर हाइपर या कॉम्पटीटिव नहीं रहा हूँ, मुझे कुछ भी करने की बात दिमाग में नहीं रही है। मैंने काफी काम को न भी कहा है, क्योंकि मुझे ऐसे काम नहीं करने कि सिर्फ लम्बी फेहरिस्त हो जाए और मेरे किरदार को कोई याद ही न रखे। वैसे मेरे कॉम्पटीटिव नहीं होने का यह भी कारण है कि मुझे पता है कि ऐसे काफी कम एक्टर्स होते हैं, जो बाकायदा एक्टिंग की ट्रेनिंग लेते हैं, मुझे मेरी एफटीआईआई की ट्रेनिंग ने वह कॉन्फिडेंस दिया है, इसलिए भी मैं बाकी के सामने खुद को कम नहीं आंकता हूँ। मेरी ट्रेनिंग में यह बात सिखाई गई है कि अगर आपके मन में भय है, यानी ज्ञान अधूरा है, इसलिए मैं डरता नहीं हूँ। साथ ही मैं आज भी अपने थियेटर की एक्सरसाइज को जारी रखता हूँ। यह सब मुझे अपने काम के प्रति समर्पण सिखाती है और मुझे हड़बड़ी में गड़बड़ी करने से रोकती है।

मुन्ना भईया के किरदार ने ऑप्शन खोले हैं

दिव्येंदु बताते हैं कि मिर्जापुर के मुन्ना भईया के किरदार ने निर्देशकों का अप्रोच उनके प्रति बदला है।

वह बताते हैं

मैं इस बात से आश्चर्य करता हूँ, लेकिन यह बात सच भी है कि मुझे मिर्जापुर के मुन्ना भईया के किरदार के बाद, निर्देशकों ने कभी टाइपकास्ट करने की नहीं सोची, बल्कि अब उनके जेहन में आ गया है कि ये बंदा हर तरह के रोल कर सकता है और इस वजह से अब मुझे वेराईटी ऑफ़ रोल्स मिल रहे हैं, जबकि शुरू में मेरी शुरुआती फिल्में चश्म-ए -बद्दूर  और प्यार का पंचनामा के बाद, बॉय नेक्स्ट डोर और गुडी-गुडी रोल्स ही आने लगे थे। निर्देशकों का अब मुझ पर ट्रस्ट बढ़ा है और मुझे मेरे मन लायक रोल्स आ रहे हैं। और अब लगता है ऐसा कि इतने दिनों की तपस्या पूरी हुई है।  इसलिए मैं इस लोकप्रियता से खुश हूँ, आज मैं किसी भी जगह जाता हूँ, तो एयरपोर्ट से लेकर शहर तक में मैं इसी नाम से जाना जाता हूँ, कितनी नानी और दादी ने भी मेरे शो देखे हैं, जबकि शो में गालियां भी थीं, मुझे थोड़ी तो झिझक भी होती है, लेकिन खुश हूँ कि मेरी फिल्म ने एक इम्पैक्ट तो छोड़ा है।
Source : Instagram I @divyenndu

रीमेक फिल्मों का दौर खत्म होगा

दिव्येंदु साफ-साफ कहते हैं कि हमें ओरिजिनल कॉन्टेंट पर काम करने की जरूरत है।

वह कहते हैं

मेरा मानना है कि कहीं न कहीं साउथ की जो फिल्में होती हैं, वह काफी लोकप्रिय ही रही हैं, क्योंकि उसमें काफी लार्जर देन लाइफ किरदार निभाते हैं, लेकिन फिर भी ऐसा बहुत कुछ होता हैं, जो आम इंसान के दिल को छूता है। अब रीमेक फिल्मों के बाजार को बंद करना होगा, कहीं न कहीं बॉलीवुड बहुत फ्लपी हो गया था, काफी ग्लैमर और इन चीजों में ही खो गया था, अब यह सब खत्म करना होगा, अच्छी कहानियों को लाना होगा, क्योंकि अगर एक डब की गई फिल्म हमारे यहाँ कमाल करती है, मतलब दर्शकों के सामने लैंग्वेज भी अब कोई बैरियर नहीं रह गई है। ओटीटी की वजह से अब दर्शक रियलिज्म चाहते हैं। ऐसा नहीं है कि मैंने रीमेक फिल्मों में काम नहीं किया है। लेकिन मैं इस कन्वर्सेशन रख रहा हूँ कि हमें ओरिजिनल के तरफ रुख करना ही होगा।
Source : Instagram I @divyenndu

ओटीटी ने मेरे फैन बेस को बढ़ाया है

दिव्येंदु मानते हैं कि ओटीटी की दुनिया ने उन्हें फैन बेस दिया है।

वह कहते हैं

मुझे ओटीटी और सिनेमा में कौन बेस्ट है, इसके बहस में नहीं पड़ना है, मैं तो मानता हूँ कि ओटीटी की दुनिया ने मेरे फैन बेस को बढ़ाया है। मैं तो लगातार ओटीटी के लिए काम करूँगा, मैं तो इसे इंडस्ट्री के लिए एक एक्स्ट्रा रेवन्यू का जरिया मानता हूँ, जिसने फिल्म टीवी, सैटेलाइट के बाद अब ओटीटी से भी रेवेन्यू कमाना शुरू किया है, तो इस इंडस्ट्री को और ग्रो करना चाहिए।

हॉलीवुड में जाने की चाहत है, मगर...

दिव्येंदु का कहना है कि उन्हें हॉलीवुड में काम तो करना है, लेकिन एजेंट रख कर नहीं, वह चाहते हैं कि वह कुछ ऐसे किरदार निभा लें कि उन्हें वहां दिखाने पर अच्छा लगे। इसके अलावा दिव्येंदु निर्देशन भी करना चाहते हैं।

वाकई में, यह दिव्येंदु जैसे कलाकार का कन्विक्शन ही है कि उन्हें अच्छे किरदार मिल रहे हैं और वह अपने बेस्ट दे रहे हैं और साथ ही अलग मिजाज के रोल्स कर रहे हैं,  उनकी फिल्म मेरे देश की धरती ,6 मई को तो रिलीज हो ही रही है, साथ ही वह यशराज फिल्म्स की भोपाल गैस ट्रेजेडी पर बन रहे 'The Railway Men'  नामक प्रोजेक्ट का भी हिस्सा हैं, अमेजॉन मिनी टीवी के लिए भी उन्होंने प्रोजेक्ट किये हैं, साथ ही और भी दिलचस्प प्रोजेक्ट्स वह कर रहे हैं। मुझे पूरी उम्मीद है कि इन सभी में वह अपने बेस्ट ही देंगे, क्योंकि वह एक्टर क्यों बने हैं, उन्हें मालूम भी है और वह शिद्दत से अपने किरदारों में ढल भी जाते हैं।

Movie Review ! Runway 34 ! अमिताभ बच्चन, रकुल प्रीत सिंह के साथ अजय देवगन के निर्देशन में बनीं रोमांचक हवाई रोमाचंक उड़ान भरने की है कोशिश, दर्शकों के दिलों में करेगी सेफ लैंडिंग

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एक पायलट की जिंदगी, आगे कुंआ, पीछे खाई से कम नहीं होती है, इसके बावजूद जिन्हें पैशन है, वह इस क्षेत्र में आते ही हैं। एक पायलट को एयरलाइन की दुनिया में वहीं ओहदा, कम से कम कागजी जुबान में दिया जाता है कि वह एक कमांडो है, जिस पर पूरी तरह से फ्लाइट में उड़ान भर रहे यात्रियों की जिम्मेदारी होती है। दिखने पर तो इस व्हाइट कॉलर जॉब का रुतबा ही हमें नजर आता है, शान ओ शौकत ही नजर आती है, लेकिन आसान नहीं होती है एक पायलेट की जिंदगी। चूंकि अगर पायलट से एक भी चूक हो जाये, तो पूरा दोष उन पर ही मढ़ा जाता है और अगर कोई हादसा हो जाये, तब भी पायलट की गलती बता कर, कई बार एयरलाइंस कम्पनियाँ, अपने मुनाफे की राह पर चलती रहती है। मुझे बेहद ख़ुशी और तसल्ली है कि अजय देवगन ने बतौर निर्देशक, रनवे 34 के माध्यम से लीक से हट कर एक ऐसी कहानी चुनी है, जो इस दुनिया की कहानी दिखाती है। फ्लाइट की दुनिया इमोशन से नहीं मैथ यानी गणित से चलती है और मेरा मानना है कि अजय अपनी इस फिल्म से दर्शकों के दिलों में सेफ लैंडिंग करें। यह गणित एकदम साफ़ है। अमिताभ बच्चन, रकुल प्रीत सिंह के साथ अजय देवगन ने निर्देशन की कुर्सी पूरी सेफ्टी के साथ लैंड करने की कोशिश की है। अमिताभ बच्चन के किरदार ने अजय देवगन के किरदार को फिल्म में एक बात कही है, नेवर ब्रेक द फेथ ऑफ़ योर पीपल, अजय ने अपने फैंस के लिए मेरे ख्याल से कुछ ऐसा ही किया है, इस फिल्म को निर्देशित करके। मैं ऐसा क्यों कह रही हूँ, आपको यहाँ विस्तार से बताना चाहूंगी।

क्या है कहानी

कहानी साल 2015 में दोहा-कोच्चि फ्लाइट की एमरजेंसी लैंडिंग से प्रेरित है, फिल्म की कहानी पायलट कैप्टन विक्रांत खन्ना  ( अजय देवगन) की है, जिसकी फोटोग्राफिक मेमोरी है, वह चीजों को कभी नहीं भूलता, आँख मुंद कर भी वह बटन बता सकता है। उसकी पत्नी समायरा (आकांक्षा सिंह) और बेटी है और जिसके साथ वह खुश है। उसने कई सफल लैंडिंग की है, कई युवाओं का वह आदर्श है। ऐसे में उसे एक दिन दुबई से कोच्चि फ्लाइट लेकर जाना है। अपनी को-पायलट तान्या अल्बर कर्की( रकुल प्रीत सिंह ) के साथ। कोच्चि में खराब मौसम के कारण, अब कैप्टन और को-पायलट को निर्णय लेना है कि वह नजदीकी एयरपोर्ट त्रिवेंद्रम जाएं या बंगलुरु। यहाँ से खेल शुरू होता है, रोमांच शुरू होता है। जैसा कि इस फिल्म की पूरी कहानी ही मैथ यानि गणित पर टिकी है। फ्यूल, ड्यूरेशन और अपने तजुर्बे के अनुसार कैप्टन कुछ निर्णय लेता है, पैसेंजर के रूप में एक दमे की पेशेंट, तो एक छोटे से मासूम बच्चे के साथ उसकी माँ भी है। 150 पैसेंजर की जिम्मेदारी कैप्टन पर है। कैप्टन मे डे यानी इमरजेंसी लैंडिंग करता है । लेकिन, मामला वहीं खत्म नहीं हो जाता है। एक इन्क्वारी बैठती है AAIB की, नारायण वेदांत( अमिताभ बच्चन ) के अंडर में, जो कि ऐसी इन्क्वारी की जांच-पड़ताल के ही विशेषज्ञ हैं। अब कैप्टन का फैसला सही है या नहीं, यह मैं नहीं बताऊंगी।  पूरी कहानी ही विक्रांत-नारायण के सही फैसले, गणित, नियम-कानून और तर्कों के बीच चलती है और वहीं असली रोमांच है फिल्म का। कहानी में एक एयरलाइन कम्पनी का सिर्फ अपने मुनाफे के बारे में सोचना और दांव-पेंच खेलना  भी इस क्षेत्र से जुड़ीं कई बारीकियों को दर्शाता है .


बातें जो मुझे अपील कर गयीं

मैंने इस फिल्म को देखने के बाद, एयरलाइन से जुड़े कुछ दोस्तों से विस्तार में बात की, जिनसे बातचीत करने बाद, मैंने यह महसूस किया कि अजय और अजय की टीम ने कहानी हवाई उड़ान की बनाई है, लेकिन हवा में नहीं बनाई है। यानी उन्होंने सिर्फ हवा बाजी नहीं की है। बाकायदा, कई लिहाज में रिसर्च है। एक बात जो मैं इन क्षेत्र से जुड़े काम करने वाले प्रोफेशनल्स से बात करके समझ पायी कि एयरलाइन के हर प्रोफेशनल को पूरी तरह से एमरजेंसी हालात की ट्रेनिंग दी जाती है, मेंटल और शारीरिक रूप से स्ट्रांग लोग ही इस प्रोफेशन में आते हैं, लेकिन जब हकीकत में हालात सामने आते हैं, तब एक पायलेट और को-पायलट, क्रू कैसे बिहेव करते हैं, यह सिर्फ उस हालात पर निर्भर करता है। तान्या और विक्रांत के इस कन्ट्रास्ट को भी अजय ने बखूबी दर्शाया है। अजय देवगन और अमिताभ बच्चन के बीच, जो तर्क-वितर्क है, उसके माध्यम से मैं इस क्षेत्र की कई बारीकियों को समझ पायी हूँ और उसे बेहद रोचक तरीके से प्रस्तुत भी किया गया है। अजय ने कोई लफाबाजी ने की है।  सामने अमिताभ हैं, तो ऐसी गुंजाइश और कम भी हो जाती है। अजय तर्क, फैक्ट्स पर अधिक गए हैं, उन्होंने बहुत अधिक सिनेमेटिक लिबर्टी नहीं ली है।

फिल्म का तकनीकी पक्ष कहानी को बेहद अपीलिंग बनाता है। असीम बजाज का कैमरा वर्क कहानी की जान है, तो बैकग्राउंड म्यूजिक भी आकर्षित करता है।

फिल्म की एक और खूबी, जो मुझे आकर्षित कर गयी, वह है अमिताभ बच्चन की शुद्ध हिंदी, उन्होंने जिस तरह से फिल्म में हिंदी बोली है, हिन्दीभाषी के रूप में उनका यह लहजा खूब पसंद आया है। सच कहूं तो, उनके किरदार से  एक गुरत्वाकर्षण यानी ग्रेविटेशन महसूस किया। कहानी मैलोड्रामैटिक कम है। संवाद भी बेहतरीन हैं, कुछ संवाद फ़िल्मी हैं हालाँकि।

फिल्म में यह भी एंगल खूबसूरती से बयां किया गया है कि पैसेंजर, कम्पनी सब किस तरह सिर्फ ब्लेम गेम खेलते हैं।

इस फिल्म से यह भी पूरी तरह से साबित होता है कि जिस तरह स्टेडियम और टीवी सेट के सामने आप अनुमान लगाते हैं और हर कोई एक्सपर्ट ही बनता है क्रिकेट और सिनेमा का, पायलट के काम को भी लोग वैसे ही देखते हैं और बेतुके तर्क देते हैं, जबकि यह पूरी तरह से माइंड का काम है। और यह कैप्टन की सूझ-बूझ पर भी उस इमरजेंसी हालात की प्लानिंग टिकी होती है, उसका एक फैसला और सबकुछ खत्म, ऐसे में कोई पायलट यूं ही तुक्केबाजी में नहीं, फिर  भी गणित में ही काम करता है।  फिल्म में एक पायलट के संघर्ष को समझने की अच्छी कोशिश है।

अभिनय

अजय देवगन ने पायलट के लहजे, बॉडी लैंग्वेज को बड़े ही स्टाइलिश अंदाज में पेश किया है। अजय नेचुरल एक्टर हैं और उनकी सहजता पूरी तरह से फिल्म में नजर आयी है। उनकी आँखों ने इस बार भी कमाल किया है, वह स्थिर एक्टर हैं, उन्हें संवाद बोलने या एक्ट करने की सीन में कभी हड़बड़ी नहीं दिखती है, शायद इसलिए वह नेचुरल और सहज दिखते हैं। एक्टर के साथ-साथ, निर्देशन करते हुए अजय किसी जल्दबाजी में नहीं दिखे हैं, यह उनके सालों का अनुभव दर्शाता है।  अमिताभ बच्चन का रुतबा, दबदबा इस फिल्म में भी जारी रहा है। अभिनय की पिच पर उनका सानी कोई नहीं। प्रखर आवाज, उम्दा अंदाज और शानदार लहजे के साथ वह नारायण के किरदार में खूब जंचे हैं। अजय और उनके बीच के दृश्य तर्क-वितर्क ही इस कहानी की जान हैं। रकुल प्रीत सिंह के लिए, उनकी बाकी फिल्मों से अधिक चैलेंजिंग इस बार का किरदार है, उन्होंने एक को-पायलेट की मनो: स्थिति को अच्छे से समझ कर परफॉर्म किया है। यह फिल्म उनके करियर के लिए बेहतरीन साबित होगी। आकांक्षा सिंह ने इस फिल्म से बॉलीवुड में कदम रखा है। उनके हिस्से कम दृश्य हैं, लेकिन उन्होंने सार्थक अभिनय किया है, उनमें क्षमता दिखती है कि वह आगे बेहतर करेंगी। बोमन ईरानी एक एयरलाइन के मालिक के किरदार में जंचे हैं। अंगिरा धर के किरदार को और विस्तार मिल सकता था।


बातें जो बेहतर होने की गुंजाइश थीं

फिल्म में एक जगह शोध की बात की गई है कि अक्सर पायलट होम सिकनेस के कारण भी दुर्घटनाओं के कारण बनते हैं, यह बात थोड़ी हजम करनी मुश्किल है। साथ ही एक दो दृश्य में फैक्ट हालात के हिसाब से बचकाने लगते हैं, जैसे कंट्रोल रूम में एक स्टाफ के बीमार पड़ जाने के बाद, सही जानकारी कैप्टन तक नहीं पहुँच पाना। फिल्म की रिसर्च टीम और बेहतर तरीके से इसे दर्शा सकती थी।

कुल मिला कर कहूं, तो अजय देवगन की अभिनीत और निर्देशित की गई यह फिल्म एक अलग रोमांचक अनुभव देती है, कहानी अलग हट कर है और ट्रीटमेंट भी, तो मेरा मानना है कि दर्शक सिनेमा थियेटर  के पिच पर इस रोमांचक और दिलचस्प अनुभव को देखने के लिए लैंड कर सकते हैं। खासतौर से अजय के फैंस के लिए यह बेहतरीन तोहफा है।

फिल्म : रनवे 34

कलाकार : अजय देवगन, अमिताभ बच्चन, रकुल प्रीत सिंह, आकांक्षा सिंह, अंगिरा धर, बोमन ईरानी

निर्देशक : अजय देवगन

मेरी रेटिंग 5 में से 3.5  स्टार 

Exclusive ! Avika Gaur ! मुझे टीवी एक्टर टैग पर प्राउड है, क्योंकि टीवी अगर छोटा माध्यम होता, तो सलमान खान और रणवीर सिंह कभी इस पर नहीं आते

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किसी एक शो में ही ऐसा किरदार निभा जाना कि वह किरदार ही उनका पर्याय बन जाए, मेरा मानना है कि हर एक कलाकार की यही चाहत होती है और आनंदी उर्फ़ अविका गौर ने आनंदी के रूप में बालिका वधु से वहीं पहचान हासिल की, लेकिन मुझे अविका की यही खासियत आकर्षित करती है कि उन्होंने खुद को किसी एक किरदार में नहीं बांधा, खुद को सीमित नहीं किया। वह न वर्तमान दौर में सिर्फ विक्रम भट्ट जैसे निर्देशकों के साथ हिंदी फिल्म में काम कर रही हैं, बल्कि तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री में भी उन्होंने पहचान बना ली है। यही नहीं, मेरा मानना है कि शायद वह सबसे कम उम्र की अभिनेत्री होंगी, जिन्होंने अपने प्रोडक्शन हाउस की भी शुरुआत की है। कम उम्र में ही उन्होंने कई मुकाम हासिल कर लिए हैं, ऐसे में उन्होंने मुझसे खास बातचीत में अपने अब तक के करियर और भविष्य की योजनाओं के बारे में भी बातें की हैं। मैं यहाँ उसके अंश शेयर कर रही हूँ।

'1920: हॉरर्स ऑफ द हार्ट' से रख रही हैं हिंदी फिल्मों में कदम

अविका गौर ने विक्रम भट्ट की फिल्म '1920: हॉरर्स ऑफ द हार्ट' से हिंदी फ़िल्मी दुनिया में कदम रखने का मन बना लिया है।

वह इस बारे में कहती हैं

मुझे यह एहसास है कि मुझसे जो मेरे फैंस जुड़े हैं, उनको कितनी और क्या उम्मीदें हैं, तो मेरी कोशिश है कि मैं उनको निराश नहीं करूँ, इस फिल्म में मुझे खुद को साबित करने का मौका मिला है। वैसे मैं तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री में जो भी क्राफ्ट के बारे में सीखा है, अब वह यहाँ काम आएगा और मैं प्रोजेक्ट को लेकर काफी उत्साहित हूँ। मैंने चार और तेलुगू फिल्मों में भी काम कर रही हूँ।

तेलुगू फिल्मों में ठोस किरदार निभाए हैं

अविका बताती हैं कि उन्होंने तेलुगू फिल्मों की तरफ रुख इसलिए भी किया, क्योंकि उन्हें अच्छे ऑफर मिलने लगे थे। अविका बताती हैं कि उन्होंने काफी ठोस किरदार निभाए हैं .

वह बताती हैं

मुझे तेलुगू फिल्मों में हमेशा अच्छी फिल्मों के ऑफर मिले हैं, मैंने यह कॉन्सस डिसीजन भी रखा कि मैं किसी ऐसी ही फिल्मों का हिस्सा नहीं बनूँगी, जहाँ मेरे करने के लिए कुछ हो न हो, मैंने हमेशा ऐसी फिल्मों का चुनाव किया, जहाँ महिला किरदार को तवज्जो दी गई है, इसलिए मेरे फैंस भी इस बात को अब समझते हैं कि मेरी कोई फिल्म होगी, तो यूं ही नहीं होगी।  तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री में मैंने एक अच्छी पहचान बना ली है। मेरे सामने कोई बड़े एक्टर हों और स्क्रिप्ट अच्छी न हो तो, मैं उस फिल्म की बजाय नए निर्देशक के साथ अपने लिए अच्छे किरदार वाला अभिनय करना पसंद करूंगी।

वह आगे बताती हैं

तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री में लोग काफी प्रोफेशनल हैं और अपनी भाषा और संस्कृति पर गर्व करते हैं, सबसे खास बात यह है कि वह काफी विनम्र होते हैं और अपने को-स्टार का बेहद ख्याल रखते हैं। मेरी फिल्में अब ओटीटी की वजह से मेरे टीवी की दुनिया से बने फैंस भी देख रहे हैं और इसकी वजह से मेरा एक अलग फैन बेस बन गया है। मैंने जिन लोगों के साथ भी काम किया है, उनमें राज तरुण, निखिल सिद्धार्थ और कल्याण देव जैसे एक्टर्स मेरे खास दोस्त भी बने। खास बात यह रही है कि हमारी दोस्ती फिल्मों के बाद भी जारी है।

अपने प्रोडक्शन हाउस की शुरुआत से खुश हूँ

बेहद कम उम्र में अविका ने अपने एक प्रोडक्शन हाउस की भी शुरुआत कर दी है।

वह इस बारे में विस्तार से कहती हैं

मैं हमेशा से अभिनय के अलावा निर्देशन, राइटिंग और पर्दे के पीछे की चीजें करते रहना पसंद करती हूँ। इसलिए मुझे लगा और मुझे मौका मिला तो मैंने प्रोडक्शन हाउस शुरू किया। फ़िलहाल मैंने तेलुगू फिल्म के निर्माण से शुरुआत की, क्योंकि वहां मेरा एक फैन बेस बन गया है। वैसे मैंने जल्द ही हिंदी फिल्मों के प्रोडक्शन पर भी काम शुरू करूंगी। वैसे मैंने और मेरे सिमर शो में मेरे को-स्टार रहे मनीष ने काफी शॉर्ट फिल्मों पर भी काम किया था, तो वहां से एक कॉन्फिडेंस तो आया।

टीवी एक्टर्स को हीन भावना से देखना गलत

अविका कहती हैं कि उन्हें जो कुछ भी मिला है, टीवी ने ही दिया है और उन्हें कोई टीवी एक्टर से टैग करता है तो वह गर्व महसूस करती हैं, क्योंकि टीवी में काम करना आसान नहीं है।

वह कहती हैं

टीवी एक्टर्स को लेकर हमेशा यह बातें आती हैं, उन्हें हीन दृष्टि या कमतर आंक देते हैं कई बार, जबकि हकीकत यह है कि जिन्होंने भी टीवी में काम किया है न, वह दुनिया में कहीं भी काम कर सकते हैं, क्योंकि फिल्मों में केवल दो से तीन महीने का काम होता है। फिर फिल्म हिट हो या फ्लॉप एक्टर्स दूसरे काम में लग जाते हैं, टीवी में हर दिन कुछ न कुछ नया होता है, हर दिन घंटों की शिफ्ट करनी होती है, सोने-जागने, खाने -पीने किसी भी चीज का ठिकाना नहीं होता है, कई बार तो उसी दिन स्क्रिप्ट मिलती है, काफी कुछ टफ होता है। ऐसे में मैं तो यही कहूँगी कि मैं प्राउड फील करती हूँ कि वहां का अनुभव मुझे काम आया है, जब मैंने फिल्मों में शुरुआत किया है, मेरे सिर्फ एक किरदार को लोगों ने अबतक संभाल कर रखा है, मेरे टीवी के फैंस ही लॉयल फैंस हैं। मेरा तो एक ही सवाल है कि अगर टीवी इतना बड़ा नहीं होता तो सलमान खान और रणवीर सिंह से मेगा स्टार्स, उस पर आकर शो होस्ट नहीं करते। टीवी की दुनिया ने मुझे अपार अनुभव दिया है, सफलता दी है और मैं उसका हमेशा सम्मान करूंगी, मुझे कोई टीवी टैग से बुलाये, मुझे परेशानी नहीं है, क्योंकि मैं इस ग्लैमर के पीछे की मेहनत को जानती हूँ, आर्टिस्ट की दुनिया के। तेलुगू फिल्मों में भी लोगों ने मुझे इसलिए लेना शुरू किया कि उन्हें एक फिक्स्ड ऑडियंस मिलती है।

सोशल मीडिया पर कभी फॉलोवर्स बढ़ाने के लिए कुछ नहीं किया

अविका कहती हैं, उनके फैंस लॉयल हैं और वास्तविक हैं, सोशल मीडिया पर भी।

वह बताती हैं

मैंने कभी सोशल मीडिया को बहुत हावी अपनी दुनिया में होने नहीं दिया है, मैंने आज तक अपने फॉलोवर्स बढ़ने के लिए कोई तिड़कमबाजी  नहीं की है, कभी हद से अधिक निजी जिंदगी को भी हावी नहीं होने दिया है ,ऐसे में जब यह खबरें सुनती हूँ कि फॉलोवर्स के बेसिस पर किसी को काम मिल रहा है और जो एक अच्छा एक्टर है, चूँकि फॉलोवर्स नहीं हैं, तो काम नहीं दिया जा रहा, यह मुझे बिल्कुल बेबुनियाद बात लगती है। बाकी की बात नहीं कह सकती, मैं सोशल मीडिया को गंभीरता से नहीं लेती हूँ।

सोशल मीडिया मेरे साथ रही है अच्छी

अविका कहती हैं कि उन्हें ट्रोल्स का सामना नहीं करना पड़ा है।

वह बताती हैं

मेरे टीवी के फैंस ने कभी मेरे साथ सोशल मीडिया पर बदतमीजी नहीं की, बल्कि एक महिला ने तो मुझे पर्सनल आकर मुझे मेसेज किया सोशल मीडिया पर कि अविका, हम समझ रहे हैं आप बड़ी हो रही हो, इसलिए आपको अपनी डायट पर ध्यान देना चाहिए, हम आपकी इसमें मदद कर सकते हैं, मुझे उस महिला का कंसर्न बहुत ही अच्छा लगा, तो मेरा अनुभव बुरा नहीं है सोशल मीडिया के साथ।

परिवार ने बनाया है डाउन तो अर्थ

अविका कहती हैं कि उनके परिवार वालों ने उन्हें डाउन टू अर्थ बना कर रखा है।

वह बताती हैं

मेरे पेरेंट्स ने हमेशा मुझे इंडिपेंडेंट रहने की मंजूरी दी है, शुरुआत से ही। हाँ, लेकिन मेरे सपोर्ट सिस्टम रहे हैं और कभी स्टारडम को उन्होंने मुझ पर हावी नहीं होने दिया है। घर में मैं आज भी बच्ची की तरह ही ट्रीट होती हूँ और मेरे निर्णय मैं खुद ही लेती हूँ।

हर लैंग्वेज की फिल्मों को करना है एक्सप्लोर

अविका ने इस बारे में भी कहा कि कजाकिस्तान की फिल्म में उनको काफी लोकप्रियता और प्यार मिला।

वह कहती हैं

मैं हर तरह की भाषाओं में काम करना चाहती हूँ, मैं इमोशनल ड्रामा जैसे हैशटैग ब्रो मेरी फिल्म आई थी, वैसी फिल्में और करना चाहूंगी, मैं हर लैंग्वेज में काम करना चाहूंगी।

वाकई में, मुझे तो विश्वास ही नहीं होता है कि कितनी कम उम्र में अविका ने कितना मुकाम हासिल कर लिया है और कितनी मच्योरिटी से वह अपने जवाब देती हैं, इससे यह स्पष्ट होता है कि अनुभव के उम्र की नहीं, अक्ल की जरूरत होती है, मुझे तो पूरा यकीन है कि अविका भविष्य में भी अपना और बेस्ट ही देंगी और बेहतरीन व उम्दा काम और प्रोडक्शंस करती रहेंगी। फिलहाल उनकी हिंदी फिल्म डेब्यू का इंतजार है।