ऋतिक रोशन एक् शन और डांस दोनों में ही कुशल हैं. फिल्म बैंग बैंग उन्होंने अपने इन दोनों हूनर को बखूबी दर्शकों के सामने दर्शाया है. ऋतिक बैंग बैंग अपनी जिंदगी की खास फिल्म मानते हैं. चूंकि इसमें अभिनय के दौरान वह कई तरह के उतार चढ़ाव से गुजरे.
ऋतिक बैंग बैंग क्यों आपके लिए खास फिल्म बनीं?
चूंकि इस फिल्म से मैंने महसूस किया है कि ऐसी फिल्म मुझे संतुष्ट करती हैं. हालांकि मुझे जब सिद्धार्थ ने बताया था कि मुझे यह फिल्म करनी है तो मुझे लगा चलो कर लेंगे...लेकिन बाप रे बाप जितनी मेहनत इस फिल्म के लिए की है. मैंने कृष में भी नहीं की है. इस फिल्म में जिस तरह के एक् शन हैं. मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि अब से पहले किसी हिंदी फिल्म में आपने नहीं देखे हैं. साथ ही मुझे फिल्म में माइकल जैक् सन, जिन्हें मैं एडमायर करता हूं. उनके सम्मान में एक परफॉरमेंस देनी थी. मैंने सिद्धार्थ को कहा कि मत करवाओ मुझसे नहीं होगा. लेकिन फिर मुझे लगा कि मैं तो फाइटर हूं...जब इतनी बड़ी बीमारी से लड़ाई जीत ली तो ये क्या है. फिर मैंने कोशिश की कि मैं कुछ हद तक उन्हें फॉलो कर पाऊं और उस डांस में मैंने अपने कुछ डांसिंग स्कील्स को भी आजमाने की कोशिश की है. और मैं मानता हूं कि बैंग बैंग मेरे लिए मेरी जिंदगी का इंटरवल होगा. चूंकि इस फिल्म की रिलीज से पहले और बाद के रितिक में काफी अंतर है.
आशुतोष ग्वारिकर ने कहा है कि उन्होंने सिर्फ आपके लिए तीन साल तक इंतजार किया है. फिल्म मोहनजोदाड़ो के लिए?
जी हां, आशुजी की यह खासियत है कि वह अपनी फिल्मों में कोई जल्दबाजी नहीं दिखाते. रिसर्च को पूरा वक्त देते हैं. यह जिस तरह की फिल्म बन रही है,इसके लिए बहुत शोध की जरूरत थी और उसके लिए तीन साल कुछ भी नहीं. आशु ने मुझे यह स्क्रिप्ट जब सुनाई थी और इसके बाद जब अब मेरे पास स्क्रिप्ट आयी है. उसमें काफी फर्क है. यह पीरियड फिल्म है और निश्चित तौर पर इसमें हमें काफी बारीकी से सारी चीजें करनी होंगी. सो, हम आराम से बनायेंगे यह फिल्म.
ऋतिक पिछले कुछ महीनों में आपकी जिंदगी में काफी उथल-पुथल रही है. शारीरिक और निजी जिंदगी में भी. तो उससे उबरने के लिए क्या रास्ते तलाशें?
मुझे लगता है कि जिंदगी में मेरे पास ही सबसे ज्यादा दुख नहीं हैं. मैं चीजों को पॉजिटिव तरीके से देखता हूं. मुझे मेरे डॉक्टर्स ने कोई मिल गया के बाद ही कह दिया था कि मुझे कोई एक् शन सीन नहीं करने, क्योंकि मेरे ब्रेन में होल्स थे. उसका इलाज हुआ था. फिर घूटनों में, पैर, पीठ. मैं शुरुआत करूं तो मेरे बॉडी के हर हिस्से में चोट है. दर्द है. लेकिन अगर डॉक्टर की बात मान ली होती तो मैं चार महीने में ही खत्म हो जाता और कृष जैसी फिल्म और बैंग बैंग जैसी फिल्म का जिक्र ही नहीं आता. जहां मैंने जबरदस्त एक् शन किया है. तो मैं खुद को फाइटर मानता हूं. मानता हूं कि मैं हर बार लड़ सकता हूं. निजी जिंदगी में जो भी हुआ है. उसके बावजूद मैं ठहरा नहीं चाहता. मैं रास्ते तलाशता हूं और सकारात्मक जिंदगी जीने की कोशिश करना चाहता हूं.
ऋतिक आप डांस में भी कुशल हैं और एक् शन में. क्या मोहनजोदाड़ो जैसी फिल्में चुनने की यह वजह रहती है कि आप अपने कंफर्ट जोन से बाहर आयें?
जी हां, बतौर एक्टर मेरी यह लालसा हमेशा बनी रहेगी कि मैं हर बार अलग तरह के काम करूं. लेकिन एक एक्टर के रूप में मैं अपनी हर फिल्म पर बराबर मेहनत करता हूं. कहीं आपको अपना दिल देना होता है. कहीं आपको ताकत दिखानी होती है. ऐसा नहीं है कि एक् शन फिल्में करना मेरे लिए आसान होता है. हां, मगर एक निर्देशक को भी यकीन होता है कि ऋतिक है तो उससे ऐसे डेयरिंग सीक्वेंस करा लेंगे तो वह भी अपनी मर्जी से अच्छे सीन दे पाते हैं. इसी फिल्म में मैंने अपने बॉडी डबल को हटा दिया. मैंने कहा मैं ही करूंगा वह सीन. खास बात यह है कि वैसे सीन करते वक्त मेरे बॉडीगार्डस, मेरे बाकी के स्टाफ, मेरे स्पॉट ब्वॉय तक आकर मुझसे कहते रहे कि देखो डुग्गू वहां देख कर वहां ये खतरा है. ये है. वे भी मेरे परिवार की तरह मेरा सेट पर ध्यान रखते हैं. जहां तक बात है मोहनजोदाड़ो जैसी फिल्म में काम करने का तो मुझे पीरियड फिल्में करने में मजा आता है और वैसे निर्देशकों के साथ काम करना पसंद हैं जो काफी मेहनती हैं. अपनी कहानी को सिर्फ बनाने के लिए नहीं जीने के लिए बनाते हैं इसलिए मैं वैसे निर्देशकों के साथ होता हूं.
बैंग बैंग को आपने अलग तरीके से प्रोमोट किया. अपने कई दोस्तों को बैंगबैंग डेयर चैलेंज किया.आपको सबसे मजा किन्हें चैलेंज करने में आया?
मुझे फरहान और रणवीर को चैलेंज करने में मजा आया. चूंकि उन्हें मैंने बिल्कुल उनके मिजाज से मेल खाता लेकिन अलग यानी अपने घर पर नहीं सड़क पर आकर डांस करने को कहा और साइकिलिंग करने को और दोनों ने इसे निभाया. मुझे काफी मजा आया. दरअसल, हम आम लोगों की तरह ये छोटे छोटे पल जी नहीं पाते. मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि फरहान और रणवीर को यह करने में बेहद खुशी मिली होगी.
ऋतिक बैंग बैंग क्यों आपके लिए खास फिल्म बनीं?
चूंकि इस फिल्म से मैंने महसूस किया है कि ऐसी फिल्म मुझे संतुष्ट करती हैं. हालांकि मुझे जब सिद्धार्थ ने बताया था कि मुझे यह फिल्म करनी है तो मुझे लगा चलो कर लेंगे...लेकिन बाप रे बाप जितनी मेहनत इस फिल्म के लिए की है. मैंने कृष में भी नहीं की है. इस फिल्म में जिस तरह के एक् शन हैं. मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि अब से पहले किसी हिंदी फिल्म में आपने नहीं देखे हैं. साथ ही मुझे फिल्म में माइकल जैक् सन, जिन्हें मैं एडमायर करता हूं. उनके सम्मान में एक परफॉरमेंस देनी थी. मैंने सिद्धार्थ को कहा कि मत करवाओ मुझसे नहीं होगा. लेकिन फिर मुझे लगा कि मैं तो फाइटर हूं...जब इतनी बड़ी बीमारी से लड़ाई जीत ली तो ये क्या है. फिर मैंने कोशिश की कि मैं कुछ हद तक उन्हें फॉलो कर पाऊं और उस डांस में मैंने अपने कुछ डांसिंग स्कील्स को भी आजमाने की कोशिश की है. और मैं मानता हूं कि बैंग बैंग मेरे लिए मेरी जिंदगी का इंटरवल होगा. चूंकि इस फिल्म की रिलीज से पहले और बाद के रितिक में काफी अंतर है.
आशुतोष ग्वारिकर ने कहा है कि उन्होंने सिर्फ आपके लिए तीन साल तक इंतजार किया है. फिल्म मोहनजोदाड़ो के लिए?
जी हां, आशुजी की यह खासियत है कि वह अपनी फिल्मों में कोई जल्दबाजी नहीं दिखाते. रिसर्च को पूरा वक्त देते हैं. यह जिस तरह की फिल्म बन रही है,इसके लिए बहुत शोध की जरूरत थी और उसके लिए तीन साल कुछ भी नहीं. आशु ने मुझे यह स्क्रिप्ट जब सुनाई थी और इसके बाद जब अब मेरे पास स्क्रिप्ट आयी है. उसमें काफी फर्क है. यह पीरियड फिल्म है और निश्चित तौर पर इसमें हमें काफी बारीकी से सारी चीजें करनी होंगी. सो, हम आराम से बनायेंगे यह फिल्म.
ऋतिक पिछले कुछ महीनों में आपकी जिंदगी में काफी उथल-पुथल रही है. शारीरिक और निजी जिंदगी में भी. तो उससे उबरने के लिए क्या रास्ते तलाशें?
मुझे लगता है कि जिंदगी में मेरे पास ही सबसे ज्यादा दुख नहीं हैं. मैं चीजों को पॉजिटिव तरीके से देखता हूं. मुझे मेरे डॉक्टर्स ने कोई मिल गया के बाद ही कह दिया था कि मुझे कोई एक् शन सीन नहीं करने, क्योंकि मेरे ब्रेन में होल्स थे. उसका इलाज हुआ था. फिर घूटनों में, पैर, पीठ. मैं शुरुआत करूं तो मेरे बॉडी के हर हिस्से में चोट है. दर्द है. लेकिन अगर डॉक्टर की बात मान ली होती तो मैं चार महीने में ही खत्म हो जाता और कृष जैसी फिल्म और बैंग बैंग जैसी फिल्म का जिक्र ही नहीं आता. जहां मैंने जबरदस्त एक् शन किया है. तो मैं खुद को फाइटर मानता हूं. मानता हूं कि मैं हर बार लड़ सकता हूं. निजी जिंदगी में जो भी हुआ है. उसके बावजूद मैं ठहरा नहीं चाहता. मैं रास्ते तलाशता हूं और सकारात्मक जिंदगी जीने की कोशिश करना चाहता हूं.
ऋतिक आप डांस में भी कुशल हैं और एक् शन में. क्या मोहनजोदाड़ो जैसी फिल्में चुनने की यह वजह रहती है कि आप अपने कंफर्ट जोन से बाहर आयें?
जी हां, बतौर एक्टर मेरी यह लालसा हमेशा बनी रहेगी कि मैं हर बार अलग तरह के काम करूं. लेकिन एक एक्टर के रूप में मैं अपनी हर फिल्म पर बराबर मेहनत करता हूं. कहीं आपको अपना दिल देना होता है. कहीं आपको ताकत दिखानी होती है. ऐसा नहीं है कि एक् शन फिल्में करना मेरे लिए आसान होता है. हां, मगर एक निर्देशक को भी यकीन होता है कि ऋतिक है तो उससे ऐसे डेयरिंग सीक्वेंस करा लेंगे तो वह भी अपनी मर्जी से अच्छे सीन दे पाते हैं. इसी फिल्म में मैंने अपने बॉडी डबल को हटा दिया. मैंने कहा मैं ही करूंगा वह सीन. खास बात यह है कि वैसे सीन करते वक्त मेरे बॉडीगार्डस, मेरे बाकी के स्टाफ, मेरे स्पॉट ब्वॉय तक आकर मुझसे कहते रहे कि देखो डुग्गू वहां देख कर वहां ये खतरा है. ये है. वे भी मेरे परिवार की तरह मेरा सेट पर ध्यान रखते हैं. जहां तक बात है मोहनजोदाड़ो जैसी फिल्म में काम करने का तो मुझे पीरियड फिल्में करने में मजा आता है और वैसे निर्देशकों के साथ काम करना पसंद हैं जो काफी मेहनती हैं. अपनी कहानी को सिर्फ बनाने के लिए नहीं जीने के लिए बनाते हैं इसलिए मैं वैसे निर्देशकों के साथ होता हूं.
बैंग बैंग को आपने अलग तरीके से प्रोमोट किया. अपने कई दोस्तों को बैंगबैंग डेयर चैलेंज किया.आपको सबसे मजा किन्हें चैलेंज करने में आया?
मुझे फरहान और रणवीर को चैलेंज करने में मजा आया. चूंकि उन्हें मैंने बिल्कुल उनके मिजाज से मेल खाता लेकिन अलग यानी अपने घर पर नहीं सड़क पर आकर डांस करने को कहा और साइकिलिंग करने को और दोनों ने इसे निभाया. मुझे काफी मजा आया. दरअसल, हम आम लोगों की तरह ये छोटे छोटे पल जी नहीं पाते. मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि फरहान और रणवीर को यह करने में बेहद खुशी मिली होगी.
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