्रहाल ही में गोविंदा से मुलाकात हुई. उनकी नयी फिल्म किल दिल के सिलसिले में. गोविंदा फिल्म में नेगेटिव किरदार निभाया है और उन्होंने स्पष्ट किया है कि अब वे लगातार नजर आते रहेंगे. उन्होंने वापस से अपने घर के दरवाजे खोल दिये हैं और वह नये अवसरों के लिए तैयार हंै. लेकिन इसका यह कतई मतलब नहीं है कि वे वैसी फिल्में करने के लिए भी तैयार हैं, जिसमें उनके किरदार अच्छे न हों. एक दौर में दर्जनों भर की फिल्में गोविंदा की ही रिलीज होती थी. वह गोविंदा स्टाइल का दौर था. गोविंदा की फिल्मों के गाने जितने आयटम और डांस नंबर बने हैं. शायद ही किसी सुपरस्टार के बने हैं. लेकिन फर्क सिर्फ इतना है कि गोविंदा का स्टारडम स्थापित न रहा. लेकिन जिस दौर में उन्होंने स्टारडम देखा वह चरम सीमा पर था. और जाहिर है जब एक विरार जैसे स्थान के चॉल से निकल कर एक मुकाम हासिल करता है, तो फिर उसे यही महसूस होने लगता है कि उसने जंग जीत ली है. अब वह बादशाह है. यही गोविंदा से चूक हुई है. लेकिन वे जब तक रहे, भले ही समीक्षकों की आंखों की किरकिरी बन कर रहे. मगर उनके प्रशंसकों में कभी कमी नहीं हुई. आज भी दर्शक उनके गानों पर ही डांस करना पसंद करते हैं. गोविंदा मानते हैं कि एक वक्त में उनके सेट पर देर से पहुंचने की वजह से उनके हाथों से कई अच्छी फिल्में गयी हैं. लेकिन वे भी दोहराना चाहते हैं कि अब वह सुधर चुके हैं. लेकिन इसके बावजूद देर से आने की शिकायत उनका पीछा नहीं छोड़ रही. दरअसल, एक कलाकार अपने साथ कई चीजों को पर्याय बना लेता है. जैसे अमिताभ सदी के महानायक बने तो बन कर रह गये. गोविंदा इस बात से भी प्रफुल्लित हैं कि उन्हें अब ज्यादा प्रयोगात्मक किरदार मिल रहे हैं. वे युवा पीढ़ी से बेहद प्रभावित हैं. और वे चाहते हैं कि आगे भी उनकी फिल्में दर्शकों को पसंद आयें.
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20141203
लौट आये हैं गोविंदा
्रहाल ही में गोविंदा से मुलाकात हुई. उनकी नयी फिल्म किल दिल के सिलसिले में. गोविंदा फिल्म में नेगेटिव किरदार निभाया है और उन्होंने स्पष्ट किया है कि अब वे लगातार नजर आते रहेंगे. उन्होंने वापस से अपने घर के दरवाजे खोल दिये हैं और वह नये अवसरों के लिए तैयार हंै. लेकिन इसका यह कतई मतलब नहीं है कि वे वैसी फिल्में करने के लिए भी तैयार हैं, जिसमें उनके किरदार अच्छे न हों. एक दौर में दर्जनों भर की फिल्में गोविंदा की ही रिलीज होती थी. वह गोविंदा स्टाइल का दौर था. गोविंदा की फिल्मों के गाने जितने आयटम और डांस नंबर बने हैं. शायद ही किसी सुपरस्टार के बने हैं. लेकिन फर्क सिर्फ इतना है कि गोविंदा का स्टारडम स्थापित न रहा. लेकिन जिस दौर में उन्होंने स्टारडम देखा वह चरम सीमा पर था. और जाहिर है जब एक विरार जैसे स्थान के चॉल से निकल कर एक मुकाम हासिल करता है, तो फिर उसे यही महसूस होने लगता है कि उसने जंग जीत ली है. अब वह बादशाह है. यही गोविंदा से चूक हुई है. लेकिन वे जब तक रहे, भले ही समीक्षकों की आंखों की किरकिरी बन कर रहे. मगर उनके प्रशंसकों में कभी कमी नहीं हुई. आज भी दर्शक उनके गानों पर ही डांस करना पसंद करते हैं. गोविंदा मानते हैं कि एक वक्त में उनके सेट पर देर से पहुंचने की वजह से उनके हाथों से कई अच्छी फिल्में गयी हैं. लेकिन वे भी दोहराना चाहते हैं कि अब वह सुधर चुके हैं. लेकिन इसके बावजूद देर से आने की शिकायत उनका पीछा नहीं छोड़ रही. दरअसल, एक कलाकार अपने साथ कई चीजों को पर्याय बना लेता है. जैसे अमिताभ सदी के महानायक बने तो बन कर रह गये. गोविंदा इस बात से भी प्रफुल्लित हैं कि उन्हें अब ज्यादा प्रयोगात्मक किरदार मिल रहे हैं. वे युवा पीढ़ी से बेहद प्रभावित हैं. और वे चाहते हैं कि आगे भी उनकी फिल्में दर्शकों को पसंद आयें.
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