पिछले दिनों संगीत निर्देशक शांतनु मोइत्रा, स्वानंद किरकिरे और श्रेया घोषाल ने एक साहित्य महोत्सव में म्यूजिकल इवनिंग के दौरान शांतनु मोइत्रा द्वारा लिखी किताब जो उन्होंने फिल्म परिणीता को समर्पित किया है. तीनों ही कलाकार अलग अलग अंदाज व प्रतिभा के धनी हैं और तीनों को साथ में देखना सुखद अनुभव रहा. इसी दौरान शांतनु मोइत्रा ने अपनी किताब के सबसे अंतिम लेकिन सबसे महत्वपूर्ण अध्याय की बातें लोगों के शेयर की कि उनका गुलजार साहब से एक अलग ही रिश्ता है.इन दोनों का रिश्ता खास इसलिए है, क्योंकि शांतनु को भी एस्ट्रोनॉमी में दिलचस्पी है और गुलजार साहब भी इस विषय पर खास जानकारी रखते हैं. शांतनु ने बताया कि एक दिन गुलजार साहब ने शांतनु को घर पर बुलाया और अपना दुख जाहिर किया. उन्हें दुख था कि नौ ग्रहों का हिस्सा माना जानेवाला प्लूटो अब प्लैनेट का हिस्सा नहीं रह जायेगा. शांतनु और गुलजार के बीच उस दिन सिर्फ प्लूटो पर ही बातें हुईं. शांतनु बताते हैं कि उस दिन जिस तरह गुलजार साहब प्लूटो के बारे में बातें कर रहे थे,ऐसा लग रहा था कि उनके परिवार का कोई बच्चा उनसे अलग होने वाला है. गुलजार साहब के बारे में मेरे लिए यह नयी जानकारी थी. लेकिन अब मैं इस बात का अनुमान लगा सकती हूं कि क्या वजह है कि गुलजार साहब शायर, कवि होते हुए भी जब किसी गीत में अपने शब्द डालते हैं तो उसमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी क्यों होता है. अगली बार छै छप्पा छई सुनें...चांद पर लिखे उनके तमाम गीतों को सुनें और महसूस करें कि उसमें वैज्ञानिक गहराई भी छुपी है. गुलजार साहब हमेशा कहते हैं, जहां संगीत खत्म हो वहां शब्द शुरू होते हैं और जहां शब्द वहां संगीत. गुलजार साहब के इस प्लूटो प्यार के बारे में जानने के बाद उनका एक और व्यक्तित्व सामने आया.
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