फिल्म पीके से जुड़ने की खास वजह क्या रही.
राजू हिरानी. सिर्फ और सिर्फ राजू हिरानी. मेरा मानना है कि हम राजकुमार हिरानी को परफेक् शनिष्ट इसलिए मानते हैं क्योंकि वह मीडियोकर फिल्में नहीं बनाते हैं. और मैं भी गुड सिनेमा के साथ ही अपना नाम जोड़ना चाहती हूं. तो मेरे लिए यह खास मौका था. जब मैं उनके साथ काम करूं. और इस फिल्म के साथ जुड़ने से एक बड़ी खुशी यह भी मिली जब मुझे राजकुमार हिरानी ने कहा कि वह मुझे मेरी फिल्म में कास्ट करना चाहते हैं , क्योंकि उनकी पत् नी हमेशा उनसे शिकायत करती हैं कि वह अपनी फिल्मों में महिलाओं का किरदार खास नहीं रखते. तो उन्होंने कहा कि पीके से मैं अपनी पत् नी को खुश करने की कोशिश कर रहा हूं. तो यह सुन कर तो मैं और ज्यादा ही खुश हो गयी. इससे स्पष्ट है कि इस फिल्म में निश्चित तौर पर अच्छा किरदार होगा ही. राजू हिरानी के साथ जब आप फिल्म कर रहे होते हैं तो आप सिर्फ फिल्म नहीं कर रहे होते आप बियोंड द फिल्म करते हैं.राजू हिरानी की फिल्म देख कर आपको यह नहीं लगता कि आप फिल्म देख रहे हो. आप जुड़ जाते हो उससे. लगता है कि आपके साथ घटित हो रहा है. रोना भी आता है हंसी भी आती है. और दुर्भाग्यवश राजू हिरानी जैसे निर्देशक हमारे देश में कम हैं. राजू खुद अपनी फिल्मों के ब्रांड हैं. राजू हिरानी की फिल्मों की खासियत है कि हम उसके डायलॉग, उसके सीन रिकॉल कर सकते हैं.ऐसी कितनी हिंदी फिल्में होती हैं. यही वजह है कि वह जीवंत तरीके से इसे प्रस्तुत करते हैं.
अनुष्का आपको इंडस्ट्री में आये 5 साल हुए हैं. ऐसे में जब पीके जैसी फिल्म आॅफर होती है तो नर्वस होती हैं आप?
हां, शुरू होने से पहले तो नर्वसनेस होती ही है कि कर पाऊंगी की नहीं और मुझे लगता है हर एक्टर नर्वस होता ही होगा. मन में डाउट्स होते हैं. पहली फिल्म के पहले भी आये थे और अब भी होता है. लेकिन जब फिल्म शुरू हो जाती है. रीडिंग शुरू हो जाती है तो आप अपने कैरेक्टर को समझने लग जाते हो. आप कहीं पर भी हो. आपके दिमाग में वह कैरेक्टर चलता रहता है. आप उसको प्रीपेयर करने लगते हैं. और फिर आपके लिए काम करना आसान हो जाता है.
इन पांच सालों में आपने काफी कम फिल्में की हैं. जाहिर सी बात है आपके पास आॅफर आते रहे होंगे. तो न कहना कितना मुश्किल होता है और कम फिल्में करने की वजह?
दरअसल, न कहना मेरे लिए मुश्किल नहीं होता है. क्योंकि मेरे मन में क्लैरिटी रहती है कि मैंने उन्हें न क्यों कहा. मेरे मन में लेकिन कोई रिग्रेट नहीं रहता. क्योंकि मुझे पता है कि मैं किस वजह से फिल्म को न कहा है. मैंने तय किया है कि मैं हमेशा अलग तरह की फिल्में करूंगी. ऐसी फिल्में जिसमें मेरे करने के लिए कुछ हो. तो अभी मेरे पास वक्त है. अभी मैं उस पोजिशन में हूं कि फिल्मों का चयन सोच समझ कर करूं.सो, मुझे दिक्कत नहीं होती. मैं जब भी करूंगी मैं सब्शडटानशियल काम करूंगी. जो फिल्में मैंने की हैं. सभी अलग अलग तरह की फिल्में हैं. बांबे वेल्वेट, दिल धड़कने दो जैसी फिल्में कर रही हूं और सभी बिल्कुल अलग अलग तरह के निर्देशकों के साथ. सबका सिनेमा अलग अलग तरीके का है. मैं लकी मानती हूं कि मैं ऐसी फिल्में कर पा रही हूं. लेकिन इसके लिए मुझे धैर्य रखना पड़ा है. क्योंकि कई लोग आपको कहने लगते हैं कि आप यंग हो लेकिन ज्यादा फिल्में नहीं कर रहे. एकबारगी आपको भी टेंशन होने लगती हैं. लेकिन फिर भी मैंने धैर्य से काम लिया है.
ऐसे वक्त में जब आप अपना धैर्य खोती हैं तो आपको मजबूत कौन बनाता है.
मेरे भाई से मुझे काफी सपोर्ट करता है. वह मेरा सपोर्ट सिस्टम है. वह हमेशा समझाता है कि यह रियलिटी नहीं है. सिनेमा में बहुत इल्लुयजन है. इस पर ध्यान मत दो. फिर जब वह समझाता है तो मंै भी समझने लगती हूं कि रियलिटी क्या है.साथ ही मैं खुद को स्ट्रांग मानती हूं, मैं लोगों से दूर रहती हूं. मेरी अपनी प्राइवेट लाइफ है. मैं पर्सनल लाइफ के बारे में बात नहीं कर पाती हूं. मैं ज्यादा पीआर नहीं करतीं तो इन चीजों से मैं ज्यादा परेशान नहीं होती. मैं लोगों के बातों पर ध्यान नहीं देती. मैं ज्यादा साबित करने की कोशिश नहीं करती हूं. क्योंकि मेरा मानना है कि आपका काम ही आखिरकार बोलता है. मैं किसी का इगो सैटिसफाइ करने के लिए अपना रिस्पेक्ट नहीं खो सकती.
फिल्मों के प्रोडक् शन में आने की खास वजह क्या रही?
मैं चाहती हूं कि अच्छी फिल्में बना पाऊं. मैं जिस तरह की फिल्में देखती हूं. मुझे लगता है कि ऐसी फिल्में हमारे यहां भी बनतीं. जैसे क्वीन बनीं, कहानी बनी. ऐसी कई फिल्में देख कर लगता है कि ऐसी फिल्में काश मैं बना पाऊं. और मुझे लगता है कि कोई मेरे नाम पर अच्छी फिल्म बना रहा है तो मैं उसको सपोर्ट करना चाहती हूं. वैसे मैं क्रियेटिव प्रोडयूसर बनना ही पसंद करती हूं, क्योंकि मैं मानती हूं कि मैं क्रियेटिव हूं. अभिनय तो करने के लिए ही यहां आयी थी. सो, जो मिल रहा है मौका. मैं बहुत खुश हूं कि मैं एक साथ सिनेमा के लिए अच्छे काम कर रही हूं. एनएच 10 जब आप देखेंगी तो आप देखेंगी कि ऐसी फिल्में कितनी कठिन होती हैं बनाने में. सो, आप देखें कि मैं किस तरह से काम करती हूं.
राजू हिरानी. सिर्फ और सिर्फ राजू हिरानी. मेरा मानना है कि हम राजकुमार हिरानी को परफेक् शनिष्ट इसलिए मानते हैं क्योंकि वह मीडियोकर फिल्में नहीं बनाते हैं. और मैं भी गुड सिनेमा के साथ ही अपना नाम जोड़ना चाहती हूं. तो मेरे लिए यह खास मौका था. जब मैं उनके साथ काम करूं. और इस फिल्म के साथ जुड़ने से एक बड़ी खुशी यह भी मिली जब मुझे राजकुमार हिरानी ने कहा कि वह मुझे मेरी फिल्म में कास्ट करना चाहते हैं , क्योंकि उनकी पत् नी हमेशा उनसे शिकायत करती हैं कि वह अपनी फिल्मों में महिलाओं का किरदार खास नहीं रखते. तो उन्होंने कहा कि पीके से मैं अपनी पत् नी को खुश करने की कोशिश कर रहा हूं. तो यह सुन कर तो मैं और ज्यादा ही खुश हो गयी. इससे स्पष्ट है कि इस फिल्म में निश्चित तौर पर अच्छा किरदार होगा ही. राजू हिरानी के साथ जब आप फिल्म कर रहे होते हैं तो आप सिर्फ फिल्म नहीं कर रहे होते आप बियोंड द फिल्म करते हैं.राजू हिरानी की फिल्म देख कर आपको यह नहीं लगता कि आप फिल्म देख रहे हो. आप जुड़ जाते हो उससे. लगता है कि आपके साथ घटित हो रहा है. रोना भी आता है हंसी भी आती है. और दुर्भाग्यवश राजू हिरानी जैसे निर्देशक हमारे देश में कम हैं. राजू खुद अपनी फिल्मों के ब्रांड हैं. राजू हिरानी की फिल्मों की खासियत है कि हम उसके डायलॉग, उसके सीन रिकॉल कर सकते हैं.ऐसी कितनी हिंदी फिल्में होती हैं. यही वजह है कि वह जीवंत तरीके से इसे प्रस्तुत करते हैं.
अनुष्का आपको इंडस्ट्री में आये 5 साल हुए हैं. ऐसे में जब पीके जैसी फिल्म आॅफर होती है तो नर्वस होती हैं आप?
हां, शुरू होने से पहले तो नर्वसनेस होती ही है कि कर पाऊंगी की नहीं और मुझे लगता है हर एक्टर नर्वस होता ही होगा. मन में डाउट्स होते हैं. पहली फिल्म के पहले भी आये थे और अब भी होता है. लेकिन जब फिल्म शुरू हो जाती है. रीडिंग शुरू हो जाती है तो आप अपने कैरेक्टर को समझने लग जाते हो. आप कहीं पर भी हो. आपके दिमाग में वह कैरेक्टर चलता रहता है. आप उसको प्रीपेयर करने लगते हैं. और फिर आपके लिए काम करना आसान हो जाता है.
इन पांच सालों में आपने काफी कम फिल्में की हैं. जाहिर सी बात है आपके पास आॅफर आते रहे होंगे. तो न कहना कितना मुश्किल होता है और कम फिल्में करने की वजह?
दरअसल, न कहना मेरे लिए मुश्किल नहीं होता है. क्योंकि मेरे मन में क्लैरिटी रहती है कि मैंने उन्हें न क्यों कहा. मेरे मन में लेकिन कोई रिग्रेट नहीं रहता. क्योंकि मुझे पता है कि मैं किस वजह से फिल्म को न कहा है. मैंने तय किया है कि मैं हमेशा अलग तरह की फिल्में करूंगी. ऐसी फिल्में जिसमें मेरे करने के लिए कुछ हो. तो अभी मेरे पास वक्त है. अभी मैं उस पोजिशन में हूं कि फिल्मों का चयन सोच समझ कर करूं.सो, मुझे दिक्कत नहीं होती. मैं जब भी करूंगी मैं सब्शडटानशियल काम करूंगी. जो फिल्में मैंने की हैं. सभी अलग अलग तरह की फिल्में हैं. बांबे वेल्वेट, दिल धड़कने दो जैसी फिल्में कर रही हूं और सभी बिल्कुल अलग अलग तरह के निर्देशकों के साथ. सबका सिनेमा अलग अलग तरीके का है. मैं लकी मानती हूं कि मैं ऐसी फिल्में कर पा रही हूं. लेकिन इसके लिए मुझे धैर्य रखना पड़ा है. क्योंकि कई लोग आपको कहने लगते हैं कि आप यंग हो लेकिन ज्यादा फिल्में नहीं कर रहे. एकबारगी आपको भी टेंशन होने लगती हैं. लेकिन फिर भी मैंने धैर्य से काम लिया है.
ऐसे वक्त में जब आप अपना धैर्य खोती हैं तो आपको मजबूत कौन बनाता है.
मेरे भाई से मुझे काफी सपोर्ट करता है. वह मेरा सपोर्ट सिस्टम है. वह हमेशा समझाता है कि यह रियलिटी नहीं है. सिनेमा में बहुत इल्लुयजन है. इस पर ध्यान मत दो. फिर जब वह समझाता है तो मंै भी समझने लगती हूं कि रियलिटी क्या है.साथ ही मैं खुद को स्ट्रांग मानती हूं, मैं लोगों से दूर रहती हूं. मेरी अपनी प्राइवेट लाइफ है. मैं पर्सनल लाइफ के बारे में बात नहीं कर पाती हूं. मैं ज्यादा पीआर नहीं करतीं तो इन चीजों से मैं ज्यादा परेशान नहीं होती. मैं लोगों के बातों पर ध्यान नहीं देती. मैं ज्यादा साबित करने की कोशिश नहीं करती हूं. क्योंकि मेरा मानना है कि आपका काम ही आखिरकार बोलता है. मैं किसी का इगो सैटिसफाइ करने के लिए अपना रिस्पेक्ट नहीं खो सकती.
फिल्मों के प्रोडक् शन में आने की खास वजह क्या रही?
मैं चाहती हूं कि अच्छी फिल्में बना पाऊं. मैं जिस तरह की फिल्में देखती हूं. मुझे लगता है कि ऐसी फिल्में हमारे यहां भी बनतीं. जैसे क्वीन बनीं, कहानी बनी. ऐसी कई फिल्में देख कर लगता है कि ऐसी फिल्में काश मैं बना पाऊं. और मुझे लगता है कि कोई मेरे नाम पर अच्छी फिल्म बना रहा है तो मैं उसको सपोर्ट करना चाहती हूं. वैसे मैं क्रियेटिव प्रोडयूसर बनना ही पसंद करती हूं, क्योंकि मैं मानती हूं कि मैं क्रियेटिव हूं. अभिनय तो करने के लिए ही यहां आयी थी. सो, जो मिल रहा है मौका. मैं बहुत खुश हूं कि मैं एक साथ सिनेमा के लिए अच्छे काम कर रही हूं. एनएच 10 जब आप देखेंगी तो आप देखेंगी कि ऐसी फिल्में कितनी कठिन होती हैं बनाने में. सो, आप देखें कि मैं किस तरह से काम करती हूं.
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