20150630

मेरे अंदर सिनेमा रचा बसा है: संजय मिश्रा


हिंदी सिनेमा में अपने नौ साल के लंबे संघर्ष के बाद अभिनेता संजय मिश्रा ने आखिरकार फिल्म आंखों देखी से अपनी पुख्ता पहचान  बना ही ली. इन दिनों वे हर निर्देशक की विश लिस्ट में हैं. वह लोगों से घिरे हुए हैं. वह इस फेज को इंज्वॉय कर रहे हैं. उनके अभिनय का घोड़ा तेजी से दौड रहा है.  उनकी हालिया रिलीज फिल्म मिस तनकपुर में वह फिर से एक अलहदा किरदार में नजर आ रहे हैं.

इस फिल्म का आपको आॅफर कैसे मिला और जुड़ने की क्या वजह थी.  
मेरे भाई आज तक में है. उन्होंने मुझे कहा कि कुछ लोग आपको काफी खोज रहे हैं.उनमे से एक  इंडिया टीवी के है. मुझे लगा  पॉलिटिकल प्रोग्राम करना होगा जैसा मैंने कई चैनलों पर किया था. सोचा मिलते के साथ ही मना कर दूंगा कि भाई मेरे बिल्कुल समय नहीं है लेकिन उन्होंने फिल्म की बात की तो मैं चकित रह गया. इससे पहले मैं एक और जर्नालिस्ट सुभाष कपूर की फिल्म फंस गए रे ओबामा में काम किया था. जिससे जर्नालिस्टों पर थोड़ा विश्वास था ही. सोचा कहानी सुन लेता हूं.  जब विनोद ने कहानी सुनायी तो मुझे भा गयी. यह एक देहाती कहानी है. इंडिया की नहीं भारत की कहानी है. मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद, कोलकाता से अलग जो भारत है. मूलत हम सभी वही के हैं अपनी अपनी धरती के फिर चाहे दिल्ली बस जाएं या मुंबई. कहानी के अलावा इस फिल्म की कास्टिंग जबरदस्त है. ओमपुरी, अन्नू कपूर जैसे मेरे सीनियर कलाकार है. रवि किशन भी है. इन सभी कारणों से मैंने इस फिल्म को हां कहा.
फिल्म मिस तनकपुर हाजिर हो में आपका किरदार क्या है. 
मैं छोटा सा  तांत्रिक हूं. पेट ठीक करवाने से लेकर निजी समस्या तक सबकुछ का उपाय देता हूं. किरदार पर होमवर्क करने की जहां तक बात है तो मैंने कुछ होमवर्क तो नहीं किया था. हां सेट पर एक लाल किताब रखी थी. यही जोग टोक वाली. पढ़ा तो माथा चकरा गया. औरत को वश में करने के २१७ उपाय. कौवे का गला काटकर नीबूं सुपारी कील उसके घर के पास रख दीजिए . दुश्मन का सर्वनाश करना है तो काले कुत्ते की दाए पैर की हड्Þडी, बंदर के नाखून और दुश्मन की टट्टी. (हंसते हुए) हां टट्टी साला गांव देहात में तो ठीक है. मुंबई में तो फ्लश हो जाएगा पता भी नहीं चलेगा कि कौन किया कौन नहीं.  कुलमिलाकर इस फिल्म में मेरा चरित्र इसी दुनिया वाला है.

जर्नालिस्ट और निर्देशन क्या कभी लगा कि फिल्म के साथ ठीक से न्याय हो पाएगा या नहं. 
 सच कहूं तो शुरु में मैं डरा हुआ था. पूछा भी भई न्यूज एडीटर से तो फिल्म एडिट नहीं करवाओगे ना.  विनोद ने कहा कि सब अच्छा करेगे. इलेक्ट्रानिक मीडिया का है तो जानता टेक्निकल प्वाइंट सब है लेकिन सिनेमा सिनेमा होता है लेकिन कुछ दिनों में ही समझ आ गया कि सक्षम फिल्मकार है. छोटे भाई जैसा है इसलिए हम अपनी राय भी दे देते थे.  अच्छा बैकग्राऊड लेना. डीओपी लेना. एडिटिंग  बहुत अहम है. फिल्म की कॉमेडी तो हंसाहंसाकर लोट पोट कर देने वाली है. मुझे किसी फिल्म की डबिंग के लिए दो घंटे लगते हैं लेकिन इस फिल्म के लिए मैंने चार घंटे का समय लिया क्योकि डबिंग के दौरान हंस हंसकर पागल हो गाय था.

 क्या कभी हम आपको निर्देशक के तौर पर भी देखेंगे. 
देखिए मैं सिर्फ एक्टर नहीं हूं. नौ साल तक मुंबई में था. कोई काम नहीं मिला था इसलिए सबकुछ किया था.  आर्ट डायरेक्शन से लेकर स्पॉटब्वॉय. हर छोटा मोटा काम किया. जब आम एक्टिंग करते हैं तो सिर्फ एक्टिंग नहीं करते हैं बल्कि आपका ध्यान लाइटिंग पर भी होता है. कॉस्ट्यूम पर भी होता है. डायरेक्शन पर भी गौर कर रहे होते हैं. सबपर ध्यान देते हैं. मैं अपने आप को सिर्फ कलाकार नहीं मानता हूं. मेरे अंदर सिनेमा रचा बसा है और निर्देशन सिनेमा का ही हिस्सा है. भविष्य में जरुर निर्देशन करूंगा लेकिन अभी मेरे एक्टिंग का घोड़ा बहुत तेज दौड़ रहा है इसलिए उस पर ही ध्यान है.

अपने अब तक की जर्नी को किस तरह से देखते हैं. 
 जिंदगी सिर्फ कैरियर नहीं है. जिंदगी में ४० परसेट कैरियर है. बाकी का साठ प्रतिशत परिवार दोस्त यार है. मैं ज्यादा सोचता नहीं हूं. आज में जीता हूं. आज के डेट में आपलोगों के साथ बैठा हूं. अपनी बातचीत से आपको जितना मजा दिला सकूं. वही मेरे लिए बहुत होगा. मैं पांच मिनट के किरदार के लिए भी उतनी ही मेहनत करता हूं जितना कि एक घंटे के लिए. संघर्ष यही है. जब आपको मौका मिले चौका मार दो.आप स्टेशन पर सोते हैं या ताज होटल में वडा पाव खाते हैं या चिकन इससे मतलब नहीं है. मतलब है कि जब आपको जिंदगी मौका दे आपको चौका मार देना है. मैंने नौ साल का लंबा इंतजार किया. बोरीवली से बांद्रा पैदल आता था. पैसे नहीं थे आने जाने के. एनएसडी से आता तो शायद आंखों देखी एक दो महीने में ही मिल जाती थी लेकिन यह जर्नी इतनी यादगार नहीं होती थी. मैंने ९ साल को पूरी तरह से इंज्वाय किया. आज जहां भी हूं. वह नौ साल के उसी संघर्ष के वजह से हूं.

इस संघर्ष के दौर में आपका साथ किसने दिया. 
संगीत ने मेरा साथ दिया. आज मेरे पास  सिवाए सोने और टॉयलेट जाने के अलावा एक मिनट भी ऐसा नहीं होता है. जब मैं लोगों के बीच घिरा नहीं होता हूं. वैसे मुझे लगता है कि हर कलाकार को हर दिन कुछ पल जरुर अकेले अपने साथ बिताना चाहिए. जिससे वह अपनी क्षमता को जान पाएगा और संघर्ष करना आसान हो जाएगा. वैसे मेरे संघर्ष के दिनों में मेरे पिता ने मुझे बहुत सपोर्ट किया. कई बार मैंने उनसे पूछा कि मैं सही कर रहा हूं ना. उन्होंने कहा कि जितना मैं सोचता हूं. तुम अभिनय के लिए ही बने हो. आज मेरा एक मुकाम है लेकिन पापाजी नहीं है.

अपने फ्यूचर को किस तरह से देखते हैं.
अच्छे फिल्में करूंगा और ६० -६५ का जब हो जाऊंगा तब फिल्मों से रिटायर हो जाऊंगा. म्यूजिक बजाऊंगा. दोस्तों के नाम पर पेड़ ऊंगाऊंगा. खाना बनाऊंगा. यह सबमुझे पसंद है. यही करूंगा. अपने बच्चों पल और लम्हा के साथ समय बिताऊंगा. जो कुछ संघर्ष के दिनों में नहीं कर पाया वो सब करूंगा.

आपको खाना बनाना पसंद है, ओमपुरी भी अच्छा खाना बनाते हैं ऐसे में मिस तनकपुर की शूटिंग का अनुभव कैसा रहा. 
हां बनवाया था. मैं अपनी हर फिल्म के सेट पर खाना बनाना पसंद करता हूं. अरे भाई ४५० रुपये में चूल्हा आ गया सौ रुपये का तेल और दस रुपए किलो भिंडी थी तो क्यों न बनाऊं. मुंबई में तो १२०० रुपये दो लोगों के खाने पर ही चले जाते हैं वैसे मैं अपनी हर फिल्म के सेट पर खाना बनाता हूं और आते वक्त चूल्हा किसी को दे आता हूं. वो कहावत है न कि जिस गली से निकलूं लोग अब्बाजान बोलते हैं. मैं हर गली में चूल्हा देकर आता हूं.

 आप रोहित शेट्टी की फिल्मों में भी नजर आते हैं और आंखो देखी जैसी सेंसिबल फिल्म में भी निजी तौर पर आप किसको इंजवॉय करते हैं. 
दोनों को. मेरे दोनों सिनेमा के प्रंशसक हैं बतौर अभिनेता मैं टष्ट्वेंटी टष्ट्वेंटी और टेस्ट दोनों खेल सकता हूं और मैंने साबित भी किया है. मैं देशी कलाकार हूं. यह सब विदेशी कलाकारों के नकल करने वाले यहां के कलाकारों की चोंचलेबाजी है कि उन्हें इस तरह की फिल्म पसंद है. इस तरह की नहीं. इस किरदार के लिए २० दिन पागलखाने रहा था. वो अलग बात है कि वहां जाकर खुद २० लोगों को अपने जैसा बना दिया होगा. मैं डायरेक्टर एक्टर हूं. जिसने स्क्रिप्ट लिखने में तीन से चार साल का समय लिया.उसे १५ मिनट में समझने का जो दावा करते हैं अभिनेता. उनका दिमाग खराब है. मैंने एक बार चाणक्य की स्क्रिप्ट रट ली थी. सेट पर पहुंचा तो अपना ही दिमाग चले. फिर उसी दिन कान पकड़ लिया कि जो निर्देशक करेगा भाई वही करूंगा. 

घर , मकान व यादें


हाल ही में संगीतकार प्रीतम से बातचीत हुई. उन्होेंने बताया कि जिस वक्त उन्होंने मुंबई में पहला मकान खरीदा था. वह एक कमरे का मकान था और वे अपनी मां के साथ उसे खरीदने गये थे. हुआ यों था कि उन्होंने घर ले तो लिया था. लेकिन उस दौरान उनके पास उतने काम नहीं थे.सो, उनके चेक बाउंस हो जा रहे थे. इत्तेफाकन मुंबई में आमतौर पर लोगों को अच्छे बिल्डर मिल जाना किसी भगवान के मिल जाना माना जाता है. प्रीतम भी उन चुनिंदा भाग्यशाली लोगों में से एक रहे. उनके बिल्डर ने उन्हें कहा कि जैसे जैसे उन्हें पैसे मिलते जायें वे चुकाते जायें. यही वजह है कि प्रीतम ने आज भले ही कितने भी मकान मुंबई में क्यों न ले लिये हों. उनका पहला घर आज भी उन्हें प्रिय है और वे उसे खोना नहीं चाहते. वे उस घर को अपनी मां का घर मानते हैं. प्रीतम स्वीकारते हैं कि वे उन संवेदनशील लोगों में से हैं जो जिन चीजों से लगाव कर लेते. उससे वह खुद को अलग नहीं कर पाते. फिर वह कोई सामान हो या कोई व्यक्ति. राजेश खन्ना की बेटियों ने अपने पिताजी की धरोहर एक बड़े घराने के व्यक्ति को बेच दिया था. दुखद बात यह है कि अब वह व्यक्ति उस मकान को तुड़वा कर वहां नयी इमारत खड़ी करने जा रहा है. यानी राजेश खन्ना जैसे सुपरस्टार की आखिरी धरोहर अब अस्तित्व में नहीं रहेगी. आश्चर्यजनक बात है कि उनकी बेटियों को पिता के इस स्थान से लगाव न रहा. वे इसे संजोने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहीं. और अब तो उनका मालिकाना हक भी खत्म है. दरअसल, हकीकत यह है कि मकान व्यक्ति और उनकी यादों से ही बनता है. अगर घर में हसीन यादें होती हैं. तभी आप उस मकान को घर कहते हैं और उससे लगाव होता है. वरना, चहारदीवारी के पीछे के हकीकत से रूबरू होना मुमकिन नहीं. शायद यही वजह है कि कुछ इसे संजोने तो कुछ इसे मिटाने में यकीन रखते

मसान व बनारस


कान फिल्मोत्सव में निर्देशक नीरज गवान की फिल्म मसान ने दो पुरस्कार जीते और इस तरह कान फिल्मोत्सव में भारतीय सिनेमा का परचम लहराया है. हाल ही में फिल्म का ट्रेलर लांच किया गया है.फिल्म के ट्रेलर से फिल्म के बारे में जो जानकारी हासिल हो रही है, वह यह है कि बनारस की गलियों में छुपे कुछ हकीकत को सामने लाने की कोशिश की गयी है. बनारस हमेशा सुर्खियों में रहा शहर रहा है. इस वर्ष चुनावी माहौल में भी सबसे अधिक चर्चित शहर यही रहा.  निश्चित तौर पर नीरज ने इसे सिर्फ धार्मिक महत्व से नहीं दर्शाया है. मोहल्ला अस्सी को लेकर भी काफी विवाद हो रहे हैं. दरअसल, इस शहर के अपने सिर्फ धार्मिक महत्व ही नहीं हैं. ऐसी और भी कई छुपी कहानियां हैं जो दर्शकों के सामने आनी ही चाहिए. मसान के ट्रेलर से महसूस हो रहा कि फिल्म में किस हकीकत को बयां करने की कोशिश की जा रही है. आनंद एल राय ने भी रांझणा के माध्यम से बनारस के एक बेहतरीन रूप को दर्शकों के सामने प्रस्तुत किया था. मसान के ट्रेलर से भी एक प्रेम कहानी के संकेत मिल रहे हैं तो दूसरी तरफ एक लड़की किस तरह बुरे हालात में फंसती है. उसके संकेत मिल रहे. इस शहर को ऊपरी तौर पर सिर्फ धार्मिक स्थल के रूप में ही देखा जाता रहा है. लेकिन निर्देशकों ने अपने सिनेमेस्कोप से नहीं कहानी गढ़ने की कोशिश की है तो उस लिहाज से यह फिल्म एक महत्वपूर्ण फिल्म हो जाती है. ऐसी फिल्मों का हमें बॉक्स आॅफिस पर उसी तरह स्वागत करना चाहिए, जैसे हम किसी विदेशी निर्देशक की भारतीय मूल की फिल्मों को करते हैं. जैसा किसी दौर में हमने स्लमडॉग मिलेनियर के लिए किया था. और जिस तरह हम विदेशी फिल्मों के लिए अपना क्रेज दिखाते. कान में सम्मानित होता अंतरराष्टÑीय स्तर पर हमारी कामयाबी है और इसकी सराहना होनी चाहिए

अधूरी प्रेम कहानियां


 करीना कपूर खान ने मीडिया को हाल ही में बताया कि उन्हें पुराने प्रेमी ने उन्हें सबसे पहले अपनी शादी की खबर सुनाई थी और वह खुश हैं कि अब शाहिद भी शादी के बंधन में बंधने जा रहे हैं. करीना के इस बयान के बाद लगातार खबरें आ रही थीं कि शाहिद ने सैफ अली खान को शादी में न्योता दिया है. जबकि शाहिद के दोस्तों ने इस खबर को निराधार साबित कर दिया है. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि यह खबर झूठी है. शाहिद अपनी किसी पूर्व प्रेमिका को शादी में न्योता नहीं दे रहे. चूंकि उनकी प्रेम कहानियां हमेशा अधूरी ही रही हैं. करीना के बाद उनकी जिंदगी में प्रियंका और सोनाक्षी रहीं. लेकिन दोनों के साथ उनका प्रेम सफल न रहा. दरअसल, हकीकत यही है कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में कई प्रेम कहानियां अधूरी ही रही हैं. और भविष्य में कदम रखने के लिए कोई भी भूत में झांकना नहीं चाहता. हालांकि करीना ने कई सार्वजनिक स्थानों पर दर्शाया है कि उन्हें शाहिद से कोई परेशानी नहीं है. लेकिन शाहिद की प्रतिक्रिया दर्शाती है कि वे करीना को शायद ही माफ कर पायेंगे. याद हो तो करीना ने जब अचानक शाहिद से ब्रेकअप की घोषणा की थी. उस वक्त शाहिद करीना के जन्मदिन की तैयारियां कर रहे थे और उन्हें अचानक ब्रेकअप की खबर मिली. गौरतलब है कि शिल्पा शेट्ठी और अक्षय कुमार के रिश्ते भले ही अब मधुर हो गये हों. लेकिन शिल्पा की शादी में अक्षय के गाने न बजाने की सख्त मनाही थी. अर्जुन कपूर को भी सलमान ने अपनी बहन की शादी से दूर ही रखा था. टिष्ट्वंकल और अक्षय की शादी भी गुपचुप तरीके से इसलिए हो गयी थी. ताकि   उनकी पूर्व प्रेमिकाओं को इस बात की जानकारी न मिले. अभिषेक व करिश्मा आज भी सार्वजनिक स्थलों पर आंखें चुराते नजर आते हैं. हकीकत यही है कि कुछ प्रेम कहानियों का अधूरापन कभी पूरा नहीं हो पाता.

ईद व सलमान शाहरुख


यशराज फिल्मस ने घोषणा की है कि सलमान खान अभिनीत फिल्म सुल्तान अगले  साल ईद के मौके पर रिलीज होगी. सलमान खान की फिल्में ईद के मौके पर रिलीज होती रही हैं. और सफल भी होती रही हैं. लेकिन वर्ष 2016 में बॉक्स आॅफिस पर वह ईद बेहद खास होगी. चूंकि 2016 में ही शाहरुख खान की फिल्म रईस के रिलीज होने की संभावना है और अब सुल्तान के रिलीज होने की भी घोषणा की गयी है. गौर करें तो शाहरुख और सलमान के रिश्ते में जबसे दूरी आयी थी.दोनों की कोशिश थी कि उनकी फिल्में बॉक्स आॅफिस पर क्लैश न करें और यह संयोग है कि उस दौरान उनकी फिल्में आपस में टकरायी भी नहीं. लेकिन एक बार फिर से दोनों बॉक्स आॅफिस पर आमने सामने हैं, इससे पहले भी शाहरुख की फिल्म डॉन और सलमान की जानएमन एक साथ रिलीज हुई थी. और सलमान बाजी हारे थे. लेकिन अब दौर बदल चुका है. सलमान का रुतबा अब बदल चुका है और शाहरुख को रईस फिल्म में बेहद विश्वास है. वे इस फिल्म के लिए अपनी तबियत खराब के बावजूद काम कर रहे. चूंकि वे भी इस बात से वाकिफ हैं कि रईस की कहानी उन्हें अलग अंदाज में परदे पर प्रस्तुत करेगी. सलमान शाहरुख के अलावा एक और समीकरण देखना दिलचस्प होगा और वह यशराज का है. यशराज अपनी फिल्मों की घोषणा के बाद पीछे हटने वालों में से नहीं हैं. जब तक हैं जान और सन आॅफ सरदार को लेकर काफी गिले शिकवे हो चुके हैं. लेकिन यशराज के प्रमुख आदित्य और शाहरुख के आपसी रिश्ते काफी गहरे हैं. ऐसे में आदित्य ने शाहरुख की सलाह नहीं ली होगी घोषणा से पहले. चूंकि दोनों करीबी दोस्त हैं. और अगर वाकई इसमें शाहरुख ने भी सहमति जताई होगी तो यह तय है कि दोनों सुपरस्टार्स के बीच असली जंग उसी ईद में होगा. लेकिन ईदी दोनों के प्रशंसकों के लिए होगी

पहले देह गलाइए फिर आॅफर पाइए ( चकाचौंध के पीछे -3)


परदे पर कामयाबी हासिल करने के बावजूद अभिनेत्रियों पर ताउम्र यह दबाव बना ही रहता है कि उन्हें अत्यधिक स्लिम ही नजर आना है. ताकि निर्माता निर्देशक इसे अपनी फिल्म का सेलेबल विषय बना सकें. शायद यही वजह है कि आरती अग्रवाल जैसी कई अभिनेत्रियां एक गलत रास्ता इख्तियार कर कुछ हासिल करने की बजाय बहुत कुछ खो बैठती हैं. स्थापित अभिनेत्रियों सी शोहरत हासिल करने के लिए नयी युवतियां भी इसी नक् शे कदम पर निकल पड़ती हैं. इस शॉटकर्ट के एवज में उन्हें क्या क्या नहीं गवाना पड़ता. पड़ताल करता यह आलेख
 विद्या बालन, अभिनेत्री 
यह हकीकत है कि अभिनेत्रियों पर हमेशा यह दबाव बना रहता है कि वे परदे पर पतली नजर आयें. वे जितनी पतली और स्लिम ट्रीम दिखेंगी. उन्हें अधिक दर्शक मिलेंगे. यह सोच निर्माता निर्देशक की होती है. मैं लकी रही हूं कि मुझे मेरे निर्देशकों ने मेरी शर्तों पर चलने दिया. लेकिन शुरुआती दौर में मुझ पर भी दबाव बनाया जाता था और शुरुआत में मैं इसकी परवाह भी करती थी. इस बात का भी मुझे अफसोस रहेगा कि एक बार डायटीशि.न की गलत सलाह पर मैंने अपने शरीर के साथ खिलवाड़ किया और उसका दुष्परिणाम मैं अब तक झेल रही हूं. सो, मैं सलाह देना चाहंूगी नये लोगों को कि शरीर के साथ खिलवाड़ न करें. हां, यह हकीकत है कि अगर मुझे किरदार के लिए कहा जाये तो मैं वजन बढ़ाने और घटाने के लिए तैयार रहती हूं. लेकिन मैं कभी भी किसी सर्जरी को सपोर्ट नहीं करूंगी और न ही ऐसे हथकंडे अपनाऊंगी. 
करीना कपूर, अभिनेत्री
हाल ही में वजन घटाने वाली एक कंपनी ने सोशल साइट्स पर यह दावा किया था कि मैंने उनके मेडिकल पिल्स खाकर अपना वजन कम किया है. मुझे इस बात की जानकारी नहीं थी. लेकिन जब मुझे जानकारी मिली तो मैंने उन्हें नोटिस भेजा. मुझे लगता है कि इस तरह कई अभिनेत्री व सेलिब्रिटिज का नाम इस्तेमाल कर कई ऐसी कंपनियां नये लोगों को गुमराह करती हैं. सो, मेरी उन्हें सलाह है कि नयी लड़कियां जो इस क्षेत्र में आना चाहती हैं हरगिज ऐसे विज्ञापनों पर यकीन न करें.
रुजुता दिवेकर, डायटीशियन
मैंने हमेशा लोगों को जागरूक करने की कोशिश की है कि शरीर के साथ खिलवाड़ न आम लोगों के लिए ठीक है और न ही सेलिब्रिटिज के लिए. मैं हमेशा सही और बैलेंस तरीके से वजन घटाने के पक्ष में होती हूं. जहां आप हर दो घंटे पर खायें और पौष्टिक आहार लें. न कि क्रैश डायट और टैबलेट्स का सहारा. वजन नियंत्रित करना कोई रॉकेट साइंस नहीं है, जो आप जल्द से जल्द हासिल किया जा सके. सही तरीके अपनायेंगे तो हमेशा फिट और दुरुस्त रहेंगे. लेकिन अफसोस की बात यह है कि धैर्य कोई नहीं रखना चाहता. जल्दी और अधिक पाने की चाहत में कई गलतियां कर बैठते हैं. जबकि हमें यह बात समझनी चाहिए कि आपका शरीर आपकी बात सुनता है. आप समझें कि वे क्या इशारे कर रहा. 


बड़े बड़े अवार्ड समारोह में शामिल होने के लिए दो दिनों के विभिन्न प्रकार के डिटॉक्स डायट पर होती हैं अभिनेत्रियां, ताकि वे अपना वजन दूसरी अभिनेत्रियों से कम दिखा सकें. प्रतिद्वंदी अभिनेत्रियों से स्लिम दिखने की होड़ में भी पतली दिखने के लिए अपनाती हैं कई हथकंडे 
एक बड़े अमेरिकी ब्रांड के लिए एक साइज जीरो अभिनेत्री इन दिनों डिटॉक्स डायट पर हैं, चूंकि उस ब्रांड की डिमांड है कि उन्हें और अधिक पतला दिखना है.
डायटीशियन उठाते हैं सेलिब्रिटिज के नाम का फायदा. गलत मेडिकल पिल्स और सलाह देकर बिगाड़ते हैं उनका शरीर और चलाते हैं अपनी दुकान.


 एक अभिनेत्री जब कास्टिंग की सारी प्रक्रिया पार कर जाती हंै तो वह उम्मीद करती हैं. कि अब उन्हें रास्ते आसान हो चुके हैं. अब उनका सपना पूरा हो चुका है. बड़े परदे का सपना. लेकिन जब वह अपनी मंजिल के बेहद करीब होती हैं, उस वक्त उन्हें एक और झटके का सामना करना पड़ता है. एक और बड़ी चुनौती उनके सामने होती है. जब निर्देशक उन्हें कैमरे की आंखों के मुताबिक अपने शरीर को और गलाने को कहते हैं. फिर वही अभिनेत्री जिसने पहले से ही डिटॉक्स व कई माध्यमों से अपने शरीर को स्लिम कर अपने शरीर की धज्जियां उड़ाई हैं. वह एक महंगा लेकिन आखिरी रास्ता इख्तियार करती हंै. और वह है लीपोस्कशन का. लीपोस्कशन के माध्यम से एक व्यक्ति सर्जरी के माध्यम से अपने शरीर के अत्यधिक वसा को हटा कर शरीर को पतला करते हैं. न केवल बॉलीवुड में बल्कि हिंदुस्तान की हर फिल्म इंडस्ट्री में अभिनेत्रियां इसका माध्यम का सहारा लेती हैं. नतीजन कई कामयाब होती हैं. बॉलीवुड में वर्तमान दौर में ऐसी कई अभिनेत्रियां हैं जिन्होंने इस सर्जरी का सहारा लिया है. लेकिन वे इसे गुप्त ही रखना चाहती हैं. ताकि आम दर्शकों के सामने उनकी छवि न बिगड़े और वे बयान पर बयान देती रहें कि उन्होंने जिम में कितना वजन कम किया. उन्होंने कितनी मेहनत की. अगर आप गौर से देखें तो एक सुपरस्टार अभिनेत्री जो कभी मॉडलिंग का भी हिस्सा थी. उनका वजन आपको हमेशा एक सा नजर आयेगा. जबकि डॉ भारती मानती हैं कि अगर आपने वर्कआउट से अपना वजन कम किया है तो हर वक्त आप एक सी नजर नहीं आ सकतीं. लेकिन इस सुपरस्टार अभिनेत्री को शायद ही कभी मोटी देखा गया है. वजह यह है कि उन्होंने इस सर्जरी का सहारा लिया है. इंडस्ट्री में सभी इस राज को जानते हैं. लेकिन इसे जगजाहिर नहीं किया जाता.  लेकिन कुछ की दुर्दशा 31 वर्षीय आरती अग्रवाल की तरह भी हो जाती है. दक्षिण भारत की इस अभिनेत्री की मृत्यु इसी नाकाम सर्जरी के दौरान न्यू जर्सी में हुई थी. दरअसल, हकीकत यही है कि कामयाबी का परचम लहरा लेने के बावजूद ताउम्र स्लिम दिखना भारतीय सिनेमा की अभिनेत्रियों पर दबाव बनाये रखता है. जाहिर है यही वजह आरती अग्रवाल जैसी अभिनेत्री को न्यू जर्सी तक लेकर जाती है जहां वे इस क्रम में अपनी जान गंवा बैठती हैं. आखिर उन्हें किस मजबूरियों में यह रास्ता इख्तियार करना पड़ना. इस सवाल का जवाब केवल आरती ही दे सकती थीं. लेकिन यह अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है कि निश्चित तौर पर उन्हें किसी बड़े निर्देशक ने अधिक पैसे और बड़े रोल का झासा दिया होगा या यह भी संभव है कि टैलेंट होने के बावजूद उन्हें अपने बढ़े हुए वजन की वजह से आॅफर व फिल्में नहीं मिल रही होंगी. और इन सबसे आजीज आकर उन्होंने यह रास्ता इख्यितार किया होगा. यहां दर्शकों व निर्देशकों व निर्माताओं को इस कदर अभिनेत्रियों को स्लिम व जीरो साइज में देखने की आदत सी पड़ गयी है कि जब एक अभिनेत्री मां भी बनती हैं तो वे उस मां बनी अभिनेत्री का मोटापा बर्दाश्त नहीं कर पाते. ऐश्वर्य राय सुपरस्टार होने के बावजूद इस दर्द को झेल चुकी हैं. उनके वजन को लेकर कई चुटकुले बने. लोगों ने चुटकी ली. अभिनेत्री विद्या बालन स्वीकारती हैं कि एक दौर में उन्होंने वजन घटाने के लिए गलत डायटीशियन का चुनाव किया, जिन्होंने उन्हें गलत राय देकर कुछ मेडिकल्स पील्स दिये. विद्या ने अचानक काफी वजन कम कर लिया. लेकिन बाद में जब उन्होंने वे दवाईयां खानी छोड़ी तो उनका वजन अचानक से बढ़ने लगा. विद्या मानती हैं कि गलत सलाह की वजह से उन्होंने अपने शरीर के साथ खिलवाड़ कर लिया. लेकिन जिस डायटीशियन ने उन्हें यह राय दी थी. उन्होंने विद्या बालन का नाम यह कह कर खूब इस्तेमाल किया कि उनके टिप्स से विद्या का वजन घटा और उस डायटीशियन की दुकान चल पड़ी. नतीजा यह है कि विद्या अब भी पूरी तरह फिट नहीं हैं. उन्हें कई शारीरिक परेशानियों से जूझना पड़ रहा है. सो, वे नये लोगों को इस बात की नसीहत हमेशा देती हैं कि वह कोई ऐसे तरीके न अपनाये जिससे उन्हें बाद में परेशानी का सामना करना पड़े. गौरतलब है कि इन दिनों एक सुपरस्टार अभिनेत्री जिन्होंने एक फिल्म के लिए अपने शरीर को जीरो साइज कर लोगों को चौंका दिया था. लेकिन  हकीकत यह है कि उन्होंने सही रास्ता इख्तियार किया था और एक खास डायटीशियन की सलाह में उन्होंने सही तरीके से वजन कम किया था. लेकिन आज कल वह एक अमेरिकी ब्रांड के विज्ञापन के लिए क्रैश डायट पर हैं, चूंकि उस ब्रांड ने उन्हें कई करोड़ों की फीस दी है और इसलिए वे मना नहीं कर पायीं. इस संदर्भ में एक पहलू यह भी है कि कई फर्जी कंपनियां जो इस बात का दावा ठोकते हैं कि उनके ब्रांड की दवाईयां खाकर ही अभिनेत्रियां पतली हुई हैं. नयी युवतियां जो अभिनेत्री बनने का ख्वाब देखती हैं. वे इस तरह के विज्ञापनों से बहुत जल्दी प्रभावित हो जाती हैं. लेकिन हकीकत यह है कि ये फर्जी कंपनियां हैं, सिर्फ सेलिब्रिटीज का नाम इस्तेमाल कर नये लोगों को गुमराह करती हैं.   जोधपुर से आयीं लकी बताती हंै कि किस तरह वे भी एक बार ऐसे विज्ञापनों के झांसे में आकर वजन घटाने वाले पील्स का इस्तेमाल कर चुकी हैं. उन्होंने लगातार 3 महीने सेवन भी किया, जिसमें उन्होंने लगभग 20 हजार रुपये गवाये. लेकिन इससे उनका वजन आश्चर्यजनक तरीके से घटा. लेकिन अचानक उन्हें कांस्टीपेशन, अत्यधिक मोटापा बढ़ने जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ा. नतीजन उन्हें जो किरदार छोटे परदे पर भी मिलते थे. अब व ेनहीं मिलते. और अब वह बाकी कोशिशें करके थक चुकी हैं. लेकिन उनका वजन नियंत्रित नहीं हो रहा. मेरठ से अभिनेत्री बनने का ख्वाब  लेकर आयी एक युवती स्वीकारती हैं कि वे अब तक कई धारावाहिकों के लिए भी आॅडिशन दे चुकी हैं. वह बताती है कि छोटे परदे पर सहयोगी कलाकार के किरदार के लिए भी निर्माता वजन को घटाने की बात करते हैं. वे अपना दर्द जाहिर करते हुए कहती हैं कि मुंबई यों भी महंगा शहर है.  यहां रहने के लिए काफी किराया देना होता है. उस पर से आने जाने का भी भाड़ा सहयोगी कलाकार जो कि छोटे किरदार निभाते हैं. उन्हें नहीं मिलता. ऐसे में स्लिम ट्रीम दिखने के चक्कर में काफी महंगे जिम, या पतले होने के सारे तौर तरीके अपनाने को कहा जाता है. यह न सिर्फ महंगे होते हैं. बल्कि कष्टदायी भी होते हैं.  एक्टिंग क ेएक रियलिटी शो के निर्माता बताते हैं कि जब वे कई शहरों में आॅडिशन लेने जाते हैं और वहां जब लड़कियां उन्हें केवल अपने स्लिम फिगर के आधार पर चुन लेने के लिए जिद्द करती हैं तो वे अचरज में पड़ जाते हैं. लेकिन वे स्वीकारते  हैं कि बॉलीवुड की ही यह देन है कि आज यह सोच लड़कियों पर हावी है कि आपके पास अगर स्लिम फिगर है तो आपको एक्टिंग करने से कोई नहीं रोक सकता. स्लिम िफगर को वर्तमान में एक्टिंग का मापदंड मान लिया गया है जो अफसोसजनक है. हद तो तब होती है, जब अभनेत्रियां महज एक रेड कार्पेट पर सबसे खूबसूरत और सेक्सी बनने की होड़ में डिटॉक्स डायट का सहारा लेती हैं. बॉलीवुड में आयटम नंबर्स के लिए अभिनेत्रियों को जरूरत से ज्यादा स्लिम करने का ट्रेंड प्रचलित है और आश्चर्यजनक बात यह है कि महज एक गाने के लिए अभिनेत्रियां ऐसी शर्तें स्वीकार भी कर लेती हैं. वे रजामंद हो जाती हैं. फिर कम समय से अधिक से अधिक वजन घटाने की कोशिश करती हैं. ताकि आयटम सांग में उनके उस शरीर विशेष हिस्से को ग्लैमरस तरीके से फिल्माया जा सके. गीतकार व निर्माता भी इस बात से वाकिफ होकर ही गीत के बोल अभिनेत्रियों के स्लिम फिगर को ध्यान में रख कर लिखते हैं, जहां वे चिकनी चमेली, मुन्नी बदनाम, पतली कमर, बाली उमरजैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं. चंूकि उन्हें पता है कि अभिनेत्रियां खुद को सेक्स बॉम साबित करने के लिए किसी भी हद तक जा सकती हैं. सेक्स बॉम कहलाने और खुद को सर्वश्रेष्ठ आयटम गर्ल दिखाने के होड़ में अभिनेत्रियां अपने शरीर के साथ हद तक खिलवाड़ कर लेती हैं और उन्हें इस बात का अफसोस भी नहीं होता. संभवत :फिल्म बरसात का अभिनेत्री की कमर पर बनाया गया एकमात्र ऐसा गीत होगा, जिस गीत के लिए अभिनेत्री ने कोई मशकत नहीं की होगी .वरना, वही गीत अगर आज फिल्माया जाता तो उस दौर की अभिनेत्री को भी इस घाटक पूरी प्रक्रिया से ही गुजरना पड़ता. 

हां बड़े धोखे हैं बड़े धोखे हैं इस राह में...( चकाचौंध के पीछे -2)

 शॉटकर्ट्स के माध्यम से एक्टिंग की दुनिया में कदम रखने का एक बड़ा जरिया कास्टिंग क्षेत्र का भी है... लेकिन हकीकत यह है कि कुछ ही कंपनियां सही तरीके से कास्टिंग के माध्यम से आपको मौके दिलवाती हैं. शेष फर्जी ही होते हैं और वे सिर्फ धोखे से आपको नुकसान ही पहुंचाते हैं. किस तरह कास्टिंग के मायाजाल के शॉट्कर्ट्स के माध्यम से एक्टिंग की दुनिया में दाखिले लेने की करते हैं कोशिश युवा. पूरी हकीकत इस आलेख में...

2.लाखों की डिमांड कर दिलवाते हैं जूनियर या भीड़ में काम
3.लाखों की फीस देकर मिलता है केवल 500 से 2000 तक वाले रोल
4.कास्टिंग के नाम ठगे जाते हैं नये चेहरे
5.गलतफहमियों में भी चुनते हैं एक्टिंग का रास्ता, जल्दबाजी में होते हैं गलत फैसले
6.पोर्टफोलियो शूट्स में ऐठते हैं पैसे, स्ट्रगलर व मेकअपमैन भी होते हैं ऐसे ठगी के हिस्से.
7.टूटी फूटी व सुनसान या बंद पड़े अपार्टमेंट्स में होते हैं  फेक आॅडिशन.
एक सामान्य से पोर्टफोलियो के लिए होने वाले खर्च का ब्योरा
मेकअप मैन : 1 दिन का 6-8 हजार
कॉस्टयूम एक ड्रेस का एक दिन का किराया : 2000 से शुरू
फोटोग्राफर : 10 हजार से शुरू (तसवीरों की संख्या पर बढ़ती जाती है रकम)
ेंहेयरस्टाइलिस्ट : चार हजार एक दिन का
महेश भट्ट, फिल्मकार
मुझे कुछ दोस्तों ने बताया कि सोशल साइट्स पर मेरे फेक इमेल आइडी से काफी लोगों को गुमराह किया जा रहा है कि हम कास्टिंग के लिए नये लोगों को ढूंढ रहे. कई लोगों ने हमारे नाम पर पैसे ऐंठे हैं और यह खबरें लगातार आती है. हद तो तब हुई थी जब एक महिला हमारे आॅफिस आयीं और उन्होंने कहा कि उन्होंने हमारे किसी एजेंट को काफी भारी रकम दिये हैं, और उन्होंने उसे हमारे आॅफिस का नाम बताया है. उस वक्त मैंने इसके खिलाफ एक् शन लिया तो मैं नये लोगों को नयी राय देना चाहूंगा कि ऐसी फर्जीवाड़े कास्टिंग निर्देशकों से बचें और सही तरीके से इस क्षेत्र में आयें. मैंने सुना है कि सिर्फ मेरा ही नहीं कई नामचीन निर्देशकों के नाम पर भी ऐसे फर्जी निर्देशक लोगों से पैसे ऐंठ रहे हैं. सो, सावधान होने की जरूरत है.
रणवीर सिंह, अभिनेता
मैं खुद इस बात का भुक्तभोगी हूं. मेरे फेक आइडी से किसी ने यह पूरी हरकत की थी. मुझे इस बात की जानकारी तब मिली जब मेरे किसी फैन ने मुझे इससे अवगत कराया कि मेरे नाम का इस्तेमाल कर कुछ लड़कियों को ठगा जा रहा है. फिर मैंने इसके खिलाफ गंभीरता से आवाज उठायी. यह दुखद है कि नये लोग गलत कारणों से अपना पैसा और वक्त दोनों ऐसे लोगों के साथ बर्बाद कर देते हैं.


रांची शहर से अंगरेजी विषय में एमए कर चुकीं रोहिणी(बदला हुआ नाम) को उनके शहर में ही कुछ साथियों ने तारीफों के पुल बांधते हुए यह कह दिया कि तुम एक्टिंग में ट्राइ क्यों नहीं करती. तुम तो बेहद खूबसूरत हो. और रोहिणी ने इस तारीफ को इस कदर गंभीरता से लिया कि उन्होंने बिना सोचे समझे निर्णय ले लिया कि अभिनय के ककहरे पढ़ने या किसी प्रशिक्षित कलाकार से बातचीत करना भी गैरजरूरी समझा और फौरन मुंबई आ पहुंचीं. मुंबई आने पर भी उन्होंने इस बात पर अपना दिमाग नहीं खटाया कि आॅडिशन के सही तरीके क्या होते हैं.रोहिणी मुंबई पहुंचते ही इंटरनेट के माध्यम से एक फेक नाम वाले कास्टिंग कंपनी को संपर्क करती हैं. कास्टिंग निर्देशक उन्हें मुंबई के ऐसे इलाके में बुलाता है, जहां टूटी फूटी इमारते हैं और अपार्टमेंट्स हैं. वह जगह भी सुनसान है. रोहिणी वहां पहुंच कर भी यह समझ नहीं पाती कि वह गलत दिशा में रुख कर रही है. रोहिणी निर्देशक के पास पहुंचती है. निर्देशक उसे नये प्रोजेक्ट वाली फिल्म में शामिल करने का झांसा देता है. उस निर्देशक के पास टेलीविजन व फिल्मी दुनिया के तमाम निर्देशकों के बारे में जानकारी हैं और वह दावें करता है कि उसकी अच्छी जान पहचान है. वह रोहिणी को अपने पुराने प्रोजेक्ट्स जो दरअसल, उसके है ही नहीं. वह भी दिखाता है. रोहिणी प्रभावित होती है. और आॅडिशन देने को तैयार हो जाती है. रोहिणी फिर भी नहीं चौंकती जब वह कास्टिंग निर्देशक उसे कुछ ऐसे एंगल के पोज देने को कहता जो स्वाभाविक नहीं. हद तो तब होती है जब इन तमाम कारनामों के बाद कास्टिंग निर्देशक उससे एक लाख रुपये की मांग करता है. और दावा करता है कि वह उसे आनेवाले एक हफ्ते में एक नये टेलीविजन शो का हिस्सा बना देगा. रोहिणी के पास उस वक्त केवल 25 हजार रुपये हैं और रोहिणी यह कर उसे निर्देशक को वह पैसे सौंप भी देती है कि कुछ दिनों में वह बाकी पैसों का भी इंतजाम कर लेगी. रोहिणी को किसी भी तरह अपने घर में भी यह साबित करना था कि एक्टिंग के लिए काबिल है और वह जल्द से जल्द सबकुछ साबित कर देना चाहती थी. लेकिन अफसोस जब रोहिणी उनसे दोबारा संपर्क करने की कोशिश करती है तब तक देरहो चुकी होती है. यह गिरोह किसी और रोहिणी का तलाश में तब तक निकल चुका होता है और रोहिणी के पास अफसोस के सिवा और कोई उपाय नहीं होते. दरअसल, यह पूरा वाकया किसी क्राइम शो का ब्योरा नहीं है,बल्कि आपबीती है, जो रोहिणी ने खुद बयां की है. रोहिणी वह पहली और आखिरी लड़की नहीं है जो कास्टिंग के नाम पर होने वाली धोखाधड़ी का हिस्सा बनी हो. हकीकत यही है कि एक्टिंग की चाहत में छोटे शहरों से आये नये युवा ऐसी कई धोखाधड़ियों में फंसते हैं और सिर्फ अंत में हाथ मलते रह जाते हैं. आये दिन जब संघर्ष कर रहीं किसी लड़की की आत्महत्या की खबर सुर्खियों में बनती हैं तो उसके पीछे का कड़वा सच यही होता है कि वे जिस सपने को लेकर मुंबई शहर आती हैं. ऐसे फर्जी धोखेबाजों की वजह से वे न सिर्फ अपना वक्त बल्कि पैसे भी गंवा चुकी होती हैं. मुंबई में सबसे अधिक इस क्षेत्र में अगर कहीं धोखाधड़ी होती है तो वह कास्टिंग क्षेत्र ही है. मुंबई के कई ऐसे छोटे छोटे मॉल, जो बाहर से दिखने में मॉल से ही हैं. लेकिन वहां स्थित छोटे छोटे आॅफिस में होते हैं ये कारनामे. ये फर्जी कंपनियां इन बातों का भी ख्याल रखती हैं कि भले ही उनका आॅफिस किसी कोने में क्यों न हो. लेकिन शहर के नामचीन इलाके जो कि फिल्मी दुनिया व फिल्मी कार्यप्रणाली के लिए जाने जाते हैं. वे वैसे स्थानों का ही चुनाव करें. जैसे वर्सोवा, मलाड, अंधेरी, गोरेगांव ताकि नये लोग आसानी से उन पर विश्वास कर लें.   अगर आप कभी ऐसे इलाकों में भूले भटके भी चले गये तो वहां की सड़कों, वहां की दुकाने आपको इस बात की गवाही दे देंगे. अफसोसजनक बात यह है कि ये कास्टिंग कंपनियां इस चालाकी से सारे करतूत करती हैं, कि चाह कर भी उन पर नये लोग कानूनी कार्यवाही नहीं कर सकते.  और इन दिनों तो सोशल नेटवर्किंग साइट्स के माध्यम से कई नामचीन निर्देशकों का गलत नाम इस्तेमाल कर लोगों को ठगा जा रहा है. चूंकि वहां सर्वाधिक कास्टिंग कंपनियां हैं. लेकिन उनमें से कुछेक ही होंगी जो वाकई किसी शो की कास्टिंग में मददगार साबित होती हैं. शेष कास्टिंग कंपनियां लड़के लड़कियों को उसी मॉल में स्थित में पोटोफॉलियो मेकर्स के पास भेजते हैं, जो कि भारी रकम लेकर उनका पोर्टफोलियो तैयार करने को तैयार होते हैं. और युवा लड़के लड़कियां आसानी से उनके भी झांसे में आ जाते हैं. धोखाधड़ी का सिलसिला यही नहीं रुकता. पोर्टफोलियो तैयार करवाते वक्त भी वे लगभग 10 हजार से लेकर लाखों रुपये की डिमांड तो करते ही, वे युवा जिन्हें अभी मुंबई में कदम रखे दो दिन नहीं गुजरे. उन्हें सेलिब्रिटिज की तरह के ड्रेस भाड़े पर लाने को कहते. दरअसल, हकीकत यह है कि ऐसी फर्जी कास्टिंग कंपनियां मिली जुली सहमती से ही चलती हैं, जिनमें फोटोग्राफर, मेकअपमैन, और कॉस्टयूम डिजाइनर, हेयरस्टाइलिस्ट सभी शामिल होते हैं और सभी आपस में शेयर बांटते हैं. और इसके बावजूद आप इस भ्रम में नहीं रह सकते कि आपने जितनी तसवीरें खिंचवायी हैं आपको वे सभी मिल जायेंगी. फोटोग्राफर उनमें से कुछ प्रतियां आपको देता है और बाकी तसवीरों की डम्मी दिखा कर वे आपको सिर्फ ललचायेगा ताकि आप उन तसवीरों के बदले भी और पैसे कुर्बान करें और निराशजनक बात यह है कि युवा पैसे न्योछावर कर भी देते हैं. अंत में जब तक वे पूरे खेल को समझ पाते हैं, तब तक देर हो चुकी होती है और वे अपना बैंक बैलेंस खत्म कर चुके होते हैं. निर्देशक अनुराग बसु का मानना है कि किसी भी शहर से आये युवा जो इस क्षेत्र में आना चाहते हैं, उन्हें सबसे पहले इस शहर में कुछ वक्त बिताना चाहिए. कुछ थियेटर्स करना चाहिए. पृथ्वी थियेटर जैसे स्थानों में अच्छे लोग मिलते हैं. वे आपको सही राय दे सकते हैं. कोशिश यह होनी चाहिए कि ऐसे जानकार लोगों से संपर्क बनाया जाये. किसी से बात करते वक्त उन्हें यह न कहें कि मैं एक्टिंग करना चाहती हूं मुझे मेरी फिल्म में ले लीजिए या शो में ले लीजिए, उनसे इस क्षेत्र को समझने की कोशिश कीजिए. धीरे धीरे आप खुद सही कास्टिंग निर्देशकों की संपर्क में आ जायेंगे और वे आपको पूरे तरीके बता देंगे. अगर वाकई आपमें टैलेंट हैं तो मौके मिल ही जाते हैं. लेकिन जल्दबाजी में किये गये फैसले इस क्षेत्र में आपको सिर्फ तनाव ही देंगे. इससे शेष कुछ नहीं, सो बेहतर है पहले से अलर्ट हो जायें. मगर हकीकत यह है कि तमाम बातों और हकीकत जानने के बावजूद युवा लड़के लड़की जल्द से जल्द शोहरत नाम कमाने के लिए शॉटकर्ट्स अपनाते हैं. दरअसल, मुमकिन है कि  मजरूह सुल्तानपुरी ने इसी दुनिया को ध्यान में रख कर फिल्म आर पार का गीत हां, बड़े धोखे हैं...इस राह में...बाबूजी धीरे चलना...की रचना की होगी. 

एक्ंिटग है चाहत और शॉटकर्ट्स हैं रास्ते? ( चकाचौंध के पीछे -1)

शोहरत किसे नहीं पसंद, किसे नहीं पसंद कि वे दुनिया पर राज करें और दुनिया उनकी मुरीद हो, लेकिन दुनिया को दीवाना बनाने के गफलत में बिना किसी प्रशिक्षण, बिना किसी तैयारी के लाखों करोड़ों युवा अभिनय की दुनिया में चमक हासिल कर लेना चाहते. इसके लिए वे कई शॉटकर्ट्स अपनाते हैं और मान बैठते हैं कि यही शॉटकर्ट्स उन्हें सफलता की ऊंचाईयों पर ले जायेगी. लेकिन जब हकीकत से सामना होता है तो सिर्फ निराशा ही हाथ लगती है. जो अंतत: उन्हें अपनों से दूर, डिप्रेशन, आत्महत्या के नजदीक ले जाती है. आखिर क्या हैं वे शॉटकर्ट्स और क्यों चुनते हैं नये युवा ये रास्ता. इसकी तफ्तीश करता यह आलेख

1,कृत्रिम खूबसूरती निखारने पर करते हैं पैसे बर्बाद
2.एक्टिंग वर्कशॉप में नहीं होती दिलचस्पी
3.अपने शहर के कनेक् शन तलाशने में गुजारते हैं वक्त

शाहरुख खान
मुझे नहीं लगता कि जो चीजों को प्लान करते हैं वह एक्टर बनते हैं. मेरा मानना है कि अगर आपको वाकई एक्टर बनना है तो अपने कपड़ों और मेकअप पर फोकस मत करो. अपनी एक्टिंग पर करो. लेकिन दुख की बात यह है कि अधिकतर नये युवा जो इस क्षेत्र में आते हैं. इसी बात को भूल जाते हैं.
निरंजन नांबियार, लेखक, गीतकार : मैं जिस जिम में जाया करता था. वहां कई स्ट्रगलिंग एक्टर्स भी आया करते थे. और वे बार बार इसी बात पर जोर देते हैं कि उन्होंने अच्छी बॉडी बना ली है. मैं एक बार उनका बायोडाटा देख लूं. वे शॉटकर्ट्स चुनना चाहते हैं. उन्हें लगता है कि चूंकि मेरा उठना बैठना इंडस्ट्री के बड़े लोगों से है सो उन्हें आसानी से काम मिल जायेगा.
आर माधवन, एक्टर
मैं बस यही कहना चाहता हूं कि नयी प्रतिभाओं में यह समस्या है कि वह सभी सिर्फ शाहरुख और सलमान बनना चाहते. मुझे लगता है कि यहां आइए तो सलमान शाहरुख आमिर बनने के लिए नहीं बल्कि एक अभिनेता बनने के लिए, और यह सोच कर भी हरगिज मत आइए कि वह एक्टर मेरे शहर से है तो वह मेरी मदद जरूर करेगा...यह वास्तविक दुनिया की हकीकत नहीं है. आपको यहां अपने दम पर ही खड़ा होना पड़ेगा.
कंगना रनौट : मैं भी छोटे शहर से हूं और मैं मानती हूं कि हां हमारे साथ यहां भेदभाव होता है. मुझे मेरे कपड़े, मेरी अंगरेजी मेरे बाल हर बात के लिए ताने मिलते थे. लेकिन मैंने किसी एक चीज पर फोकस किया तो वह मेरा अभिनय है. और मैं नये लोगों से सिर्फ यह कहना चाहती हूं कि किसी गफलत में न रहें. हकीकत का सामना करें. अगर आपमें वाकई बात है तो मौके मिलेंगे.लेकिन अगर वाकई मौके नहीं मिलते. तो खुद को समझना जरूरी है. ताउम्र इसमें लगा देना सही नहीं. यह कठिन क्षेत्र है. यहां आपको खुद से तय करना होगा और समझना होगा कि आपने सही क्षेत्र चुना है या नहीं. मैं जब एक्टिंग के क्षेत्र में आयी उससे पहले मैंने अरविंद गौर के साथ लंबे समय तक ली थी ट्रेनिंग .


 लाइफ ओके के शो ड्रीम गर्ल में लक्ष्मी माथुर छोटे से शहर जोधपुर से एक बड़ी अभिनेत्री का ख्वाब लेकर मुंबई आती है. और उसे मुंबई के सबसे बड़े स्टूडियो नवरंग में एंट्री भी मिल जाती है. वह भी मुसीबतों का सामना करती है. लेकिन उसकी प्रतिभा को नवरंग में अहमियत भी मिलती है और वह इस सपनों के शहर में अपना ख्वाब पूरा कर ड्रीम गर्ल भी बन जाती हैं...लेकिन वास्तविक जिंदगी में अगर वाकई छोटे शहरों से अभिनय की दुनिया में किस्मत आजमा रहे लोगों से बातचीत की जाये तो वे इसे फिल्मी बातें ही करार देते हैं. दरअसल, हकीकत भी यही है कि न जाने कितने सालों से कितने सालों तक लगातार कई लक्ष्मी, कई सुरेश मुंबई बड़ा ख्वाब लेकर आते हैं. लेकिन कई सालों की लगातार कोशिशों के बावजूद वे नाकामयाबी ही हासिल करते हैं. तो कई ऐसे लोग भी  हैं जो शमिताभ जैसी फिल्मों के तर्ज पर भाग्य चमकने की बातों पर विश्वास करते हैं. फिल्म शमिताभ में भी दानिश जो बचपन से अभिनेता ही बनना चाहता था. वह मुंबई आता है. और एक फिल्म स्टूडियो जा पहुंचता है. कई महीनों तक वह एक स्टार के वैनिटी में ही वक्त गुजारता है. और अचानक एक अस्टिेंट निर्देशक की नजर दानिश पर पड़ती  है. और उसके भाग्य के सितारे खुल जाते हैं. फिल्मों में दिखाये जा रहीं यह कहानियां जाहिर है कहीं न कहीं उन्हें प्रभावित करती हैं और उन्हें भी दानिश की तरह इस क्षेत्र में आने के लिए आकर्षित करती हैं. लेकिन वे अभिनय की दुनिया को केवल ग्लैमर के चश्मे से ही देखना चाहते हैं. वे अभिनय की चुनौतियों को समझने और उनसे सामना करने की बजाय सिर्फ एक आसान तरीका अपनाना चाहते. नतीजन वे कई सालों के इंतजार के बाद भी अपनी मंजिल हासिल नहीं कर पाते. नीरज खुद बताते हैं कि उन्होंने कई सालों तक धैर्य से काम किया है. और अब जाकर उन्हें पहचान मिल रही हैं. नवाजुद्दीन सिद्दिकी, इरफान खान ऐसे नाम हैं, जिन्हें कई सालों के बाद पहचान मिली है.
जिम में घंटों समय, साइज जीरो पर जोर
वे अभिनय के लिए किसी वर्कशॉप में तैयारी करने की बजाय जिम में घंटों वक्त गुजारते. बॉलीवुड के लोकप्रिय और प्रतिष्ठित कास्टिंग निर्देशक मुकेश छाबड़ा का कहना है कि उनके पास ऐसी तसवीरों की भरमार होती है. जहां अभिनेता बनने की चाह रखनेवाले युवा इस बात का दावा करते नहीं थकते कि वे किस तरह सिक्स पैक्स एब्स बना रहे. वे किस तरह अपने लुक्स पर काम कर रहे. लड़कियां प्राय: अन्य अभिनेत्रियों के तर्ज पर साइज जीरो पर जोर देती हैं. लेकिन ऐसे बायोडाटा बहुत कम होते, जहां किसी लड़के या लड़की ने अपने एक्टिंग वर्कशॉप के बारे में चर्चा की हो. ब्योमकेश बक् शी और शिप आॅफ थिशियस जैसी फिल्मों में लोकप्रिय किरदार निभा चुके अभिनेता नीरज काबी कई सालों से लगातार एक्टिंग वर्कशॉप आयोजित करते हैं. खुद नीरज का मानना है कि नये कलाकारों में धैर्य की कमी है, वे जल्दी से जल्दी सबकुछ अर्जित करना चाहते. वह पहली फिल्म से ही सुपरस्टार बन जाने का ख्वाब देखते हैं. लेकिन वे सिर्फ अपने लुक्स पर ही अटके रहते हंै. अभिनय की बारीकियों को सीखने समझने पर तो उनका ध्यान ही नहीं जाता.
तरह तरह के उपचार
धारावाहिक लाइफ ओके में ही लक्ष्मी एक स्थापित अभिनेत्री की बात सुन कर कुछ ऐसे टैबलेट्स खा लेती है. जिससे उसके होंठ बिगड़ जाते हैं. दरअसल, हकीकत भी यही है कि मुंबई में आये ऐसे कई युवा न सिर्फ लड़कियां बल्कि लड़के भी अपने वास्तविक शारीरिक बनावट से खुश नहीं होते. वे कामयाब अभिनेता व अभिनेत्रियों को देख कर उनके तर्ज पर चेहरे की बनावट को बदलना चाहते. मुंबई की लोकप्रिय डर्मटोलोजिस्ट उषा नहाटा बताती हैं कि उनके पास ऐसे कई युवा जो अभिनय की दुनिया में भाग्य आजमाना चाहते, और वे न सिर्फ कृत्रिम फेशियल की बात करते, बल्कि वे अपने हेयरलाइन, चिनलाइन को भी दुरुस्त करने की बात करते. यही नहीं वे अपने आइब्रोज को भी लड़कियों की तरह खूबसूरत बनाने की बात करते. इससे यह साफ जाहिर होता है कि सिर्फ लड़कियां नहीं लड़कों के मन में भी ऐसे विचार पनपते हैं. उषा बताती हैं कि इन दिनों ऐसे कई उपचार हैं, जिससे लड़कियां या लड़के न सिर्फ अपने बेडौल शरीर को ठीक कर सकते, बल्कि लीप, चर्बी हटाने के लिए भी लड़कियां आतुर होती हैं. आश्चर्यजनक बात यह है कि यह सारे उपचार काफी महंगे होते हैं. सो, नये लोग ज्यादातर उसके विकल्प में कोई मामूली और सस्ते सेंटर तलाशते. और इसी सस्ते चुनाव में वे धोखा खाते. वे अपनी बनावट भी बिगाड़ते और पैसे भी गंवाते. उषा मानती हैं कि सेलिब्रिटीज यह उपचार या उससे होने वाले नुकसान को झेल सकते. लेकिन आम युवाओं के लिए यह न सिर्फ घाटे का सौदा होता, बल्कि वे अपने वास्तविक शारीरिक खूबसूरती को भी खो देते हैं. उषा बताती हैं कि वे अपनी तरफ से ऐसे युवाओं को इसके सारे साइड इफेक्ट्स से वाकिफ करा देती हैं. लेकिन उन पर यों धून सवार होता कि वे उनकी बातों को नजरअंदाज ही करते हैं. उषा बताती हैं कि कई बच्चे अपने अभिभावकों की एफडी तक तोड़ कर इसी रकम चुकाने को तैयार होते.
अपने शहर के कनेक् शन
एक्टिंग के क्षेत्र में भाग्य आजमाने वाले युवा इस गफलत में भी छोटे शहरों व गांवों से मुंबई शहर की तरफ रवाना हो जाते. चूंकि उन्हें लगता कि उनके अपने शहर का कोई लड़का अगर अभिनेता बन सकता तो वे भी बन सकते. वे मुंबई शहर आते और इस सोच के साथ आते कि चूंकि वह उस शहर से हैं जिस शहर से वह अभिनेता या अभिनेत्री भी संबंध रखती तो वे उनकी मदद जरूर करेंगे. अभिनेता राजीव खंडेलवाल बताते हैं कि उन्हें आये दिन अपनी बिल्डिंग के बाहर ऐसे कई युवा मिलते हैं जो यह दावा करते चूंकि वह उनके शहर से हैं तो राजीव को उनकी मदद करनी हा चाहिए. अभिनेता आर माधवन इस पर अपनी राय देते हैं कि वे अपने शहर जमशेदपुर से आये युवाओं की सिर्फ इतनी मदद कर सकते कि उन्हें बस सलाह दे सकते. मगर कहीं काम नहीं दिला सकते. चूंकि यही इस शहर और इंडस्ट्री की व्यवहारिकता है. लेकिन इसके बावजूद उन्होंने कई प्रतिभाशाली ुयवाओं की कई बार मदद की है. 

ोपाल को काफी मिस करता हूं: रफी


धारावाहिक तेरे शहर में एक बेहतरीन किरदार निभा रहे रफी मलिक खुश हैं कि लोग उनके किरदार को काफी पसंद कर रहे हैं. 

रफी आपके किरदार को काफी लोकप्रियता मिल रही है. जबकि आप सहयोगी कलाकार हैं. सहयोगी कलाकार होने के बावजूद जब ऐसी लोकप्रियता मिलती है तो कैसा लगता है?
मुझे बेहद खुशी है कि मैं लीड किरदार न होते हुए भी लोगों में लोकप्रिय हो रहा हूं. लोग मेरे किरदार की चर्चा कर रहे हैं. मैं इस बात से बेहद खुश हूं और यही वजह है कि जब मुझे यह आॅफर मिला था तो मैंने तुरंत हां कह दिया था. क्योंकि राजन सर के साथ काम करने का अनुभव ही अलग सा है. मैं जानता था कि मेरे किरदार को भी उनकी ही महत्ता मिलेगी जितना लीड किरदारों को मिल रहा है. शो में मंटू और अमाया की कहानी को जितनी प्रमुखता से दिखाया जा रहा है. मेरे किरदार को भी उतनी ही अहमियत मिल रही है. और मुझे काम करने  में बेहद मजा आ रहा है.
अब तक के अपने अभिनय के सफर को किस तरह देखते  हंै आप?
मैंने अपना करियर लीड किरदारों से ही शुरू किया था. राजवीर का किरदार हमेश खास रहेगा. पहला हमेशा खास ही होता है. मैंने इस सफर में काफी कुछ सीखा है. शहर को समझा. यहां की जरूरत को समझा. अपने साथ किसी भी तरह की नकारात्मकता को साथ नहीं रखा. मेरी यही कोशिश रही और मैं इसमें बहुत हद तक कामयाब भी हो पाया हूं.ऐसा मुझे लगता है. मैं अपने करियर से पूरी तरह संतुष्ट हूं. अब लोगों का मेरे प्रति नजरिया भी बदला है.
रामाश्रे के किरदार से आप वास्तविक जिंदगी में कितना वास्ता रखते हैं.
जी मैं रामाश्रे की तरह थोड़ा शर्मिला हूं. लेकिन जिंदगी को पूरी तरह एंजॉय करता हूं और जैसे उसे रिश्ते की अहमियत है. मैं भी वास्तविक जिंदगी में अपनों की काफी चिंता और कद्र करता हूं.जहां तक बात है प्यार की तो मुझे लगता है कि हां प्यार पहली नजर में भी हो सकता है.
आप अपनी जिंदगी में किस तरह की जीवनसाथी चाहते हैं?
मुझे वैसी लड़की पसंद है, जो मेटरलिस्टिक न हो. जो शौक रखते हो. लेकिन परिवार को भी अहमियत दे. मुझे वैसी लड़कियां पसंद हैं जो आत्मविश्वासी हों. और मुझे लगता है कि मैं वैसी किसी लड़की को पसंद आऊंगा जो यह समझेगी कि हां मैं औरतों की इज्जत करना जानता हूं.
अपने होमटाउन को कभी मिस करते?
हां, बहुत मिस करता. अब जिंदगी बदल चुकी है. लेकि अब भी मुझे लगता है कि मुझे सुकून अपने होमटाउन में ही मिलता है. मुझे अब भी जब मौका मिलता है मैं भोपाल जाने को तैयार हो जाता हूं. वहां काफी कम प्रदूषण है. साफ सफाई है. वातावरण काफी शांत है. वहां के लोग ज्यादा टेंशन में नहीं रहते. भागदौड़ नहीं है. इसलिए मुझे वहां की जिंदगी बहुत पसंद है. मैं यह मानता हूं कि मुंबई जैसे शहर में रह जाना, यहां स्थिरता लाने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है. कठिन जिंदगी है यहां. और रिश्ते थोड़े सुपरफिशियल होते हैं. लोग काम से काम रखते हैं. लेकिन कुछ अच्छे दोस्त भी बन जाते हैं. होमटाउन मगर होमटाउन ही होता है.
अगर किसी रियलिटी शो के आॅफर आये तो करना चाहेंगे?
नहीं मुझे फिलहाल डेली सोप करने में मजा आ रहा है.
अगर शूटिंग नहीं कर रहे होते तो उस वक्त क्या करना पसंद है.
मुझे क्रिकेट और फुटबॉल खेलना काफी पसंद है. 

रणबीर व उनकी चुप्पी


 इन दिनों रणबीर कपूर को हर किसी से सलाह मिल रही है. उनकी समकक्ष रही और किसी दौर में प्रेमिका रह चुकीं दीपिका भी उनसे हमदर्दी जता रही हैं. रणबीर की लगातार तीन फिल्में फ्लॉप हुई हैं और यही वजह है कि लोग काफी अनुमान लगा रहे. उनके बारे में फिल्मी पत्रकार की अलग तरह की बातें कर रहे हैं. ज्यादातर नकारात्मक बातें ही सामने आ रही हैं. इन नकारात्मक बातों का कारण यह भी है कि रणबीर कपूर की नयी फिल्म जग्गा जासूस की शूटिंग भी टलती जा रही है. फिल्म की शूटिंग किसी न किसी कारणवश रुकावटों से घिर रही है. दरअसल, हकीकत यही है कि हिंदी सिने जगत में वैसे कम ही सितारें हैं जिन्हें ढलने के बावजूद उनके प्रशंसकों से सलाम किया है. रणबीर कपूर बेहतरीन अभिनेता हैं. और इसमें कोई संदेह नहीं. वर्तमान दौर में वह एकमात्र ऐसे अभिनेता हैं, जो भविष्य में अमिताभ बच्चन का स्थान ग्रहण कर सकते हैं. खुद रणबीर का भी यही सपना है. और उनके वर्तमान दौर को देखते हुए उनके भविष्य का आंकलन हरगिज ठीक नहीं. वजह यह नहीं कि उन्हें मौके लगातार मिलते रहेंगे. चूंकि वह कपूर खानदान से हैं. बल्कि यह बात भी हमें स्वीकारनी होगी कि रणबीर कपूर कपूर खानदान के उन सदस्यों में से एक हैं, जो काफी मेहनती और प्रभावशाली भी हैं. यह ऐसा दौर है, जब लोग उनकी खिल्लियां उड़ा रहे. शुक्र  है कम से कम अनुष्का की तरह किसी ने अब तक उनकी प्रेमिका कट्रीना कैफ पर उंगली नहीं उठायी है कि उनकी वजह से रणबीर परफॉर्म नहीं कर पा रहे. वरना, यहां तो यह भी रीत है कि नाकामयाबी का सारा सेहरा एक महिला के ऊपर ही मढ़ दिया जाता है. रणबीर कपूर कहीं नहीं गये हैं. न ही अदृश्य हुए हैं. वे धमाके करेंगे. और जल्द ही फिर से उनकी दुनिया मेहरबान होगी. रणबीर जाहिर है इस दौर में उसी तैयारी में जुटे हैं. 

बाल कलाकार व बचपन


कुछ दिनों पहले टेलीविजन के कुछ बाल कलाकारों ने अपनी फिटनेस की बातें एक अखबार के साथ सांझा किया, जिनमें उनकी माताएं यह बता रही हैं कि उनके बच्चे किस तरह अपनी फिटनेस का ख्याल रखते हैं. उनमें एक नन्ही कलाकार ने बताया कि वे कभी बर्गर नहीं खातीं. उनके दोस्तों को बर्गर खाना पसंद है. लेकिन वह यह बात नहीं समझ पातीं कि बर्गर में ऐसा क्या है, जो बच्चे खाना चाहते हैं. एक मम्मी ने बताया कि उनके बच्चे अपने डायट में ऐसा कुछ भी नहीं खाते. जिससे उन्हें उनके फिटनेस में परेशानी आये. सभी माताएं अपने बच्चों के डायट कांसस को लेकर खुश थी. उनका खुश होना तो लाजिमी भी है. आखिरकार उनके बच्चे स्क्रीन पर आ रहे हैं और वे लोकप्रियता हासिल कर रहे. वे आम बच्चे नहीं.निर्माता की निगरानी में उनका बचपन बीत रहा है. लेकिन क्या यह बचपन बच्चों के सारे शौक पूरे करने दे रहा. जाहिर है, इन बच्चों के माता पिता न सिर्फ उनकी डायट को लेकर कांसस रहते होंगे, बल्कि उन्हें बेपरवाह कुछ भी करने की मंजूरी नहीं होगी. चूंकि माता पिता की चिंता रहती होगी कि उन्हें कहीं चोट न लग जाये. बाहर खेलने पर कहीं चेहरे पर दाग न रह जाये. एकता कपूर के ही शो ये हैं मोहब्बते में रुही के किरदार को जब शूटिंग करते हुए दिखाया जाता है.उस वक्त वे नहीं चाहती कि वह शूटिंग करे. लेकिन उसकी मां उसे जबरन मेकअप करा कर ले जाती. यह टेलीविजन की दुनिया के बाल कलाकारों की सिर्फ रील लाइफ हकीकत नहीं है. बल्कि वास्तविक जिंदगी में भी यह हकीकत है. एक बाल कलाकार जिसने अभी 18 साल की उम्र भी पार नहीं किया है, वह एक बहू एक मां के किरदार में दर्शकों के सामने आ रही है. यह बहुत अविश्वसनीय लगता. लेकिन इसके बावजूद बाल कलाकार इसी दुनिया को एंजॉय कर रहे और वे ऐसी जिंदगी जीने में भी अभयस्त हो चुके हैं.

सोशल मीडिया व स्टार बच्चे


 अभिषेक बच्चन ने हाल ही में टिष्ट्वटर पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दी. उन्हें किसी फॉलोअर ने उनकी बेटी आराध्या को लेकर उनका मजाक उड़ाया था. इस बात पर अभिषेक ने चुप्पी नहीं साधी. उन्होंने उस फॉलोअर  से साफतौर पर कहा कि उन्हें कोई हक नहीं बनता. अभिषेक ने फॉलोअर्स से काफी तूतू मैं मैं भी किया. वह फॉलोअर अभिषेक की फिल्मों का मजाक उड़ा रहा था. दरअसल, यह पहली बार नहीं जब सोशल मीडिया पर किसी सेलिब्रिटी व उनके बच्चों का मजाक बनाया गया होगा. सोशल मीडिया पर लोग इसे शान की बात मानते हैं कि वे किस तरह सेलिब्रिटी का माखौल उड़ा सकें. यह आम बात हो चुकी है. हम सेलिब्रिटीज के साथ जोकरों सा ही रवैया रखते हंै. एक प्रशंसक होने के नाते फिर भी प्रशंसकों का हक है कि वे अपनी प्रतिक्रिया दें. फिर चाहे वह नकारात्मक हो या सकारात्मक़. लेकिन सेलिब्रिटीज के परिवार वालों को भी इसमें शामिल करना कहीं से भी उचित नहीं है. ऋतिक रोशन के बेटे ने अपने पिता से इस बात की शिकायत की थी कि जब उनका और उनकी पत् नी का तलाक हुआ तो उस वक्त उनके दोस्त स्कूल में उनसे कई तरह के सवाल करते थे और उन्हें चिढ़ाया करते थे. एक पिता या मां के लिए यह किसी अपशब्द से कम नहीं कि उनके बच्चे को किसी भी रूप में दुख या चोट पहुंचायी जाये. सो, अगर अभिषेक ने यह रवैया अपनाया है तो इसे उनका क्रूरुर व्यव्यहार नहीं माना जाना चाहिए. शाहरुख खान चूंकि आज कामयाब हैं, सो लोगों को उनके बच्चे में भी वही कामयाबी नजर आती है. लेकिन अभिषेक सफल नहीं हैं, सो इसका यह कतई मतलब नहीं कि उनके बच्चों पर भी छींटाकशी की जाये. चूंकि कुछ सालों के बाद जब यही बच्चे बड़े होंगे तो उन्हें यों भी अपने माता पिता की जिंदगी के कई सच का सामना करना ही पड़ता है. 

ंटेंट किंग है टीना आहूजा



स्टार किड की फेहरिस्त में जल्द ही गोविंदा की बेटी टीना फिल्म सेकेण्ड हैण्ड हस्बैंड से अपनी शुरूवात करने जा रही है.पिछले छह सालों से टीना के फिल्मों में आने की चर्चा हो रही है.कई फिल्मों से उनका नाम जुड़ा आखिरकार इस फिल्म से वह इंडस्ट्री में अपने अभिनय की शुरूवात करने जा रही है.टीना इस फिल्म का हिस्सा बन खुश हैं



इस फिल्म का आप हिस्सा किस तरह से बनी

मेरी एक फ्रेंड है.जिसने मुझे इस फिल्म के बारे में बताया था.मैं फिल्म के प्रोड्यूसर से मिली.कहानी मुझे बहुत रीयलिस्टिक लगी. शादी,डिवोर्स और अलीमोनी इन सभी मुद्दों को फिल्म में छुआ गया है.वो भी मजाकिया अंदाज में.फिल्म में एक सन्देश भी है.



फिल्म में आपका किरदार क्या है

फिल्म में मेरी भूमिका एक लॉयर की है.गिप्पी का किरदार मुझसे अपनी बीवी से डिवोर्स के लिए मिलता है लेकिन मैं उससे प्यार करने लगती हूं. वह अपनी बीवी को अलिमोनी देता है ऐसे में वह मुझसे शादी कैसे कर सकता है तो हम प्लानिंग करते हैं कि उसकी शादी करवाने की.उसके बाद क्या सिचुएशन आती है वही इस फिल्म की कहानी है.

क्या आप इस फिल्म को अपने लिए परफेक्ट लॉन्चिंग मानती हैं,अगर किसी बड़े बैनर की फिल्म होती तो क्या चीजे ज्यादा आसान हो जाती है.

कंटेंट किंग है.यह बात मौजूदा दौर में साबित कई बार हुई है.बड़े बैनर या बड़े स्टार्स की फिल्म शुक्रवार,शनिवार और रविवार चलती है.उसके बाद फिल्म की कहानी और सब्जेक्ट ही अहम् होता है जिससे दर्शक फिल्म को देखने जाते हैं.
इस फिल्म में आपके साथ धर्मेन्द्र भी है उनके साथ को किस तरह से परिभाषित करेंगी
धर्मेंद्रजी मेरे पापा के आइडियल हीरो रहे हैं.मम्मी तो उनकी इतनी बड़ी फेन है कि जब मेरा भाई होने वाला था.वह धरमजी की ही फिल्में देखती थी .उन्हें धरमजी जैसा सुन्दर बीटा चाहिए था.मेरे लिए वह एक गार्जियन की तरह थे.उन्होंने मुझे पूरी फिल्म में सपोर्ट किया.
सलमान खान आपको लांच करने वाले थे क्या वजह हुई जो वह फिल्म नहीं बन पायी

यह सब मीडिया की देन है जबकि सलमान ने मुझे कभी लांच करने की बात नहीं  कही थी.आइफा में मैं सलमान के साथ रेड कारपेट पर क्या चली सब बातें मीडिया ने खुद ही शुरू कर दी थी. रेड कारपेट पर मैं पापा के साथ चलने वाली थी लेकिन पापा किसी कारणवश आगे चले गए.मुझे बहुत दु:ख लगा जब सलमान को यह बात पता चली तो उन्होंने मुझे कहा कि मैं उनके साथ चलूं. बस यही बात थी.
आपके पिता गोविन्दा से आपने इस फिल्म को साइन करने से पूछा था और अभिनय में आने से पहले उन्होंने आपको क्या टिप्स दी
हां मैंने फिल्म पापा से डिस्कस की उन्हें भी कहानी अच्छी लगी.जहां तक टिप्स की बात है एक टिप्स जो उन्होंने मुझे दी और हमेशा याद रखने को कहा वो यह थी कि सेट पर डायरेक्टर एक्टर बनने का जो डायरेक्टर कहे वही आप करो तो चीजें आसान हो जाएँगी.
एक एक्ट्रेस के तौर पर आपने क्या तय किया है कि आप बोल्ड सीन और कपडे नहीं पहनेगी

अभी तो कुछ तय नहीं किया है.मेरी शुरूवात ही है.वैसे इस फिल्म का सबसे मुश्किल सीन मेरे लिए लव मेकिंग सीन ही रहा है.एक सीन में गिप्पी प्यार से अपनी जैकेट मुझे उतारकर देती है.रात के दो बजे वह सीन शूट हुआ था. सच कहूँ तो उस सीन को शूट करते हुए बहुत अजीब लग रहा था.लगा एक्टिंग में क्यों आ गयी. अभी अपने घर में आराम से खा पीकर सो चुकी होती थी. शायद समय से साथ सहज होऊं
आपके पिता शूटिंग सेट पर देर से पहुचने के लिए जाने जाते हैं क्या आपने तय किया है कि आप यहाँ अपने पापा को फॉलो नहीं करेंगी
हां सभी को लगता है कि मैं गोविंदा की बेटी हूं तो मैं भी लेट से ही शूट पर आउंगी लेकिन मैं यह नहीं करने वाली हूं. मैं एक डिसिप्लिन एक्ट्रेस बनना चाहती हूं. जो सिर्फ अपने अच्छे अभिनय के लिए जानी जाए.
बचपन में क्या आप अपने पिता की फिल्मों की शूटिंग में जाती थी किस तरह के अनुभव थे कुछ शेयर करना चाहेंगी.
हाँ स्कूल की छुट्टियां होते ही बैग पैक कर हम पापा की शूटिंग पर पहुँच जाते थे. उस वक़्त शूटिंग बहुत रोमांच से भरी होती थी.ज्यादा प्लानिंग नहीं होती थी.हीरो नंबर वन के एक गीत की शूटिंग स्विट्जरलैंड की पहाड़ियों पर हो रही थी.अचानक से तापमान गिरा और सांस लेना मुश्किल हो गया था.सब पैकप कर फटाफट नीचे भागे.पापा और रवीना टंडन एक फिल्म की शूटिंग विदेश में कर रहे थे.गीत की शूटिंग होने वाली थी लेकिन कपडे आये नहीं थे फिर क्या था दोनों ने वहां के लोकल शॉप से शॉपिंग कर शूटिंग की.काफी अलग अनुभव थे.
आपने अपने पिता के स्टारडम और डाउनफॉल दोनों को करीब से देखा है किस तरह से उन्होने दोनों को मैनेज किया.
पापा ने दोनों फेज को अच्छे से जिया.वे विरार से आये थे बहुत मुश्किल से उन्होंने इंडस्ट्री में अपनी जगह बनायीं.अपनी स्टारडम के दिनों में वह एक के बाद एक फिल्मों की शूटिंग करते थे उनके पास खुद के लिए समय नहीं होता था ऐसे में जब उनके पास फिल्मों के आॅफर कम हुए तो उन्होंने खुद और फॅमिली के साथ पूरा समय बिताया.छुट्टियों पर गए.हमारे लिए गाने बनाकर गाए. सबकुछ किया.

आपके पिता काफी अंधविश्वासी माने जाते हैं क्या नर्मदा से आपका नाम टीना होने के पीछे भी वही वजह है.

सबसे पहली बात मेरे पापा अंधविश्वासी नहीं है वह आध्यात्मिक है.हम सभी अपनी जिन्दगी में पूजा पाठ करते हैं वो भी वही करते हैं.मेरे फ्रेंड्स चाहते थे कि मैं नर्मदा के बजाय आॅनस्क्रीन टीना नाम रखूं.यह बहुत कूल नाम है.मेरे पासपोर्ट से हर सर्टिफिकेट पर अब भी नर्मदा ही नाम है

लीप... नो प्लीज


किसी दौर में टेलीविजन के निर्माता अपनी मनमर्जी के मालिक होते थे और बिना स्टार्स के रजामंदी के वे शो में लीप लेकर आते थे. लेकिन इन दिनों टेलीविजन के कुछ बड़े शोज ने एक कड़ा रुख इख्तियार किया है. उन्होंने साफ शब्दों में ऐतराज जताया है. या तो निर्माताओं को लीप रोकने की नौबत आ रही है या फिर लोकप्रिय स्टार्स शोज छोड़ रहे हैं. और जाहिर है लोकप्रिय चेहरे शोज से बाहर हो रहे तो इसका सीधा असर टीआरपी पर भी हो रहा है

 ये हैं मोहब्बते
ऐसी खबरें आ रही थीं कि स्टार प्लस के लोकप्रिय शो ये हैं मोहब्बते में कुछ समय बाद लीप आने वाला है. एक तरफ जहां शो में लीप को लेकर चर्चाएं हो रही हैं, वही जानकारी मिली है कि इस शो के सारे स्टार्स ने मिल कर साफ साफ कहा है कि वे लीप के पक्ष में नहीं हैं. शो की मुख्य कलाकार द्वियांका त्रिपाठी और करन पटेल ने कहा है कि वे इस बदलाव से संतुष्ट नहीं हैं. उनके साथ शो के अन्य कलाकार मिहिका वर्मा, राज सिंह अरोड़ा और एली गोनी भी लीप को लेकर नाराज हैं. हालांकि प्रोडक् शन हाउस के सूत्रों का कहना है कि अभी सब कुछ प्रक्रिया में हैं और कुछ भी फाइनल नहीं हुआ है. हम बदलाव करना चाहते हैं. लेकिन सभी कलाकार इससे संतुष्ट नहीं हैं. लीप को लेकर सबके अलग विचार हैं. हालांकि प्रोडक् शन हाउस का कहना है कि शो के कलाकार ज्यादा से ज्यादा एक या दो साल के लीप को लेकर तैयार हैं. लेकिन फिर भी उनमें नाराजगी है. सो, अभी कुछ भी तय नहीं है. यह शायद टेलीविजन के इतिहास में लंबे अरसे के बाद हो रहा है कि किसी धारावाहिक के स्टार्स ने अपनी तरफ से एकता में नामंजूरी दिखाई है और इसको लेकर प्रोडक् शन हाउस में विचार भी हो रहा है. इस शो के सारे स्टार्स का मानना है कि इस तरह से शो का मिजाज बिगड़ता है और दर्शक दिलचस्पी लेना छोड़ देते हैं और प्रशंसकों की संख्या में भी कमी आती है. हालांकि यह तो आनेवाला वक्त ही बतायेगा कि आखिरकार निर्णय क्या होने वाला है.
डोली अरमानों की
जीटीवी के लोकप्रिय धारावाहिक डोली अरमानों की को लेकर पिछले काफी दिनों से खबरें आ ही रही थी. हाल ही में शो ने लीप लिया था और एक बार फिर से वह लीप लेने को तैयार है. इस शो में काफी सालों का लीप लिया जा चुका था और इसी शर्त पर नेहा मार्दा जो शो में लीड किरदार निभा रही हैं, उन्होंने किरदार को आगे बढ़ाने की मंजूरी दी थी. लेकिन जब उन्हें जानकारी मिली कि शो की कहानी में और अधिक लीप लिया जाना है तो उन्होंने शो से खुद को अलग करने का मन बना लिया और अब वे अलग हो भी गयी हैं. लेकिन इससे भी चौंकानेवाली बात यह है कि न सिर्फ नेहा बल्कि शो में लीड किरदार निभा रहे मोहित मल्लिक भी लीप की वजह से शो को न कह चुके हैं. अब वे झलक दिखला जा के इस सीजन में नजर आयेंगे. सिर्फ मोहित और नेहा ही नहीं विभव राव ने भी शो से खुद को अलग कर लिया है. यह भी एक चौंकानेवाली खबर है कि किसी शो से लीप की वजह से तीन कलाकारों ने एक साथ शो छोड़ दिया है.
दीया और बाती हम 
स्टार प्लस के धारावाहिक दीया और बाती हम में भी जब लीप लिया जा रहा था तो दीपिका सिंह ने साफ शब्दों में कहा था कि वे बहुत बड़े बच्चे की मां नहीं बनेंगी. उनके भी शो को छोड़ने की बातें चल रही थीं. लेकिन बाद में प्रोडक् शन हाउस ने उन्हें मना लिया. इस वजह से शो की टीआरपी में गिरावट भी आयी थी. लेकिन फिर से इसे दर्शक पसंद कर रहे हैं.
इतना करो न मुझे प्यार
सोनी टीवी के धारावाहिक इतना करो न मुझे प्यार में सबसे जल्दी लीप दिखाये जा रहे हैं. हर कुछ महीने में शो में लीप दिखाया जा रहा है. और यही वजह है कि शो की टीआरपी में और कमी आ रही है. दर्शक शो से खुद को बांध नहीं पा रहे हैं.
कुबूल है
जीटीवी के शो कुबूल है में पुराने कलाकारों को ही नये किरदारों में तब्दील कर दिया गया है. लेकिन दर्शकों को यह ट्रैक खास रास नहीं आ रहा है. धीरे धीरे इस शो की टीआरपी भी खत्म हो रही है.
वजह
टेलीविजन जगत में चूंकि हर दिन शो का प्रसारण होना होता है, सो निर्माता पर शो में नयापन बनाये रखने का एक दबाव होता है. चूंकि कंटेंट की कमी है. सो निर्माता शो को खींचने के लिए कहानी के ट्रैक में लीप लेकर आते हैं. ताकि दर्शक उससे बंधे रह सकें. हालांकि कुछ धारावाहिकों में यह ट्रिक काम भी आये हैं, जिनमें ये रिश्ता क्या कहलाता है और किसी दौर में क्योंकि सास भी कभी बहू थी जैसे शो हैं. लेकिन वर्तमान दौर पर गौर करें तो लीप से शो के दर्शक घट रहे हंै. चूंकि लीप की वजह से वे जिन्हें युवा देख रहे होते हैं उसमें अचानक बदलाव आ जाते हैं और वे उनसे किसी भी लिहाज से खुद को जोड़ नहीं पाते हैं. हालांकि क्योंकि सास भी कभी बहू थी में लीप की वजह से ही शो के लीड किरदार अमर उपाध्याय ने शो को बाय बाय कह दिया था.

स्टार्स पुत्री व कांटे


्रगोविंदा की बेटी टीना अहूजा( असली नाम नर्मदा अहूजा) अपना फिल्मी करियर शुरू करने जा रही हैं. फिल्म सेकेंड हैंड हस्बैंड से. फिल्म को लेकर पहले चर्चा थी कि यह एक पंजाबी फिल्म है. लेकिन टीना ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि यह एक हिंदी फिल्म है. टीना का कहना है कि उन्हें कभी सलमान खान ने कोई वादा नहीं किया था कि वे उन्हें फिल्मों में लांच करेंगे. सो, जितनी भी खबरें आ रही थीं. वे निराधार हैं. लेकिन टीना का मानना है कि वे तैयारी से इस इंडस्ट्री में कदम रख रही हैं और उन्हें यकीन है कि उन्हें कामयाबी मिलेगी. हालांकि टीना इस बात  से मुकर रही हैं. लेकिन गोविंदा स्पष्ट शब्दों में तो नहीं लेकिन ईशारों में इन बातों की चर्चा करते रहे हैं कि उन्हें सलमान से इस बात को लेकर शिकायतें रही हैं. दरअसल, टीना चूंकि एक नयी शुरुआत कर रही हैं, सो मुमकिन हो कि वह किसी नकारात्मक बातों के साथ अपना करियर शुरू नहीं करना चाहती होंगी. उन्होंने बातचीत में कहा भी है कि उनकी कोशिश होगी कि वे अपने पिता की नकल हरगिज न करें. जैकी श्राफ के बेटे टाइगर श्राफ भी अपने पिता की परछाई नहीं बनना चाहते. वे चाहते हैं कि लोग उन्हें बिल्कुल अलग अंदाज में देखें और याद रखें. दरअसल, वर्तमान दौर के युवा किसी भी तरह का बोझ नहीं उठाना चाहते. वे नहीं चाहते कि उनकी मेहनत का पूरा सेहरा किसी अपने को भी मिले. वे इस बात को समझ चुके हैं कि धर्मेंद्र के शब्दों में कहें तो अब हिंदी सिनेमा जगत इंडस्ट्री नहीं मंडी है और यहां ओरिजनल चीजें ही अधिक लोकप्रिय होती हैं. टीना के पिता गोविंदा ने विरार की गलियों से निकल कर मुंबई की इंडस्ट्री में पहचान बनायी. टीना को उन गलियों से गुजरना नहीं पड़ा है. लेकिन फिर भी उनके रास्ते में कांटे बहुत हैं. वे इससे पार होकर किस तरह अपने मुकाम तक पहुंचती हैं. यह देखना दिलचस्प होगा.

50 की हो जाऊंगी फिर भी एक्टिंग ही करूंगी : करीना कपूर


करीना कपूर सलमान खान के साथ एक बार फिर फिल्म बजरंगी भाईजान में नजर आयेंगी. करीना अब फिल्मों को स्वीकारने से पहले सचेत हो गयी हैं. 
एक बार फिर आप और सलमान साथ आ रहे हैं, फिल्म को लेकर प्रशंसकों में काफी उत्सुकता है?
हां, मेरी और सलमान की जोड़ी लोगों को पसंद आती है. ऐसा मैं मानती हूं. बॉडीगार्ड के बाद हम फिर से साथ आ रहे हैं. हालांकि मैं सोशल साइट्स पर नहीं हूं, लेकिन मुझे लगातार जानकारी मिल रही है कि लोग किस तरह फिल्म को लेकर उत्सुक हैं.
फिल्म के शीर्षक को लेकर काफी विवाद हो चुके हैं?
लोग बेवजह बातों को तूल दे रहे हैं. लोगों को लग रहा है कि यह हिंदू लड़के या मुसलिम लड़की की प्रेम कहानी है. जबकि हकीकत यह है कि ऐसा कुछ भी नहीं है. यह एक सफर की कहानी है. एक बच्ची है उसे किस तरह उसके देश पहुंचाया जा रहा है. यह वह कहानी है. यह मासूमियत की कहानी है. इंसानियत की कहानी है. इस फिल्म का धर्म से कोई लेना देना नहीं है. फिल्म बिल्कुल सही वक्त पर आ रही है और यह फिल्म एक अच्छा मेसेज भी देगी.ऐसे मेरा मानना है.
धर्म को लेकर हाल ही में एक पत्रिका ने आपकी भड़काऊ तसवीर प्रकाशित की थी. उस वक्त हिंदू मुसलिम प्रेम विवाह को लेकर काफी विवाद हुए? आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
मेरा मानना है कि हम धर्म निरपेक्ष देश में हैं. इस तरह की भड़काऊ तसवीरें प्रकाशित कर उन्होंने अपनी मानसिकता का प्रमाण दिया है. मेरे फैन्स मुझे जानते हैं और वह मुझे अब भी प्यार करते हैं. उनके प्यार में तो कोई कमी नहीं आयी है. फिर मैं दुखी क्यों हो जाऊं. साथ ही मैं ऐसी खबरों के खंडन के लिए कभी सामने नहीं आऊंगी. मैं अगर हर बात का स्पष्टीकरण देने लगूं तो मुझे लगता है कि लोगों को लगेगा कि मुझ पर इन बातों का असर हो रहा है और वह मैं नहीं चाहती. मैं यहां काम करने आयी हूं. एक्टिंग करना अच्छा लगता है और वही करूंगी.
आप लगातार नये निर्देशकों के साथ काम कर रही हैं? किसी खास कारणवश यह निर्णय लिया है?
हां, मुझे लगता है कि मैंने अब इंडस्ट्री में काफी वक्त बीता लिया है. यही सही वक्त है, जब मैं कुछ नया ट्राइ करूं. अब नहीं तो कब करूंगी. ऐसा नहीं है कि मैंने सोच रखा है कि मैं अब जिन निर्देशकों के साथ काम कर चुकी हूं. उनकी फिल्में नहीं करूंगी. लेकिन मैं नये लोगों के साथ अधिक काम करना चाहती हूं.इसलिए मैं अभिषेक चौबे की फिल्म उड़ता पंजाब कर रही हूं, राजकुमार गुप्ता की फिल्म कर रही हूं, आर बाल्की के साथ कभी काम नहीं किया है. उनके साथ कर रही हूं. मुझे मजा आ रहा है अब. उड़ता पंजाब एक ड्रग ड्रामा है और आप देखेंगे कि अभिषेक ने मुझे किस तरह उसमें बिल्कुल अलग अवतार दिया है. उस फिल्म को लेकर काफी उत्साहित हूं.
काम के साथ साथ व्यक्तिगत जिंदगी में किस तरह सामंजस्य बिठा रही हैं?
सैफ बहुत सर्पोटिव है. इसलिए कुछ खास परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता. हालांकि हम अपनी फिल्मों को लेकर अधिक बातें नहीं करते. लेकिन वे मेरे काम का सम्मान करते हैं. वह कहते हैं कि उन्हें इस बात का गर्व है कि मैं एक्ट्रेस हूं. उनकी मां शर्मिला जी ने परिवार के साथ साथ अपना करियर आगे बढ़ाया. उन्हें कभी रोका नहीं गया. तो मुझे भी आजादी है. मुझे अभिनय करना सबसे ज्यादा पसंद है और मैं जिंदगी भर यही करूंगी. मुझसे कुछ भी नहीं होगा. आप मुझे 50 साल वाली करीना के रूप में भी एक्टिंग करते ही देखेंगे.
कश्मीर में शूटिंग का कैसा अनुभव रहा?
काफी मजेदार रहा. मैं पहले भी रणबीर के साथ बहुत छोटे में वहां गयी थी. वहां चिंटू अंकल की फिल्म की शूटिंग हो रही थी. वहां हमने बहुत मस्ती की थी. शूटिंग इस बार पहली बार किया. वहां हमारे बहुत फैन हैं. वे हमारी सारी फिल्में देखते हैं. उन्हें मेरी फिल्मों के किरदार के नाम भी याद थे. मैंने वहां का खाना, वहां की सभ्यता बहुत एंजॉय किया. और वाकई में जन्नत कहीं हैं तो वह वही हैं. यादगार रहेगी इस फिल्म की शूटिंग़.

धैर्य और असुरक्षा


करीना कपूर का मानना है कि पिछले 25 सालों में सभी सुपरस्टार्स पहले से अधिक धैर्यवान और शांत हुए हैं. करीना ने लगभग सभी सुपरस्टार्स के साथ काम किया है. लेकिन सलमान खान के साथ उनके अलग तरह के संबंध हैं. सलमान उनकी बहन करिश्मा के करीबी मित्रों में से एक हैं और करीना जब 10 साल की थीं उस वक्त से वे सलमान के घर और उनकी फिल्मों की शूटिंग पर जाया करती थीं. सलमान उनसे उम्र में काफी बड़े हैं. लेकिन करीना को इस बात की खुशी है कि अब भी सलमान उन्हें युवा अभिनेत्रियां मानते हैं. करीना प्रोफेशनल तौर पर सलमान खान के साथ उस वक्त थीं, जब वे मानसिक परेशानी से भी जूझ रहे थे. करीना का मानना है कि सलमान अब पहले की तरह  गुस्सैल नहीं रहे हैं. सिर्फ सलमान ही नहीं अन्य सुपरस्टार भी. दरअसल, करीना ने बातों बातों में यह संकेत दिया है कि अब जबकि सारे सुपरस्टार्स ने इंडस्ट्री में 25 साल काम कर लिया है. अब उनमें असुरक्षा की भावना नहीं है. करीना ने ईशारों में दोहराया है कि व्यक्ति जब असुरक्षित होता है तो अधिक गुस्सैल होता है. लेकिन जैसे जैसे वक्त गुजरता है और व्यक्ति को उनकी अहमियत समझ आती है. वे सुरक्षित होने लगते हैं. शायद यही वजह है कि अब तीनों खान उस तरह एक दूसरे पर कटाक्ष नहीं करते. जैसे किसी दौर में किया करते थे. वक्त के साथ उनकी प्रतियोगिता भी खत्म हो गयी है. वर्तमान दौर में कंगना और दीपिका में वही रेस चल रही है. करीना भी अब पहले की तरह जल्दबाजी में नहीं हैं और उन्हें अब औरों से अधिक मतलब नहीं. वे अपनी फिल्मों को लेकर गंभीर हुई हैं और मुमकिन है कि जिस तरह की फिल्मों का उन्होंने चुनाव किया है. आने वाले समय में वे दोबारा अपना स्थान ग्रहण करने में कामयाब रहेंगी. आनेवाले दौर में श्रद्धा और आलिया में यह होड़ मच सकती है.

करन के राम लखन


करन जौहर के बैनर की फिल्म ब्रदर्स का ट्रेलर हाल ही में रिलीज हुआ है.फिल्म में पहली बार अक्षय कुमार और सिद्धार्थ मल्होत्रा साथ साथ नजर आ रहे हैं. दो भाईयों के बीच नफरत की कहानी ही इस फिल्म का उद्देश्य है. फिल्म में जैकी श्राफ भी मुख्य किरदारों में से एक हैं. जैकी श्राफ में एक दौर में फिल्म राम लखन में दो भाईयों की कहानी में अभिनय किया था. और इस फिल्म के किरदार के लिए वे हमेशा याद किये जाते रहे हैं. इस फिल्म से दो भाईयों की कहानी हिंदी सिनेमा जगत में काफी लोकप्रिय हुई और एक माइलस्टोन भी साबित हुई थी. जाहिर है जबकि अब जैकी इस फिल्म का फिर से हिस्सा हैं.लेकिन इस बार वह पिता की भूमिका में हैं. कुछ ऐसे लम्हे जरूर रहे होंगे, जो फिल्म की शूटिंग के दौरान उन्हें याद आये होंगे. आमतौर पर फिल्मों की शूटिंग के दौरान को स्टार्स नजदीक भी आते हैं. अक्षय कुमार और सिद्धार्थ भी एक दूसरे की तारीफ करते नहीं थक रहे. लेकिन इस बात की गुंजाईश कम है कि दोनों की दोस्ती जैकी और अनिल कपूर जैसी कामयाब रहेगी. जैकी श्राफ और अनिल ने कई फिल्मों में भाई की भूमिका निभाई है. कई बार अनिल ने यह भी महसूस किया कि उन्हें जैकी की तरह किरदार नहीं मिल रहे. दृश्य नहीं मिल रहे. दोनों प्रतिद्वंदी भी रहे. लेकिन अलग अंदाज में. दोनों की दोस्ती आज भी कायम है. यह वह दौर था, जहां सिर्फ तारीफें फिल्मी प्रोमोशन के लिए नहीं की जाती थी. वे आगे भी एक दूसरे का साथ देते थे. और दोस्ती बरकरार रह पाती थी. हालांकि सिद्धार्थ ने अब तक कुछ ही फिल्में की हैं. वे किसी फिल्मी बैकग्राउंड से भी नहीं. वे दिल्ली से भी हैं और अक्षय ने कहा है कि वे कहीं न कहीं उनमें अपना इतिहास देखते हैं. सो, यह संभव है कि सिद्धार्थ को अक्षय का आगे भी साथ मिले. अगर दोनों राम लखन वाकई साबित होते हैं तो यह रिश्ता दूर तलक कायम रह सकता है.

कामयाबी व संघर्ष


फिल्म मिस तुनकपुर हाजिर हो में संजय मिश्रा एक तांत्रिक की भूमिका में हैं. इन दिनों संजय मिश्रा बेहद खुश हैं.फिल्म आंखों देखी के बाद उनके प्रति लोगों का नजरिया बिल्कुल बदल गया है. संजय मिश्रा लेकिन किसी खुशफहमी में नहीं. वे अपने काम से खुश हैं. उनका मानना है कि लोगों का रवैया उनके प्रति भले ही बदला हो. लेकिन काम के प्रति उनका रवैया आज भी वही है. वे इस भ्रम में बिल्कुल नहीं कि वे अब बहुत बड़े सितारें हो गये हैं और उन्हें छोटी भूमिकाओं वाली फिल्में करने की जरूरत नहीं हैं. उन्होंने स्पष्ट कहा है कि आंखों देखी उन्हें इसलिए मिली क्योंकि उन्होंने उससे पहले वे सारी फिल्में की हैं. एक दौर में संजय मिश्रा ने नौ सालों तक काम मिलने का इंतजार किया है. ऐसे में वे मानते हैं कि अभी उनका एक्टिंग का घोड़ा दौड़ रहा है और वे इस पर विराम नहीं लगायेंगे. दरअसल, हकीकत यही है कि फिल्म इंडस्ट्री देर से ही सही लेकिन अपने कलाकारों का चुनाव कर ही लेती है. नौ सालों के इंतजार में संजय ने यह सीख ली कि हुनर है तो मौके मिल जायेंगे. संजय, इरफान,नवाजुद्दीन सिद्दिकी उन्हीं कलाकारों में शामिल हैं, जिन्होंने लंबे संघर्ष के बाद अपनी पैठ जमायी है. इन कलाकारों को देख कर नये कलाकारों को यह सीख लेनी चाहिए. वरना, इंडस्ट्री में यह चलन है कि कलाकार अगर एक फिल्म से कामयाबी हासिल कर लेते हैं तो फिर उनके पैर जमीन पर नहीं होते. वे फिल्मों को न कहते चले जाते हैं. प्रशंसकों के प्रति भी उनका नजरिया बदल जाता है, जिन्होंने उन्हें पहचान दिलायी. वर्तमान दौर में संजय मिश्रा के लिए किरदार लिखे जा रहे हैं. चूंकि वह छोटे दृश्यों में भी विस्फोट करते हैं. आने वाले समय में ऐसे कलाकारों की ही तादाद बढ़ेगी और उनकी जरूरतें भी बढ़ेंगी. चूंकि सुपरसितारा फिल्मों के साथ छोटी तुनकपुर को हाजिर होना भी जरूरी है.

दोस्त का दोस्त के लिए टिवट


 सलमान खान ने हाल ही में टिष्ट्वटर पर ऐलान किया है कि उन्हें वैसे फॉलोअर्स नहीं चाहिए, जो उनका महिमामंडन करें और उनके बाकी कलाकार दोस्तों के लिए अपशब्दों का प्रयोग करें.उन्होंने साफतौर पर कहा है कि वे प्रशंसक उनके प्रशंसक हरगिज नहीं हो सकते, जो शाहरुख खान और आमिर खान के बारे में टिष्ट्वटर पर गलत बातें लिखें. सलमान ने खुद कहा है कि अगर यह सब बंद नहीं हुआ तो वे टिष्ट्वटर पर आना छोड़ देंगे. हालांकि सलमान खान आमतौर पर टिष्ट्वटर पर अपने दोस्तों की खिल्ली उड़ाते नजर नहीं आते. लेकिन उन्होंने जैकलीन के बारे में टिष्ट्वटर पर टिष्ट्वट किया कि जैकलीन किक से किक्ड आउट कर दिया गया है. सलमान के टिष्ट्ववटर हैंडल से ऐसी बातें जब होती हैं, तो अगर कोई प्रशंसक उन्हें लगातार फॉलो कर रहे तो वे इस बात से जरूर निराश होंगे. चूंकि सलमान उन दोस्तों में से नहीं हैं, जो अपनी साथी कलाकार के बारे में ऐसे वाक्यों का प्रयोग करेंगे. यह मुमकिन है कि सलमान ने मजाक मजाक में यह लिख दिया हो. लेकिन जैकलीन से लगातार मीडिया यह सवाल कर रही, चूंकि उनका मजाक किसी और ने नहीं सलमान ने उड़ाया है. सलमान का यह स्वभाव नहीं है. चूंकि एक पल वह जैकलीन के बारे में यह लिखते हैं. और दूसरे पल उन्हें अपने कलाकार दोस्तों की रक्षा करते दिखाया जाता है टिष्ट्वटर पर. सो, इससे स्पष्ट है कि सलमान ने जान बूझ कर ऐसा नहीं किया होगा. लेकिन कभी कभी मजाक भी अपनों को बुरी लग सकती है. हो सकता है कि इसका एहसास उन्हें बाद में हुआ हो. दरअसल, कभी कभी दोस्त द्वारा की गयी छोटी बातें भी चुभ जाती हैं. खासतौर से उस वक्त जब आप करियर के बुरे दौर से गुजर रहे हो. इसी बॉलीवुड में जैकलीन ने लंबे इंतजार के बाद किक से वापसी की है. और फिर से इसी किक की वजह से उन्हें फिर से उस दौर में लौटना पड़ सकता है.

अमृता ने बदली जिंदगी : हिमांशु


 नच बलिये सीजन 7 में अमृता और हिमांशु की जोड़ी ने धमाल मचाया है. हिमांशु इस बात से बेहद खुश हैं कि उन्हें एक अच्छा मंच मिला, जहां वे अमृता के साथ काफी वक्त गुजार पाते हैं.

नच बलिये ने दोनों की जिंदगी कैसे बदली है?
हिमांशु : अब मैं अमृता को और बेहतर समझ पा रहा हूं. दोनों को साथ रहने का अधिक मौका मिलता है.समय बिताने का अधिक मौका मिलता है. यह शो आपके टैलेंट को दर्शाता है और वह भी आपके बलिये के साथ तो यह बात मेरे लिए काफी खास रही हैं.
अमृता : मैं हिमांशु को कई सालों स ेजान रही हूं और हम दोनों साथ हैं, क्योंकि हम दोनों में वह साझेदारी है. और अब जब लोग भी इस बात को पसंद करते हैं तो अच्छा लगता है.
हिमांशु  अमृता की क्या बात खास लगती है?
अमृता काफी मेहनती लड़की हैं और कमाल की डांसर हैं. वह काफी संजीदा हैं रिश्तों को भी लेकर अपने काम को लेकर भी. आप देखें उन्होंने मराठी और हिंदी फिल्म में कितना कुछ किया है.  वह काफी सहज हैं और रिश्तों को लेकर संवेदनशील हैं. मुझे लगता है कि वह काफी हार्ड वर्किंग भी हैं. मेरी तो कोशिश होती है कि मैं उनके टैलेंट से अपने टैलेंट को मेल करा पाऊं.
अब जबकि आप रियलिटी शो का हिस् सा बन चुके हैं. आपको इसमें अधिक मजा आ रहा है या फिर डेली सोप्स में
मुझे रियलिटी शो करने में अधिक मजा आ रहा है, क्योंकि यहां आपको अपने टैलेंट को नया प्लैटफॉर्म देने का मौका मिलता है. आपको लोग यहां आपके नाम से जानते हैं न कि आपको आपके कैरेक्टर के नाम से. मैं आगे भी इस तरह के शोज करना चाहूंगा,
इस डांस शो के बाद भी क्या डांस सीखते रहेंगे?
हां मुझे क्लासिकल डांस सीखने में मजा आयेगा. अगर मौका मिला तो मैं जरूर सीखूंगा. मुझे हिप हॉप सीखने में भी काफी मजा आयेगा. मैं मौैका मिले तो लैटिन डांस भी सीखना चाहूंगा.
नच बलिये के फॉरमेट से कितने सहज हैं. इस बार तो सेलिब्रिटिज की व्यक्तिगत जिंदगी की भी कई बातें लोगों के सामने आ रही हैं?
मुझे ऐसा लगता है कि मैं हमेशा ईमानदारी से ही दर्शकों के सामने पेश आता हूं. मैं बनावटी नहीं हो सकता.मैं बिल्कुल पारदर्शी हूं. मुझे इस बात से परेशानी नहीं. फॉरमेट से भी परेशानी नहीं हैं. मैं यहां तो कम से कम एक्टिंग नहीं करता, आखिर यह डेली सोप नहीं है. सो, मुझे नहीं लगता कि दर्शकों के सामने मेरी कोई ऐसी छवि बन रही है. जो मैं नहीं हूं. मैं इस बात से सहज हूं और मैं इस अनुभव को भी एंजॉय कर रहा हूं.
अमृता के प्रशंसक अगर जानना चाहें कि अमृता की कुछ खास बातें हैं तो आप उनसे क्या कहेंगे?
मैं उनसे कहना चाहूंगा कि अमृता को खुश करना है तो आप उन्हें रात के 12 बजे कार्टून नेटवर्क दिखा दो. वह खुश हो जायेंगी. उसे टीवी देखना बहुत पसंद है. वह उठने के साथ टीवी देखती हैं. सोते वक्त भी टीवी देखना पसंद करती है. अमृता को चाय पीना बहुत पसंद है.
अमृता के साथ आप डेट पर कहां जाना चाहते हैं?
मुझे अमृता को चाय डेट पर ही लेकर जाना अच्छा लगेगा, क्योंकि उसे चाय बहुत पसंद है.
आप अमृता की पसंद का ख्याल किस तरह रखते हैं?
मैं कोशिश करता हूं कि उसकी हर पसंद का ख्याल रखूं. मैं उसके  साथ बैठ कर रात में टीवी देखता हूं. मेरा मन न भी हो तो. उसका पसंदीदा  रंग गुलाबी है तो उस रंग के कपड़े देने की कोशिश करता हूं. अमृता को टीवी देखना सबसे ज्यादा पसंद है और मुझे किताब पढ़ना. तो मैं अपनी पसंद से अधिक उसकी पसंद का ख्याल रखता हूं.
अमृता ने आपकी जिंदगी किस तरह बदली?
उसने मुझे एक इंसान के रूप में और बेहतर बनाने में मेरी मदद की है. उसने मेरी कमियों को नजरअंदाज किया है. उसे देख कर मैं भी हार्ड वर्क करने के लिए प्रेरित होता हूं. वह अब मेरी जिंदगी की प्रेरणा बन चुकी है. और मैं खुश हूं कि मुझे किसी ऐसी लड़की का साथ मिला है, जो मुझे समझती है और अपना पूरा सहयोग मुझे देने की कोशिश करती है. मेरी भी यही कोशिश होती है मैं उसे कभी दुखी न करूं.

दो प्रतिद्वंदी


दीपिका पादुकोण और कंगना रनौत में इन दिनों ठीक वैसी ही प्रतियोगिता चल रही है. जो किसी दौर में माधुरी दीक्षित और श्रीदेवी में हुआ करती थी. जूही चावला और माधुरी में भी अनबन काफी दिनों तक चली. लेकिन उस दौर में अभिनेत्रियां अपनी लड़ाई, अपना मतभेद साफतौर पर स्पष्ट करती थीं. हाल में जब माधुरी और श्रीदेवी फिल्म इंग्लीश विंगलिश के दौरान झलक दिखला जा के मंच पर भी आये तो दोनों ने स्वीकारा कि दोनों एक दूसरे के प्रतिद्वंदी थे. जया प्रदा और श्रीदेवी में एक दौर में काफी दूरियां आ गयी थीं. उन्हें आपस में मनाने का प्रयत् न जीतेंद्र ने काफी किया था. राजेश खन्ना ने भी. लेकिन दोनों नहीं मानी थी. हाल में दोनों साथ नजर आयीं और दोनों का मनमुटाव खत्म हुआ, लेकिन आज की अभिनेत्रियां समझदार हैं. वे चतुर हैं. वे अगर किसी को पसंद नहीं करतीं. तब भी वह मीडिया के सामने कभी जाहिर नहीं होने देंगी. कंगना दीपिका की सक्सेस पार्टी का हिस्सा बनती हैं तो दीपिका कंगना की. दोनों एक दूसरे की वाहवाही भी कर रही हैं. लेकिन हकीकत यह है कि दोनों वर्तमान में सबसे कामयाब अभिनेत्रियां हैं और दोनों ही अपनी इस कामयाबी के खुमार में कोई भी गलत कदम नहीं उठाने वालीं. कंगना ने काफी संघर्ष से यह स्थान हासिल किया है. सो, वह कोई लापरवाही नहीं करेंगी. दीपिका अपने पुराने प्रेमी को बातों के माध्यम से ही उन पर वार करना नहीं भूलतीं. लेकिन साथ में वे यह भी नहीं भूलतीं कि उनकी फिल्में लगातार कामयाब हो रही हैं और दर्शक उनसे बोर नहीं हो रहे हैं. सो, कंगना की छोड़ी फिल्म दीपिका को और दीपिका की छोड़ी फिल्म कंगना को मिल रही हैं और दोनों इस तरह एक दूसरे को समझदारी से दर्शा रहीं कि दोनों ही तैयार हैं. ऐसे मुकाबले मजेदार होते हैं. और होंगे भी. सो, उम्मीदन आने वाले समय में दोनों ही अभिनेत्रियां शीर्ष स्थान के एक दूसरे को कांटे की टक्कर देंगी

ाीके की सफलता से अभीभूत हूं

आमिर खान इन दिनों बेहद खुश हैं क्योंकि उनकी फिल्म पीके को न सिर्फ भारत में बल्कि चीन में भी काफी कामयाब हो गयी है. हाल ही में उन्होंने फिल्म की सक्सेस पार्टी मनायी.

आमिर, सबसे पहले आपको इस नयी सफलता के लिए बधाई, साथ ही यह बताएं कि वे कौन कौन से कारण रहे, जिनकी वजह से आपको लगता है कि फिल्म चीन के दर्शकों को भी पसंद आयी.
जी बहुत शुक्रिया मुझे खुशी इस बात की है कि पहले  मेरी ही फिल्म 3 इडियट्स वहां कामयाब रही और अब यह फिल्म. वहां के लोगो से मुझे जिस तरह प्यार मिला है. मैं अभिभूत हूं. मैं इस बात से आश्चर्य कर रहा था कि वहां के लोग दूर गांव से भी मेरी फिल्में देखने आ रहे थे. मुझसे मिलने आ रहे थे. वे मेरे लिए तोहफे लेकर आ रहे थे. मैं उनसे मिल कर हैरान था कि वे हमारी फिल्मों के बारे में कितना कुछ जानते. लेकिन हम तो खुद में ही खुश हो लेते हैं. हमें उनकी फिल्मों की खास जानकारी नहीं होती. मैंने खुद केवल जैकी चैन की ही फिल्में देखी हैं. उस लिहाज से मुझे लगता है कि मैंने कुछ हासिल किया है. जब भारत से बाहर आपको इतनी लोकप्रियता मिलती है तो.
त्वे आपके वजन को लेकर चिंतित नहीं हुए. कोई सवाल नहीं किया?
बिल्कुल किया. वे इस बात को लेकर चिंतित थे कि आखिर ऐसा क्या हुआ है कि मैं अचानक से इतना मोटा हो गया. फिर मैंने उन्हें बताया कि मैं इन दिनों एक फिल्म कर रहा हूं. उसके लिऐ वजन बढ़ाया है. खास बात यह थी कि वे आजाद के लिए भी काफी खिलौने लेकर आ रहे थे. तोहफे लेकर आ रहे थे. यह दर्शाता है कि वे हमारी गतिविधियों से वाकिफ हैं. हमारी जिंदगी से जुड़ी बातें उनके लिए महत्व रखती हैं.
त्फिल्म दंगल के बारे में जानकारी दें?
दंगल में मैं कुश्ती खेलता नजर आऊंगा. मेरा किरदार रेस्टलर का ही है. फिल्म में मैं दो लड़कियों का पिता नजर आऊंगा. मैंने इसके लिए काफी मेहनत की है. मैंने धोबी पछाड़ भी सीखा है. मैं लगातार इसकी प्रैक्टिस कर रहा हूं. इससे पहले मैंने गजनी में अपना वजन बढ़ाया था. लेकिन यह दूसरे तरीके की फिल्म है. किरण और अम्मी बेहद नाराज हैं. क्योंकि उनका मानना है कि मैं शरीर के साथ खिलवाड़ कर रहा. फिल्म के लिए मैंने 12-18 किलो वजन बढ़ाया है. काफी कुछ गलत भी कर रहा. लेकिन क्या करूं मैं ऐसा ही हूं. किरदार में जाने के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूं. मुझे किरदार के साथ न्याय करना पसंद है.यह नहीं कि मैं बनावटी चीजों में विश्वास नहीं करता. सो, किरदार के साथ तो कभी भी नाइंसाफी नहीं कर सकता.
आपको लगता है कि इस तरह की फिल्मों से कुश्ती व कई खेलों को बढ़ावा मिलेगा?
हां, मैं इस बात में बिल्कुल विश्वास करता हूं कि देश में हर तरह के खेल को बढ़ावा मिलना ही चाहिए. मुझे लगता है कि आनेवाले समय में कुश्ती को एक अलग रूप मिल सकता है. मेरी फिल्म इसमें सहायक भी हो सकती है. साथ ही मुझे लगता है कि जिस तरह कबड्डी को लोकप्रियता मिल रही है. लोग कुश्ती को भी महत्व दें. हां मैं कभी कोई लीग नहीं खरीदूंगा. लेकिन अगर कोई इस खेल को प्रोमोट करे तो मुझे खुशी होगी.
त्रचीन की आपको सबसे खास बात क्या लगी?
वहां के लोग काफी अच्छे हैं. मैं एक दिन वहां सिर्फ चीन घूमने के लिए रुका था. वहां मुझे चीन की पारंपरिक पोषाक तोहफे में मिली. वहां की लड़कियों ने मेरी आंखों की काफी तारीफ की कि मेरी आंखें काफी खूबसूरत हैं. मैं यह सुन कर थोड़ा शर्मा भी गया था. साथ ही लोग जागरूक हैं. आम आदमी भी काफी नॉलेज रखता है. वे जागरूक हैं और जागरूक करना भी जानते हैं. तो किसी देश के लिए अच्छी बात है यह.
त्रआजाद की इन दिनों क्या गतिविधियां होती हैं?
मुझे ऐसा लगता है कि आजाद चूंकि जब से बड़ा हुआ है. वह कैमरे का सामना कर रहा. सभी लोग हम कहीं भी जात ेहैं तो तसवीरें खींचते हैं. तो शायद उसे यह बात समझ में आ रही है कि शायद दुनिया ऐसी ही होती है. लोग आम लोगों की भी तसवीरें लेते होंगे. मेरे वजन को देख कर वह भी थोड़ा अलग अलग चेहरे बनाता है. उसे भी लगता ह ोगा कि अचानक मुझे क्या हो गया है.
त्रदंगल के निर्देशक सिर्फ दो फिल्म पुराने हैं. तो फिल्म करने से पहले यह बात दिमाग में नहीं आयी?
नहीं मेरे दिमाग में यह बात कभी नहीं रहती. अगर मेरे मन में किसी भी फिल्म को लेकर संदेह हो तो मैं वह फिल्म कभी नहीं करूंगा. स्क्रिप्ट पर विश्वास होने के बाद ही मैं किसी फिल्म को हां कहता हूं. और निर्देशक का अप्रोच तो समझ आ ही जाता है. उनसे मिल कर. सो, मुझे इन बातों से कभी कोई परेशानी नहीं होती है.
आपके दोस्त सलमान खान अभी जिस हालात से गुजरे हैं? उस पर आप क्या कहना चाहेंगे?
सलमान दोस्त हैं. लेकिन कई लोग मुझे सत्यमेव जयते  से जोड़ कर इस तरह के सवाल कर रहे कि रोड एक्सीडेंट को लेकर मेरी क्या सोच है. मैं बस यह कहना चाहूंगा कि मुझे जो कहना था मैंने सत्यमेव जयते में कह दिया है. इससे ज्यादा इस बारे में कुछ भी नहीं कहूंगा. और जो उसमें कहा है. मैं अपनी उस बात पर अमल करता  हूं. और मुधे शेष कुछ नहीं कहना. 

विद्या की वापसी


विद्या बालन की फिल्म हमारी अधूरी कहानी जल्द ही रिलीज होनेवाली है.इस फिल्म से एक बार फिर विद्या खुद को साबित करने की कोशिश करेंगी. हां, उनकी पिछली तीन फिल्में कामयाब नहीं हो पायी हैं. लेकिन इसका यह कतई मतलब नहीं है कि विद्या बालन की काबिलियत पर शक किया जाये. निश्चित तौर पर विद्या ने शुरुआती दौर में भी नाकामयाबी देखी है और अपनी मेहनत  से उन्होंने दोबारा मुकाम हासिल किया था. निस्संदेह अभिनेत्रियां भी फिल्मों को सफलता की ऊंचाईयों तक पहुंचा सकती हैं. यह विद्या ने ही किया था.वे उस वक्त गेम चेंजर बनीं और बॉलीवुड में एक दौर बदला. विद्या ने इस दौरान कई परेशानियों का भी सामना किया. वे अस्वस्थ रही हंै. लेकिन उनकी जिंदगी में उन्हें शादी से खुशी मिली है. सो, चेहरे की चमक बरकरार है. खबर है कि इरफान और विद्या विकास बहल की अगली फिल्म में साथ होंगे. अगर यह खबर सही होती है तो निश्चिततौर पर यह फिल्म अनोखी होगी. चूंकि दोनों ही कलाकार अपने अपने क्षेत्र में मंझे कलाकार हैं और दोनों ने अपने दम पर अपनी फिल्मों से साबित किया है कि वे क्या हैं. सो, इस फिल्म का बेसब्री से इंतजार रहेगा. खुद विद्या भी फिल्में लिख रही हैं. लेकिन उन्होंने कहा है कि अभी उनकी फिल्म पूरी नहीं हुई है. इससे यह तो स्पष्ट है कि दुखी और निराश होने की बजाय विद्या ने इस दौरान मेहनत की है. उनके चेहरे पर अब भी सकारात्मक ऊर्जा वाली ही चमक नजर आती है. वे अब भी ऊर्जा से भरपूर हैं, क्योंकि वे जानती हैं कि उनके काबिलियत है और उन्हें अगर वैसी कहानियां मिलीं तो उन्हें वापसी करने में देर नहीं लगेगी. यह अच्छा है कि विद्या अपनी सफलता के बाद अपने कंफर्ट जोन में नहीं गयीं. उन्होंने कोशिशें की हैं.प्रयोग किये हैं. कलाकार के रूप में उन्हें दोबारा साबित करने की जरूरत नहीं.

सुपरस्टार्स व प्राथमिकताएं


दीपिका पादुकोण और ऋतिक रोशन जल्द ही आदित्य चोपड़ा अभिनीत फिल्म का हिस्सा होंगे. वे दोनों फिल्म में अहम किरदार निभाते नजर आयेंगे. दीपिका ने अपने शुरुआती कई इंटरव्यूज में यह बात दोहरायी है कि वे ऋतिक रोशन के साथ काम करना चाहती हैं. लेकिन अब वह दौर बदल गया है. जब दीपिका ये बातें किया करती थीं. उस वक्त वे लगातार सुपरहिट हो रही फिल्मों का हिस्सा नहीं थीं. वे स्टार थीं.लेकिन सुपरस्टार नहीं. जाहिर है, अभिनेत्रियों में दीपिका ने जो स्थान हासिल कर लिया है. वह ऋतिक रोशन की अभिनेताओं की श्रेणी से कम भी नहीं है. सो, मुकाबला बराबरी का होगा. ऋतिक ने इससे पहले दीपिका के साथ कोई फिल्म नहीं की थी. जबकि उन्हें कुछ फिल्में आॅफर भी हुई थीं. यह भी मुमकिन है कि अब शायद दीपिका  से वही सवाल पूछे जाते जिनके जवाब में वह ऋतिक का नाम लिया करती थीं. शायद अब वह यह जवाब दे भी न. चूंकि वक्त के साथ और हैसियत के साथ आपकी प्राथमिकताएं, जिज्ञासा, और आपकी सोच सबकुछ बदल जाती है. आपकी पसंद बदल जाती है. इन दिनों कंगना रनौत भी इस बात को लेकर अति गंभीर हैं कि उनकी डिब्बे में पड़ी फिल्म आइ लव न्यूयॉर्क को फिल्म के निर्माता ने रिलीज करने का निर्णय लिया है. हो सकता है कि जिस दौर में कंगना ने यह फिल्म की थी. या जिस दौर में वह फिल्म रिलीज होती. कंगना को उस फिल्म की रिलीज का इंतजार रहा होगा. लेकिन आज वह सुपरसितारा हैसियत हासिल कर चुकी हैं और अब निश्चित तौर पर उनकी इच्छाएं बदल चुकी हैं. वह चाहती होंगी कि फिल्म रिलीज न हो. ताकि उनके करियर पर ग्रहण न लगे. दीपिका इस बात से बेहद खुश भी हों. लेकिन वह जगजाहिर नहीं करेंगी. चूंकि वह करीना की तरह स्पष्ट बातें नहीं करतीं और न ही वह अपना इच्छा ही जाहिर करेंगी.

जानवरों की जुबां


जोया अख्तर ने अपनी फिल्म दिल धड़कने दो में एक कुत्ते को प्लूटो के रूप में एक अहम किरदार को दर्शकों के सामने रखा. वह फिल्म में सूत्रधार था. हम कहानी प्लूटो के माध्यम से ही सुन रहे होते हैं. जोया ने इस अंदाज में जिंदगी की फिलॉसफी को सामान्य तरीके से दर्शकों तक पहुंचाया है. संगीत समीक्षक पवन झा के फेसबुक वॉल से जानकारी मिली कि 55 साल पहले राज कपूर की एक फिल्म, जिसका नाम रिपोर्टर था. फिल्म का निर्देशन मणिभाई व्यास ने किया था. लेकिन फिल्म रिलीज नहीं हो पायी थी. उस फिल्म में राज कपूर के साथ एक कुत्ता अहम किरदार में था और वह यों ही बातें करता था. यों भी रिपोर्टर को वांचिंग डॉग की संज्ञा दी जाती है. ऐसे में निश्चित तौर पर मणि व्यास ने अपनी कहानी में व्यंग्यात्मक तरीके से अपनी बात रखी होगी और कुत्ते की अहम भूमिका रही होगी. पवन झा बताते हैं कि इस फिल्म में कुत्ता बातचीत करता है और महिला कुत्तियां राज कपूर की पत् नी होने का दावा करती है. उस कुत्तियां का कहना है कि पुर्नजन्म में वह राज कपूर की पत् नी थी. लेकिन अफसोस फिल्म पूरी नहीं हो पायी और दर्शकों तक नहीं पहुंच पायी. लेकिन कल्पना कीजिए अगर वाकई राज कपूर की उस फिल्म के तर्ज पर जानवरों को जुबां मिल जाये तो वह इंसानों के कितने भांडे फोड़ दें. वे कितनी हकीकत बयां कर दें. कितने घरों में उस सच्चाई से फूट पड़ जाये. कितने हुक्ममरान सड़क पर आ जायें. दरअसल, जानवर इंसानों के प्रिय तभी तक हैं, जब उनके पास भी जुबां नहीं. वरना, अन्य दुश्मनों की तरह वे जानवरों से भी नफरत ही करते. इन दिनों विनोद कापड़ी की फिल्म मिस तुनकपुर हाजिर हो कि काफी चर्चा है. यहां भैंस से एक लड़के का व्याह रचाया जा रहा है. उम्मीदन विनोद इस सोच को दर्शकों के सामने प्रस्तुत करने में कामयाब होंगे.

मिलती बिछुड़ती जोड़ियां


आज जोया अख्तर की फिल्म दिल धड़कने दो रिलीज हो रही है. फिल्म लेडीज वर्सेज रिकी बहल के बाद अनुष्का व रणवीर सिंह की यह साथ में तीसरी फिल्म है. रणवीर ने फिल्म बैंड बाजा बारात से पहली शुरुआत की थी. उस वक्त अनुष्का सिर्फ एक फिल्म पुरानी थीं और उस दौर में अनुष्का और रणवीर के प्रेम प्रसंग के किस्से बहुत चर्चित हुए थे.दरअसल दोनों के अंतरंग रिश्ते भी रहे. लेकिन फिर दोनों में दूरियां आ गयीं और रणवीर सिंह को पूरी उम्मीद थी कि अनुष्का इस फिल्म को हां नहीं कहेंगी. उन्होंने जोया से कह भी दिया था कि अनुष्का रणवीर के साथ काम नहीं करेंगी. लेकिन अनुष्का ने हां कह दिया और अब जबकि फिल्म आज रिलीज हो रही है. निश्चित तौर पर इस जोड़ी की सबसे अधिक चर्चा होगी. चूंकि दोनों की केमेस्ट्री बेहतरीन है. बैंड बाजा बारात में दर्शकों को जो श्रूति और बिट्टू नजर आये थे. दर्शक उन्हें आज भी साथ देखना पसंद करते हैं और शायद यही बात अनुष्का को भी समझ आयी होगी. हिंदी सिनेमा में कुछ जोड़ियां हैं जो किरदारों के नाम से याद की जाती हैं. उनमें बिट्टू श्रूति एक थे. यही कारण है कि उन्हें जब जोया की इस फिल्म के एक गाने की कोरियोग्राफी के लिए कहा गया तो दोनों ने बेहतरीन प्रदर्शन दिया. दरअसल, जब दूरियां बढ़ती हैं और फिर दो कलाकार साथ आते हैं. वे उस िफल्म के बहाने, उस किरदार के बहाने कोशिश करते हैं कि न सिर्फ अपना सर्वश्रेष्ठ दें, बल्कि एक दूसरे के बीच की गलतफहमियों को भी ईशारों ईशारों में ही सुलझा दें. शायद यही वजह है कि दीपिका और रणबीर कपूर ने साथ साथ ये जवानी है दीवानी में बेहतरीन अभिनय किया. दर्शकों को बिछुड़ने के बाद प्रेमी प्रेमिका का मिलाप देखना पसंद है. हो सकता है कि शाहिद कपूर व करीना की फिल्म उड़ता पंजाब में भी दर्शक इस पहलू को तलाशें. 

निमंत्रण व फिल्मी पार्टियां


एक सुपरस्टार इस बात से बेहद नाराज थे कि उन्हें फिल्म की सक्सेस पार्टी में फिल्म की नायिका द्वारा रखी गयी पार्टी में निमंत्रण नहीं मिला. उन्होंने एक अखबार को इंटरव्यू में इस बात की नाराजगी जतायी. फिल्म पिता और पुत्री के रिश्ते पर आधारित फिल्म है और दोनों ने फिल्म के दौरान एक दूसरे के बारे में काफी बातें की थीं. यह पहली बार नहीं है, जब निमंत्रण न मिले जाने पर कलाकार नाराज हुए हैं. इससे पहले भी जब अमिताभ ने अभिषेक की शादी में शत्रुघ्न सिन्हा को निमंत्रण नहीं भेजा था. उन्होंने मिठाई लौटवा दी थी. अमिताभ बच्चन ने शादी में वाकई कई लोगों को नहीं बुलाया था. उनसे उस वक्त काफी लोग नाराज हुए थे. दरअसल, किसी दौर में निमंत्रण की बात इस बात पर थी कि आपसे उनके घरेलू संबंध कैसे हैं. राज कपूर तो जो भी जलसे किया करते थे. वहां बिना बुलाये मेहमानों का भी जम कर स्वागत होता था. यही वजह है कि उस दौर के लोग अन्य क्षेत्र के लोगों से भी रिश्ते कायम कर पाते थे. लेकिन आज दौर इंनवाइट ओनली का हाथ में कार्ड लेकर जाने का दौर है. और शायद यही वजह है कि अब रिश्ते फिल्मों से बाहर नहीं आ पा रहे. रिश्ते प्रोफेशनल हो चुके हैं. हालांकि आनंद एल राय जिनकी फिल्म तनु वेड्स मनु ने धमाल मचाया है. उनका मानना है कि उनके फिल्मों के कलाकार से उनके रिश्ते फिल्मों के इतर भी हैं और उन्हें इस बात का अफसोस है कि अब फिल्मी दुनिया में वह पारिवारिक माहौल नहीं रहा. अब लोग केवल प्रोफेशनल सोच को ध्यान में रख कर पार्टियों में बुलाते हैं या जाते हैं. किसी दौर में आनंद बक् शी को जब किसी इनकम टैक्स आॅफिस ने गाने के लिए मजबूर किया था. तो उन्होंने कहा था कि आपके जैसे हजार होंगे आनंद बक् शी तो एक ही है न...अब ऐसी कहानियां किसी फिल्मी पार्टी से बाहर नहीं आतीं. चूंकि सबकुछ योजनाबद्ध ही होता है.

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उन्हें शादी से नहीं, बल्कि शादी से जुड़े सवालों से परहेज है. अरे तुम अब चालीस की होने जा रही है. अब तक शादी नहीं की...ऐसी बातें सुन कर उनका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंचता है. वे उन लोगों से बिंदास बातें करना पसंद करती हैं, जो उनके काम की बातें करें. जो उनके काम की समीक्षा करें न कि उनकी उम्र की और न ही उन्हें नसीहतें दें कि लड़कियों को तो अब तक मां तक बन जाना चाहिए. ऐसे लोगों को उनका जवाब यही होता है कि बालाजी टेलीफिल्म्स उनका बच्चा है और वहां काम कर रहे प्रत्येक व्यक्ति की वह मां हैं...हां, उनकी बातों में हकीकत भी तो है. वह वाकई कई लोगों की अन्नपूर्णा मां तो हैं ही. आखिर बालाजी टेलीफिल्म्स कई लोगों को रोजी रोटी दे रहा. कई लोगों को नयी ऊंचाईयां छूने के मौके दे रहा है. बात हो रही है एकता कपूर की...जो दिल से तो अभी भी बच्ची हैं...लेकिन उन्होंने अपनी सृजनशीलता से लोगों को चौंकाया है. वह टेलीविजन इंडस्ट्री के सबसे बड़े प्रोडक् शन हाउस की जननी हैं. पिछले 20 से 25 सालों में उन्होंने जो मुकाम हासिल किया है. वह सिर्फ और सिर्फ उनकी मेहनत का ही नतीजा है. जी हां, उनकी मेहनत ही. यहां मेहनत को रेखांकित करना इसलिए आवश्यक है, चूंकि एकता कपूर के बारे में आम लोगों में जो अवधारणा बनी हुई है कि वे तो जीतेंद्र की पुत्री रही हैं. तो उनके लिए सफर बहुत आसान होगा. हां, यह हकीकत है कि वे बच्चे जो फिल्म इंडस्ट्री का ही हिस्सा हैं और किसी बड़े स्टार के बेटे या बेटी हैं. वे जब इस इंडस्ट्री में कदम रखते हैं तो उनके साथ लोगों की ऐसी गलतफहमियां जुड़ जाती हैं कि उनके लिए तो फूलों की सेज है. यह हकीकत भी है कि कई बच्चे अपने पिता या मां के स्टारडम से बाहर निकल कर अपनी पहचान नहीं बना पाते. लेकिन वह एकता कपूर ही हैं, जिन्हें आज लोग जीतेंद्र की बेटी के रूप में नहीं, बल्कि जीतेंद्र को एकता के पिता के रूप में जानते हैं और एक पिता के लिए इससे गर्व की बात और क्या होगी. कुछ दिनों पहले मैंने अपने फेसबुक स्टेटस पर एक टीवी धारावाहिक व पीआर की सस्ती लोकप्रियता की बात की तो कई लोगों ने मुझसे यही कहा कि मैं जरूर एकता कपूर के किसी धारावाहिक की बात कर रही होंगी. मुझे लोगों की इस सोच से यह बात समझ आयी कि लोग एकता को लेकर कितनी सारी गलतफहमियां पाले बैठे हैं. मैंने उन लोगों को जवाब दिया कि दरअसल, एकता ने कभी भी अपने धारावाहिकों की लोकप्रियता के लिए किसी चोंचलेबाजी या किसी तरह की सस्ती लोकप्रियता का इस्तेमाल कभी नहीं किया है. इसकी बड़ी वजह यह भी है कि एकता कपूर की फिल्में जिस स्तर की भी हों. टेलीविजन में वे मूल्यों को लेकर चलती हैं. हां, ये बातें वही करेंगे  जिन्होंने एकता को कभी काम करते नहीं देखा. उनकी मेहनत नहीं देखी. हां, यह हकीकत है कि वे 40 वर्ष की हो गयी हैं और उन्होंने शादी नहीं की है. लेकिन यह उनकी सफलता, उनके हुनर  का मापदंड कतई नहीं है और साथ ही वह एक तरह से उन लड़कियों की रोल मॉडल हैं, जिनके लिए सफल और सुशील लड़की की जिंदगी केवल शादी करने लेने मात्र पर नहीं टिकी है. एकता को लेकर लोगों की नकारात्मक छवि इस वजह से भी बनी हुई है क्योंकि एकता अपने कामों को लेकर सख्त  हैं और उन पर उंगली उठानेवालों पर भी वह दो टूक बातें करती हैं. लेकिन हकीकत तो यह है कि वे यारों की यार हैं. जो उनके दोस्त हैं आप उनसे एकता की दरियादिली पूछें और फिर इस बात का आंकलन करें. महीने के हर पहली तारीख को कभी अंधेरी स्थित बालाजी टेलीफिल्म्स के आॅफिस जायें और गौर करें कि वहां लंबी तादाद में भीड़ क्यों है...वहां आपको कुछ बुजुर्ग लोग मिल जायेंगे. और जब आप यह जानना चाहेंगे कि वे वहां क्या कर रहे तो वे आपको बतायेंगे कि उनके बच्चों ने उन्हें घर से निकाल दिया है और उनके पास गुजारा करने के लिए कुछ भी नहीं और एकता उन्हें महीने के हर आखिरी दिन या महीने के शुरुआत में कुछ पैसे देती हैं ताकि उनका गुजारा हो सके और पिछले कई सालों से वह यह नेक काम कर रही हैं.  लेकिन जिस तरह वे अपने काम का ढिंढोरा पीटती हैं. चाहतीं तो इस नेक काम भी ढिंढोरा पिट सकती थीं. लेकिन वे ऐसा नहीं करतीं. हां, एकता आध्यात्मिक हैं. वे अगर हाथों में कई ज्योतिष विद्या वाले पत्थर पहनती हैं तो सिर्फ ऐसा नहीं कि वे उन अंगूठियों वाली ही पूजारी हैं. किसी जरूरतमंद की सेवा करना भी तो एक धर्म है. वे इस बहाने ही सही अपना धर्म तो निभा रही हैं. एकता की जिंदगी में बुजुर्गों की अहमियत बहुत है. कम ही लोग जानते होंगे कि वह अपने धारावाहिकों में बुजुर्ग किरदारों को जरूर अहम स्थान देती हैं. इसकी वजह क्या है. सोनी टीवी पर प्रसारित हो रहे धारावाहिक इतना करो न मुझे प्यार में नानी सब पर अपार प्यार बरसाती है. वह केवल एकता के लिए उस शो के किरदार नहीं हैं, बल्कि उनके लिए उस शो पर एक बुजुर्ग के आशीर्वाद का हाथ है. शायद बड़े बुजुर्गों का ही उन्हें प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष प्यार मिलता रहता है, जिनकी वजह से उनके शो क्योंकि सास भी कभी बहू थी कि बा पूरे भारत की बा बनीं और जब सुधा शिवपुरी ने जीवन छोड़ा तब भी बा का नाम अमर हुआ. यह एकता कपूर के किरदार और उनके सोच की जीत है. वे इन बातों का खास ख्याल रखती है कि उनके शोज में बड़े बुजुर्गों वाले किरदार अवश्य हों ताकि उनके आशीर्वाद से शो फलता फुलता रहे.
एकता मालकिन हैं. उन्हें किसी से इजाजत लेने की जरूरत नहीं. वे अपनी मनमर्जी चला सकती हैं. जहां चाहें जब चाहें छुट्टियां मना सकती हैं. लेकिन एक कीर्तिमान स्थापित करने के बावजूद एकता अब भी रुकती या थमती नहीं हैं. उन्हें लंबे लंबे ब्रेक्स लेना, छुट्टियों पर जाना पसंद नहीं हैं. वे साल भर में सात से आठ दिनों की छुट्टियों पर जाती होंगी. वे मुंबई में रहें और आॅफिस न जायें यह हो नहीं सकता. पहले तो वे रविवार को भी छुट्टी नहीं लेती थीं. लेकिन इन दिनों विराम लेती हैं. और अगर बहुत जरूरी हो तो वे रविवार को भी आॅफिस का चक्कर लगा सकती हैं. एकता को जो करीब से काम करते हुए देखेंगे उनके प्रशंसक बन जायेंगे. वे जिस शिद्दत से अपने धारावाहिकों के हर एपिसोड को लेकर गंभीरता से सोचती हैं. उस पर क्रियेटिव इनपुट्स देती हैं और लोगों से लेती हैं. वह कोई वही व्यक्ति करेगा जिसे सिर्फ मैनेजेरियल भूख नहीं बल्कि क्रियेटिव भूख हो. वे वर्कोहोलिक हैं और उन्होंने काम से ही शादी कर लिया है. और वे इस बात से खुश भी हैं. दौलत शोहरत हासिल करने के बाद अब अगला कदम क्या. यह पूछने पर एकता का जवाब साफतौर पर होता है. मैं काम के बिना जिंदा नहीं रह सकती. एकता को दूर से देखनेवाले लोग उन्हें आग का गोला मानेंगे. लेकिन साथ काम करनेवाले एकता की दरियादिली के कायल हैं. दरअसल, यह संभव है कि एकता ने स्वयं के लिए एक ऐसा कवच बना रखा है. ताकि कोई उन्हें हराने या छूने की जुररत न करे.
एकता या तो काम करती हैं या फिर अपने दोस्त व परिवार के साथ वक्त बिताती हैं. वे अपनी जिंदगी में अपने परिवार और अपने दोस्तों को बहुत अहमियत देती हैं. वे दिल की अमीर हैं. जो एकता की दोस्ती की फेहरिस्त में शामिल हो गये. एकता उनके लिए कुछ भी कर सकती हैं. उन्होंने अपने कई ऐसे दोस्त कलाकारों के करियर को संवारा है, जो अपने करियर में पिछड़ चुके थे या विराम लगा चुके थे. एकता अपने वैसे कलाकार दोस्तों को फिर से प्रोत्साहित करने में उस्ताद हैं. ऐसा नहीं है कि वे इस बात से वाकिफ नहीं कि लोग उनसे दोस्ती क्यों करना चाहते हैं. लेकिन वे इतनी समझदार हैं कि दोस्त पहचानने में भी वह कोई गलती नहीं करतीं. शायद यही वजह है कि उनके दोस्त उनके कायल हैं. एकता अपने कई दोस्तों के लिए अपने धारावाहिक में किरदार जोड़ती हैं, ट्रैक जोड़ती हैं. एकता बालाजी में विश्वास इसलिए नहीं करतीं कि बालाजी उनके परिवार के कुल देवता हैं, बल्कि वे बचपन से अपने माता पिता के साथ वहां जाती रही हैं और उन्हें लगता है कि बालाजी से उनका राबतां हैं और यही वजह है कि वह बालाजी पर अटूट विश्वास करती हैं. आप कभी अगर उनके अंधेरी स्थित आॅफिस में जायें तो आप ऐसा महसूस करेंगे  िक आप किसी तीर्थ स्थल पर हैं. मुख्यद्वार पर ही पहले बालाजी के दर्शन होंगे, तो आगे चलते हुए ेमां अंबे के और गणपति बप्पा के. एकता बचपन से ही माता पिता को पूजा पाठ करते हुए देखती आयी हैं और माता पिता से उन्होंने यही गुण लिये हैं. लेकिन आध्यात्मिक होने का मतलब यह कतई नहीं है कि वे दिन भर भजन कीर्तन में लगी रहती हैं. वे पूजा के साथ साथ अपने कर्म पर भी पूरा ध्यान देती हैं. परिवार को जब भी जरूरत हो. वे अपने परिवार के साथ होती हैं.  मां की तबियत अगर खराब हो जाये तो एकता पूरे दिन उनके साथ होती हैं. यह मां से उनके लगाव का ही नतीजा है कि वे अपने प्रत्येक शोज में खुद से पहले औपचारिकता के लिए ही सही लेकिन शोभा कपूर का नाम शामिल करती हैं. चूंकि उनके लिए यह उनकी मां का उनके लिए आशीर्वाद है. जिस इंडस्ट्री में लोग सिर्फ अपना नाम स्थापित करने व ब्रांड बनने बनाने के लिए उत्सुक रहते हैं. एकता परिवार, दोस्त और अपने साथ काम कर रहे लोगों को साथ लेकर आगे बढ़ती हैं. शायद उनकी सफलता का यही कारण है कि वे उन प्रतिभाओं को जरूर मौके देती हैं, जो मेहनती हैं और एकता को वाकई यह बात समझ आ जाये कि इस बंदे में दम है...तो वे उन्हें फौरन मौके देती हैं. वरना, आप कितने भी चक्कर लगा लें. किसी की भी पैरवी हो. एकता के कानों पर जू तक नहीं रेंगते. एकता दिखावे में या मीडिया पब्लिसिटी में भी विश्वास नहीं रखतीं. हां, बात जब फिल्मों की आती है तो वे ढिंढोरा पिट कर यह स्वीकारने से भी पीछे नहीं हटतीं कि रागिनी एमएमएस जैसी बोल्ड फिल्म की निर्माता वे हैं. फिल्मों को लेकर उनकी सोच बिल्कुल अलग है और वे इसे अपने टेलीविजन शोज से बिल्कुल तूलना न करती हैं न ही करना चाहती हैं. वे इस सोच को लेकर स्पष्ट हैं कि फिल्मों में वे बोल्ड रहेंगी लेकिन टीवी के धारावाहिक उनके लिए हमेशा नैतिक मूल्यों व पारिवारिक मूल्य अहम होंगे. एकता के व्यक्तित्व की यह भी खास बात है कि वे कभी उन लोगों को व उनके एहसानों को नहीं भूलतीं जिन्होंने बुरे दौर में उनका साथ दिया है. उनमें से एक नाम राम कपूर का है. एकता यह कहने में नहीं हिचकिचाती कि राम कपूर के पिता ने बालाजी को स्थापित करने व संचालन में एकता कपूर की काफी मदद की थी. इस वजह से वे राम कपूर की बेहद इज्जत करती हैं .
एकता फिटनेस को बहुत तवज्जो देती हैं. वे स्पष्ट कहती हैं कि आप शरीर से फिट हैं, तभी आप दिमाग से भी फिट हैं और बेहतर सोच सकते. सो, वे अपने साथ काम कर रहे लोगों को भी फिटनेस के लिए जागरूक करती रहती हैं. काम के साथ साथ वे अपने वर्कआउट से कभी आंख मिचौली नहीं करतीं. वे इस बात का पूरा ख्याल रखती हैं कि वे क्या खा रही हैं क्या नहीं. वक्त निकाल कर वे आॅफिस की जिम में वर्कआउट करना उनकी जीवनशैली का हिस्सा हैं. दरअसल, एकता कपूर के जिंदगी के कई तार उनके शोज व फिल्मों की तरह ही कुछ कुछ खट्टे तो कुछ मीठे तो कुछ तीखे हैं. उन्होंने भले ही उम्र के इस पड़ाव में 40वां बसंत पार किया हो. लेकिन वास्तविक जिंदगी में उनके लिए पड़ाव जैसा कोई शब्द नहीं, वे लगातार छलांगे लगा रही हैं और उड़ाने भर रही हैं और अपने साथ साथ कई अन्य प्रतिभाओं को भी छलांग लगवा रही हैं. लोग तुलसी को घर के आंगन में ही लगाना पसंद करते थे. ेलकिन वह एकता ही थीं जिन्होंने स्मृति ईरानी को आंगन से निकाल कर घर घर की तुलसी बना दिया. साक्षी तंवर जब पार्वती भाभी बनी तो हर परिवार पार्वती सी बहू की तलाश करने लगा तो जब वही साक्षी प्रिया बनी तो पति प्रिया सी पत् नी की तलाश करने लगे. ये हैं मोहब्बते के माध्यम से मां की अनोखी परिभाषा ईशी मां को घर घर की मां बनाने का श्रेय भी तो इसी मां यानी एकता को ही जाता है. अब परिधि परिधि नहीं जोधा बन चुकी हैं. जोधा अकबर की अमर प्रेम कहानी दर्शकों के दिलों तक इसी माध्यम से पहुंची. दरअसल, एकता उन तमाम लोगों के मुंह पर तमाचा गढ़ती हैं, जब जब लोग उन्हें किसी रूप में चैलेंज करते हैं. लोगों ने जब उनके स्टाइल स्टेटमेंट और बेतरतीब तरीके से कपड़े पहनने पर आंखें तरेरी तो एकता ने इसका जवाब अपनी एक फैशन लाइन लांच करके दे दिया. हाल ही में उन्होंने एके नाम से फैशन लाइन लांच किया, जिसके तहत उन्होंने अपना सिग्नेचर ब्रांड भी दर्शकों की पॉकेट तक पहुंचा दिया है. एकता ने यहां भी इन बातों का ख्याल रखा है कि उनके खरीददार वही होंगे जो उनके धारावाहिकों के मुरीद हैं, सो, उन्होंने मध्यम वर्गीय परिवार की औरतों की उन ख्वाहिशों को पूरा किया है जो ईशिता या जोधा सी दिखना चाहती हैं, और अपने बजट में ही खरीदारी कर सकती हैं.
स्पष्ट है कि 40 के पार भी वे अभी कुछ न कुछ नया कारामात दिखा कर लोगों को चौंकाती रहेंगी और लोग चौंकते रहेंगे. क्योंकि एकता को बढ़ना पसंद है. चुनौतियों को गले लगाना और फिर उन्हें ठेंगे दिखा कर उन पर राज करना पसंद हैं. आखिर वह यों ही क्वीन आॅफ टीवी नहीं हैं...

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एकता, आप 40वें बसंत में प्रवेश कर चुकी हैं और आज आप एक कामयाब महिला हैं. आप एक ब्रांड हैं. इस मुकाम पर पहुंच कर खुद को किस तरह देखती हैं?

मैं उम्र को बिल्कुल पड़ाव नहीं मानती. और मुझे नहीं लगता कि मैंने बहुत कुछ हासिल कर लिया है. मुझे लगता है कि अभी भी मुझे बहुत कुछ करना है और मैं काम करती रहना चाहती हूं. मुझे याद है कि मैंने और मेरी मां शोभा कपूर ने एक गैरेज से इस कंपनी की शुरुआत की थी. हम दोनों में से किसी के भी पास एमबीए की ड्रिगी नहीं थी. और न ही हम किसी बिजनेस बैकग्राउंड से थे. मेरी मां ने इसकी शुरुआत की थी. वह इसलिए इतने अच्छे से एक प्रोडक् शन हाउस चला पायी क्योंकि वह एक अच्छी हाउस व्हाइफ थी और उन्हें पता था कि कोई भी प्रोडक् शन फिर चाहे वह घर हो या बाहर कैसे चलता है.  हम शुरुआती दौर में कम से कम लागत में एपिसोड बनाया करते थे. यह मेरी मां ही थी जो यह कर सकती थी कि कम लागत में अच्छा और स्वादिष्ट भोजन कैसे पकाया जा सकता है. इसके लिए हम दोनों जिस तरह की प्लानिंग करते थे. वह बहुत मायने रखती थी और मुझे लगता है कि मैं आज भी इसी वजह से प्लानिंग को बहुत तवज्जो देती हूं चूंकि प्लानिंग से आप फिजूल के खर्चे बचा सकते हैं और अपना बेस्ट आउटपुट दे सकते हैं. शुरुआती दौर में मुझे यह बात भी मालूम थी कि अगर मुझे कंपनी चलानी है और वह भी प्रोडक् शन की तो मुझे क्रियेटिव माइंड के साथ साथ बिजनेस के पहलुओं पर भी ध्यान देना होगा. सो, मैंने उन पहलुओं के साथ साथ इस बात का पूरा ध्यान रखा था कि पैसे पानी की तरह न बह जायें. हां, उस दौर में इस वजह से कई परेशानियां भी आयीं. लेकिन शुरुआत में जिस तरह हर किसी को कुछ भी सेटअप करने में टाइम लगता है. मुझे भी लगा. एक दौर ऐसा भी आया था. जब लगता था हाथ में चीजें नहीं हैं. लेकिन धीरे धीरे तौर तरीका सीखा. हां मगर मैंने जो भी किया काम करते हुए सीखा. कोई प्रोफेशनल डिग्री भी शायद मुझसे यह सब नहीं करा पाती.
एक दौर ऐसा भी आया जब मेरे पास ज्यादा धारावाहिक नहीं थे. केवल पांच शोज ही थे और उसके आधार पर ही कंपनी चलानी थी. धीरे धीरे मुझे यह महसूस हुआ कि मुझे कंपनी के लिए एक सीइओ की जरूरत है, जो मैनेजेरियल और बिजनेस पहलू देखें ताकि मैं क्रियेटिविटी पर अधिक ध्यान दे पाऊं.  फिर जब बिजनेस को समझा. कंपनी के फ्यूचर के बारे में सोचा तो समझ आया कि सिर्फ टेलीविजन से नहीं मुझे और भी दायरा बढ़ाना होगा और इस तरह फिल्मों में शुरुआत की. आज पीछे मुड़ कर देखती हूं तो तसल्ली ही होती है कि मैंने अपनी मेहनत और लगन से इस कंपनी को खड़ा किया और आज यह ब्रांड है तो सभी के मेहनत की वजह से. मैंने 1994 में शुरुआत की थी और लगभग छह साल हमने जम कर मेहनत की है. मैं मानती  हंू कि 2000 से मेरे अच्छे दिन आने शुरू हुए थे. फिर बालाजी की कृपा से हमने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा.
क्या आप हमेशा से कंपनी का ही निर्माण करना चाहती थीं?
दरअसल मैं बचपन से कोई फोकस्ड चाइल्ड नहीं थी. हां, मुझे टीवी देखना बहुत पसंद था. एक दिन अचानक पापा ने आकर मुझे कहा कि प्रोडक् शन का काम शुरू कर रहे और मुझे उसमें काम करना होगा.  मेरे पापा चाहते थे कि मैं काम को गंभीरता से लेना शुरू करूं. और फिर हमने मेहनत की और हम पांच नामक शो की शुरुआत हुई. वह मेरे पापा ही थे. जिन्होंने मुझे समझदार बनाया. मेरे पापा हमेशा मुझसे कहते हैं आज भी और उस वक्त भी कहते थे कि वह नहीं चाहते कि उनके बच्चे उनके नाम से जाने जायें और सिर्फ उनके कमाये पैसे पर ऐश करें. वे चाहते थे कि उनके बच्चे अपने पैरों पर खड़े हों और इसलिए उन्होंने मुझे काम करने के लिए प्रेरित किया. और मैं चाहंूगी कि मेरी आगे की जेनेरेशन पापा की यह बात समझे और अमल करे.
आप अपने धारावाहिक से संयुक्त परिवार या परिवार को बहुत महत्व देती हैं क्या वास्तविक जिंदगी में भी आपके लिए परिवार मायने रखता है. हालांकि आपके बारे में लोगों की अवधारणा यही हैं कि आप परिवार में विश्वास नहीं रखती होंगी. 
दरअसल, लोगों को इस बारे में गलतफहमी इसलिए है, क्योंकि आमतौर पर जो लड़कियां अपनी मर्जी की मालिक होती हैं. जो अपने बलबुते खड़ी होती हैं. जो एक मुकाम पर होती हैं. उनके बारे में लोग यह मान बैठते हैं कि यह तो किसी की नहीं सुनती होगी. यह तो अपनी चलाती  होगी. बिगड़ी लड़की है. यह परिवार के बारे में क्या जानती होगी. लेकिन हकीकत यह है कि मैं परिवार में बहुत भरोसा करती हूं. हो सकता है कि परिवार वालों के साथ मेरे एक्सप्रेशन अलग तरीके के हों. यह भी हो सकता है कि परिवार के प्रति मैं अलग तरीके से प्यार जताती हूं. मेरा प्यार जताने का तरीका अलग हो. सोच अलग हो सकते ह ैं लेकिन मैं परिवार से अलग नहीं हो सकती हूं. मैं दिल से बहुत पारंपरिक लड़की हूं. पारिवारिक मूल्यों को महत्व देती हूं. मैं आध्यात्मिक हूं. अपने माता पिता की कद्र करती हूं. अपने भाई से बेहद प्यार करती हूं. मैं कभी संयुक्त परिवार में नहीं रही हूं लेकिन अपने शोज से दर्शकों को संयुक्त परिवार की अच्छी बातें दिखा कर उन्हें कनविंस करती हूं कि संयुक्त परिवार बहुत अच्छा होता है. यही मेरा मेरे दर्शकों से रिश्ता है कि मैं भले ही रियल लाइफ में संयुक्त परिवार का हिस्सा नहीं. लेकिन मैं मानती हूं और दर्शाती हूं कि संयुक्त परिवार क्यों अच्छा है.
आपके व्यक्तित्व व स्वभाव को लेकर आम लोगों में बहुत उत्सुकता है. चूंकि वे आपको आपके धारावाहिकों के माध्यम से ही जानते हैं.अगर हम यह पूछें कि एकता कपूर रियल जिंदगी में कैसी हैं तो आप कहेंगी?
ेसच कहूं तो मैं अपनी सोच में बोहमियन हूं और एक् शन में कर्जवेटिव हूं. कई लोग मुझसे यह सवाल पूछते हैं कि मैंने हाथों में इतनी अंगूठियां क्यों पहनी है. मैं इसे सुपरटिशन नहीं मानती. मैं इन चीजों में विश्वास करती हूं. मैंने इन चीजों पर यों ही विश्वास नंहीं किया है. काफी रिसर्च किया है और इसके बाद ही विश्वास किया है. मुझे लगता है कि इन चीजों का आपकी माइंडसेट पर असर होता है. हमारा शरीर अलग अलग एलिमेंट्स से बना हुइा है और कुछ स्टोन्स हैं जो आपको उन एलिमेंट्स के साथ फ्लो में जाने देते हैं. लेकिन मुझे दुख तब होता है. जब लोग सीधे तौर पर मुझे अंधविश्वासी मान लेते हैं. मैं आध्यात्मिक हूं अंधविश्वासी नहीं हूं. मेरे आध्यात्मिक सोच अलग तरह की है और वह मैं लोगों को समझा नहीं सकती हूं. और इसमें दिलचस्पी नहीं लेती. मुझे किसी को कुछ प्रूव नहीं करना.
लोगों में इस बात को लेकर भी उत्सुकता रहती हैं कि एकता शादी क्यों नहीं कर रहीं?
दरअसल, मुझे शादी से कोई परहेज नहीं है. लेकिन इन सवालों से है कि मैं शादी कब करूंगी या नहीं करूंगी या किससे करूंगी. मुझे यह महसूस होता है कि लोग मेरे काम की चर्चा नहीं करते. उन्हें वह करना चाहिए. चूंकि एक लड़की है. इसलिए शादी कर लूं यह जरूरी नहीं है. मैं इस सोच पर विश्वास नहीं करती कि शादी जरूरी है इसलिए शादी करूं. जब मैं खुद महसूस करूंगी कि मैं शादी करना चाहती हूं तो मैं करूंगी. हालांकि मैं कहना चाहूंग कि मैं इमपेशेंट हूं और मेरे में धैर्य की कमी है, जो कि एक शादी में बहुत जरूरी है. अगर आप एक हैप्पी मैरेड लाइफ बिताना चाहते हैं तो शायद यह भी वजह है कि मैं शादी नहीं कर रही. जब लोग मुझसे यह सवाल पूछते हैं तो मैं उनसे यही पूछती हूं कि क्या मेरे मां या पिता हैं जो यह सवाल कर रहे. हमारे देश् में लोग शादी को लेकर बहुत ज्यादा आॅबशेसेस्ड हैं और मुझे इस बात से परेशानी हैं. मुझे यह बात समझ नहीं आती कि शादी कंपलशन क्यों समझा जाता है. मैंने तो ऐसी कई शादियां देखी हैं जहां शादी के बाद भी लोग अकेले रहते हैं. तो अगर साथ रह कर भी साथ नहीं हैं तो ऐसी शादी का क्या फायदा. सो, शादी को लेकर  हो हल्ला करने वालों से मुझे परेशानी है.
एकता क्या आप मानती हैं कि एक कामयाब महिला व कामकाजी महिला होने के बावजूद जब शादी होती है तो लड़कियों की जिंदगी बदल जाती है?
जी हां, मैं मानती हूं कि लड़कियों की ही जिंदगी बदल जाती है. एक लड़की पत् नी और मां बन कर पहली जिम्मेदारी उठाती है. मेरी मां ने भी निभाया है. लड़के तो लड़के ही रहते हैं. मेरा मानना है कि लड़कियां कभी भी जिम्मेदारियां नहीं भूलती. हालांकि मैं मानती हूं कि उन्हें बदलना नहीं चाहिए. लेकिन लड़कियां ही यह कर पाती हैं कि परिवार के सभी लोगों को खुश रख पाती हैं. उनका ख्याल रख पाती हैं. लड़कों से तो यह कभी भी नहीं होगा. मेरा मानना है कि लड़कियां अधिक जिम्मेदारियां संभालने वाली होती हैं. फिर वे शादीशुदा हो या न हो. वे परिवार लेकर चलती हैं. इसलिए मेरे धारावाहिकों की लड़कियों में उनका यह स्वभाव दर्शाना चाहती हूं और यही हकीकत भी है.लोग मुझसे हमेशा पूछते हैं कि मैं शादीशुदा नहीं हूं तो कैसे अपने धारावाहिकों में इनपुट दे पाती हूं कि अच्छी सफल शादी के क्या गुण हैं या टिप्स हैं. तो मेरा सीधा जवाब होता है. शादी के गुण व अवगुण जानने के लिए शादी करने की जरूरत नहीं है. शादी एक जिम्मेदारी है और लड़कियां जिम्मेदारियां संभालने में माहिर होती हैं. मैं अपने शोज में भी हमेशा इन बातों का ख्याल रखती हूं कि मैं वैसी लड़कियों को कास्ट करूं जो बहुत सुंदर हो यह जरूरी नहीं. हां, मगर वह हाउस व्हाइफ लगे. एक परिवार का हिस्सा लगे. ऐसा चेहरा हो जिसे देख कर लोग उनसे रिलेट कर पायें.वह लड़की जो हाउस व्हाइफ होते हुए भी निर्णय ले सके. ऐसी लड़कियों को देख कर दर्शक इंस्पायर हो पायें.
आपने हाल ही में अपना फैशन क्लोथिंग लाइन लांच किया है. किसी दौर में आपके फैशन स्टेटमेंट को लेकर काफी नकारात्मक बातें होती थीं?
हां, जब मैंने अपने कपड़ों पर ध्यान देना शुरू किया. अपनी फिटनेस को लेकर सजग हुई तो लोगों को लगने लगा कि मेरी जिंदगी में कोई आ गया है. कोई स्पेशल जिसके लिए मैं यह कर रही. मुझे इस सोच से भी परेशानी है कि अगर लड़की अपने लुक को लेकर सजग हुई तो इसका क्रेडिट भी लड़कों को दिया जाये. फिटनेस मेरे अपने स्वास्थ के लिए जरूरी था.सो, मैं अलर्ट हुई.  मैं आज भी किसी डिजाइनर को फॉलो नहीं करती. मैं वही पहनती हूं जिसे मैं कैरी कर सकूं. जहां तक बात है मेरे ब्रांड की तो मैंने आम महिलाओं की जेम को ध्यान में रखते हुए यह ब्रांड लांच किया है, जिनके मन में यह इच्छा होती है कि वे अपने शोज की रोल मॉडल्स की तरह दिखें उनके बजट में वे सारी चीजें आ सकें. आम महिला दर्शक वर्ग मेरी सबसे बड़ी पूंजी हैं.
 टेलीविजन की दुनिया में अब आप किस तरह के बदलाव महसूस करती हैं?
कई बदलाव हो चुके हंै. जिस वक्त हमने शुरुआत की थी. सास बहू का दौर था. अब दौर बदल चुका है. इसलिए वैसे विषय भी आने लगे हैं. खुद हमने अपनी सोच बदली है और मुझे समय के साथ चलना पसंद है. अब रियलिस्टिक विषय अप्रोच के साथ भी शोज आ रहे हैं और दर्शकों को पसंद भी आ रहे हैं. नये कलाकारों को मौके मिल रहे हैं. प्रतिभाओं को मौके मिल रहे हैं. बालाजी भी नये लोगों को मौके देते रहना चाहता है और देता ही है. जिस वक्त मैंने शुरुआत की थी. मैं हमेशा से महिलाओं के साथ काम करना प्रीफर करती रही हूं क्योंकि मुझे लगता है कि वे अच्छा काम ज्यादा करती हैं और मुझे लगता है कि यही वजह है कि टेलीविजन में मैंने कामयाबी हासिल की. हां, मगर जब मैं फिल्मों में आयी तो मैंने महसूस किया कि वहां ब्वॉयज क्लब ज्यादा है.
आपकी पार्टीज की भी काफ ीचर्चा होती है? इसकी कोई खास वजह?
ुमुझे लगता है कि हम बहुत बहुत ज्यादा काम करते हैं और छुट्टियां बहुत कम लेते हैं . मैं ही नहीं मेरे साथ काम करने वाले बाकी लोग भी काफी ज्यादा काम करते हैं तो यह मेरा फर्ज बनता है कि मंै उन्हें मस्ती करने का भी मौका दूं. सो, मैं जितना काम करती हूं उतनी ही पार्टियां भी करती हूं. मुझे पार्टी होस्ट करना अधिक पसंद है, इसी बहाने मैं अपने दोस्तों से मिलती रहती हूं. और इस बात को लेकर भी मैं स्पष्ट रहती हूं कि मैं चाहती हूं कि वे सारी पार्टिज मेरे घर पर हों. ऐसा नहीं है कि मैं किसी होटल में पार्टी नहीं दे सकती. लेकिन मैं चाहती हूं कि जिस तरह मेरी टीम काम करती हैं. वह परिवार का ही हिस्सा है. उन्हें जब मैं घर पर पार्टी देती हूं तो उन्हें महसूस होता है कि वह अपने घर पर हैं.
आप अपने मी टाइम में क्या करना पसंद करती हैं. मसलन जब अकेली होती हैं तो क्या करती हैं?
मुझे टीवी देखना बहुत पसंद है. खासतौर से अमेरिकन टेलीविजन के शोज देखना मेरा पसंदीदा काम है.