20130903

फ्री में भी काम करूंगी राकेश के लिए


सोनम ने यह फिल्म केवल 11 रुपये में की है. चूंकि वे राकेश ओमप्रकाश को अपना मेंटर मानती हैं और जब भी उन्हें मौका मिलेगा वे बार बार राकेश के साथ काम करना चाहेंगी. बातचीत सोनम से...

सोनम, सबसे पहले आपको बहुत बहुत बधाई. फिल्म रांझणा से आपको काफी सराहना मिली. रांझणा के तुरंत बाद भाग मिल्खा आ रही है तो कितना दबाव है आप पर. दर्शकों की उम्मीद आपसे बढ़ गयी है?
 जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया. हां, यह सच है कि अब दर्शकों की उम्मीदें बढ़ गयी हैं. खासतौर से तब जब मेरी तुरंत रिलीज हुई फिल्म ने बेहतरीन सफलता हासिल की है. लेकिन मैं यह कहना चाहूंगी कि भाग मिल्खा भाग मेरे लिए बेहद स्पेशल फिल्म है और इस फिल्म में मेरा अपीयरंस भी स्पेशल है. फिल्म मिल्खा सिंह जी पर है और फरहान मिल्खा हैं तो फिल्म में मुझ पर अधिक फोकस नहीं किया गया है. मैंने फिल्म में मिल्खा सिंह जी की प्रेमिका का किरदार निभाया है और यही मेरे लिए स्पेशल बात है कि मुझे इतने बड़ी शख्सीयत की जिंदगी का हिस्सा बनी हूं.
आपने यह फिल्म 11 रुपये में साइन की है?
जी हां, राकेश ओमप्रकाश के लिए तो मैं फ्री में कभी भी काम करूंगी. वह मेरी जिंदगी में बहुत मायने रखते हैं. उनकी वजह से ही मैं इतनी वोकल बनी. मैं पहले शर्मिली थी. कम बातचीत किया करती थी.  लेकिन दिल्ली 6 में उन्होंने मुझे बिट्टू का किरदार दिया और उस किरदार को जैसा उन्होंने गढ़ा था. वह बिंदास थी. तो उन्होंने रियल लाइफ में भी मुझे बातें करना, लोगों से मिलना, सिखाया. तो वे मेंटर हैं. और भाग मिल्खा उनके लिए काफी स्पेशल फिल्म है. इसलिए मैंने हां, कहा. दूसरी बात है. फिल्म की बजट उतनी नहीं थी. लेकिन मैं चाहती थी कि ऐसी कहानी पर फिल्म बने. तो हम सबने राकेश का साथ दिया.

मिल्खा सिंह की ंिजंदगी काफी संघर्षरत रही है और आपके पिता अनिल कपूर ने भी शून्य से शिखर तक का सफर तय किया है तो क्या फिल्म देखने के बाद कभी उन्होंने आपसे कुछ कहा अपने जिंदगी के संघर्ष के बारे में?
बहुत ही अच्छा सवाल है आपका. जी हां, मिल्खा सिंह की जिंदगी हर किसी को प्रेरित करती है और खासतौर से वे लोग जो काफी मुश्किलों से जीरो से हीरो बने. उनके लिए तो मिल्खा सिंह की जिंदगी और प्रेरित करती है. पापा ने भी चॉल से अपनी जिंदगी शुरू की थी और वह जाने माने नाम हैं. पापा फिल्म देखने के बाद रो पड़े थे और वह मोमेंट ही मेरे लिए काफी खास था. पापा ने हमें सबकुछ दिया है. हम सभी बच्चों को कभी कोई तकलीफ नहीं होने दी है. लेकिन उनका संघर्ष सुन कर हम भी इमोशनल हो जाते हैं. हमें उनके संघर्ष से सीखना चाहिए. वैसे मैं बताना चाहूंगी कि मैंने पापा की कहानी सुनने के बाद ही कभी तय किया था कि जब मैं कमाने लगूंगी तो मैं पापा  से पैसे नहीं लूंगी और यही हकीकत भी है कि मैं अब पॉकेटमनी नहीं लेती. अब खुद  के पैसों से ही सारा काम करती हूं. िफर चाहे वह शॉपिंग हो या फिर कुछ भी. मुझे फक्र है कि मेरे पापा को मुझ पर फक्र है.
आप खूबसूरत की रीमेक में काम करने जा रही हैं. हमने सुना आप रेखा से मिली थीं. उनकी क्या प्रतिक्रिया थी?
मैं रेखाजी, वहीदा आंटी, श्रीदेवी आंटी,  जया आंटी इन सभी की बहुत बड़ी फैन रही हूं. आप मेरी फिल्मों का चयन और मेरा अभिनय देखेंगे तो आप पायेंगे कि मैं इन सभी को फॉलो करती हूं तो जब मेरे पास रीमेक का आॅफर आया तो मैंने फौरन हां कह दी. फिर मैं रेखा आंटी से मिलीं तो वे भी बेहद खुश थीं. उन्होंन ेकहा कि मैं इस किरदार को अच्छे तरीके से निभा पाऊंगी. और उन्होंने मुझे कई टिप्स भी दिये. जैसे काम को गंभीरता से लेना चाहिए. लेकिन फिल्म इंडस्ट्री को ही अपनी जिंदगी नहीं बना लेना चाहिए. उन्होंने सलाह दी कि काम करो और अपने साथ हमेशा अपने अच्छे दोस्तों को रखो.
सोनम, आप हमेशा कहती आयी हैं और इंडस्ट्री का मानना भी है कि आप में पुराने दौर की अभिनेत्रियों की झलक नजर आती हैं तो कभी आपको मौका मिले तो आप पुराने दौर के कौन से किरदार निभाना चाहेंगी?
अगर मुझे कभी मौका मिले तो मैं गाइड की रोजी, सरस्वतीचंद्र में नूतन का किरदार और उमराव जान की रेखा का किरदार निभाना चाहती हूं. मुझे लगता है कि ये सारे किरदार एक दूसरे से अलग हैं और अलग अलग मायनों में यह भारतीय अभिनेत्रियों की छवि को प्रस्तुत करते हैं. इन सारे किरदार में इंटेंस हैं. गहराई है.

अभिनेत्री बनने के बाद क्या आप मानती हैं कि जिंदगी पहले की तरह ही सामान्य रह जाती है?
नहीं, मैं ऐसा नहीं मानती, बहुत मेहनत करनी पड़ती है. बहुत काम करना पड़ता है. टफ होती हैं हमारी जिंदगी भी. लोगों को ऐसा लगता है कि हम बहुत आराम की जिंदगी जीते हैं. लेकिन हमें भी कितना हार्डवर्क करना होता है. यह सिर्फ हमें ही पता होता है. मुझे नहीं लगता कि हमारी जिंदगी सामान्य रह जाती है. हमें फिल्म के अनुसार अपना लुक रखना होता है. खानपान , रहन सहन सारी चीजों पर ध्यान रखना होता है. कई कई घंटे काम करना होता हैयऔर यह सब आसान नहीं होता.

No comments:

Post a Comment