20130930

फिल्मी तिलिस्म


अमिताभ बच्चन ने हाल ही में केबीसी के एक एपिसोड में रणबीर कपूर के पूछने पर एक यादगार बात सांझा की. उन्होंने बताया कि फिल्म याराना फिल्म के गाने सारा जमाना हसीनों का दीवाना में...किस तरह उन्होंने स्टेडियम की शूटिंग में लोगों की बजाय मोमबत्तियां लगाने की राय निर्देशक को दी. ताकि ज्यादा लोगों को एकत्रित करने की जरूरत न हो. शूटिंग दिन में हुई थी. लेकिन माहौल रात का दर्शाना था. साथ ही उन्होंने बताया कि किस तरह उन्होंने अपने कॉस्टयूम को वह लुक दिया, ताकि पूरे स्टेडियम में जगमगाहट नजर आये. अमिताभ बच्चन की एक फिल्म शंहशाह के एक दृश्य में अमिताभ अदालत में कार लेकर घूस जाते हैं और अरुणा ईरानी को गवाह के रूप में पेश करते हैं. फिल्म फटा पोस्टर निकला हीरो में मुंबई पुलिस को निठ्ठला दिखाया गया है. दरअसल, हकीकत यही है कि यह फिल्मों का ही तिलिस्म होता है. जो हमें गलत को भी सही और स्वभाविक समझने पर मजबूर कर देता है. वरना, वर्तमान में आप जब वे पुरानी फिल्में देखें तो आप उसके साथ कई तर्क वितर्क कर सकते हैं. चूंकि अब दर्शक काफी बुद्धिमान हो चुके हैं. लेकिन जिस दौर में वे फिल्में बनी हैं. उस दौर में दर्शक हिंदी फिल्मों की इन्हीं नादानियों या यूं कहें चीट शॉट्स को देख देख कर तालियां बजाती थीं और खुश होती थीं. फिल्म अमर अकबर एंथनी में साई बाबा की आंखों से आंखें निकल कर निरुपा राय की आंखों में चली जाती हैं, इस दृश्य के बारे में अमिताभ ने रणबीर से पूछा कि क्या आज ये फिल्में बने तो युवा पीढ़ी पसंद करेंगी. हालांकि रणबीर ने कहा हां. लेकिन हकीकत यह है कि आज इस तरह की चीजें हास्यपद साबित होंगी. सो, आज के दर्शक इस तरह के दृश्यों को फिल्माने में काफी सतर्कता बरतते हैं. तमाम बातों के बावजूद एक सच कायम है कि फिल्म का यह तिलिस्म जारी रहेगा.

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