फिल्म लुटेरा में सोनाक्षी सिन्हा अपने अभिनय से अपने सभी समीक्षकों की बोलती बंद कर दी है. अब तक वे बार बार यही ताने सुनती आ रही थीं कि वे सुपरस्टार्स के साथ काम करती हैं और इसलिए उनकी फिल्में हिट होती हैं. हकीकत भी यही है कि सोनाक्षी सिन्हा जैसी अभिनेत्री से अब तक निर्देशकों ने उस तरह से अभिनय ही नहीं कराया था. जैसा उन्होंने फिल्म लुटेरा में की है. लुटेरा में उन्होंने एक ऐसी लड़की का किरदार निभाया है, जो एक लुटेरे से प्यार कर बैठती है. और वह अपनी पूरी जिंदगी सिर्फ इस आस में बिता देती है कि क्या वरुण ने कभी उससे प्यार किया भी था या नहीं. गौरतलब है कि इस फिल्म में सोनाक्षी उर्फ पाखी को बिना मेकअप के परदे पर दिखाया गया. फिल्म में अधिक संवाद भी नहीं हैं. लेकिन इसके बावजूद सोनाक्षी ने अपनी भाव भंगिमा से जो अभिनय किया है. सभी दंग हैं. फिल्म के एक दृश्य में वह वरुण से बोलती है कि क्या वह कल पेंटिंग सीखने आयेंगे, कल नहीं तो परसो....या फिर एक महीने बाद.फिर उसका अगला सवाल होता है कि क्या वरुण ने कभी पाखी से प्यार किया भी है. बीच में जो परिस्थिति होती है. उसके बाद भी मिलने पर वह फिर से वरुण से वही सवाल करती है. वाकई सोनाक्षी ने इस फिल्म से साबित किया है कि वह बेहतरीन अभिनेत्री हैं. लेकिन हिंदी सिनेमा के निर्देशकों की यह सीमाएं हैं कि वे फिल्मों को महिला प्रधान नहीं रहने देते. हीरो के किरदार पर ही इतना काम होता है कि अभिनेत्री के लिए काम करने की गुंजाईश कम हो जाती है. सोनाक्षी की अगर यह पहली फिल्म होती तो शायद इस फिल्म के बाद वह श्याम बेनगल जैसे निर्देशकों की हीरोइन बन जातीं. सोनाक्षी में काफी गुंजाईश हैं. बशर्ते कि उन्हें अच्छे निर्देशक मिलें. और उनकी प्रतिभा को सम्मान भी दें और सही तरीके से तराशे तो वह बेहतरीन अभिनेत्री के रूप में स्थापित हो सकत ीहैं
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20130903
सोनाक्षी का नया अवतार
फिल्म लुटेरा में सोनाक्षी सिन्हा अपने अभिनय से अपने सभी समीक्षकों की बोलती बंद कर दी है. अब तक वे बार बार यही ताने सुनती आ रही थीं कि वे सुपरस्टार्स के साथ काम करती हैं और इसलिए उनकी फिल्में हिट होती हैं. हकीकत भी यही है कि सोनाक्षी सिन्हा जैसी अभिनेत्री से अब तक निर्देशकों ने उस तरह से अभिनय ही नहीं कराया था. जैसा उन्होंने फिल्म लुटेरा में की है. लुटेरा में उन्होंने एक ऐसी लड़की का किरदार निभाया है, जो एक लुटेरे से प्यार कर बैठती है. और वह अपनी पूरी जिंदगी सिर्फ इस आस में बिता देती है कि क्या वरुण ने कभी उससे प्यार किया भी था या नहीं. गौरतलब है कि इस फिल्म में सोनाक्षी उर्फ पाखी को बिना मेकअप के परदे पर दिखाया गया. फिल्म में अधिक संवाद भी नहीं हैं. लेकिन इसके बावजूद सोनाक्षी ने अपनी भाव भंगिमा से जो अभिनय किया है. सभी दंग हैं. फिल्म के एक दृश्य में वह वरुण से बोलती है कि क्या वह कल पेंटिंग सीखने आयेंगे, कल नहीं तो परसो....या फिर एक महीने बाद.फिर उसका अगला सवाल होता है कि क्या वरुण ने कभी पाखी से प्यार किया भी है. बीच में जो परिस्थिति होती है. उसके बाद भी मिलने पर वह फिर से वरुण से वही सवाल करती है. वाकई सोनाक्षी ने इस फिल्म से साबित किया है कि वह बेहतरीन अभिनेत्री हैं. लेकिन हिंदी सिनेमा के निर्देशकों की यह सीमाएं हैं कि वे फिल्मों को महिला प्रधान नहीं रहने देते. हीरो के किरदार पर ही इतना काम होता है कि अभिनेत्री के लिए काम करने की गुंजाईश कम हो जाती है. सोनाक्षी की अगर यह पहली फिल्म होती तो शायद इस फिल्म के बाद वह श्याम बेनगल जैसे निर्देशकों की हीरोइन बन जातीं. सोनाक्षी में काफी गुंजाईश हैं. बशर्ते कि उन्हें अच्छे निर्देशक मिलें. और उनकी प्रतिभा को सम्मान भी दें और सही तरीके से तराशे तो वह बेहतरीन अभिनेत्री के रूप में स्थापित हो सकत ीहैं
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