20130930

उसकी टोपी इसके सर, इसकी टोपी उसके सर


अभी कुछ दिनों पहले कहानी के सीक्वल को लेकर सुजोय घोष और जयंतीलाल में वार छिड़ी थी. अब नयी खबर है कि राजकुमार संतोषी अंदाज अपना अपना सीक्वल को लेकर परेशान हैं. चूंकि उनका कहना है कि इसके सीक्वल के राइट्स उनके पास हैं. लेकिन एक प्रोडक् शन हाउस उन्हें झूठा करार दे रहा है. दरअसल, फिलवक्त रीमेक का जिस कदर दौर चल रहा है. उतने ही विवाद इसके मेकिंग राइट्स को लेकर हो रहे हैं.

 फिल्म जंजीर की रीमेक को लेकर सलीम जावेद ने कोर्ट तक का रास्ता इख्तियार किया. लेकिन फिल्म रिलीज हुई. अंतत: वह 3 करोड़ रुपये में राजी हो गये. सलीम जावेद ने जंजीर के रीमेक के राइट्स को लेकर काफी विवाद खड़ा किया. उनका कहना था कि जंजीर के हिंदी के अलावा किसी भी संस्करण में अगर उसका रीमेक बनता है तो उन्हें उसकी रॉयलिटी मिलनी चाहिए. क्योंकि उनके पास उसके रीमेक की मेकिंग के राइट्स हैं. आखिर कार उन्होंने जीत हासिल की. इन दिनों जिस तरह बॉलीवुड में चारों तरफ रीमेक और सीक्वल का दौर चल रहा है. हर निर्माता और निर्देशक की कोशिश यही है कि वह ज्यादा से ज्यादा रीमेक व सीक्वल बना कर अपनी झोली भर ले. जहां एक तरफ सलीम जावेद को तो अपना हक मिल गया. लेकिन बॉलीवुड में ऐसी कई फिल्में हैं, जिनके बारे में हर दिन नयी खबर आ रही है और लोग यह समझ ही नहीं पा रहे कि आखिर उस फिल्म की मेकिंग के राइट्स किसके पास हैं और कौन झूठ बोल रहा है. कौन सोच.
निर्माताओं की मनमानी
दरअसल, हकीकत यही है कि हिंदी सिनेमा में आज भी निर्देशक से अधिक निर्माता ही शक्तिशाली और प्रभावशाली है. और यह सिलसिला आज से नहीं वर्षों से चला आ रहा है. मंटो की किताब मीना बाजार को ध्यान से पढ़ें तो वे सारी कहानियां निकल कर सामने आती हैं, जब हिंदी सिनेमा के कई निर्देशकों को निर्माता की मर्जी के सामने समझौते करने पड़े हैं. किसी दौर में निर्माता और निर्देशक की अच्छी बन रही होती है तो वह साथ साथ फिल्म का निर्माण कर लेते हैं. शुरुआती दौर में जब दौर स्वतंत्र निर्माताओं का होता था. उस दौर में निर्माता अपनी मनमर्जी और मनमानी काफी अधिक करते थे. उस दौर में निर्देशकों के पास उतने पैसे नहीं होते थे. न ही उतना बजट कि वे अपनी फिल्मों को खुद प्रोडयूस कर पायें और इसी का फायदा निर्माता उठाते आये हैं. अब जबकि दौर पूरी तरह से मार्केटिंग का है. निर्माता चाहते हैं कि वे मनमाने ढंग से किसी भी निर्देशक की क्रियेटिवीटी अपने हक के लिए इस्तेमाल करें. आज के दौर में वैसे कम ही निर्देशक और निर्माता की जोड़ी की दोस्ती बरकरार रह पायी है, जो पहले भी थी. फिरोज नाडियावाला इसमें अपवाद हैं. वर्षों बाद भी जब वह फिल्म वेलकम बैक का सीक्वल लेकर आ रहे हैं  तो उन्होंने फिल्म का निर्देशक नहीं बदला है. वरना, हर दिन बॉलीवुड में सीक्वल के निर्देशकों को बदला जा रहा है.फिल्म धूम  सीरिज की शुरुआत में संजय गाडवी ने निर्देशित किया. बाद में यशराज ने धूम 3 की जिम्मेदारी विजय कृष्णा को दे दिया. गौरतलब है कि अभिनव कश्यप ने अपनी मर्जी से फिल्म दबंग के सीक्वल को निर्देशित करने से इनकार किया है.
कमाई का बेहतरीन जरिया
बॉलीवुड भले ही यह दिखावा करे कि यहां वे प्रोफेशनल तरीके से काम करते हैं. लेकिन हकीकत यही है कि हिंदी फिल्म जगत में आपसी रिश्ते खराब होते ही प्रोफेशनल रिश्ते भी खराब हो जाते हैं. इन दिनों जिस तरह से सीक्वल और रीमेक का दौर है. निर्माताओं की यही कोशिश होती है कि वे बिना कुछ काम किये या क्रियेटिवीटी दिखाये बनी बनाई कहानी पर अपना उल्लू सीधा करें और वे वही कर रहे हैं. वे किसी दूसरे के आइडिया को अपना सिर्फ इस आधार पर कहते हैं, क्योंकि उन्होंने उस फिल्म पर पैसे लगाये होते हैं. और वे अपने मर्जी से अपने निर्देशक लाते हैं और फिर किसी दूसरे की बनी बनाई विजन पर अपना मुनाफा कमा रहे हैं. खासतौर से वे निर्माता जो कि शुरुआती दौर में काफी प्रभावशाली थे. लेकिन अब नहीं. वे अब केवल पैसों की लालच में ऐसा कर रहे हैं. और अब तक ऐसा कोई कानून नहीं बना जिसके आधार पर निर्माता की इस करतूत और हरकत पर निर्देशक कोई आवाज उठा सके.

सुजोय-जयंती लाल की कहानी 
सुजोय घोष ने फिल्म कहानी का निर्देशन किया था. साथ ही वे फिल्म के को प्रोडयूसर भी रहे. वही जयंतीलाल फिल्म के प्रमुख निर्माता थे और उनका कहना है कि उन्हें ही कहानी के सीक्वल बनाने के राइट्स हैं. जबकि  सुजोय का कहना है कि केवल वे ही कहानी के सीक्वल को बना सकते हैं. चूंकि कहानी उनकी थी. दोनों में विवाद तब खड़ा हुआ जब सुजोय ने कहानी के सीक्वल बनाने के लिए जयंतीलाल से 35 करोड़ रुपये की डिमांड की थी. इसके बाद जयंतीलाल ने कहानी के सीक्वल को अपने तरीके से बनाने का निर्णय लिया. लेकिन सुजोय किसी भी हाल में कहानी फिल्म के सीक्वल बनाने की इजाजत नहीं दे रहे. और इसे लेकर लगातार दोनों के बीच वार चल रहा है.
राजकुमार संतोषी और अंदाज अपना अपना
राजकुमार संतोषी वर्षों से चाह रहे हैं कि वह अपनी फिल्म अंदाज अपना अपना का सीक्वल बनायें. लेकिन वह अपनी इस कोशिश में नाकामयाब हो जा रहे हैं. राजकुमार संतोषी ने कहा कि वे चाहते हैं कि वे रणबीर कपूर और शाहिद कपूर को लेकर अंदाज अपना अपना का सीक्वल बनायें. लेकिन निर्माता विनय सिन्हा उन्हें यह इजाजत नहीं दे रहे. स्पष्ट है कि फिल्म के आइडियेशन से लेकर फिल्म की मेकिंग और फिल्म की सफलता का पूरा श्रेय राजकुमार संतोषी को जाता है. लेकिन चूंकि वह फिल्म के निर्माता नहीं थे इसलिए वे चाहकर भी इसके सीक्वल की शुरुआत नहीं कर पा रहे हैं. वही दूसरी तरफ विनय सिन्हा किसी और निर्देशक को लेकर यह फिल्म बनाने जा रहे हैं.

सुजोय घोष
मैं इस बात से कतई राजी नहीं होंउंगा कि कोई मेरे काम, मेरी क्रियेटिविटी का गलत फायदा उठाये. मैं वह सबकुछ करूंगा, जो कहानी को बचाने के लिए मुझे करना चाहिए. कहानी मेरी सोच है. वह मेरा बच्चा है और मैं ही केवल उसके साथ सही न्याय करूंगा. मैं आगे भी इसके लिए लड़ता रहूंगा. अपने हक के लिए लड़ता रहंूगा. 

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