रणबीर कभी बर्फी तो कभी बदतमीज तो कभी बेशरम बन जाते हैं. हिंदी सिनेमा के वे फिलवक्त सबसे लोकप्रिय सितारा हैं, जिन्हें लगभग हर वर्ग के दर्शक पसंद कर रहे हैं. इस बार वे कॉमेडी लेकर दर्शकों से रूबरू हो रहे हैं. फिल्म बेशरम व अपने जिंदगी के कई पहलुओं पर उन्होंने अनुप्रिया अनंत से बातचीत की
रणबीर कभी बदतमीज तो कभी बेशरम...क्या कोई स्ट्रेजी तैयार की है. इस साल के लिए ऐसे शीर्षक वाली फिल्में करनी हैं?
नहीं, नहीं. ये तो बिल्कुल इत्तेफाक की बात है. कि ये जवानी है दीवानी में बदतमीज गाना इतना पॉपुलर हो गया. अभी जो फिल्म आ रही है बेशरम. इसमें ऐसा नहीं है कि हम कपड़े उतार कर दिखाना चाहते हैं कि देखो ये बेशरम बल्कि इस फिल्म में हम दिखा रहे हैं. वो पुरानी कहावत है न...कुछ तो लोग कहेंगे, हम इतनी चिंता करते हैं कि अरे ये करेंगे तो क्या कहेंगे लोग़. तो हम फिल्म में दिखा रहे हैं कि बेशरम बनो. सुनो सबकी करो अपने मन की.आपके अंदर क्या सही है क्या गलत है. यह सिर्फ आपको पता होना चाहिए की फिलॉसफी सिर्फ यही है कि कोई भी गलत काम करने का कोई सही तरीका नहीं होता. पर्सनली मुझे इस तरह के टाइटिल बहुत पसंद हैं,क्योंकि कुछ 15 साल के बाद लोग एक्टर को तो भूल जाते हैं. लेकिन उन्हें टाइटिल याद रहते हैं. जैसे अभी भी जब अमिताभ बच्चन शंहशाह के रूप में जाने जाते हैं. शाहरुख खान बादशाह माने जाते हैं. सलमान खान दबंग करते हैं तो एसे टाइटिल उनके साथ भी छप जाते हैं. तो लोग कहते हैं दबंग सलमान खान, बाजीगर शाहरुख खान तो आइ डोंट माइंड अगर लोग मुझे बेशरम रणबीर कपूर कहें. बेशरम से जुड़ने की वजह यही रही कि अभिनव मेरे पास स्क्रिप्ट लेकर आये थे तो उन्होंने साफ किया कि वह कोई प्रवचन नहीं देना चाहते. इस फिल्म से. हल्की फुल्की एंटरटेनमेंट फिल्म है. सिंपल और फन लविंग स्क्रिप्ट लगी तो मैंने चुन लिया. मैंने अब तक जितने कैरेक्टर किये हैं. उससे यह अलग था. बेशरम का कैरेक्टर लाउड है, वल्गर है.मैंने एक्सपेरिमेंट किया है. जैसे मैंने बर्फी में किया अपनी बाकी फिल्मों में किया. हो सकता है कि आॅडियंस इस फिल्म को देख कर मुझे चांटे भी लगाये. लेकिन मैं अगर ट्राइ नहीं करूंगा.तो मुझे नहीं पता चल पायेगा कि ऐसी फिल्मों में मेरा कनविक् शन है कि नहीं. फिल्म में मेैं कार चोर हूं.
लेकिन क्या रणबीर रियल लाइफ में भी बेशरम हैं. जैसा कि आपने कहा कि आपके लिए बेशरम का मतलब बिंदासपन है?
रियल लाइफ में तो मुझे बहुत शर्म आती है. तो मुझे कैमरे के सामने मौका मिलता है कि मैं कुछ बेशर्मी कर पाऊं. मैंने अपनी पहली फिल्म में ही अपना टॉवल गिरा दिया था.उससे बड़ा कोई बेशरम हो ही नहीं सकता. मेरे ख्याल से एक एक्टर का बेशरम होना बेहद जरूरी है क्योंकि एक आॅडियंस के सामने आप अपने रियल इमोशन को पेश करें. पेन है. दर्द है. खुशी है दुखी है. तो यह बहुत जरूरी है कि आप बेशरम बन कर सबकुछ भूल कर एक्ट करो कैमरे के सामने. वरना वह कैमरा सबकुछ पकड़ता है. तो मेरा मानना है कि मैं रियल लाइफ में रिजर्व रहता हूं ताकि कैमरे के सामने उसे निकाल सकूं.
बचपन में कभी चोरी की है आपने?
ैजब मैं छोटा था तो मैंने चॉकलेट चोरी की थी. एक बार तो बहुत डांट पड़ी थी. उसके बाद कभी चोरी नहीं की.
आपकी वास्तविक जिंदगी में कभी किसी ने आपको बेशरम की उपाधि दी है?
हां, दी है न मेरी टीचर ने और मेरी मॉम ने. मैं जब बहुत छोटा था. तो मेरी क्लास टीचर स्कर्ट पहनती थी. तो मां बताती है कि मैं उनकी स्कर्ट के नीचे देखता था. अब मुझे पता नहीं क्यों देखता था. लेकिन मुझे उनके पैर शायद अच्छे लगते होंगे. तो मेरी मैम ने मेरी मां से मेरी शिकायत की थी कि आपका बेटा बहुत बेशर्म है और वह मेरी स्कर्ट के नीचे झांकता है. उस वक्त मां से डांट पड़ी थी. मां ने गुस्से में कहा था बेशरम ऐसी हरकत फिर मत करना.
इस फिल्म में आपने अपने माता पिता के साथ अभिनय किया है. कैसा रहा अनुभव क्या ऋषि या नीतू आपसे अपने दौर की शूटिंग की यादें शेयर करते थे?
बहुत अच्छा अभिनय रहा. पापा मेरे सबसे फेवरिट कलाकार हैं. मैं तो हमेशा उन्हें कॉपी करता आया हूं, कभी उनके गाने तो कभी कपड़े. इस फिल्म में तो मैंने उन्हें बतौर एक्टर गालियां दी है. मोटू कहा है. लेकिन मेरे माता पिता की आदत है. वह काम को घर और घर को काम पर हावी नहीं होने देते. सेट पर हम प्रोफेशनल तरीके से काम करते थे. हां, पापा यह जरूर बताते थे कि कैसे सेट पर लोग पहले काम किया करते थे. क्या माहौल था. गाने कैसे होते थे. मेलॉडी कैसे होती थी. सभी एक्टर्स कैसे दोस्त होते थे. उन्होंने फिल्म अमर अकबर एंथनी के बारे में इस फिल्म की शूटिंग में काफी बात की क्योंकि ये भी अमर अकबर एंथनी के जॉनर की ही फिल्म है कि क्लाइमेक्स जो अमर अकबर एंथनी विलेन को ढूंढ रहे हैं. खुद तीनों उधर गा रहे हैं अमर अकबर एंथनी...
इस फिल्म की क्या यादें हैं जो आपके साथ हमेशा रहेंगी?
एक रिश्ता जो अभिनव के साथ बना. पहली फिल्म जिसमें ऋषि कपूर के साथ एक्ट करने का मौका मिला. दस साल बाद जब शायद मेरे बच्चे होंगे तो इस फिल्म को लेकर मैं उन्हें गर्व से दिखाऊंगा. क्योंकि वे अपने पापा और दादा दादी को साथ में फिल्म में देखेंगे.
आप लोगों के लिए सुपरस्टार बन चुके हैं. लेकिन आप खुद को सुपरस्टार नहीं मानते हैं तो आपके लिए आखिर सुपरस्टार की क्या परिभाषा है.आप खुद को किस मुकाम पर देखना चाहते हैं?
मेरी दादी मुझे बताती हैं कि जब दादाजी यानी राज कपूर और नरगिस आंटी की फिल्म आवारा को रशिया में लोगों ने उनकी फिल्म आवारा देखी और वो लोग बाहर आये थियेटर से. उन्होंने सभी फैन से खूब बातें की. हाथ हिलाया. और फिर जब वह गाड़ी में बैठे. तो ये मेरी दादी ने मुझे बताया था कि रशियन ने गाड़ी को उठाया और वे चल कर गाड़ी को लेकर होटल तक गये. तो स्टारडम वो होता है. वो रिस्पेक्ट कमाना चाहता हूं और एक बार जब मैं कॉफी शॉप में बैठा था, उस वक्त एक्टर नहीं था. कॉफी शॉप में काफी लोग थे और वहां से लता मंगेशकर जी गुजर रही थीं. तो मैंन देखा कि वहां बैठे सभी लोग खड़े हो गये. कुछ कहा नहीं वह रिस्पेक्ट के नाते सिर झुकाया. मेरे ख्याल से वह स्टारडम होता है. वह मुकाम हासिल करना चाहता हूं.
क्या आपको लगता है कि आज के दौर में वह स्टारडम का दौर मुमकिन है?
हां, मैं मानता हूं कि जो लास्ट स्टारडम का दौर देखा है. वह खानों ने देखा है. अमिताभ बच्चन ने देखा है. जब अमिताभ यंग थे तो उन्होंने भी नहीं सोचा होगा कि इस उम्र में भी उन्हें वह स्ट
ारडम मिलेगा. तो हम सब मेहनत से काम करेंगे. तो देखें क्या होता है. हां, यह जरूर है कि उस वक्त का स्टारडम अलग तरह का स्टारडम होगा.
ऐसे कुछ किरदार जिसे करने की अब भी आपकी इच्छा बाकी है?
हां, मैं नेगेटिव किरदार निभाना चाहता हूं. मुझे अच्छा लगता है कि मैं नेगेटिव किरदार में भी नजर आऊं.
खाली समय में क्या करना पसंद है?
मुझे फुटबॉल खेलना पसंद है. मुझे फिल्में देखना पसंद करता हूं. मैं वीडियोगेम खेलता हूं. लेकिन सबसे ज्यादा अच्छा लगता है. जब फिल्म सेट पर होता हूं. अच्छे डायरेक्टर्स के साथ काम कर रहा होता हूं तो. बहुत मजे लेकर काम करते हैं.
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