ख्वाहिशों की ख्वाहिश रखनेवाला दिल यह नहीं जानता कि वह जो ख्वाहिश कर रहा है वह सेलिब्रिटी है या आम इंसान. हम हमेशा यह ख्वाहिश करते हैं कि हमें पूरी दुनिया जाने और हमारे इर्द गिर्द घूमे. लेकिन इससे इतर भी सितारों की एक जिंदगी है, जहां वे स्टार्स नहीं कहलाना चाहते. वे आसमां के नहीं जमीं के सितारे बन कर ाम जिंदगी जीना चाहते हैं. बॉलीवुड में ऐसी कई हस्तियां हैं, जो जब स्टार नहीं थीं, तो अपनी जिंदगी को अलग तरीके से जीते थे. और आज भी कुछ ऐसी चीजें हैं जो वे काफी मिस करते हैं लेकिन सेलिब्रिटी स्टेटस होने की वजह से पूरी नहीं कर पाते. स्टार्स की दुनिया की कुछ ऐसी ही बातें हम इस कॉलम के माध्यम से आप तक पहुंचाने की कोशिश करेंगे. इस कड़ी में पहली शुरुआत अभिनेत्री विद्या बालन से.
लोकल ट्रेन करती हूं मिस
मैं जब स्टार नहीं थी. कॉलेज में थी तो मैं लोकल ट्रेन में खूब घूमा करती थी और मुझे लगता है कि वह मेरी जिंदगी के हसीन पलों में से एक था. चूंुिक लोकल ट्रेन में आप पूरी दुनिया जी लेते हैं. आप पूरी मुंबई की झलक लोकल ट्रेन में देख सकते हैं. जब मैं चैंबूर में रहती थी तो उस वक्त मैं खूब लोकल ट्रेन में जाया करती थी. और लोकल ट्रेन में बिकने वाले कान के झूमके मेरे पसंदीदा इयररिंग होते थे. मैं उनकी जम कर खरीदारी करती थी. मतलब 5 रुपये से लेकर 100 रुपये के अंदर में तो आपके मेकअप का सारा सामान आ जाता था. मैं तो झोले भर भर कर घर में उसे इकट्ठा करती थी और सच कहूं तो उनमें से कई झूमके मेरे पास आज भी हैं. ऐसा नहीं है कि मैं सेलिब्रिटी बन गयी हूं तो मैंने इन चीजों को खुद से अलग कर दिया है. लेकिन हां, मुझे अच्छा लगता था यह सब करने में. अब लोकल ट्रेन में किसी फिल्म की शूटिंग के वक्त जा पाती हूं. या फिल्म प्रोमोशन के दौरान. लेकिन जो जिंदगी भीड़भाड़ वाले समय में लोकल से घूमने का है. अब वह लुत्फ नहीं उठा पाती. स्ट्रीट फूड खाना मुझे बेहद पसंद है. गिला भेल देख कर तो अब भी मेरे मन में चूहे दौड़ते हैं. सो, सोचती हूं कि काश मैं फिर से वह जिंदगी जी पातीं.
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