हाल ही में स्टार इंडिया ने एक अच्छी पहल की. उन्होंने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर उत्तराखंड के साथ हैं हम के माध्यम से उत्तराखंड के पीड़ितों के लिए पहल की. मुकेश भट्ट ने मंच पर एक बात कही. स्टार्स का काम या फिल्मी हस्तियों का काम केवल मनोरंजन का नहीं है. उनके भी सामाजिक सरोकार होते हैं और वे भी इसमें भागीदारी निभाते हैं. यह एक अच्छी पहल थी. हिंदी सिनेमा की कई हस्तियां अमिताभ बच्चन, अनिल कपूर, अभिषेक बच्चन समेत कई लोग शामिल हुए और सबने एकसाथ मिल कर उत्तराखंड के लिए योगदान दिया. इससे पहले भी कई मौकों पर हिंदी सिनेमा ने अपनी उपस्थिति दर्ज की है.अनुपम खेर हमेशा अन्ना आंदोलन की अगुवाही करते रहे. शबाना आजिमी और जया बच्चन हाल ही में दिल्ली में हुए रेप कांड को लेकर सड़कों पर आयी थीं. दरअसल, हकीकत यही है कि फिल्मी हस्तियों का वाकई काम केवल मनोरंजन करना नहीं है. बल्कि उनके सामाजिक सरोकार हैं और उन्हें अपनी यह जिम्मेदारी समझनी चाहिए. वजह साफ है. हिंदी सिनेमा के लोग भारत में सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं और निश्चित तौर पर उनके द्वारा बोली गयी बातों का लोगों पर असर होता ही है. ऐसे में जरूरी यही है कि वे ज्यादा से ज्यादा आगे आयें. वरना, कई कलाकार ऐसे हैं, जो इस बात से साफ कतराते हैं और वे अपने विचारों को प्रकट करना भी मुनासिब नहीं समझते.जबकि यह उनकी भी जिम्मेदारी बनती है. कुछ सालों पहले जब बिहार में बाढ़ से जिंदगी अस्त व्यस्त थी. निर्देशक प्रकाश झा ने कई लोगों को राहत पहुंचाने का न सिर्फ बीड़ा उठाया था. बल्कि कई लोग उससे लाभान्वित भी हुए थे. सो, स्पष्ट है कि अगर आपको मौके मिल रहे हैं और आप किसी भी रूप में सक्षम हैं तो आपको आगे आना ही चाहिए. चूंकि आपको लोग सुनेंगे और मानेंगे भी
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20130903
स्टार्स और उनके सामाजिक सरोकार
हाल ही में स्टार इंडिया ने एक अच्छी पहल की. उन्होंने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर उत्तराखंड के साथ हैं हम के माध्यम से उत्तराखंड के पीड़ितों के लिए पहल की. मुकेश भट्ट ने मंच पर एक बात कही. स्टार्स का काम या फिल्मी हस्तियों का काम केवल मनोरंजन का नहीं है. उनके भी सामाजिक सरोकार होते हैं और वे भी इसमें भागीदारी निभाते हैं. यह एक अच्छी पहल थी. हिंदी सिनेमा की कई हस्तियां अमिताभ बच्चन, अनिल कपूर, अभिषेक बच्चन समेत कई लोग शामिल हुए और सबने एकसाथ मिल कर उत्तराखंड के लिए योगदान दिया. इससे पहले भी कई मौकों पर हिंदी सिनेमा ने अपनी उपस्थिति दर्ज की है.अनुपम खेर हमेशा अन्ना आंदोलन की अगुवाही करते रहे. शबाना आजिमी और जया बच्चन हाल ही में दिल्ली में हुए रेप कांड को लेकर सड़कों पर आयी थीं. दरअसल, हकीकत यही है कि फिल्मी हस्तियों का वाकई काम केवल मनोरंजन करना नहीं है. बल्कि उनके सामाजिक सरोकार हैं और उन्हें अपनी यह जिम्मेदारी समझनी चाहिए. वजह साफ है. हिंदी सिनेमा के लोग भारत में सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं और निश्चित तौर पर उनके द्वारा बोली गयी बातों का लोगों पर असर होता ही है. ऐसे में जरूरी यही है कि वे ज्यादा से ज्यादा आगे आयें. वरना, कई कलाकार ऐसे हैं, जो इस बात से साफ कतराते हैं और वे अपने विचारों को प्रकट करना भी मुनासिब नहीं समझते.जबकि यह उनकी भी जिम्मेदारी बनती है. कुछ सालों पहले जब बिहार में बाढ़ से जिंदगी अस्त व्यस्त थी. निर्देशक प्रकाश झा ने कई लोगों को राहत पहुंचाने का न सिर्फ बीड़ा उठाया था. बल्कि कई लोग उससे लाभान्वित भी हुए थे. सो, स्पष्ट है कि अगर आपको मौके मिल रहे हैं और आप किसी भी रूप में सक्षम हैं तो आपको आगे आना ही चाहिए. चूंकि आपको लोग सुनेंगे और मानेंगे भी
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