20130903

महिला कलाकारों से यह भेदभाव क्यों


टेलीविजन पर महिलाओं का बोलबाला होता है. महिला प्रधान धारावाहिक बनते हैं और धारावाहिकों के नाम भी अमूमन मंिंहला किरदारों के नाम पर ही होता है. लेकिन बात जब मेहनताना की आती है तो यहां भी पुरुषों का ही बोलबाला है. 
 हिंदी सिनेमा की तरह छोटे परदे पर ही महिला कलाकारों के  साथ अन्याय ही होता है. यहां भी पुुुरुष ही महिलाओं से अधिक मेहनताना हासिल करते हैं. मीडिया में पूरी तरह यह खबर छाई रहती है कि टेलीविजन महिला प्रधान माध्यम है. यहां धारावाहिक भी महिलाओं को ध्यान में रख कर बनाये जाते हैं और महिला कलाकार पुरुषों की अपेक्षा अधिक देर तक शूट करती हैं. चूंकि उन पर ही ज्यादा से ज्यादा सीन फिल्माये जाते हैं. लेकिन अफसोस की बात यह है कि उस लिहाज से उन्हें मेहनताना नहीं मिलता. यहां भी बाजी पुरुष ही मार कर ले जाते हैं.
फिल्मों के तर्ज पर
फिल्मों में आज से नहीं कई वर्ष पूर्व से ही हमेशा महिला कलाकार और पुरुष कलाकार के मेहनताना में विभिन्ना रखी गयी है. दोनों में इतने ज्यादा अनुपात का फासला है कि वह शायद कई सालों तक भी न सुधरे. जहां फिल्मों में पुरुष स्टार्स 12 करोड़ से ऊपर की फीस लेते हैं. बुरे स्टार्स को भी कम से कम 1 करोड़ रुपये मिलते हैं. लेकिन स्थापित महिला कलाकार अधिकतम 5 करोड़ तक ही लेती हैं. कुछ इसी तरह छोटे परदे पर गौर करें तो पुुरुष कलाकारों का यहां भी दबदबा है. चौंकानेवाली बात यह है कि वे महिला कलाकार जो डेली सोप में हैं, उन्हें उन पुरुष कलाकार जो साप्ताहिक धारावाहिकों के कलाकार हैं, उनसे भी काफी कम फीस मिलती है. इसके बावजूद वे काम कर रही हैं. उन्होंने इसे लेकर कभी प्रोटेस्ट नहीं किया. स्पष्ट है कि वे भी खुद को शायद पुरुष से कम काबिलियत मानती हैं.
कौन हैं सबसे ज्यादा महंगे पुरुष स्टार्स
बड़े अच्छे लगते हैं के सुपरस्टार राम कपूर महीने में केवल 15 दिन की ही शूटिंग करते हैं. क्योंकि इससे ज्यादा वे शूटिंग करने में दिलचस्पी नहीं रखते. साथ ही सूत्र बताते हैं कि राम कपूर सबसे नखरालू कलाकारों में से एक हैं. वे वर्तमान में छोटे परदे के सबसे बड़े स्टार हैं और वह प्रति दिन 1.5 लाख रुपये लेते हैं. वे अपनी मर्जी से सेट पर आते हैं और अपने तरीके  से ही काम करते हैं. सूत्र बताते हैं कि उनकी इच्छा न हो तो वह रीटेक भी नहीं देते. राम कपूर इन दिनों कई फिल्मों का भी हिस्सा हैं. धर्मा और यशराज की कई फिल्मों में वह लोकप्रिय भूमिकाओं में नजर आते हैं. यह भी वजह है कि छोटे परदे पर उनकी ज्यादा स्टार वैल्यू है. जान कर आश्चर्य हो कि सीआइडी के शिवाजी सत को प्रतिदिन 1लाख रुपये मिलते हैं. वे भी लगभग 15 दिन की ही शूटिंग करते हैं. करन सिंह ग्रोवर जो इन दिनों धारावाहिक कुबूल है में नजर आ रहे हैं. वे लगभग प्रति िदन 90 हजार लेते हैं. अदालत में मुख्य किरदार निभा रहे रॉनित रॉय भी प्रतिदिन 1.25 लाख लेते हैं.
महिला कलाकारों की फीस 
महिला कलाकारों में वर्तमान में प्रिया राम कपूर यानी साक्षी तंवर सबसे लोकप्रिय और सीनियर कलाकार भी हैं. लेकिन आपको जान कर आश्चर्य होगा कि वे इतने सालों से टीवी में सक्रिय होने के बावजूद अब भी प्रति दिन के हिसाब से केवल 70हजार ही फीस लेती हैं,रश्मि देसाई की फीस प्रतिदिन के अनुसार 70 हजार है. टीना दत्ता और अर्चना लोखंडे भी 70 हजार लेती हैं. श्वेता तिवारी की फीस 60 हजार है. गौरतलब है कि साक्षी काफी लोकप्रिय अभिनेत्री हैं, उन्होंने कई लोकप्रिय धारावाहिक में काम किया है. उन्हें अगर अभी 70 हजार मिलते हंै तो आज से कई सालों पहले जब वह कहानी घर घर की का हिस्सा बनी होंगी. उस वक्त उनकी सैलेरी क्या होगी. इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि छोटे परदे पर लिंग भेद किस हद तक है.
फिल्मों में काम करने पर बढ़ जाती है फीस
राम कपूर और रॉनित रॉय चूंकि फिल्मों में लगातार सक्रिय हैं. इसलिए जब वह टीवी पर आते हैं तो उस स्टार वैल्यू के साथ आते हैं और ज्यादा फीस की मांग करते हैं और उन्हें उनकी मुंहमांगी फीस मिलती भी है. वे पुरुष स्टार्स जो दो धारावाहिकों में काम कर चुके होते हैं और फिल्मों में छोटी भूमिका में भी होते हैं. उन्हें भी लीड किरदार निभाने के लिए टेलीविजन से काफी पैसे मिलते हैं.
नये कलाकारों को मिलता है कम मेहनताना
टेलीविजन में जो कलाकार पहली बार लांच हो रहा होता है. उसे कम मेहनताना मिलता है. लेकिन धीरे धीरे लोकप्रियता बढ़ने पर पुरुष कलाकारों के सैलरी स्केल में इजाफा हो जाता है, लेकिन टेलीविजन की नायिकाओं का कद फीस के लिहाज से कभी नहीं उठ पाता.

रुपाली गुहा, प्रोडयूसर उतरन
मुझे नहीं लगता कि हम अपने स्टार्स को कम मेहनताना देते हैं. जो स्लैब है. और जो बनाई गयी है. हम उसके अनुसार ही महिला कलाकारों को भी पूरे सम्मान के साथ उनकी फीस देते हैं. हम जितना सम्मान पुरुष कलाकारों की करते हंै उतनी ही महिला कलाकारों की भी करते हैं. इसमें कोई संदेह नहीं है. हमारे साथ जिन भी महिला कलाकारों ने काम किया है. उन्होंने कभी इस बात को लेकर कोई शिकायत नहीं की तो हम कैसे मानें कि उन्हें इससे कोई परेशानी है. मैं नहीं मानती कि इसमें कोई भेदभाव है. हम तो रुल्स  के अनुसार ही काम करते हैं.

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