20130903

bipasha basu


त्रसिनेमा का पहला ख्वाब कब देखा?
मेरे परिवार में किसी ने सिनेमा में कदम नहीं रखा था. लेकिन मुझे सिनेमा देखना हमेशा अच्छा लगता था. चूंकि मैं देखती थी लोगों को इसमें घूमने का मौका मिलता है. नये नये कपड़े पहनने का मौका मिलता है. तो मैं हमेशा ये सब सोचा करती थी कि मॉडलिंग करूंगी. फिल्मों में आने के बारे में कभी नहीं सोचा था. मॉडल बन कर खुश थीं. सो, ख्वाब तो कभी देखा नहीं था. लेकिन विक्रम भट्ट की राज करने के बाद मुझे लगा कि शायद मुझमें कुछ टैलेंट है तो मैं फिल्में करने लगी. हालांकि मेरी पहली फिल्म अजनबी थी. लेकिन मैं मजे में फिल्म करती थी. लेकिन राज से मेरी पहचान बनी.और मैंने तय किया कि मैं फिल्में ही करूंगी.
त्र सिनेमा की ओर पहला कदम कब उठाया ?
पहली शुरुआत मैं मॉडलिंग को ही मानती हूं. जिस दिन मैं मुंबई में एक ब्यूटी कांटेस्ट का हिस्सा बनने आयी थी. मेरी आंखों में एलर्जी हो गयी थी और डॉक्टर ने कह दिया था कि मैं पार्टिसिपेट नहीं कर पाऊंगी. लेकिन मेरे मेकअप आर्टिस्ट ने मुझे भरोसा दिया. हौसला दिया. मेरा मेकअप किया और मैं रैंप वॉक पर चली और जीत भी गयी.उस दिन से लगा कि मैं फिल्मों में भी अब काम कर सकूंगी. वह आत्मविश्वास आ गया था मुझमें. तीन साल मैंने मॉडलिंग की. फिर मैं बोर होने लगी थी. मुझे लगा मैं इसके बियोंड नहीं कर पाऊंगी कुछ. तो मैंने अपना कदम उठाया. उस वक्त मुझे अजनबी जैसी फिल्म मिली. मुझे फिल्म का रोल अच्छा लगा. चूंकि फिल्म में ग्रे शेड था. तो मुझे लगा कि मैं इस फिल्म से जुड़ कर आगे बढ़ पाऊंगी. मुझे इस फिल्म में काफी लोगों से मदद मिली.
त्र क्या असफलताओं का भी सामना किया ? पहली असफलता?
मेरा नाम का मतलब ही है डीप, डार्क, डिजायर. शायद इसलिए मेरी जिंदगी में मैं वाकई इस तरह से ही अपनी जिंदगी जीती आयी हूं. डिजायर टू वर्क, डिजायर टू स्ट्रांग है. जिंदगी की गहराई और रिश्तों की गहराई की समझ है मुझे और डार्क शायद मेरे कलर को लेकर है. तो मैं यही कहूंगी कि मैंने इन्हीं तीन चीजों के साथ अपनी जिंदगी की सारी असफलताओं का सामना किया. और आगे बढ़ती गयी. एक बार नहीं असफलता कई बार मेरे साथ साथ चली. मेरी तो पहली फिल्म ही साइन कर ली मैंने. लेकिन मेरी फिल्म बन ही नहीं पायी.
त्र पहला सेलिब्रिटी एक्सपीरियंस.
वर्ष 2001 में मुझे फिल्मफेयर का बेस्ट डेब्यंट एक्ट्रेस का खिताब मिला. उस वक्त लगा कि अब सेलिब्रिटी बन चुकी हूं. कहीं भी जाती थी. ट्रैवलिंग करने तो लोग बिपाशा बिपाशा कह कर बुलाते थे. मैं और डीनो कई जगहों पर जाते थे. तो लोग मेरे पास आकर आॅटोग्राफ मांगते थे तो मुझे लगने लगा कि हां, मैंने कुछ हासिल कर लिया है.

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