साउथ फिल्मों के हिंदी रिमेक के बाद अब हिंदी फिल्म इंडस्ट्री अपनी फिल्मों को तमिल और तेलुगू भाषा में रिलीज कर अपने चेन्नई कनेक्शन को और ज्यादा मजबूत करता नजर आ रहा है. इन फिल्मों के जरिए जहां दक्षिण के दर्शकों को अपनी राज्य की सीमाओं से आगे की प्रतिभाओं को जानने और मनोरंजन का एक और माध्यम मिलता है वहीं हिंदी फिल्मों को साउथ में एक बड़ा बाजार नजर आ रहा है. जो व्यवसाय के लिहाज से भविष्य में बॉलीवुड के लिए नये दरवाजे खोल सकता है. इसी की पड़ताल करता उर्मिला कोरी का यह आलेख
पिछले कुछ समय से साउथ फिल्मों के हिंदी रिमेक का ट्रेंड बॉलीवुड इंडस्ट्री का सुपरहिट फार्मूला बन गया है. साउथ फिल्मों से यह दोस्ती हिंदी फिल्मों की कुछ ज्यादा ही रास आ रही है यही वजह है कि अब हिंदी फिल्में तमिल और तेलुगू भाषा में भी रिलीज होने लगी हैं. अब तक साउथ की फिल्में ही तमिल के साथ साथ हिंदी भाषी आॅडियंस तक पहुंचने के लिए हिंदी में डब होकर रिलीज हुआ करती थी या फिर किसी हिंदी फिल्म में साउथ के किसी बडे स्टार की मौजूदगी को भुनाने के लिए उसे तमिल या तेलुगू भाषा में डब कर दिया जाता था लेकिन अब लगता यह ट्रेंड का रूप धारण करता जा रहा है. बॉलीवुड फिल्में अब चेन्नई से अपने कनेक्शन को लगातार बढ़ाने में जुटी नजर आ रही हैं.शाहरुख खान की फिल्म चेन्नई एक्सप्रेस और जॉन अब्राहम की फिल्म मद्रास कैफे हिंदी भाषा के साथ साथ तमिल में भी रिलीज होगी.खास बात यह है कि चेन्नई से इस फिल्म के कनेक्शन को जोड़ने के लिए शाहरुख ने हाल ही में एक लुंगी पहने हुए एक गीत को अपनी इस फिल्म में जोड़ा है. सिर्फ यही नहीं एक कदम आगे बढ़ते हुए शाहरुख खान ने अपने इस गीत को साउथ के सुपरस्टार रजनीकांत को समर्पित भी कर दिया है. रजनीकांत के इस गीत को समर्पित हो जाने के साथ ही चेन्नई का एक बड़ा दर्शक वर्ग इस फिल्म से समर्पित हो जाएगा. यह बात किसी से छिपी नहीं है. फिल्मकार शूजीत सरकार निर्देशित मद्रास कैफे भी अपने नाम को भुनाने के इरादे से ही अपनी इस फिल्म को तमिल भाषा में रिलीज कर रहा है हालांकि निर्माता और फिल्म के अभिनेता जॉन की यह दलील है कि फिल्म उन्हीं लोगों के बीच की कहानी है और वहां के लोगों को लग रहा है कि उनकी खराब छवि को फिल्म में प्रस्तुत किया गया है. वे फिल्म को बैन करने की भी मांग कर रहे हैं ऐसे में तमिल भाषा में रिलीज होने पर वह फिल्म को और बेहतर से समझ पाएंगे.
इससे पहले धनुष और सोनम की हिंदी फिल्म रांझणा भी अंबिकापैथी के नाम से तमिल में रिलीज हुई थी. इस फिल्म के निर्देशक आनंद एल राय खुद इस बार को स्वीकारते हैं कि शुरुआत में इस फिल्म को तमिल भाषा में रिलीज करने की उनकी योजना नहीं थी लेकिन फिर उन्होंने महसूस किया कि अब साउथ के आॅडियंस को भी हिंदी फिल्में पसंद आने लगी हैं. सिर्फ भाषा का फर्क है और यह फर्क मिट जाने के बाद उन्हें हिंदी फिल्में अपने बीच की ही लगती है. जो उन्हें मनोरंजन का एक और जरिया देती है. फिल्म समीक्षक तरण आदर्श का कहना है कि आने वाले साल में इस ट्रेंड में और भी ज्यादा इजाफा होगा क्योंकि फिल्मों के लिए एक बड़ा दर्शक वर्ग तमिल और तेलुगू भाषी हैं. साउथ के स्टार्स को अब जब हिंदी फिल्मों में ज्यादा से ज्यादा अच्छे मौके मिल रहे हैं साथ ही अब जब सिनेमा ग्लोबल बनता जा रहा है तो हिंदी फिल्में तमिल और तेलुगू भाषा में भी रिलीज होकर दर्शकों को ज्यादा से ज्यादा खुद से जोड सकती है.
वैसे आनेवाले समय में इसी कड़ी रामचरण तेजा और प्रियंका चोपड़ा स्टारर फिल्म जंजीर, तूफान नाम से तेलुगू वर्जन में सिनेमाघरों में दस्तक देगी. इस फिल्म के अलावा अन्य कई हिंदी फिल्मों के तमिल और तेलुगू भाषा में रिलीज करने की तैयारी चल रही है.
वैसे बॉलीवुड से अलग साउथ इंडस्ट्री भी नहीं है. वह भी हिंदी मार्केट को भुनाने की होड़ में है. हाल ही में साउथ के सुपरस्टार सूर्या की तमिल फिल्म हिंदी में सूर्या द सिंहम के नाम से रिलीज हुई है. सिर्फ यही साउथ फिल्मों के हिंदी रिमेक की बढ़ती पॉपुलारिटी को देखते हुए तमिल और तेलुगू फिल्मों ने अपनी पुरानी फिल्मों को हिंदी भाषा में डबकर हिंदी आॅडियंस को टारगेट करने की कोशिश में एक अरसे जुटा नजर आ रहा है. जी सिनेमा, स्टार गोल्ड़ और सेट मैक्स जैसे सैटेलाइट चैनलों पर ऐसी फिल्मों की लंबी फेहरिस्त हर सप्ताह नजर आती है. गौरतलब है कि रजनीकांत और कमल हासन जैसे साउथ के सुपरस्टारों की फिल्में तमिल, तेलुगू के साथ साथ हिंदी भाषा में समय समय पर रिलीज होती रही हैं क्योंकि इनके दर्शक हिंदी भाषी भी हैं.
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