20130903

जवां गुलजार


18 अगस्त को गुलजार साहब ने अपने जीवन के 79वें बसंत में प्रवेश किया. लेकिन फिर भी वह आज भी जवां हैं.  गुलजार वर्तमान दौर के उन गीतकारों में से एक हैं, जिन्हें आज की युवा पीढ़ी भी दिल से पसंद करती हैं. चूंकि गुलजार साहब की कलम से जहां लैपटॉप, फाइलें, जैसे शब्द निकलते हैं, उन्हीं गुलजार के शब्द हैं मैंने तेरे लिये ही सात रंग के सपने.. गुलजार साहब ने अपनी कलम से जो भी लिखा है. वे गुलजार में किस कदर लोकप्रिय हैं, इस बात से अनुमान लगाया जा सकता है कि उनके जन्मदिन पर सोशल नेटवर्किंग से लेकर हर माध्यम में जितनी बधाई उन्हें मिली, किसी गीतकार को अब तक मिली होगी. अगर गुलजार साहब के नगमों के आधार पर गुलजार साहब के व्यक्तित्व या उनके स्वभाव को समझने या जानने की कोशिश की जाये तो यह एक मुश्किल काम होगा. कभी वह चंचल लगते हैं तो कभी दिल से इस कदर रुमानी कि हर प्रेमी उसका कायल हो जाये. कभी वह जिंदगी का फलसफां इस तरह बखान करते हैं कि जिंदगी उनकी आंखों से ही देखने की इच्छा होती है और मान लेने की इच्छा होती है कि हां, जो जिंदगी वह दिखा रहे हैं दरअसल, वही जिंदगी का असली चेहरा है. कभी दोस्ती का पाठ तो कभी बीड़ी जला के जिंदगी में मस्ती उठाने का लुत्फ भी. वही देश भक्ति का भाव भी उनके नगमों में साफ झलकता है तो अपने देश को छोड़ने की तरप ही. कई लोग यह जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर सभी विधाओं में कैसे गुलजार साहब लिख पाते हैं. मेरा मानना है कि गुलजार साहब जैसे गीतकारों पर कोई विश्लेषण नहीं होना चाहिए. स्वानंद ने बखूबी अपने शब्दों में लिखा है यार गुलजार, प्यार गुलजार. कल नया था. आज नया. नया होगा बरस हजार. वाकई गुलजार साहब के लिए ये शब्द सार्थक है.

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