सलमान और शाहरुख के झगड़े की वजह ऐश्वर्य थीं. और कट्रीना की पार्टी में पांच साल पहले दोनों अलग हुए थे. लिहाजा दोनों की दुश्मनी की सीधी वजह ऐश्वर्य राय और कट्रीना को ठहरा दिया गया. कुछ लोगों का यह भी मानना था कि हर झगड़े फसाद की जड़ महिला ही होती है. उनकी वजह से ही दोस्त दोस्त नहीं रह जाते. फिल्मों पर गौर करें तो ऐसी कई कहानियां िदखाई जाती रही हैं, जिसमें महिलाओं को ही दो दोस्तों के बीच की दुश्मनी की वजह बनते दिखाया गया है. फिल्म जिंदगी न मिलेगी दोबारा में फरहान और ऋतिक के किरदार क ेबीच इसी बात से लड़ाई होती है. फिल्म दोस्ताना की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. वे लोग जो यह मान बैठे हैं कि महिलाएं ही हर किसी की लड़ाई का कारण होती हैं. वे उन बातों को अनदेखा कर देते हैंं. जब एक महिला के कारण ही दोस्ती में पड़ी दरार ठीक हो जाती है. गौरी खान ने कई बार सलमान और शाहरुख के रिश्तों को सुलझाने की कोशिश की है. मान्यता दत्त ने संजय गुप्ता और संजय दत्त के रिश्तों में पड़ी दरार को मिटाने की कोशिश की तो फराह खान ने अपनी फिल्म शीरीन फरहाद की तो निकल पड़ी के बहाने करन जौहर और संजय लीला भंसाली को पास लाने की कोशिश की. खुद सलमान की मां चाहती थीं कि सलमान शाहरुख में दोस्ती हो जाये. दरअसल, हकीकत यही है कि वह एक महिला ही होती है, जो सारे रिश्तों को सहेज कर चलने में विश्वास करती है. न कि रिश्तों को तोड़ने में. हिंदी सिनेमा जगत में तो ऐसे कई उदाहरण स्पष्ट रूप से नजर आते हैं. शाहरुख और फराह के बीच की दूरियों को कम करने की पहल गौरी खान ने की . उन्होंने ही फराह और साजिद को घर बुला कर दोनों के रिश्तों को सुलझाया. सो, हर बार केवल महिलाओं को दोषी करार देना सही नहीं है. हिंदी सिनेमा इस बात का उदाहरण है कि यहां रिश्तें महिलाओं ने ही सुधारे हैं
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20130903
उलझते सुलझते रिश्तों की डोर
सलमान और शाहरुख के झगड़े की वजह ऐश्वर्य थीं. और कट्रीना की पार्टी में पांच साल पहले दोनों अलग हुए थे. लिहाजा दोनों की दुश्मनी की सीधी वजह ऐश्वर्य राय और कट्रीना को ठहरा दिया गया. कुछ लोगों का यह भी मानना था कि हर झगड़े फसाद की जड़ महिला ही होती है. उनकी वजह से ही दोस्त दोस्त नहीं रह जाते. फिल्मों पर गौर करें तो ऐसी कई कहानियां िदखाई जाती रही हैं, जिसमें महिलाओं को ही दो दोस्तों के बीच की दुश्मनी की वजह बनते दिखाया गया है. फिल्म जिंदगी न मिलेगी दोबारा में फरहान और ऋतिक के किरदार क ेबीच इसी बात से लड़ाई होती है. फिल्म दोस्ताना की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. वे लोग जो यह मान बैठे हैं कि महिलाएं ही हर किसी की लड़ाई का कारण होती हैं. वे उन बातों को अनदेखा कर देते हैंं. जब एक महिला के कारण ही दोस्ती में पड़ी दरार ठीक हो जाती है. गौरी खान ने कई बार सलमान और शाहरुख के रिश्तों को सुलझाने की कोशिश की है. मान्यता दत्त ने संजय गुप्ता और संजय दत्त के रिश्तों में पड़ी दरार को मिटाने की कोशिश की तो फराह खान ने अपनी फिल्म शीरीन फरहाद की तो निकल पड़ी के बहाने करन जौहर और संजय लीला भंसाली को पास लाने की कोशिश की. खुद सलमान की मां चाहती थीं कि सलमान शाहरुख में दोस्ती हो जाये. दरअसल, हकीकत यही है कि वह एक महिला ही होती है, जो सारे रिश्तों को सहेज कर चलने में विश्वास करती है. न कि रिश्तों को तोड़ने में. हिंदी सिनेमा जगत में तो ऐसे कई उदाहरण स्पष्ट रूप से नजर आते हैं. शाहरुख और फराह के बीच की दूरियों को कम करने की पहल गौरी खान ने की . उन्होंने ही फराह और साजिद को घर बुला कर दोनों के रिश्तों को सुलझाया. सो, हर बार केवल महिलाओं को दोषी करार देना सही नहीं है. हिंदी सिनेमा इस बात का उदाहरण है कि यहां रिश्तें महिलाओं ने ही सुधारे हैं
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