मां पदमीणी कोल्हापुरी ने लंबे अरसे के बाद फिल्मी परदे पर वापसी की है. वे फिल्म फटा पोस्टर निकला हीरो में शाहिद कपूर की मां के किरदार में है. हालांकि उन्होंने फिल्म माइ में छोटी सी भूमिका निभायी. लेकिन फटा पोस्टर में उन्हें अच्छी भूमिका निभानेa का मौका मिला है. वे इस फिल्म में आॅटो रिक् शा चालिका की भूमिका में हैं. पदमीणी की उपस्थिति परदे पर निखर कर आती है. वे जिस तरह अपने हाव भाव और बॉडी जेश्चर का इस्तेमाल करती हैं. वह बहुत स्वभाविक नजर आती हैं. वे आज भी पहले की तरह ही सहज अभिनय करती हंै. पदमीणी कोल्हापुरी ने अपने करियर की शुरुआत बाल कलाकार के रूप में ही कर दी थी. वे लंबे अरसे से इस जगत का हिस्सा रही हैं और शायद यही वजह है कि लंबे ब्रेक के बाद भी जब वह परदे पर नजर आती हैं तो सशक्त रूप में नजर आती हैं. हिंदी सिनेमा में जिस तरह पहले केवल मां के रूप में गिने चुने चेहरे नजर आते थे. लेकिन अब हिंदी फिल्मों में पुराने दौर की लोकप्रिय अभिनेत्रियों को भी शामिल किया जा रहा है. निस्संदेह उन्हें देखना परदे पर अच्छा लगता है. और इस तरह अन्य निर्देशकों को भी उन अभिनेत्रियों को परदे पर लाना चाहिए. लेकिन केवल नाम के दृश्यों के लिए नहीं. उन्हें सशक्त भूमिकाएं दी जायें. राकेश ओम प्रकाश मेहरा ने अपनी फिल्मों से वहीदा रहमान को बार बार अलग अलग रूपों में दर्शाया है. कुछ इसी तरह पुराने जमाने की अच्छी अभिनेत्रियों को केवल नामात्र के लिए नहीं बल्कि अच्छी भूमिकाओं के साथ मौके दिये जाने चाहिए.फिल्म चेन्नई एक्सप्रेस में कामिनी कौशल जैसी सशक्त अभिनेत्री को केवल दो दृश्यों में शामिल किया गया है. जबकि उन्हें और भी दृश्य मिलते तो फिल्म में जान आती. आशा पारेख, जीनत अमान जैसी अभिनेत्रियों को दर्शक बार बार परदे पर देखना चाहते हैं.
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20130930
हिंदी फिल्मों की नयी
मां पदमीणी कोल्हापुरी ने लंबे अरसे के बाद फिल्मी परदे पर वापसी की है. वे फिल्म फटा पोस्टर निकला हीरो में शाहिद कपूर की मां के किरदार में है. हालांकि उन्होंने फिल्म माइ में छोटी सी भूमिका निभायी. लेकिन फटा पोस्टर में उन्हें अच्छी भूमिका निभानेa का मौका मिला है. वे इस फिल्म में आॅटो रिक् शा चालिका की भूमिका में हैं. पदमीणी की उपस्थिति परदे पर निखर कर आती है. वे जिस तरह अपने हाव भाव और बॉडी जेश्चर का इस्तेमाल करती हैं. वह बहुत स्वभाविक नजर आती हैं. वे आज भी पहले की तरह ही सहज अभिनय करती हंै. पदमीणी कोल्हापुरी ने अपने करियर की शुरुआत बाल कलाकार के रूप में ही कर दी थी. वे लंबे अरसे से इस जगत का हिस्सा रही हैं और शायद यही वजह है कि लंबे ब्रेक के बाद भी जब वह परदे पर नजर आती हैं तो सशक्त रूप में नजर आती हैं. हिंदी सिनेमा में जिस तरह पहले केवल मां के रूप में गिने चुने चेहरे नजर आते थे. लेकिन अब हिंदी फिल्मों में पुराने दौर की लोकप्रिय अभिनेत्रियों को भी शामिल किया जा रहा है. निस्संदेह उन्हें देखना परदे पर अच्छा लगता है. और इस तरह अन्य निर्देशकों को भी उन अभिनेत्रियों को परदे पर लाना चाहिए. लेकिन केवल नाम के दृश्यों के लिए नहीं. उन्हें सशक्त भूमिकाएं दी जायें. राकेश ओम प्रकाश मेहरा ने अपनी फिल्मों से वहीदा रहमान को बार बार अलग अलग रूपों में दर्शाया है. कुछ इसी तरह पुराने जमाने की अच्छी अभिनेत्रियों को केवल नामात्र के लिए नहीं बल्कि अच्छी भूमिकाओं के साथ मौके दिये जाने चाहिए.फिल्म चेन्नई एक्सप्रेस में कामिनी कौशल जैसी सशक्त अभिनेत्री को केवल दो दृश्यों में शामिल किया गया है. जबकि उन्हें और भी दृश्य मिलते तो फिल्म में जान आती. आशा पारेख, जीनत अमान जैसी अभिनेत्रियों को दर्शक बार बार परदे पर देखना चाहते हैं.
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