20130916

फिल्मी फीवर आॅन आॅटो मीटर -1



मुंबई में दो चीजों से अटूट रिश्ता है. जिनके बिना मेरी दुनिया या या यूं कहें पूरा दिन पूरा नहीं होता.  फिल्मी दुनिया और आॅटो रिक् शा. बाय गॉड, गॉड प्रॉमिस खाकर कह रही हूं कि हम फिल्मी दुनिया के कितने करीब और कितने दूर हैं. यह तय करनेवाला यहां ऊपरवाला ( ईश्वर) नहीं होता...बल्कि आॅटो रिक् शावाला होता है. चूंकि हम किसी इवेंट या इंटरव्यू में वक्त पर पहुंचेंगे या नहीं या वक्त से पहले पहुंच जायेंगे. यह सब  आॅटो रिक् शा चालक के हाथों में होता है. प्राय: फिल्मी इवेंट या इंटरव्यूज जूहू, बांद्रा, अंधेरी के इलाके में होते हैं और मुंबई की ट्रैफिक में केवल रिक् शावाले ही आपको आपकी मंजिल तक पहुंचा सकते हैं. अपने चार सालों के मुंबई निवास के दौरान गिनती तो नहीं...लेकिन न जाने कितने आॅटो चालकों से छोटी लेकिन दिलचस्प बातें हो जाती हैं. कभी उनकी बातें तो कभी उनकी अलग सी हरकतें प्रभावित कर जाती हैं. कभी मीटर का बढ़ता पारामिटर देख कर गुस्सा आ जाये तो आॅटो चालक की बातें मुस्कुराने का मौका दे देती हैं. गौर करें, तो आॅटो रिक् शा भी मुंबई की सड़कों की लाइफलाइन है और उनकी दुनिया भी किसी फिल्मी दुनिया से कम नहीं और उनकी दुनिया में भी फिल्मों की दुनिया कम नहीं. 4 सालों के दौरान कई फिल्मी दुनिया के फैन मिले तो कई समीक्षक भी. कुछ रजनीकांत की माफिक एक् शन दिखाने में माहिर फैन भी.

"हमारे क्षेत्र के ही वरिष्ठ पत्रकार पन्नू सर ने बताया था एक दिन कि पहले कैसे फिल्में जब कम प्रिंट में रिलीज हुआ करती थी और एक शो के बाद रील को दूसरे थियेटर में भेजना होता था. तो उस वक्त आॅटो रिक् शा की अहम भूमिका होती थी. पन्नू सर ने बताया कि कैसे हम उन आॅटो वालों को पहचान लिया करते थे और जब उसे आते देखते तो चिल्लाते चलो चलो आ गयी फिल्म थियेटर में और किस तरह उस दौर में आॅटो रिक् शा चालक तैनात रहते थे थियेटर के बाहर फिल्मों को एक थियेटर से दूसरे थियेटर पहुंचाने में...उस वक्त मैंने महसूस किया कि आॅटो रिक् शा का फिल्मी दुनिया से एक अलग सा कनेक् शन है. फिर मामला  चाहेफिल्मी पोस्टरों को चिपकाने को लेकर हो या  फिल्मी प्रोमोशन को लेकर . सो, बस यूं ही अपने लिये अपने ब्लॉग अनुख्यान में आॅटो रिक् शा व सिनेमा : फिल्मी फीवर आॅन आॅटो मीटर के माध्यम से उन अनुभव और उनसे जुड़ी कुछ दिलचस्प बातों को किस्तों में शेयर करूंगी. "
बस यूं ही 

आज दो सुपरस्टार से बातचीत हुई. एक सुपरस्टार जिसे पूरी दुनिया सुपरस्टार मानती है और दूसरे सुपरस्टार वह. जो खुद को सुपरस्टार मानता है. वह आम आदमी है. भीड़ से अलग नहीं है उसका चेहरा. लेकिन फिर भी वह अपनी जिंदगी में खुश है. संतुष्ट है और कहता है कि हम कोई सुपरस्टार की जिंदगी से कम अच्छी जिंदगी थोड़ी न जी रहे हैं. ..  अपनी जिंदगी में खुद को सुपरस्टार माननेवाले मुंबई में आमतौर पर कई आॅटो रिक् शा वाले मिल ही जाते हैं. उनकी दुनिया और उनके आॅटो चलाने का अंदाज आपको किसी फिल्मी सीक्वेंस से कम नजर नहीं आयेगा.  मुंबई में घर खरीद लियाहै. पढ़े लिखे ग्रेजुएट हैं. अपना काम कर रहे हैं. किसी से भीख तो नहीं मांग रहे. क्या हुआ जो आॅटो ही चला रहे हैं.
विकास( आॅटो रिक् शा वाला) से बातचीत का सिलसिला आगे इसलिए बढ़ा. चूंकि वह भी फिल्मों में रुचि रखते हैं और मैं भी. यूं तो मुंबई में कई आॅटोचालक से फिल्मों पर बातचीत हुई है. लेकिन जितनी दिलचस्प बातें आज विकास से हुई. अब तक नहीं हुई थी. विकास फिल्मों के शौकीन हैं और हिंदी समेत हॉलीवुड फिल्में भी देखते हैं. और फिल्मों को लेकर अपनी बेबाक राय रखते हैं.  वे आॅटो ज्यादातर बॉलीवुड के मक्का कहनेजानेवाले इलाके बांद्रा में चलाते हैं. ेलकिन उन्हें किसी स्टार का डर नहीं. खुद ही कहते हैं कि कौन सा हमको जानता है... कि हमारा कुछ बिगाड़ेगा. फिल्म आम लोगों के लिए बनाता है तो अच्छा बुरा सब सुनना होगा. इस साल रिलीज हुई फिल्मों पर उसी सोच और समझ पर उनकी बातों ने मुझे आकर्षित किया...

विकास का पहला सवाल था मेहबूब स्टूडियो में क्यूं गयी थीं. मैंने कहा इंटरव्यू था.
उसने पूछा किसका इंटरव्यू था मैंने बोला रणबीर का. आमतौर पर कोई आॅटोचालक से यह कहते नहीं सुना था कि रणबीर अच्छा बोलता है, क्योंकि अच्छे घर से है. अपने परिवार का मान करना जानता है. बातचीत का सिलसिला जारी है...

विकास : रणबीर का क्यों करने गयी थी. बेशरम के लिए. जो 2 अक्तूबर को आ रही है. उसमें लड़की नयी है न...विकास की इतनी ही बातें काफी थी इस संकेत के लिए कि वे फिल्में देखने में माहिर हैं और पूरी खोज खबर रखते हैं.उसकी इन बातों को सुन कर लगा. बात अपने मोबाइल रिकॉर्डर में रिकॉर्ड कर लूं. बिना उसकी इजाजत. हमारी बातों का सिलसिला जारी रहता है और विकास एक एक कर फिल्मों का रिव्यू कर रहे हैं...बेबाकी से...
 मैं : लास्ट कौन सी फिल्म देखी
 विकास : ग्रैंड मस्ती ...
कैसी लगी...
विकास :बकवास...
 मैं : क्यों...
विकास :क्या दिखाया है उसमें खाली चीप फिल्म है.
फिर भी तो हिट हो जा रही है...
विकास :कहां हिट हो रही है...
 मैं : हां, अच्छी ओपनिंग मिली है उसको.
आपको कौन सी लास्ट फिल्म अच्छी लगी
विकास :रांझणा
गुड वेरी गुड
मैं : रणबीर कैसे लगते हैं?
विकास :रणबीर को तो मैं डेली देखता हूं
कैसे
विकास :पाली हिल में रहता है न...
मैं : जब जब रिलीज होती है फिल्म तब तब देखते हैं?
विकास :हां
 चेन्नई एक्सप्रेस bhi dekhe
उससे घटिया पिक्चर आज तक कोई बनी है. पूरी पिक्चर ट्रेन में खत्म हो गयी. क्या पिक्चर है.
खाली ट्रेन में. उसके बाद क्या बोलते हैं समझ में भी नहीं आता...
 मैं : :भाग मिल्खा भाग नहीं देखी?
विकास : बहुत अच्छी फिल्म है.

मैं : आपने कहां तक पढ़ाई की है?
विकास: ग्रेजुएशन

मैं : तो ग्रेजुएशन करके आॅटो क्यों चला रहे हैं?
विकास: तो क्या हुआ...
मैं : क्यों अच्छा है पैसा?
विकास: किसी की गुलामी करने से तो अच्छा है.
मैं : आपका अपना आॅटो है.
विकास: हां,
मैं : फिर अच्छा है. अपना घर है.
अपना घर है? कहां पे लिया है?
विकास: सांताक्रूज में है, विरार में है. वाह.
संतुष्ट हैं. अपने सुपरस्टार हैं हम तो...
है कहां के
विकास: यूपी के ...
मैं : उत्तर प्रदेश में कहां
विकास: इलाहाबाद
मैं : कब आये थे यहां
विकास: ाीन साल पहले
मैं : वाह तीन साल में अपना घर
तो
वेरी गुड
विकास: तो वहां कौन कौन था
मैं : रणबीर
विकास: बेशरम की हीरोइन को पहचानते हैं?
विकास: ंनयी है न नाम नहीं जानते
मैं : पल्लवी
विकास: अच्छा...
आपको कौन अच्छा लगता है सबसे. हीरो में
विकास: आमिर खान
मैं : क्या??
विकास: आमिर खान
मैं : क्यों?

विकास: उससे हम मिला हूं न...
मैं : अच्छा, मिले थे तो क्या बात हुई...

विकास: बात क्या हाय हल्लो हुआ. वो आये थे न...उसकी फिल्म रिलीज हुई थी न पीपली लाइव. तो यूनियन पार्क में एक शो था. ठीक है.वही आया था. वो और सलमान अच्छा है...
अच्छा सलमान भी अच्छा है. क्यों अच्छा है??
विकास: क्योंकि वो बहुत अच्छा है. उसके जैसा तो कोई नहीं है
लेकिन क्यों अच्छा है. कुछ रीजन तो होगा...?

विकास: वो दूसरों की मदद करता है. पहली बात. दूसरी बात. मेरे भाई के बच्चे भर्ती था. भाभा हॉस्पीटल है न ये...वहां वो आया था. देखने के लिए. वो वहां हर हफ्ते आता है. बच्चा लोग को देखने. एक्चुअल में जो वहां बच्चों का बनाया गया है न...वो यही देता है.मतलब खर्चा सलमान ही देता है. कभी जाओ देखो. क्या बनवाया है. बहुत भीआइपी बनाया है.
मैं :  वाह...
विकास : वो सलमान वहां रहता है न बैंड स्टैंड में...वहां जाकर देखिए कितना का हेल्प कर देता है. ऐसे ही.
हां, सोशल वर्क तो काफी होता है उनका...
हां, अच्छा है वो...
विकास: रणबीर से पूछे कि नहीं कि कट्रीना के घर काहे घूमता रहता है हमेशा?
मैं :  हाहाहा
विकास: मैं अक्सर उसी के बिल्डिंग के पास देखता हूं. वो वाटरफील्ड रोड के पास रहता है. वो है न क्या बोलते हैं उसके बोरा बोरा उसी के सामनेवाले बिल्डिंग के पास उसको देखता हूं.
मैं :  अच्छा...
लेकिन जवाब अच्छे देते हैं?
विकास: हां, तो अच्छे घर से है. तो अच्छा ही जवाब देगा.
विकास: ग्रैंड मस्ती जैसी फिल्म को हिट नहीं कराना चाहिए. लेकिन करा देते हैं लोग...मैडम. हमको तो अच्छा नहीं लगा...
विकास: अच्छा  लेफ्ट लूं कि राइट

राइट ले लीजिए...
और आ गया कलीना

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