20130903

भारत के लोगों को समझने की कोशिश करता हूं : अमिताभ बच्चन


एक बार फिर अमिताभ बच्चन केबीसी के सातवें संस्करण को लेकर दर्शकों के सामने हाजिर हैं. इस बार वे और उत्साह के साथ दर्शकों से मुखातिब होने को तैयार हैं. 

 अमिताभ बच्चन का मानना है कि आमतौर पर उन्हें फिल्मों की दुनिया से बाहर जाने का मौका नहीं मिलता. आम जिंदगी को जीने का मौका नहीं मिलता. लेकिन केबीसी एक माध्यम है, जिसके जरिये वे आम लोगों से मिल पाते हैं और उनकी परेशानियों को करीब से महसूस कर पाते हैं. बातचीत अमिताभ बच्चन से...

  अमिताभ, आप लगातार इस शो का हिस्सा बने रहे. आप इस शो के पर्याय बन चुके हैं. आप कैसा महसूस करते हैं?
मुझे लगता है कि मैंने केबीसी में आकर भारत को नजदीक से महसूस किया है. क्योंकि हम कलाकार कभी आम लोगों तक सीधे तौर पर पहुंच नहीं पाते या पहुंचना मुश्किल होता है. ऐसे में केबीसी में हम बिल्कुल आम लोगों से मिलते हैं. उनकी जिंदगी को सामने से समझने की कोशिश करते हैं तो अच्छा लगता है. महसूस करता हूं कि किस तरह से लोग परेशानी में हैं और थोड़े पैसों के लिए भी कितनी मेहनत करते हैं. कभी उनकी मदद हम कर देते हैं. लेकिन वे बातें न ही जिक्र हो तो अच्छा. हां, मगर केबीसी ने मुझे समृद्ध किया है और मैं हमेशा यह बातें कहता रहता हूं. केबीसी जैसे शो को लगातार जो सफलता मिल रही है. इसलिए कि आम लोगों का शो है और यहां सिर्फ प्राइस मनी नहीं इमोशन से भी जुड़ा है ये शो.
जब केबीसी की यात्रा की शुरुआत हुई थी और आप इससे जुड़े थे. उस वक्त आपको लगा था कि शो की यात्रा लगभग 13 साल तक जारी रहेगी.
बिल्कुल नहीं. उस वक्त तो केवल तीन महीनों के लिए शो की शुरुआत हुई थी. हां, व्यक्तिगत रूप से भी मुझे केबीसी से मदद मिली. लेकिन उन बातों के इतर बड़ी बात यह थी कि उस वक्त हमने कल्पना भी नहीं की थी. शो, इतना सफल होगा कि हम 13 साल का कारवां पूरा कर लेंगे. अब तो विदेशों से भी फोन आने लगे हैं कि कैसे भारत में यह शो अब भी लोकप्रिय है. मैं मानता हूं कि यह शो इसलिए लोकप्रिय हो पा रहा है कि इससे आपका ज्ञान तो बढ़ता ही है. साथ ही साथ कई लोगों की मदद भी होती है. कई लोगों के सपने पूरे होते हैं. आम आदमी से जुड़ पाता है. शो बिल्कुल सिंपलिसिटी को बरकरार रख पाता है. इसमें तड़क भड़क नहीं. इसलिए यह शो कामयाब हो पा रहा है. इस शो में कई रोमांचक पड़ाव भी आये. लेकिन कामयाबी लगातार मिली.
आपने केबीसी से क्या क्या सीखा?
हम हर दिन जहां भी काम करते हैं. वहां से कुछ न कुछ सीखते ही हैं. मैंने केबीसी से काफी कुछ सीखा. खासतौर से उन लोगों को समझने की कोशिश की जो मेहनत से आगे बढ़ना चाहते हैं. केबीसी में सभी परदे के पीछे काफी मेहनती हैं और काफी काम करते हैं. उनसे भी सीख मिलती है. जो बड़े सपने देख कर इस शो में आते हैं और उनका सपना पूरा होते देखना अच्छा लगता है. उनसे मेहनत, लगन और जूनून के साथ काम करने की ललक सिखता हूं.यह भी सिखता हूं कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती. कई बार कई प्रश्नों का उत्तर हमें भी पता नहीं होता तो हमारा जीके भी बढ़ता है. सीखना तो निरंतर चल ही रहा है. केबीसी से जुड़ने के बाद मेरे ज्ञान में भी बहुत बढ़ोत्तरी हुई है. मैं जब 1984 में चुनाव लड़ा था, तब हर वर्ग के लोगों से मुलाकात होती थी. उनके सुख-दुख की जानकारी मिलती थी. जब मैंने राजनीति छोड़ दी, उसके बाद इस तरह के मौके नहीं मिले. इधर केबीसी ने मुझे लगातार यह मौका दिया है.
आपके लिए अभिनय ज्यादा कठिन है या टीवी का एंकर बनना?
अगर ईमानदारी से कहूं तो मुझे टीवी ज्यादा कठिन लगता है.  एक एंकर के तौर पर बहुत कुछ अपनी ओर अपना ए फर्ट भी डालना होता है. चूंकि यहां सबकुछ जल्दी जल्दी होता है. वहां तो कई टेक होते हैं. काफी टाइम हमें मिलता है. लेकिन यहांऐसा नहीं होता. डेडलाइन मिट करना एक टफ काम है. साथ ही एंकर को कई बार कई चीजें खुद से जोड़नी पड़ती हैं. सबकुछ स्क्रिप्टेड नहीं होता है.
क्या केबीसी के बाद उन लोगों से आप संपर्क कायम रख पाते हैं, जो विनर्स रहे या शो का हिस्सा रहे?
हां, हां बिल्कुल कभी मौका मिलने पर हम उनसे बात करते हैं. मुझे याद है कि कैसे सुशील कुमार जो बिहार से आये थे. उनसे जब पूछा गया कि आप कितनी राशि जीत कर जाना चाहते हैं तो उन्होंने कहा कि केवल 20 हजार. चूंकि मेरे घर का खप्पड़ैल टूट गया है. उसक ोबनवाऊंगा. तो 10 हजार उसमें जायेंगे. बाकी 10 हजार उस दोस्त को चुकाऊंगा. जहां से फोन कर कर के मैं केबीसी का हिस्सा बन पायेगा. वहां भी उधार है. ऐसे लोगों से मिलता हूं तो महसूस करता हूं कि हमें कितनी अच्छी जिंदगी मिली है. हम कोशिश करते हैं कि उनकी जरूरत में थोड़ी बहुत मदद कर पाऊं. जब पता चलता है कि अमुक की पारिवारिक हालत ठीक नहीं है और उसे रुपयों की सख्त जरूरत है. ेगलत जवाब देने की वजह से वह जल्दी आउट हो जाता है.ऐसी स्थिति में मैं जितना बन पड़ता है, खुद भी मदद कर देता हूं.  लेकिन बातों के बारे में ज्यादा जिक्र नहीं करना चाहता.
आपके पसंदीदा एंकर टीवी पर कौन कौन हैं.
सभी अच्छा काम कर रहे हैं. शाहरुख, सलमान आमिर अक्षय सभी.
आपकी फिल्म सत्याग्रह रिलीज हो चुकी है. कैसी उम्मीद है?
उम्मीद है कि दर्शक इसे देखे सराहे. सामाजिक मुद्दे को लेकर जरूरी फिल्म बनी है.

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