20130903

पर्ति धर्म सर्वोपरि


 हाल ही में खबर आयी कि विद्या बालन ने एकता कपूर की इफ्तार पार्टी का निमंत्रण ठुकरा दिया. वजह यह थी कि विद्या के पति सिद्धार्थ रॉय कपूर जो कि  यूटीवी के सीइओ हैं, उनकी फिल्म चेन्नई एक्सप्रेस और एकता कपूर की फिल्म वन्स अपन अ टाइम इन मुंबई दोबारा में फिल्म की रिलीज को लेकर लंबे दौर से वार चल रहा है. और यही वजह रही कि विद्या ने अपने पति का साथ देते हुए एकता के निमंत्रण को ठुकरा दिया. वही विद्या जो अपने प्रशंसकों व चाहने वाले लोगों के लिए एक मामूली से इवेंट में भी शामिल हो जाया करती थीं. वे अपनी पसंदीदा निर्माता एकता और निर्देशक मिलन के बार बार बुलावे के बाद भी नहीं आयीं. हो सकता है कि विद्या के इस बर्ताव से विद्या के बारे में कई गलत अवधारणा मीडिया व लोगों में फैलेगी. लोग विद्या को मतलबी मानने लगेंगे या यू कहें कि लोग कहने लगेंगे कि अब विद्या बदल गयी है. घमंडी हो गयी हैं. लेकिन हकीकत यह है कि कई बार चाह कर भी परिस्थितियां साथ नहीं देतीं. निश्चित तौर पर विद्या इस पार्टी में शामिल होना चाहती होंगी. लेकिन पति धर्म निभाने पर वह बाध्य हुई होंगी. दरअसल, हिंदी सिनेमा में ऐसी कई महिलाएं हैं जो मॉर्डन होते हुए भी अब भी पहले पति धर्म को ही सर्वोपरि मानती हैं. फराह से शाहरुख की दूरी की वजह फराह क ेपति शिरीष ही बने थे. काजोल और आदित्य की वर्षों व गहरी दोस्ती को पिछले साल टूटते देर नहीं लगी.जब अजय व आदित्य के प्रोडक् शन हाउस में वार छिड़ी. अब विद्या इसका शिकार बन रही हैं. जबकि होना यह चाहिए था कि दोस्ती और प्रोफेशन को कोसों दूर रखना ही अच्छा. जहां मतलब है वहां दोस्ती कैसी? प्रोफेशनल रिश्ते अपनी जगह. दोस्ती के रिश्ते अपनी जगह. लेकिन यह सिर्फ कही सुनी बातें हो जाती हैं. फिल्म इंडस्ट्री तो अपनी बनी बनायी स्ट्रेजी पर चलती है. किसी और की बातों पर नहीं.

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