इंडियन आयडल के आगामी एपिसोड में लीजेंडरी संगीत निर्देशक प्यारेलाल जी शामिल होनेवाले हैं. इंडियन आयडल का यह अब तक का सबसे खास एपिसोड होगा. चूंकि इस एपिसोड में खुद प्यारेलाल कुछ गानों को स्टेज पर कंपोज करते भी नजर आयेंगे. प्यारेलाल ने 45 बैंड सदस्यों के साथ इस शाम को शानदार बना दिया और आॅक्रेस्ट्रा की मधुर धुन से पूरा सेट गूंज उठा. वर्षों बाद इंडियन आयडल की बदौलत पुराना दौर लौटेगा. और एक बार फिर से हम अलग अंदाज में यह देख पायेंगे. किसी दौर में हिंदी सिनेमा में स्टेज परफॉरमेंस के दौरान ऐसा ही नजारा नजर आता है. कई सालों पहले फिल्मफेयर समारोह में एक बार राखी, अमिताभ और शशि कपूर ने खास पेशकश इसी अंदाज में दी थी. उस दौर में जब लाइव परफॉरमेंस होते थे तो म्यूजिक इसी अंदाज में प्रस्तुत किया जाता था. आज भी यू टयूब पर वैसे कई पुराने वीडियोज देखे जा सकते हैं.और इन्हें देख कर आप इस बात का अनुमान लगा सकते हैं कि किस तरह उस दौर में म्यूजिक को इस तरह लोगों के सामने प्रस्तुत करना एक जोखिम भरा काम होता होगा. जोखिम इस लिहाज से कि अगर गलती से कोई गलती हुई तो कांसर्ट की बदनामी हो जाती होगी. उस दौर में कितनी चीजें अनुशासित करनी होती होगी. कितनी बातों का ध्यान रखना होता होगा. आज तो इतने सारे उपकरण मौजूद हैं कि अभिषेक बच्चन समेत कई अभिनेता सिंगर बन गये हैं और वह आराम से स्टेज परफॉरमेंस दे दिया करते हैं. लेकिन वह दौर कितना मुश्किल भरा होता होगा. किस तरह आॅक्रेस्ट्रा को अनुशासित तरीके से सुनिश्चित किया जाता होगा. हाल के दौर में शायद ही म्यूजिक निर्देशक वह रिस्क ले पायें. हालांकि शंकर महादेवन, एआर रहमान जैसे संगीत निर्देशकों में अब भी वह हिम्मत है कि वह उस अंदाज की प्रस्तुति दे पायें.
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20130903
संगीत का वह लाइव दौर
इंडियन आयडल के आगामी एपिसोड में लीजेंडरी संगीत निर्देशक प्यारेलाल जी शामिल होनेवाले हैं. इंडियन आयडल का यह अब तक का सबसे खास एपिसोड होगा. चूंकि इस एपिसोड में खुद प्यारेलाल कुछ गानों को स्टेज पर कंपोज करते भी नजर आयेंगे. प्यारेलाल ने 45 बैंड सदस्यों के साथ इस शाम को शानदार बना दिया और आॅक्रेस्ट्रा की मधुर धुन से पूरा सेट गूंज उठा. वर्षों बाद इंडियन आयडल की बदौलत पुराना दौर लौटेगा. और एक बार फिर से हम अलग अंदाज में यह देख पायेंगे. किसी दौर में हिंदी सिनेमा में स्टेज परफॉरमेंस के दौरान ऐसा ही नजारा नजर आता है. कई सालों पहले फिल्मफेयर समारोह में एक बार राखी, अमिताभ और शशि कपूर ने खास पेशकश इसी अंदाज में दी थी. उस दौर में जब लाइव परफॉरमेंस होते थे तो म्यूजिक इसी अंदाज में प्रस्तुत किया जाता था. आज भी यू टयूब पर वैसे कई पुराने वीडियोज देखे जा सकते हैं.और इन्हें देख कर आप इस बात का अनुमान लगा सकते हैं कि किस तरह उस दौर में म्यूजिक को इस तरह लोगों के सामने प्रस्तुत करना एक जोखिम भरा काम होता होगा. जोखिम इस लिहाज से कि अगर गलती से कोई गलती हुई तो कांसर्ट की बदनामी हो जाती होगी. उस दौर में कितनी चीजें अनुशासित करनी होती होगी. कितनी बातों का ध्यान रखना होता होगा. आज तो इतने सारे उपकरण मौजूद हैं कि अभिषेक बच्चन समेत कई अभिनेता सिंगर बन गये हैं और वह आराम से स्टेज परफॉरमेंस दे दिया करते हैं. लेकिन वह दौर कितना मुश्किल भरा होता होगा. किस तरह आॅक्रेस्ट्रा को अनुशासित तरीके से सुनिश्चित किया जाता होगा. हाल के दौर में शायद ही म्यूजिक निर्देशक वह रिस्क ले पायें. हालांकि शंकर महादेवन, एआर रहमान जैसे संगीत निर्देशकों में अब भी वह हिम्मत है कि वह उस अंदाज की प्रस्तुति दे पायें.
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