लंदन के एक इलाके में रहनेवाली हरनाम कौर ने अचानक एक दिन एक निर्णय लिया और उस दिन के बाद वे कभी खुद पर शर्मिंदा नहीं होतीं. उन्होंने निर्णय लिया कि वे अपने चेहरे व शरीर में हारमोनल डिस्बैलेंस होने की वजह से आये अतिरिक्त बालों को नहीं हटायेंगी. उन्होंने इसके लिए सिक्ख धर्म का साथ अपनाया, जिसके अनुसार दाढ़ी बनवाना एक पाप है और इसके बाद वे कभी दुखी नहीं हुईं. हरमन जब 11 साल की थीं. उसी वक्त से उनके चेहरे पर दाढ़ी निकल आयी थी. उनकी छाती पर भी लड़कों की तरह बाल हो गये थे. उन्होंने शुरुआती दौर में उसे हटाने के कई उपाय अपनाये. लोगों से जिल्लत सहने की बजाय खुद को एक कमरे में बंद कर लिया. लेकिन जब बाहर आयीं तो सिक्ख धर्म के मार्गदर्शन के साथ आयीं. और आज वह उन तमाम महिलाओं के लिए प्रेरणा है. जो इस बीमारी से ग्रसित हैं. कई पुरुषों ने उनकी बहादुरी को देखते हुए उनसे शादी करने के भी प्रस्ताव भेजे. कुछ महीनों पहले अनुराग कश्यप की बहन अनुभूति कश्यप ने भी मोर मरजानी नामक फिल्म का निर्देशन व निर्माण किया था. फिल्म का विषय एक ऐसी ही महिला पर आधारित था, जिसके चेहरे पर लड़कों की तरह दाढ़ी थी. वह एक व्यक्ति से प्यार करती थीं. लेकिन कभी अपना चेहरा नहीं दिखाना चाहती थीं. लेकिन उसका फ्रेंड उसका साथ देता है और लड़की का आत्मविश्वास बढ़ जाता है. दरअसल, आत्मविश्वास दुनिया की वह सबसे बड़ी ताकत है, जिसके माध्यम से आप हर चट्टान को पार कर सकते हैं.एक ऐसे दौर में जहां अभिनेत्रियां सुंदर होकर भी अतिरिक्त सुंदर होने के चक्कर में प्लास्टिक सर्जरी करवा रहीं. हरनाम जैसी महिलाओं का यह कदम सराहनीय है. चूंकि हरनाम जैसी महिलाओं की संख्या ज्यादा है और उन्हें ऐसी प्रेरणाओं की जरूरत है.
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20140401
एक चेहरा ऐसा भी
लंदन के एक इलाके में रहनेवाली हरनाम कौर ने अचानक एक दिन एक निर्णय लिया और उस दिन के बाद वे कभी खुद पर शर्मिंदा नहीं होतीं. उन्होंने निर्णय लिया कि वे अपने चेहरे व शरीर में हारमोनल डिस्बैलेंस होने की वजह से आये अतिरिक्त बालों को नहीं हटायेंगी. उन्होंने इसके लिए सिक्ख धर्म का साथ अपनाया, जिसके अनुसार दाढ़ी बनवाना एक पाप है और इसके बाद वे कभी दुखी नहीं हुईं. हरमन जब 11 साल की थीं. उसी वक्त से उनके चेहरे पर दाढ़ी निकल आयी थी. उनकी छाती पर भी लड़कों की तरह बाल हो गये थे. उन्होंने शुरुआती दौर में उसे हटाने के कई उपाय अपनाये. लोगों से जिल्लत सहने की बजाय खुद को एक कमरे में बंद कर लिया. लेकिन जब बाहर आयीं तो सिक्ख धर्म के मार्गदर्शन के साथ आयीं. और आज वह उन तमाम महिलाओं के लिए प्रेरणा है. जो इस बीमारी से ग्रसित हैं. कई पुरुषों ने उनकी बहादुरी को देखते हुए उनसे शादी करने के भी प्रस्ताव भेजे. कुछ महीनों पहले अनुराग कश्यप की बहन अनुभूति कश्यप ने भी मोर मरजानी नामक फिल्म का निर्देशन व निर्माण किया था. फिल्म का विषय एक ऐसी ही महिला पर आधारित था, जिसके चेहरे पर लड़कों की तरह दाढ़ी थी. वह एक व्यक्ति से प्यार करती थीं. लेकिन कभी अपना चेहरा नहीं दिखाना चाहती थीं. लेकिन उसका फ्रेंड उसका साथ देता है और लड़की का आत्मविश्वास बढ़ जाता है. दरअसल, आत्मविश्वास दुनिया की वह सबसे बड़ी ताकत है, जिसके माध्यम से आप हर चट्टान को पार कर सकते हैं.एक ऐसे दौर में जहां अभिनेत्रियां सुंदर होकर भी अतिरिक्त सुंदर होने के चक्कर में प्लास्टिक सर्जरी करवा रहीं. हरनाम जैसी महिलाओं का यह कदम सराहनीय है. चूंकि हरनाम जैसी महिलाओं की संख्या ज्यादा है और उन्हें ऐसी प्रेरणाओं की जरूरत है.
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