हाल ही में आलिया भट्ट से मुलाकात हुई. उनसे जब यह पूछा गया कि क्या वजह रही कि उनकी बहन पूजा भट्ट का अभिनय करियर बहुत अच्छा नहीं रहा. इस पर आलिया ने जवाब दिया कि पूजा कभी अभिनय नहीं करना चाहतीं. वह अभिनय की दुनिया में यूं ही आ गयी थी. और मेरा मानना है कि अभिनय की दुनिया में वही बेहतर कर सकते. जो वाकई में अभिनय करना चाहते. चूंकि यह एक ऐसी दुनिया है, जिसमें जबरन आपसे कोई कुछ नहीं करा सकता. दरअसल, अभिनय के कई रूप हैं. हिंदी सिनेमा में वैसे अभिनेता अभिनेत्रियों की संख्या बेहद कम है, जो वाकई सोच कर कलाकार बनें.देव आनंद अभिनेता बनने में नहीं आये थे, बाद में उन्होंने तय किया कि वे अभिनेता बनेंगे. अशोक कुमार पहले लैब अस्टिेंट थे. उन्हें विदेश जाना था. लेकिन वे फिल्मों में आ गये. सुनील दत्त पहले रेडियो में थे. बाद में उन्होंने फिल्मी दुनिया की तरफ रुख किया. बलराज साहनी भी फिल्मों में इत्तेफाक से आये. उमा देवी उर्फ टुनटुन को फिल्मों में आने में कोई दिलचस्पी नहीं थी. लेकिन वे फिल्मों में आ गयीं. अरुणा ईरानी भी फिल्मों में इत्तेफाक से आयीं. वर्तमान दौर में अब कलाकार सोच समझ कर तैयारी से फिल्मों में आ रहे हैं. उनकी पहली फिल्म में ऐसा नहीं लगता कि ये उनकी पहली फिल्म है. वे पूरी तैयारी से आते हैं. जबकि पुराने दौर के कलाकारों की पहली फिल्मों को देखें तो उनकी मासूमियत नजर आती है. कई ऐसे कलाकार हैं, जिन्होंने अभिनय करते हुए खुद को निखारने की कोशिश की. हाल के कलाकारों को देखें तो हर नवोदित कलाकार डांस, अभिनय, निर्देशन की बकायदा ट्रेनिंग लेकर आ रहे हैं, और यही वजह है कि वह शुरुआत से ही परिपक्व नजर आते हैं.एक लिहाज से यह अच्छा भी है. लेकिन पहली फिल्मों में दिखने वाली वह मासूमियत खोती जा रही है.
My Blog List
20140425
इत्तेफाक से बने कलाकार
हाल ही में आलिया भट्ट से मुलाकात हुई. उनसे जब यह पूछा गया कि क्या वजह रही कि उनकी बहन पूजा भट्ट का अभिनय करियर बहुत अच्छा नहीं रहा. इस पर आलिया ने जवाब दिया कि पूजा कभी अभिनय नहीं करना चाहतीं. वह अभिनय की दुनिया में यूं ही आ गयी थी. और मेरा मानना है कि अभिनय की दुनिया में वही बेहतर कर सकते. जो वाकई में अभिनय करना चाहते. चूंकि यह एक ऐसी दुनिया है, जिसमें जबरन आपसे कोई कुछ नहीं करा सकता. दरअसल, अभिनय के कई रूप हैं. हिंदी सिनेमा में वैसे अभिनेता अभिनेत्रियों की संख्या बेहद कम है, जो वाकई सोच कर कलाकार बनें.देव आनंद अभिनेता बनने में नहीं आये थे, बाद में उन्होंने तय किया कि वे अभिनेता बनेंगे. अशोक कुमार पहले लैब अस्टिेंट थे. उन्हें विदेश जाना था. लेकिन वे फिल्मों में आ गये. सुनील दत्त पहले रेडियो में थे. बाद में उन्होंने फिल्मी दुनिया की तरफ रुख किया. बलराज साहनी भी फिल्मों में इत्तेफाक से आये. उमा देवी उर्फ टुनटुन को फिल्मों में आने में कोई दिलचस्पी नहीं थी. लेकिन वे फिल्मों में आ गयीं. अरुणा ईरानी भी फिल्मों में इत्तेफाक से आयीं. वर्तमान दौर में अब कलाकार सोच समझ कर तैयारी से फिल्मों में आ रहे हैं. उनकी पहली फिल्म में ऐसा नहीं लगता कि ये उनकी पहली फिल्म है. वे पूरी तैयारी से आते हैं. जबकि पुराने दौर के कलाकारों की पहली फिल्मों को देखें तो उनकी मासूमियत नजर आती है. कई ऐसे कलाकार हैं, जिन्होंने अभिनय करते हुए खुद को निखारने की कोशिश की. हाल के कलाकारों को देखें तो हर नवोदित कलाकार डांस, अभिनय, निर्देशन की बकायदा ट्रेनिंग लेकर आ रहे हैं, और यही वजह है कि वह शुरुआत से ही परिपक्व नजर आते हैं.एक लिहाज से यह अच्छा भी है. लेकिन पहली फिल्मों में दिखने वाली वह मासूमियत खोती जा रही है.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment