20140425

काम को दिल देना है पसंद : रेखा भारद्वाज़.


जब हम उनकी आवाज सुनते हैं तो आस पास का माहौल भी सुफियाना और सुकून से भरा हो जाता है. उनकी आवाज का ही यह जादू है कि रात के ढाई बजे शहनाईयां बजने लगती हैं और ससुराल गेंदा फूल के रूप में नजर आने लगता है. लंबे अरसे के बाद उनकी आवाज टेलीविजन पर गूंजी. धारावाहिक गुस्ताख दिल में सुप्रसिद्ध गायिका रेखा भारद्वाज ने एक बेहतरीन गीत को अपनी आवाज दी. 

गुस्ताख दिल का गीत
मैं केवल गाने के लिए गीत नहीं गा सकती. मेरे दिल को अच्छा लगना चाहिए. तभी मैं उसे आवाज दे सकती हूं. पिछले कई सालों से टेलीविजन के लिए कुछ किया नहीं था. सो, जब मेरे पास इस गीत का आॅफर आया तो पहले मैंने यह गीत पूरी तरह से सुना. मुझे बताया गया कि रॉक बैंड अग्नि इस गीत को कंपोज कर रहे हैं. मैंने जब घर पर इसका रियाज किया. तो मुझे गाने के बोल अच्छे लगे. मुझे जब फोन आया था तो मैं ट्रैवलिंग कर रही थी. मैंने कहा  कि मैं यूं ही नहीं गा सकती. मुझे गाने पर वक्त देना होता है. चूंकि मेरे लिए गाना साधना और पूजा ही है. मैं इसे जल्दबाजी में नहीं कर सकती थी..लेकिन इस गीत को सुनने के बाद मुझे बहुत अच्छा लगा. यह गीत सखी सईया काफी मेलोडियस गीत है और यह कई महिलाओं को अपील करेगा. अग्नि बैंड के मोहन ने बहुत ही अच्छा काम किया है. बहुत खूबसूरत ट्रैक तैयार किया है. मैंने इसकी रिकॉर्डिंग में भी बहुत एंजॉय किया . रुपेश कश्यप ने इसके बोल लिखे हैं और बेहतरीन बोल लिखे हैं.
 टेलीविजन पर पहले भी गाये हैं गीत
लोगों को यह गलतफहमी हो गयी है कि मैं पहली बार लाइफ ओके के शो गुस्ताख दिल में अपनी आवाज दे रही हूं और टीवी की दुनिया मेरे लिए नयी है. जबकि हकीकत यह है कि मैंने शुरुआती दौर में कई गीत गाये हैं. वह दौर दूरदर्शन का था. उस वक्त टीआरपी की उतनी होड़ नहीं होती थी. मैंने कई टाइटिल ट्रैक गाया. लेकिन बाद में फिल्मों से ही फुर्सत नहीं मिली. फिर अपने म्यूजिक एलबम के लिए काम करना शुरू कर दिया था. सो, वक्त नहीं मिलता.
रियलिटी शोज
मेरा मानना है कि रियलिटी शोज आज के दौर में एक बेहतरीन माध्यम बन चुका है. इसके माध्यम से गांव गांव से नयी प्रतिभाओं की तलाश हो रही है. कभी कभी देखती हूं तो लगता है कि अरे कितने छोटे छोटे बच्चे कहां कहां से हिस्सा ले रहे हैं. कितनी अच्छी बात है. लेकिन फिर अफसोस तब होता है जब रियलिटी शोज से मिली लोकप्रियता को वह पचा नहीं पाते और फिर कहीं गुम हो जाते हैं. निस्संदेह रियलिटी शोज बच्चों को मौके देते हैं. और यह अच्छा प्लेटफॉर्म भी है. लेकिन बाद में उन्हें साधना नहीं दी जाती. उन्हें वैसी ट्रेनिंग दी जाये और अच्छे से मांझा जाये तो वे बच्चे कमाल कर सकते हैं.
्रगुलजार साब मेंटर हैं
गुलजार साहब मेरे मार्गदर्शक हैं. उनके बारे में किसी एक मोमेंट का जिक्र तो मैं नहीं कर सकती. बस इतना कह सकती हूं कि उनसे मिलने के बाद ही हमारी जिंदगी बदल गयी. गुलजार विशाल को बेटे और मुझे बेटी की तरह मानते हैं. वे हमेशा मुझे कहते हैं और आज भी सिखाते हैं कि दिल की सुनो. धारा प्रवाह में बहने की जरूरत नहीं. गुलजार साब की कही हर बात में प्रासंगिकता है. वे पोजिटिव सोचते भी हैं और अपने आस पास के लोगों के बीच भी पोजिटिविटी फैलाते हैं. गुलजार साब की सबसे अच्छी बात है कि उन्हें मैंने आज तक किसी की बुराई करते नहीं सुना. उन्होंने शुरू से लेकर आज तक यही सिखाया कि धैर्य से काम लो और अपने टर्म और कंडीशन पर सफलता हासिल करो. सफलता के लिए कुछ भी मत करो. क्रियेटिविटी को बर्बाद मत होने दो. क्वाटिटी में विश्वास मत रखो.
विशाल दोस्त हैं
मैं और विशाल अच्छे दोस्त हैं और इसलिए मैं समझती हूं कि वे किस तरह से काम करना पसंद करते हैं. किस तरह से नहीं. लोगों को लगता है कि वे ज्यादा बात नहीं करते. खासतौर से इंटरव्यूज नहीं देते. लेकिन हकीकत यह है कि उनके पास इतना वक्त नहीं होता. वे किसी भी प्रोजेक्ट से अगर निर्माता के रूप में भी जुड़ते हैं तो शुरू से अंत तक उसके साथ होते हैं. स्क्रिप्ट लिखते हैं. म्यूजिक बनाते हैं. फिर सारे अस्टिेंट को भी मदद करते हैं अपने अस्सिटेंट को भी बढ़ने का मौका देते हैं.  वह तो रातों को सोते भी नहीं, जब वह किसी प्रोजेक्ट पर काम करते हैं. मैं तो यही कहूंगी कि वह किसी हड़बड़ी में प्रोजेक्ट नहीं करते. बल्कि ठहर ठहर कर हर काम को सांस लेने देते हैं और यही वजह है कि मुझे उनके साथ काम करने में सबसे ज्यादा मजा आता है. चूंकि उन्हें भी मेरे बारे में पता है. सो, वे जानते हैं कि मुझसे वह क्या नया क्रियेट करके निकलवा सकते हैं. सो, मैं उनके साथ काम करके काफी एंजॉय करती हूं. चूंकि वह काम को सांस लेने की छूट देते हैं. ऐसे में एक साथ जब तमाम काम कर रहे हैं और वह भी परफेक् शन के साथ तो जाहिर सी बात है उनके पास वक्त नहीं होता. जब हम दोनों को फुर्सत मिलती है तो हम घर पर गाने सुनते हैं. किताबें पढ़ते हैं. हमारे बेटे को अपने पापा की फिल्में काफी पसंद आती हैं. उनसे फिल्मों पर.किताब म्यूजिक को लेकर बात करते हैं. हमें खुशी है कि हमारे बेटे को फिल्मों की अच्छी समझ है और उसे अच्छी फिल्में और बुरी फिल्मों की परख है.  विशाल उसकी फिल्ममेकिंग की सोच को भी सपोर्ट करते हैं. मुझे और विशाल दोनों को संगीत से प्रेम है और हमारे बीच प्रेम की भी यही वजह है. हम दोनों अपने अपने काम करने के तरीके और जो हमने अब तक काम किया है. उसे लेकर खुश हैं संतुष्ट हैं.
पसंदीदा गीत
मुझे अपना पहला एलबम इशका इशका के गीत और फिल्म साथिया का गीत चुपके से लगा जा गले सुनना बेहद अच्छा लगता है. इन गीतों से मुझे शांति मिलती है. 

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