इन दिनोंं मुंबई के सिनेमा थियेटरने राष्टÑीय गान में हिंदी सिनेमा की महिला शख्सियतों को आदरांजलि दी है. इस राष्टÑगान में हिंदी सिनेमा के शुरुआती दौर से लेकर अब तक की महिलाएं जिन्होंने सिनेमा में किसी न किसी रूप में योगदान दिया है. उन सभी महिलाओं को सम्मानित रूप से इसमें शामिल किया गया है. इस राष्टÑगान की खासियत यह है कि इसमें भारतीय सिनेमा की सभी महिलाओं को शामिल किया गया है, यह एक अच्छी पहल है. इसमें सिर्फ बॉलीवुड को अहमियत नहीं दी गयी है, बल्कि वाकई भारतीय सिनेमा के सभी प्रांत को अहमियत दी गयी है. निर्देशक, कोरियोग्राफर, सिंगर, लेखिका, जर्नलिस्ट सभी को शामिल किया गया है. मुंबई के हर सिनेमा थियेटर की यह खासियत है कि यहां फिल्मों से पहले राष्टÑगान जरूर प्रदर्शित किया जाता है. और समय समय पर इन राष्टÑगान की प्रस्तुतिकरण में बदलाव किये जाते हैं. राष्टÑगान के ही बहाने कई बार नये नये पहल हो रहे. मूक और बधिर बच्चों के लिए भी राष्टÑगान बनाये गये थे. मराठी सिनेमा को आगे बढ़ाने के लिए भी राष्टÑगान मराठी सिनेमा के कलाकारों को शामिल किया जाता रहा है. वाकई राष्ट्रगान की महिमा को ये वीडियो चरितार्थ करते हैं. जिस सोच के साथ रवींद्रनाथ टैगोर ने राष्ट्रगान की रचना की थी. वह आज भी चरितार्थ है. सिनेमा के माध्यम से ही सही राष्टÑगान को जिंदा रखने की जो कोशिश हो रही है. इस पर भी लोगों को ध्यान देना चाहिए. हमेशा सिनेमा के बारे में बुरी बातें की जाती हैं. लेकिन अच्छी बातों पर लोगों का ध्यान ही नहीं जाता. मुझे तो लगता है कि पूरे भारत के थियेटरों में सिनेमा की शुरुआत से पहले राष्टÑगान का प्रदर्शन होना ही चाहिए, इससे सोच में आये बदलाव की तसवीर झलकती है और यह सकारात्मकता की ही पहचान है.सो, ऐसे पहल सारे भारत में किये जायें और राष्टÑगान को और सम्मान मिले.
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20140401
राष्टÑगान में महिलाएं
इन दिनोंं मुंबई के सिनेमा थियेटरने राष्टÑीय गान में हिंदी सिनेमा की महिला शख्सियतों को आदरांजलि दी है. इस राष्टÑगान में हिंदी सिनेमा के शुरुआती दौर से लेकर अब तक की महिलाएं जिन्होंने सिनेमा में किसी न किसी रूप में योगदान दिया है. उन सभी महिलाओं को सम्मानित रूप से इसमें शामिल किया गया है. इस राष्टÑगान की खासियत यह है कि इसमें भारतीय सिनेमा की सभी महिलाओं को शामिल किया गया है, यह एक अच्छी पहल है. इसमें सिर्फ बॉलीवुड को अहमियत नहीं दी गयी है, बल्कि वाकई भारतीय सिनेमा के सभी प्रांत को अहमियत दी गयी है. निर्देशक, कोरियोग्राफर, सिंगर, लेखिका, जर्नलिस्ट सभी को शामिल किया गया है. मुंबई के हर सिनेमा थियेटर की यह खासियत है कि यहां फिल्मों से पहले राष्टÑगान जरूर प्रदर्शित किया जाता है. और समय समय पर इन राष्टÑगान की प्रस्तुतिकरण में बदलाव किये जाते हैं. राष्टÑगान के ही बहाने कई बार नये नये पहल हो रहे. मूक और बधिर बच्चों के लिए भी राष्टÑगान बनाये गये थे. मराठी सिनेमा को आगे बढ़ाने के लिए भी राष्टÑगान मराठी सिनेमा के कलाकारों को शामिल किया जाता रहा है. वाकई राष्ट्रगान की महिमा को ये वीडियो चरितार्थ करते हैं. जिस सोच के साथ रवींद्रनाथ टैगोर ने राष्ट्रगान की रचना की थी. वह आज भी चरितार्थ है. सिनेमा के माध्यम से ही सही राष्टÑगान को जिंदा रखने की जो कोशिश हो रही है. इस पर भी लोगों को ध्यान देना चाहिए. हमेशा सिनेमा के बारे में बुरी बातें की जाती हैं. लेकिन अच्छी बातों पर लोगों का ध्यान ही नहीं जाता. मुझे तो लगता है कि पूरे भारत के थियेटरों में सिनेमा की शुरुआत से पहले राष्टÑगान का प्रदर्शन होना ही चाहिए, इससे सोच में आये बदलाव की तसवीर झलकती है और यह सकारात्मकता की ही पहचान है.सो, ऐसे पहल सारे भारत में किये जायें और राष्टÑगान को और सम्मान मिले.
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