कल्की कोचलिन भारतीय सिनेमा की लोकप्रिय अभिनेत्री में से एक हैं. हाल ही में उन्होंने इंडिया टूडे इनक्लेव में महिला दिवस के अवसर पर एक बेहतरीन सोलो प्ले परफॉर्म किया. इस नाटक में उन्होंने समाज के पुरुषों और खासतौर से पतियों पर अच्छा कटाक्ष किया है. उन्होंने इस नाटक में बताया है कि भगवान में पुरुषों को बनाया और उन्हें इस तरह पूर्ण रूप दिया जैसे कि वह धरती पर भगवान के ही स्वरूप हैं. आगे वह बताती हैं कि किस तरह द्रोपदी को बाध्य किया जाता है कि वह अर्जुन के साथ साथ पांचों भाईयों से शादी करे. कुंती किस तरह सूर्य की पत् नी होकर भी उनकी पत् नी नहीं होती. आगे वह सभी धर्मों की देवी के बारे में बातें करती हैं और ईश्वर में भी किस तरह पुरुष ईश्वर और देवी में भेदभाव हुए हैं. उनका व्यंगात्मक वर्णन करती है. कल्की का यह नाटक दरअसल, वर्तमान दौर में महत्वपूर्ण नाटक है और यह दर्शाता है कि किस तरह महिलाओं को आज भी उसी नजरिये से देखा जाता है. फिल्म क्वीन की अभिनेत्री कहती हैं कि उन्हें डकार लेने की भी इजाजत नहीं. लेकिन पुरुषों को इजाजत है. क्वीन का नायक रानी को सिर्फ इसलिए छोड़ देता है, क्योंकि उसे लगता है कि वह लंदन से आया है. रानी उसके लायक नहीं. वह उसे आम लड़की समझता है. लेकिन जब वह आधुनिक कपड़ों में अपनी तसवीर भेजती है तो उसे अचानक महसूस होने लगता है कि रानी उसके लायक है. चूंकि पुरुष मानसिकता यही है वह कपड़ों को देखता है. वह दिल को नहीं देखता. कल्की का यह नायक, गुलाब गैंग और क्वीन जैसी फिल्मों का महिला दिवस पर एक साथ आना अब भी यह सूचक है कि महिलाएं भले ही प्रगति कर रही हैं. ेलकिन सोच में अब भी पूरी तरह से बदलाव नहीं आये हैं. लेकिन धीरे धीरे ही सही महिला दिवस के बहाने ही अब महिलाओं को इस तरह के मंच तो मिल रहे.
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20140401
कल्की का एकल नाटक
कल्की कोचलिन भारतीय सिनेमा की लोकप्रिय अभिनेत्री में से एक हैं. हाल ही में उन्होंने इंडिया टूडे इनक्लेव में महिला दिवस के अवसर पर एक बेहतरीन सोलो प्ले परफॉर्म किया. इस नाटक में उन्होंने समाज के पुरुषों और खासतौर से पतियों पर अच्छा कटाक्ष किया है. उन्होंने इस नाटक में बताया है कि भगवान में पुरुषों को बनाया और उन्हें इस तरह पूर्ण रूप दिया जैसे कि वह धरती पर भगवान के ही स्वरूप हैं. आगे वह बताती हैं कि किस तरह द्रोपदी को बाध्य किया जाता है कि वह अर्जुन के साथ साथ पांचों भाईयों से शादी करे. कुंती किस तरह सूर्य की पत् नी होकर भी उनकी पत् नी नहीं होती. आगे वह सभी धर्मों की देवी के बारे में बातें करती हैं और ईश्वर में भी किस तरह पुरुष ईश्वर और देवी में भेदभाव हुए हैं. उनका व्यंगात्मक वर्णन करती है. कल्की का यह नाटक दरअसल, वर्तमान दौर में महत्वपूर्ण नाटक है और यह दर्शाता है कि किस तरह महिलाओं को आज भी उसी नजरिये से देखा जाता है. फिल्म क्वीन की अभिनेत्री कहती हैं कि उन्हें डकार लेने की भी इजाजत नहीं. लेकिन पुरुषों को इजाजत है. क्वीन का नायक रानी को सिर्फ इसलिए छोड़ देता है, क्योंकि उसे लगता है कि वह लंदन से आया है. रानी उसके लायक नहीं. वह उसे आम लड़की समझता है. लेकिन जब वह आधुनिक कपड़ों में अपनी तसवीर भेजती है तो उसे अचानक महसूस होने लगता है कि रानी उसके लायक है. चूंकि पुरुष मानसिकता यही है वह कपड़ों को देखता है. वह दिल को नहीं देखता. कल्की का यह नायक, गुलाब गैंग और क्वीन जैसी फिल्मों का महिला दिवस पर एक साथ आना अब भी यह सूचक है कि महिलाएं भले ही प्रगति कर रही हैं. ेलकिन सोच में अब भी पूरी तरह से बदलाव नहीं आये हैं. लेकिन धीरे धीरे ही सही महिला दिवस के बहाने ही अब महिलाओं को इस तरह के मंच तो मिल रहे.
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