20140426

रिवाल्वर मुमताज़ के चमचम शाहजहां

कंगना हिंदी सिनेमा की पहली अभीनेत्री होँगी जिन्होंने कोई ऐसा क़िरदार निभाने के लिए हामी भरी होगी। फिल्म रिवाल्वर रानी में जिस तरह उन्होने अपना रूप धारण किया है और जिस तरह उच्चारण और डायलेक्ट के साथ बीहड़ की बोलीं में खुद को रंगा है।  हिंदी सिनेमा में ऐसा अवतार कम से कम अभिनेत्री क देख्ने को नहि मिलता। आप फिल्म अशोक देखें। उस फिल्म में करीना ने एक ऐतिहासिक किरदार निभाया है।  लेकिन उनके अवतार और लुक में वह ग्लैमर नजर आयी हैँ।  यह उनकी खुद की चाहत थी या फ़िर निर्देशक की यह तो वे हि बता सकते।  हाँ मगर, कंगना ने वास्तविकता में बॉलीवुड में अभी दबंगई दिखा दिया है।  उन्होंने साबित कर दिया है कि बोल्ड होने का मतलब केवल पर्दे पर शराब पीकर बातें बनाना नहीँ है।  असल में दबंगई ये है।  रिवॉल्वर रानी में जब वह  सनकती है तो सबको गोलियों से धुन देती है।  लेकिन फिर भी उसे उनलोगों की [परवाह होती है जिन्होंने उन्हे प्यार दिया है।  जब उसे प्यार करने वाला , दीदी-दीदी कहने वाले लड़के की भि पीटाई होती है तो वो बौखला उठती है।  वह एक डाकू है।  लेकिन वह खूंखार नहीं है।  उसके दिल में यही तम्मना है कि उसे कोइ सच्चा प्यार करने वाला मिले।  वह शादी करना चाहती है अपने पति के लिये खाना बनाना चाहती है।  अपने बच्चे को अच्छी परवरिश देना चाहती है।  वह हरगिज नहीं  चाहती कि उसके साथ जो हुए वह बच्चे के साथ भी हो।  हर रिवाल्वर रानी एक प्रेम कहानी है।  एक ऐसी प्रेम कहानी जिसमे मुमताज़ अपने शाहजहां  के लिये ताज महल बनवाना चाहती है।  वह रोहन उर्फ़ चमचम को दुनिया की हर ख़ुशी देना चाहती है , वह उसकी खुशी के लिये चम्बल में फ़िल्म सिटी बना डालतीं है।   आमतौर पर कोइ दीवाना अपनी माशूका के लिये ये सब करता है. लेकिन रिवाल्वर रानी के सिर्फ़  हाथोँ में  ही बंदूक रखती है।  लेकिन उसके दिल में तो प्यार ही प्यार है।  रिवाल्वर रानी अपने शाहजहाँ का नाम प्यार से चमचम रखती है।  वाकई में फिल्म का नायक चमचम की  तरह हीं अन्त में बर्ताव भी करता है।  चमचम की तरह उसका प्यार भी बस दिखावे वाला ही होता है।  फिल्म में कई हकीकत को बयां करने  की कोशिश की गई है जिसे नकारा नहीं जा सकता।  इस लिहाज से महिलाओं के लिये महत्वपूर्ण फ़िल्म है

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