20140401

हास्य के हीरो डेविड



हाल ही में फिल्म मैं तेरा हीरो के सिलसिले में डेविड धवन के बेटे वरुण धवन से बातचीत हो रही थी. उन्होंने अपनी बातचीत के क्रम में बताया कि किस तरह एक दौर ऐसा भी आया था जब डेविड धवन की फिल्में नहीं चल रही थीं तो उस वक्त घर की आर्थिक स्थिति भी डमाडोल हो चुकी थी. उस वक्त ऐसी नौबत आयी थी कि वरुण धवन को महंगे स्कूल से आम स्कूल में जाना पड़ता. वरुण मानते हैं कि उनके पिता ने वन बीएचके के घर से एक बड़े घर तक का सफर अपनी मेहनत से किया. और वह बेहद आमलोगों के बीच से ऊपर आये. यही वजह है कि वह लार्जर देन लाइफ की जिंदगी में भरोसा नहीं करते. उन्हें आज भी सिर्फ खाने पीने का ही शौक है. चूंकि इंसान पैसे से नहीं लेकिन पेट से तो हमेशा धनी रहता है. वरुण कहते हैं कि उनके पिता आम लोगों से इसलिए कनेक्ट कर पाते हैं या वे संबंध बना पाये. चूंकि उनकी फिल्मों में द्विअर्थी संवाद नहीं होते थे. शुद्ध हास्य होता था. हालांकि डेविड ने जब कुछ वैसी फिल्मों का चुनाव किया और रासकल्स जैसी फिल्में बनायी. तो वह नामकामयाब रहे. इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि डेविड ने गोविंदा को हीरो नंबर वन बनाया और साथ ही सलमान खान को भी अच्छी पहचान दिलायी. एक दौर में अमिताभ को भी फिल्म बड़े मियां छोटे मियां से सफलता का दोबारा स्वाद चखने का मौका मिला था. डेविड की चश्मे बद्दूर लंबे अरसे के बाद हिट रही. चूंकि वह दोबारा अपने फॉर्म में आये. हास्य निर्देशकों में डेविड की गिनती हमेशा होती रही. हां, वह भले ही हिंदी सिनेमा के ऋषिकेश मुखर्जी का स्थान हासिल न कर पाये हों. लेकिन बावर्ची का डेविड रूपांतर जब उन्होंने हीरो नंबर वन बनाया तो उनकी फिल्म बावर्ची से कहीं कम हिट नहीं रहीं. जुड़वा जैसी फिल्में भी डेविड की देन है. सो, उम्मीद है डेविड इस फिल्म से फिर से हास्य के हीरो बनेंगे

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