इस बार सपना तोमर रणबीर कपूर से पूछ रहे हैं सवाल
सपना : आपका ड्रीम रोल क्या है?
रणबीर : मैं अपने पापा या दादाजी की किसी फिल्म का किरदार निभाना चाहूंगा.
सपना : रॉकस्टर में अभिनय के लिए आपने क्या खास तैयारी की. किस तरह आपने उसे परदे पर उतारा कि वह रणबीर नहीं बस जॉर्डन लगा. और आजतक हमारे दिलों दिमाग पर छाया है.
रणबीर : रॉकस्टार में मैं जो भी नजर आया. वह सिर्फ और सिर्फ इम्तियाज सर की देन है. उन्होंने मुझे उसमें जीने की जो आजादी दी. वह मैं कभी भूल नहीं सकता. वह मुझे हर किरदार के साथ जीने को कहते थे. मैंने इस फिल्म के दौरान आम लोगों की तरह रहना सीखा. जर्नाधन बनने के लिए मैंने गाय का दूध भी दूहा. मैं मजारों पर रहा. वहां वक्त बिताया. एक रॉकस्टार की जिंदगी का क्या दर्द होता है. सब सीखने समझने की कोशिश की. शायद उस किरदार को मैंने जितना फील करके निभाया इसलिए लोगों ने भी उसे महसूस किया.
सपना : कोई ऐसा प्रशंसक जिससे मिल कर आपको बहुत खुशी हुई हो?
रणबीर : हर प्रशंसक मेरे लिए खास हैं. मैं जब पापा को देखता था कि कभी कभी वह फैन को डांट दिया करते थे. तो उस वक्त मैंने तय किया था कि मंै कभी अपने प्रशंसकों को नहीं डाटूंगा. और वह जब भी कहते हैं. मैं तसवीरें खींचवाने के लिए तैयार रहता हूं. मुझे वैसे प्रशंसकों से मिल कर अच्छा लगता है. जो मेरी काम की कद्र करें. न कि मेरी पर्सनल जिंदगी के बारे में पूछें.
सपना : मेरा नाम जोकर बनी तो आप महान जोकर का किरदार निभाने के लिए क्या करेंगे?
रणबीर : पहली बात तो मुझे नहीं लगता कि मेरा नाम जोकर जैसी क्लासिक फिल्मों को दोबारा बनाया जा सकता है. और जो दादाजी ने कर दिया है. उसका एक पर्सेंट भी मैं कर पाऊंगा. हां, मगर जो भी निर्देशक उस फिल्म को बनायेगा. मैं उसे अपने आपको 100 प्रतिशत सौंप दूंगा. मैं डायरेक्टर्स एक्टर्स हूं. वह मुझे जोकर बनाने के लिए जो भी कोशिश करेंगे. और जो भी कहेंगे. मैं वह सबकुछ करूंगा. फिर चाहे मुझे सर्कस की सारी चीजें सीखनी क्यों न हो.
फिल्मी बातें :
1.आर्देशर ईरानी की फिल्म आलम आरा को काफी सफलता मिली थी और 30 के दशक तक फिल्म इंडस्ट्री ने 200 फिल्मों का निर्माण कर लिया था.
2. लगान पहली बॉलीवुड की फिल्म थी, जिसका प्रदर्शन चीन में भी हुआ था.
3. राजेश खन्ना हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्टार थे, जिन्होंने लगातार कई हिट फिल्में दी थी. 70 के दशक में उनकी फिल्में अमरदीप, फिर वही बात, बंदिश थोड़ी सी बेवफाई, कुदरत, अशांति, अवतार, अगर तुम न होते, जानवर, इंसाफ मैं करूंगा जैसी फिल्में हिट रहीं.
4. रिफ्यूजी हिंदी सिनेमा की सबसे लंबी अवधि वाली फिल्मों में से एक है. यह फिल्म 4 घंटे 25 मिनट की अवधि की फिल्म है.
5. मंसूर पटौदी खान कभी सिम्मी गेरेवाल के साथ डेटिंग किया करते थे. बाद में मंसूर ने शर्मिला टैगोर से निकाह किया.
स्टोरी
जाना था जापान पहुंच गये चीन...
्रंअशोक कुमार, सलीम खान, देव आनंद जैसी कई हस्तियां दरअसल, मुंबई कुछ और सपने लेकर आये थे. लेकिन उन्हें मंजिल कहीं और ही मिली. हिंदी सिनेमा की कुछ ऐसी ही हस्तियों पर अनुप्रिया की एक नजर
सलीम खान
हाल ही में सलीम खान ने करन जौहर के शो में स्वीकारा कि उनकी इच्छा थी कि वह एक्टर बने और उन्होंने कई फिल्मों में काम भी किया शुरुआती दौर में. लेकिन कुछ दिनों के बाद ही वह समझ गये थे कि किसी एक्टर का जब तक लोगों से वह कनेक् शन न जुड़े वह एक्टर नहीं बन सकता. और उन्होंने रास्ता बदल लिया. दरअसल, हिंदी सिनेमा में कुछ इसी अंदाज में कई शख्सियतों की जिंदगी बदली. जो निर्देशक बनना चाहते थे. एक्टर बन गये और जो एक्टर वह सिंगर, लेखक या भी कुछ और. फिल्म चलती का नाम गाड़ी फिल्म का यह गीत जाना था जापान पहुंच गये चीन इन शख्सियतों पर फिट बैठता है.
अशोक कुमार
अशोक कुमार की इच्छा थी कि वह विदेश जायें और अपनी पढ़ाई पूरी करें. बांबे टॉकीज के माध्यम से लोगों को विदेश भेजा जाता था. तो अशोक कुमार को लगता था कि उन्हें भी विदेश जाने का मौका मिलेगा. उन्होंने इसी लालच में लैब अस्टिेंट की नौकरी कर ली थी. लेकिन बाद में उन्हें बांबे टॉकीज के माध्यम से ही फिल्मों में अभिनय करने का मौका मिला.
देव आनंद
देव आनंद जब मुंबई आये चो वह चर्चगेट में एक मिलट्री सेंसर आॅफिर की नौकरी किया करते थे और अभिनय से उनका दूर दूर तक कोई संबंध नहीं था. लेकिन जब उन्होंने अशोक कुमार की कुछ फिल्में देखी तो उन्हें लगा कि उन्हें भी अभिनय ही करना चाहिए.उन्होंने प्रभात फिल्म स्टूडियो के बाबू राव पाई से मुलाकात की और कहा कि चाहे जो हो मुझे आपको काम देना ही होगा. उन्होंने देव आनंद की आंखें देखी और उन्हें विश्वास हो गया कि वह कमाल करेगा. सो, उन्होंने प्रभात फिल्मस की हम एक हैं में हिंदू लड़के की भूमिका निभाने का मौका दिया.
मुकेश
मुकेश कभी सिंगर नहीं बनना चाहते थे. बल्कि उनकी इच्छा थी कि वह अभिनय करें. लेकिन मोतीलाल की बहन की शादी में एक बार मुकेश ने गाना गाया और उस वक्त मोतीलाल ने ही उनकी प्रतिभा को पहचाना. मुकेश को निर्दोष फिल्म में काम करने का मौका भी मिला. लेकिन बात नहीं बन पायी. बाद में उन्हें मोतीलाल ने पहली नजर फिल्म में गाने का मौका दिया और इसके बाद लगातार मुकेश गाते रहे.
जावेद अख्तर
सलीम खान की तरह जावेद अख्तर भी फिल्मों में अभिनय करने आये थे. लेकिन उन्हें मौके नहीं मिले. उन्होंने अस्टिेंट के रूप में काम किया. बाद में उन्हें धीरे धीरे लेखक के रूप में पहचान मिली.
्रॅगुलजार
गुलजार शुरुआती दौर में मुंबई में कार मेकेनिक के रूप में काम किया करते थे. बाद में वह धीरे धीरे गाने लिखने लगे. फिर उनकी दिलचस्पी निर्देशन में बढ़ी. लेकिन उनके लिखी पंक्तियां लोगों को बहुत पसंद आने लगी. और कई नामचीन हस्तियों ने उसी दौर में गुलजार से कई गीत लिखवाये.
सपना : आपका ड्रीम रोल क्या है?
रणबीर : मैं अपने पापा या दादाजी की किसी फिल्म का किरदार निभाना चाहूंगा.
सपना : रॉकस्टर में अभिनय के लिए आपने क्या खास तैयारी की. किस तरह आपने उसे परदे पर उतारा कि वह रणबीर नहीं बस जॉर्डन लगा. और आजतक हमारे दिलों दिमाग पर छाया है.
रणबीर : रॉकस्टार में मैं जो भी नजर आया. वह सिर्फ और सिर्फ इम्तियाज सर की देन है. उन्होंने मुझे उसमें जीने की जो आजादी दी. वह मैं कभी भूल नहीं सकता. वह मुझे हर किरदार के साथ जीने को कहते थे. मैंने इस फिल्म के दौरान आम लोगों की तरह रहना सीखा. जर्नाधन बनने के लिए मैंने गाय का दूध भी दूहा. मैं मजारों पर रहा. वहां वक्त बिताया. एक रॉकस्टार की जिंदगी का क्या दर्द होता है. सब सीखने समझने की कोशिश की. शायद उस किरदार को मैंने जितना फील करके निभाया इसलिए लोगों ने भी उसे महसूस किया.
सपना : कोई ऐसा प्रशंसक जिससे मिल कर आपको बहुत खुशी हुई हो?
रणबीर : हर प्रशंसक मेरे लिए खास हैं. मैं जब पापा को देखता था कि कभी कभी वह फैन को डांट दिया करते थे. तो उस वक्त मैंने तय किया था कि मंै कभी अपने प्रशंसकों को नहीं डाटूंगा. और वह जब भी कहते हैं. मैं तसवीरें खींचवाने के लिए तैयार रहता हूं. मुझे वैसे प्रशंसकों से मिल कर अच्छा लगता है. जो मेरी काम की कद्र करें. न कि मेरी पर्सनल जिंदगी के बारे में पूछें.
सपना : मेरा नाम जोकर बनी तो आप महान जोकर का किरदार निभाने के लिए क्या करेंगे?
रणबीर : पहली बात तो मुझे नहीं लगता कि मेरा नाम जोकर जैसी क्लासिक फिल्मों को दोबारा बनाया जा सकता है. और जो दादाजी ने कर दिया है. उसका एक पर्सेंट भी मैं कर पाऊंगा. हां, मगर जो भी निर्देशक उस फिल्म को बनायेगा. मैं उसे अपने आपको 100 प्रतिशत सौंप दूंगा. मैं डायरेक्टर्स एक्टर्स हूं. वह मुझे जोकर बनाने के लिए जो भी कोशिश करेंगे. और जो भी कहेंगे. मैं वह सबकुछ करूंगा. फिर चाहे मुझे सर्कस की सारी चीजें सीखनी क्यों न हो.
फिल्मी बातें :
1.आर्देशर ईरानी की फिल्म आलम आरा को काफी सफलता मिली थी और 30 के दशक तक फिल्म इंडस्ट्री ने 200 फिल्मों का निर्माण कर लिया था.
2. लगान पहली बॉलीवुड की फिल्म थी, जिसका प्रदर्शन चीन में भी हुआ था.
3. राजेश खन्ना हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्टार थे, जिन्होंने लगातार कई हिट फिल्में दी थी. 70 के दशक में उनकी फिल्में अमरदीप, फिर वही बात, बंदिश थोड़ी सी बेवफाई, कुदरत, अशांति, अवतार, अगर तुम न होते, जानवर, इंसाफ मैं करूंगा जैसी फिल्में हिट रहीं.
4. रिफ्यूजी हिंदी सिनेमा की सबसे लंबी अवधि वाली फिल्मों में से एक है. यह फिल्म 4 घंटे 25 मिनट की अवधि की फिल्म है.
5. मंसूर पटौदी खान कभी सिम्मी गेरेवाल के साथ डेटिंग किया करते थे. बाद में मंसूर ने शर्मिला टैगोर से निकाह किया.
स्टोरी
जाना था जापान पहुंच गये चीन...
्रंअशोक कुमार, सलीम खान, देव आनंद जैसी कई हस्तियां दरअसल, मुंबई कुछ और सपने लेकर आये थे. लेकिन उन्हें मंजिल कहीं और ही मिली. हिंदी सिनेमा की कुछ ऐसी ही हस्तियों पर अनुप्रिया की एक नजर
सलीम खान
हाल ही में सलीम खान ने करन जौहर के शो में स्वीकारा कि उनकी इच्छा थी कि वह एक्टर बने और उन्होंने कई फिल्मों में काम भी किया शुरुआती दौर में. लेकिन कुछ दिनों के बाद ही वह समझ गये थे कि किसी एक्टर का जब तक लोगों से वह कनेक् शन न जुड़े वह एक्टर नहीं बन सकता. और उन्होंने रास्ता बदल लिया. दरअसल, हिंदी सिनेमा में कुछ इसी अंदाज में कई शख्सियतों की जिंदगी बदली. जो निर्देशक बनना चाहते थे. एक्टर बन गये और जो एक्टर वह सिंगर, लेखक या भी कुछ और. फिल्म चलती का नाम गाड़ी फिल्म का यह गीत जाना था जापान पहुंच गये चीन इन शख्सियतों पर फिट बैठता है.
अशोक कुमार
अशोक कुमार की इच्छा थी कि वह विदेश जायें और अपनी पढ़ाई पूरी करें. बांबे टॉकीज के माध्यम से लोगों को विदेश भेजा जाता था. तो अशोक कुमार को लगता था कि उन्हें भी विदेश जाने का मौका मिलेगा. उन्होंने इसी लालच में लैब अस्टिेंट की नौकरी कर ली थी. लेकिन बाद में उन्हें बांबे टॉकीज के माध्यम से ही फिल्मों में अभिनय करने का मौका मिला.
देव आनंद
देव आनंद जब मुंबई आये चो वह चर्चगेट में एक मिलट्री सेंसर आॅफिर की नौकरी किया करते थे और अभिनय से उनका दूर दूर तक कोई संबंध नहीं था. लेकिन जब उन्होंने अशोक कुमार की कुछ फिल्में देखी तो उन्हें लगा कि उन्हें भी अभिनय ही करना चाहिए.उन्होंने प्रभात फिल्म स्टूडियो के बाबू राव पाई से मुलाकात की और कहा कि चाहे जो हो मुझे आपको काम देना ही होगा. उन्होंने देव आनंद की आंखें देखी और उन्हें विश्वास हो गया कि वह कमाल करेगा. सो, उन्होंने प्रभात फिल्मस की हम एक हैं में हिंदू लड़के की भूमिका निभाने का मौका दिया.
मुकेश
मुकेश कभी सिंगर नहीं बनना चाहते थे. बल्कि उनकी इच्छा थी कि वह अभिनय करें. लेकिन मोतीलाल की बहन की शादी में एक बार मुकेश ने गाना गाया और उस वक्त मोतीलाल ने ही उनकी प्रतिभा को पहचाना. मुकेश को निर्दोष फिल्म में काम करने का मौका भी मिला. लेकिन बात नहीं बन पायी. बाद में उन्हें मोतीलाल ने पहली नजर फिल्म में गाने का मौका दिया और इसके बाद लगातार मुकेश गाते रहे.
जावेद अख्तर
सलीम खान की तरह जावेद अख्तर भी फिल्मों में अभिनय करने आये थे. लेकिन उन्हें मौके नहीं मिले. उन्होंने अस्टिेंट के रूप में काम किया. बाद में उन्हें धीरे धीरे लेखक के रूप में पहचान मिली.
्रॅगुलजार
गुलजार शुरुआती दौर में मुंबई में कार मेकेनिक के रूप में काम किया करते थे. बाद में वह धीरे धीरे गाने लिखने लगे. फिर उनकी दिलचस्पी निर्देशन में बढ़ी. लेकिन उनके लिखी पंक्तियां लोगों को बहुत पसंद आने लगी. और कई नामचीन हस्तियों ने उसी दौर में गुलजार से कई गीत लिखवाये.
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