20150630

ekta kapoor decoding

उन्हें शादी से नहीं, बल्कि शादी से जुड़े सवालों से परहेज है. अरे तुम अब चालीस की होने जा रही है. अब तक शादी नहीं की...ऐसी बातें सुन कर उनका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंचता है. वे उन लोगों से बिंदास बातें करना पसंद करती हैं, जो उनके काम की बातें करें. जो उनके काम की समीक्षा करें न कि उनकी उम्र की और न ही उन्हें नसीहतें दें कि लड़कियों को तो अब तक मां तक बन जाना चाहिए. ऐसे लोगों को उनका जवाब यही होता है कि बालाजी टेलीफिल्म्स उनका बच्चा है और वहां काम कर रहे प्रत्येक व्यक्ति की वह मां हैं...हां, उनकी बातों में हकीकत भी तो है. वह वाकई कई लोगों की अन्नपूर्णा मां तो हैं ही. आखिर बालाजी टेलीफिल्म्स कई लोगों को रोजी रोटी दे रहा. कई लोगों को नयी ऊंचाईयां छूने के मौके दे रहा है. बात हो रही है एकता कपूर की...जो दिल से तो अभी भी बच्ची हैं...लेकिन उन्होंने अपनी सृजनशीलता से लोगों को चौंकाया है. वह टेलीविजन इंडस्ट्री के सबसे बड़े प्रोडक् शन हाउस की जननी हैं. पिछले 20 से 25 सालों में उन्होंने जो मुकाम हासिल किया है. वह सिर्फ और सिर्फ उनकी मेहनत का ही नतीजा है. जी हां, उनकी मेहनत ही. यहां मेहनत को रेखांकित करना इसलिए आवश्यक है, चूंकि एकता कपूर के बारे में आम लोगों में जो अवधारणा बनी हुई है कि वे तो जीतेंद्र की पुत्री रही हैं. तो उनके लिए सफर बहुत आसान होगा. हां, यह हकीकत है कि वे बच्चे जो फिल्म इंडस्ट्री का ही हिस्सा हैं और किसी बड़े स्टार के बेटे या बेटी हैं. वे जब इस इंडस्ट्री में कदम रखते हैं तो उनके साथ लोगों की ऐसी गलतफहमियां जुड़ जाती हैं कि उनके लिए तो फूलों की सेज है. यह हकीकत भी है कि कई बच्चे अपने पिता या मां के स्टारडम से बाहर निकल कर अपनी पहचान नहीं बना पाते. लेकिन वह एकता कपूर ही हैं, जिन्हें आज लोग जीतेंद्र की बेटी के रूप में नहीं, बल्कि जीतेंद्र को एकता के पिता के रूप में जानते हैं और एक पिता के लिए इससे गर्व की बात और क्या होगी. कुछ दिनों पहले मैंने अपने फेसबुक स्टेटस पर एक टीवी धारावाहिक व पीआर की सस्ती लोकप्रियता की बात की तो कई लोगों ने मुझसे यही कहा कि मैं जरूर एकता कपूर के किसी धारावाहिक की बात कर रही होंगी. मुझे लोगों की इस सोच से यह बात समझ आयी कि लोग एकता को लेकर कितनी सारी गलतफहमियां पाले बैठे हैं. मैंने उन लोगों को जवाब दिया कि दरअसल, एकता ने कभी भी अपने धारावाहिकों की लोकप्रियता के लिए किसी चोंचलेबाजी या किसी तरह की सस्ती लोकप्रियता का इस्तेमाल कभी नहीं किया है. इसकी बड़ी वजह यह भी है कि एकता कपूर की फिल्में जिस स्तर की भी हों. टेलीविजन में वे मूल्यों को लेकर चलती हैं. हां, ये बातें वही करेंगे  जिन्होंने एकता को कभी काम करते नहीं देखा. उनकी मेहनत नहीं देखी. हां, यह हकीकत है कि वे 40 वर्ष की हो गयी हैं और उन्होंने शादी नहीं की है. लेकिन यह उनकी सफलता, उनके हुनर  का मापदंड कतई नहीं है और साथ ही वह एक तरह से उन लड़कियों की रोल मॉडल हैं, जिनके लिए सफल और सुशील लड़की की जिंदगी केवल शादी करने लेने मात्र पर नहीं टिकी है. एकता को लेकर लोगों की नकारात्मक छवि इस वजह से भी बनी हुई है क्योंकि एकता अपने कामों को लेकर सख्त  हैं और उन पर उंगली उठानेवालों पर भी वह दो टूक बातें करती हैं. लेकिन हकीकत तो यह है कि वे यारों की यार हैं. जो उनके दोस्त हैं आप उनसे एकता की दरियादिली पूछें और फिर इस बात का आंकलन करें. महीने के हर पहली तारीख को कभी अंधेरी स्थित बालाजी टेलीफिल्म्स के आॅफिस जायें और गौर करें कि वहां लंबी तादाद में भीड़ क्यों है...वहां आपको कुछ बुजुर्ग लोग मिल जायेंगे. और जब आप यह जानना चाहेंगे कि वे वहां क्या कर रहे तो वे आपको बतायेंगे कि उनके बच्चों ने उन्हें घर से निकाल दिया है और उनके पास गुजारा करने के लिए कुछ भी नहीं और एकता उन्हें महीने के हर आखिरी दिन या महीने के शुरुआत में कुछ पैसे देती हैं ताकि उनका गुजारा हो सके और पिछले कई सालों से वह यह नेक काम कर रही हैं.  लेकिन जिस तरह वे अपने काम का ढिंढोरा पीटती हैं. चाहतीं तो इस नेक काम भी ढिंढोरा पिट सकती थीं. लेकिन वे ऐसा नहीं करतीं. हां, एकता आध्यात्मिक हैं. वे अगर हाथों में कई ज्योतिष विद्या वाले पत्थर पहनती हैं तो सिर्फ ऐसा नहीं कि वे उन अंगूठियों वाली ही पूजारी हैं. किसी जरूरतमंद की सेवा करना भी तो एक धर्म है. वे इस बहाने ही सही अपना धर्म तो निभा रही हैं. एकता की जिंदगी में बुजुर्गों की अहमियत बहुत है. कम ही लोग जानते होंगे कि वह अपने धारावाहिकों में बुजुर्ग किरदारों को जरूर अहम स्थान देती हैं. इसकी वजह क्या है. सोनी टीवी पर प्रसारित हो रहे धारावाहिक इतना करो न मुझे प्यार में नानी सब पर अपार प्यार बरसाती है. वह केवल एकता के लिए उस शो के किरदार नहीं हैं, बल्कि उनके लिए उस शो पर एक बुजुर्ग के आशीर्वाद का हाथ है. शायद बड़े बुजुर्गों का ही उन्हें प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष प्यार मिलता रहता है, जिनकी वजह से उनके शो क्योंकि सास भी कभी बहू थी कि बा पूरे भारत की बा बनीं और जब सुधा शिवपुरी ने जीवन छोड़ा तब भी बा का नाम अमर हुआ. यह एकता कपूर के किरदार और उनके सोच की जीत है. वे इन बातों का खास ख्याल रखती है कि उनके शोज में बड़े बुजुर्गों वाले किरदार अवश्य हों ताकि उनके आशीर्वाद से शो फलता फुलता रहे.
एकता मालकिन हैं. उन्हें किसी से इजाजत लेने की जरूरत नहीं. वे अपनी मनमर्जी चला सकती हैं. जहां चाहें जब चाहें छुट्टियां मना सकती हैं. लेकिन एक कीर्तिमान स्थापित करने के बावजूद एकता अब भी रुकती या थमती नहीं हैं. उन्हें लंबे लंबे ब्रेक्स लेना, छुट्टियों पर जाना पसंद नहीं हैं. वे साल भर में सात से आठ दिनों की छुट्टियों पर जाती होंगी. वे मुंबई में रहें और आॅफिस न जायें यह हो नहीं सकता. पहले तो वे रविवार को भी छुट्टी नहीं लेती थीं. लेकिन इन दिनों विराम लेती हैं. और अगर बहुत जरूरी हो तो वे रविवार को भी आॅफिस का चक्कर लगा सकती हैं. एकता को जो करीब से काम करते हुए देखेंगे उनके प्रशंसक बन जायेंगे. वे जिस शिद्दत से अपने धारावाहिकों के हर एपिसोड को लेकर गंभीरता से सोचती हैं. उस पर क्रियेटिव इनपुट्स देती हैं और लोगों से लेती हैं. वह कोई वही व्यक्ति करेगा जिसे सिर्फ मैनेजेरियल भूख नहीं बल्कि क्रियेटिव भूख हो. वे वर्कोहोलिक हैं और उन्होंने काम से ही शादी कर लिया है. और वे इस बात से खुश भी हैं. दौलत शोहरत हासिल करने के बाद अब अगला कदम क्या. यह पूछने पर एकता का जवाब साफतौर पर होता है. मैं काम के बिना जिंदा नहीं रह सकती. एकता को दूर से देखनेवाले लोग उन्हें आग का गोला मानेंगे. लेकिन साथ काम करनेवाले एकता की दरियादिली के कायल हैं. दरअसल, यह संभव है कि एकता ने स्वयं के लिए एक ऐसा कवच बना रखा है. ताकि कोई उन्हें हराने या छूने की जुररत न करे.
एकता या तो काम करती हैं या फिर अपने दोस्त व परिवार के साथ वक्त बिताती हैं. वे अपनी जिंदगी में अपने परिवार और अपने दोस्तों को बहुत अहमियत देती हैं. वे दिल की अमीर हैं. जो एकता की दोस्ती की फेहरिस्त में शामिल हो गये. एकता उनके लिए कुछ भी कर सकती हैं. उन्होंने अपने कई ऐसे दोस्त कलाकारों के करियर को संवारा है, जो अपने करियर में पिछड़ चुके थे या विराम लगा चुके थे. एकता अपने वैसे कलाकार दोस्तों को फिर से प्रोत्साहित करने में उस्ताद हैं. ऐसा नहीं है कि वे इस बात से वाकिफ नहीं कि लोग उनसे दोस्ती क्यों करना चाहते हैं. लेकिन वे इतनी समझदार हैं कि दोस्त पहचानने में भी वह कोई गलती नहीं करतीं. शायद यही वजह है कि उनके दोस्त उनके कायल हैं. एकता अपने कई दोस्तों के लिए अपने धारावाहिक में किरदार जोड़ती हैं, ट्रैक जोड़ती हैं. एकता बालाजी में विश्वास इसलिए नहीं करतीं कि बालाजी उनके परिवार के कुल देवता हैं, बल्कि वे बचपन से अपने माता पिता के साथ वहां जाती रही हैं और उन्हें लगता है कि बालाजी से उनका राबतां हैं और यही वजह है कि वह बालाजी पर अटूट विश्वास करती हैं. आप कभी अगर उनके अंधेरी स्थित आॅफिस में जायें तो आप ऐसा महसूस करेंगे  िक आप किसी तीर्थ स्थल पर हैं. मुख्यद्वार पर ही पहले बालाजी के दर्शन होंगे, तो आगे चलते हुए ेमां अंबे के और गणपति बप्पा के. एकता बचपन से ही माता पिता को पूजा पाठ करते हुए देखती आयी हैं और माता पिता से उन्होंने यही गुण लिये हैं. लेकिन आध्यात्मिक होने का मतलब यह कतई नहीं है कि वे दिन भर भजन कीर्तन में लगी रहती हैं. वे पूजा के साथ साथ अपने कर्म पर भी पूरा ध्यान देती हैं. परिवार को जब भी जरूरत हो. वे अपने परिवार के साथ होती हैं.  मां की तबियत अगर खराब हो जाये तो एकता पूरे दिन उनके साथ होती हैं. यह मां से उनके लगाव का ही नतीजा है कि वे अपने प्रत्येक शोज में खुद से पहले औपचारिकता के लिए ही सही लेकिन शोभा कपूर का नाम शामिल करती हैं. चूंकि उनके लिए यह उनकी मां का उनके लिए आशीर्वाद है. जिस इंडस्ट्री में लोग सिर्फ अपना नाम स्थापित करने व ब्रांड बनने बनाने के लिए उत्सुक रहते हैं. एकता परिवार, दोस्त और अपने साथ काम कर रहे लोगों को साथ लेकर आगे बढ़ती हैं. शायद उनकी सफलता का यही कारण है कि वे उन प्रतिभाओं को जरूर मौके देती हैं, जो मेहनती हैं और एकता को वाकई यह बात समझ आ जाये कि इस बंदे में दम है...तो वे उन्हें फौरन मौके देती हैं. वरना, आप कितने भी चक्कर लगा लें. किसी की भी पैरवी हो. एकता के कानों पर जू तक नहीं रेंगते. एकता दिखावे में या मीडिया पब्लिसिटी में भी विश्वास नहीं रखतीं. हां, बात जब फिल्मों की आती है तो वे ढिंढोरा पिट कर यह स्वीकारने से भी पीछे नहीं हटतीं कि रागिनी एमएमएस जैसी बोल्ड फिल्म की निर्माता वे हैं. फिल्मों को लेकर उनकी सोच बिल्कुल अलग है और वे इसे अपने टेलीविजन शोज से बिल्कुल तूलना न करती हैं न ही करना चाहती हैं. वे इस सोच को लेकर स्पष्ट हैं कि फिल्मों में वे बोल्ड रहेंगी लेकिन टीवी के धारावाहिक उनके लिए हमेशा नैतिक मूल्यों व पारिवारिक मूल्य अहम होंगे. एकता के व्यक्तित्व की यह भी खास बात है कि वे कभी उन लोगों को व उनके एहसानों को नहीं भूलतीं जिन्होंने बुरे दौर में उनका साथ दिया है. उनमें से एक नाम राम कपूर का है. एकता यह कहने में नहीं हिचकिचाती कि राम कपूर के पिता ने बालाजी को स्थापित करने व संचालन में एकता कपूर की काफी मदद की थी. इस वजह से वे राम कपूर की बेहद इज्जत करती हैं .
एकता फिटनेस को बहुत तवज्जो देती हैं. वे स्पष्ट कहती हैं कि आप शरीर से फिट हैं, तभी आप दिमाग से भी फिट हैं और बेहतर सोच सकते. सो, वे अपने साथ काम कर रहे लोगों को भी फिटनेस के लिए जागरूक करती रहती हैं. काम के साथ साथ वे अपने वर्कआउट से कभी आंख मिचौली नहीं करतीं. वे इस बात का पूरा ख्याल रखती हैं कि वे क्या खा रही हैं क्या नहीं. वक्त निकाल कर वे आॅफिस की जिम में वर्कआउट करना उनकी जीवनशैली का हिस्सा हैं. दरअसल, एकता कपूर के जिंदगी के कई तार उनके शोज व फिल्मों की तरह ही कुछ कुछ खट्टे तो कुछ मीठे तो कुछ तीखे हैं. उन्होंने भले ही उम्र के इस पड़ाव में 40वां बसंत पार किया हो. लेकिन वास्तविक जिंदगी में उनके लिए पड़ाव जैसा कोई शब्द नहीं, वे लगातार छलांगे लगा रही हैं और उड़ाने भर रही हैं और अपने साथ साथ कई अन्य प्रतिभाओं को भी छलांग लगवा रही हैं. लोग तुलसी को घर के आंगन में ही लगाना पसंद करते थे. ेलकिन वह एकता ही थीं जिन्होंने स्मृति ईरानी को आंगन से निकाल कर घर घर की तुलसी बना दिया. साक्षी तंवर जब पार्वती भाभी बनी तो हर परिवार पार्वती सी बहू की तलाश करने लगा तो जब वही साक्षी प्रिया बनी तो पति प्रिया सी पत् नी की तलाश करने लगे. ये हैं मोहब्बते के माध्यम से मां की अनोखी परिभाषा ईशी मां को घर घर की मां बनाने का श्रेय भी तो इसी मां यानी एकता को ही जाता है. अब परिधि परिधि नहीं जोधा बन चुकी हैं. जोधा अकबर की अमर प्रेम कहानी दर्शकों के दिलों तक इसी माध्यम से पहुंची. दरअसल, एकता उन तमाम लोगों के मुंह पर तमाचा गढ़ती हैं, जब जब लोग उन्हें किसी रूप में चैलेंज करते हैं. लोगों ने जब उनके स्टाइल स्टेटमेंट और बेतरतीब तरीके से कपड़े पहनने पर आंखें तरेरी तो एकता ने इसका जवाब अपनी एक फैशन लाइन लांच करके दे दिया. हाल ही में उन्होंने एके नाम से फैशन लाइन लांच किया, जिसके तहत उन्होंने अपना सिग्नेचर ब्रांड भी दर्शकों की पॉकेट तक पहुंचा दिया है. एकता ने यहां भी इन बातों का ख्याल रखा है कि उनके खरीददार वही होंगे जो उनके धारावाहिकों के मुरीद हैं, सो, उन्होंने मध्यम वर्गीय परिवार की औरतों की उन ख्वाहिशों को पूरा किया है जो ईशिता या जोधा सी दिखना चाहती हैं, और अपने बजट में ही खरीदारी कर सकती हैं.
स्पष्ट है कि 40 के पार भी वे अभी कुछ न कुछ नया कारामात दिखा कर लोगों को चौंकाती रहेंगी और लोग चौंकते रहेंगे. क्योंकि एकता को बढ़ना पसंद है. चुनौतियों को गले लगाना और फिर उन्हें ठेंगे दिखा कर उन पर राज करना पसंद हैं. आखिर वह यों ही क्वीन आॅफ टीवी नहीं हैं...

-------------------------------------------------------------------------------------------------------------------


एकता, आप 40वें बसंत में प्रवेश कर चुकी हैं और आज आप एक कामयाब महिला हैं. आप एक ब्रांड हैं. इस मुकाम पर पहुंच कर खुद को किस तरह देखती हैं?

मैं उम्र को बिल्कुल पड़ाव नहीं मानती. और मुझे नहीं लगता कि मैंने बहुत कुछ हासिल कर लिया है. मुझे लगता है कि अभी भी मुझे बहुत कुछ करना है और मैं काम करती रहना चाहती हूं. मुझे याद है कि मैंने और मेरी मां शोभा कपूर ने एक गैरेज से इस कंपनी की शुरुआत की थी. हम दोनों में से किसी के भी पास एमबीए की ड्रिगी नहीं थी. और न ही हम किसी बिजनेस बैकग्राउंड से थे. मेरी मां ने इसकी शुरुआत की थी. वह इसलिए इतने अच्छे से एक प्रोडक् शन हाउस चला पायी क्योंकि वह एक अच्छी हाउस व्हाइफ थी और उन्हें पता था कि कोई भी प्रोडक् शन फिर चाहे वह घर हो या बाहर कैसे चलता है.  हम शुरुआती दौर में कम से कम लागत में एपिसोड बनाया करते थे. यह मेरी मां ही थी जो यह कर सकती थी कि कम लागत में अच्छा और स्वादिष्ट भोजन कैसे पकाया जा सकता है. इसके लिए हम दोनों जिस तरह की प्लानिंग करते थे. वह बहुत मायने रखती थी और मुझे लगता है कि मैं आज भी इसी वजह से प्लानिंग को बहुत तवज्जो देती हूं चूंकि प्लानिंग से आप फिजूल के खर्चे बचा सकते हैं और अपना बेस्ट आउटपुट दे सकते हैं. शुरुआती दौर में मुझे यह बात भी मालूम थी कि अगर मुझे कंपनी चलानी है और वह भी प्रोडक् शन की तो मुझे क्रियेटिव माइंड के साथ साथ बिजनेस के पहलुओं पर भी ध्यान देना होगा. सो, मैंने उन पहलुओं के साथ साथ इस बात का पूरा ध्यान रखा था कि पैसे पानी की तरह न बह जायें. हां, उस दौर में इस वजह से कई परेशानियां भी आयीं. लेकिन शुरुआत में जिस तरह हर किसी को कुछ भी सेटअप करने में टाइम लगता है. मुझे भी लगा. एक दौर ऐसा भी आया था. जब लगता था हाथ में चीजें नहीं हैं. लेकिन धीरे धीरे तौर तरीका सीखा. हां मगर मैंने जो भी किया काम करते हुए सीखा. कोई प्रोफेशनल डिग्री भी शायद मुझसे यह सब नहीं करा पाती.
एक दौर ऐसा भी आया जब मेरे पास ज्यादा धारावाहिक नहीं थे. केवल पांच शोज ही थे और उसके आधार पर ही कंपनी चलानी थी. धीरे धीरे मुझे यह महसूस हुआ कि मुझे कंपनी के लिए एक सीइओ की जरूरत है, जो मैनेजेरियल और बिजनेस पहलू देखें ताकि मैं क्रियेटिविटी पर अधिक ध्यान दे पाऊं.  फिर जब बिजनेस को समझा. कंपनी के फ्यूचर के बारे में सोचा तो समझ आया कि सिर्फ टेलीविजन से नहीं मुझे और भी दायरा बढ़ाना होगा और इस तरह फिल्मों में शुरुआत की. आज पीछे मुड़ कर देखती हूं तो तसल्ली ही होती है कि मैंने अपनी मेहनत और लगन से इस कंपनी को खड़ा किया और आज यह ब्रांड है तो सभी के मेहनत की वजह से. मैंने 1994 में शुरुआत की थी और लगभग छह साल हमने जम कर मेहनत की है. मैं मानती  हंू कि 2000 से मेरे अच्छे दिन आने शुरू हुए थे. फिर बालाजी की कृपा से हमने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा.
क्या आप हमेशा से कंपनी का ही निर्माण करना चाहती थीं?
दरअसल मैं बचपन से कोई फोकस्ड चाइल्ड नहीं थी. हां, मुझे टीवी देखना बहुत पसंद था. एक दिन अचानक पापा ने आकर मुझे कहा कि प्रोडक् शन का काम शुरू कर रहे और मुझे उसमें काम करना होगा.  मेरे पापा चाहते थे कि मैं काम को गंभीरता से लेना शुरू करूं. और फिर हमने मेहनत की और हम पांच नामक शो की शुरुआत हुई. वह मेरे पापा ही थे. जिन्होंने मुझे समझदार बनाया. मेरे पापा हमेशा मुझसे कहते हैं आज भी और उस वक्त भी कहते थे कि वह नहीं चाहते कि उनके बच्चे उनके नाम से जाने जायें और सिर्फ उनके कमाये पैसे पर ऐश करें. वे चाहते थे कि उनके बच्चे अपने पैरों पर खड़े हों और इसलिए उन्होंने मुझे काम करने के लिए प्रेरित किया. और मैं चाहंूगी कि मेरी आगे की जेनेरेशन पापा की यह बात समझे और अमल करे.
आप अपने धारावाहिक से संयुक्त परिवार या परिवार को बहुत महत्व देती हैं क्या वास्तविक जिंदगी में भी आपके लिए परिवार मायने रखता है. हालांकि आपके बारे में लोगों की अवधारणा यही हैं कि आप परिवार में विश्वास नहीं रखती होंगी. 
दरअसल, लोगों को इस बारे में गलतफहमी इसलिए है, क्योंकि आमतौर पर जो लड़कियां अपनी मर्जी की मालिक होती हैं. जो अपने बलबुते खड़ी होती हैं. जो एक मुकाम पर होती हैं. उनके बारे में लोग यह मान बैठते हैं कि यह तो किसी की नहीं सुनती होगी. यह तो अपनी चलाती  होगी. बिगड़ी लड़की है. यह परिवार के बारे में क्या जानती होगी. लेकिन हकीकत यह है कि मैं परिवार में बहुत भरोसा करती हूं. हो सकता है कि परिवार वालों के साथ मेरे एक्सप्रेशन अलग तरीके के हों. यह भी हो सकता है कि परिवार के प्रति मैं अलग तरीके से प्यार जताती हूं. मेरा प्यार जताने का तरीका अलग हो. सोच अलग हो सकते ह ैं लेकिन मैं परिवार से अलग नहीं हो सकती हूं. मैं दिल से बहुत पारंपरिक लड़की हूं. पारिवारिक मूल्यों को महत्व देती हूं. मैं आध्यात्मिक हूं. अपने माता पिता की कद्र करती हूं. अपने भाई से बेहद प्यार करती हूं. मैं कभी संयुक्त परिवार में नहीं रही हूं लेकिन अपने शोज से दर्शकों को संयुक्त परिवार की अच्छी बातें दिखा कर उन्हें कनविंस करती हूं कि संयुक्त परिवार बहुत अच्छा होता है. यही मेरा मेरे दर्शकों से रिश्ता है कि मैं भले ही रियल लाइफ में संयुक्त परिवार का हिस्सा नहीं. लेकिन मैं मानती हूं और दर्शाती हूं कि संयुक्त परिवार क्यों अच्छा है.
आपके व्यक्तित्व व स्वभाव को लेकर आम लोगों में बहुत उत्सुकता है. चूंकि वे आपको आपके धारावाहिकों के माध्यम से ही जानते हैं.अगर हम यह पूछें कि एकता कपूर रियल जिंदगी में कैसी हैं तो आप कहेंगी?
ेसच कहूं तो मैं अपनी सोच में बोहमियन हूं और एक् शन में कर्जवेटिव हूं. कई लोग मुझसे यह सवाल पूछते हैं कि मैंने हाथों में इतनी अंगूठियां क्यों पहनी है. मैं इसे सुपरटिशन नहीं मानती. मैं इन चीजों में विश्वास करती हूं. मैंने इन चीजों पर यों ही विश्वास नंहीं किया है. काफी रिसर्च किया है और इसके बाद ही विश्वास किया है. मुझे लगता है कि इन चीजों का आपकी माइंडसेट पर असर होता है. हमारा शरीर अलग अलग एलिमेंट्स से बना हुइा है और कुछ स्टोन्स हैं जो आपको उन एलिमेंट्स के साथ फ्लो में जाने देते हैं. लेकिन मुझे दुख तब होता है. जब लोग सीधे तौर पर मुझे अंधविश्वासी मान लेते हैं. मैं आध्यात्मिक हूं अंधविश्वासी नहीं हूं. मेरे आध्यात्मिक सोच अलग तरह की है और वह मैं लोगों को समझा नहीं सकती हूं. और इसमें दिलचस्पी नहीं लेती. मुझे किसी को कुछ प्रूव नहीं करना.
लोगों में इस बात को लेकर भी उत्सुकता रहती हैं कि एकता शादी क्यों नहीं कर रहीं?
दरअसल, मुझे शादी से कोई परहेज नहीं है. लेकिन इन सवालों से है कि मैं शादी कब करूंगी या नहीं करूंगी या किससे करूंगी. मुझे यह महसूस होता है कि लोग मेरे काम की चर्चा नहीं करते. उन्हें वह करना चाहिए. चूंकि एक लड़की है. इसलिए शादी कर लूं यह जरूरी नहीं है. मैं इस सोच पर विश्वास नहीं करती कि शादी जरूरी है इसलिए शादी करूं. जब मैं खुद महसूस करूंगी कि मैं शादी करना चाहती हूं तो मैं करूंगी. हालांकि मैं कहना चाहूंग कि मैं इमपेशेंट हूं और मेरे में धैर्य की कमी है, जो कि एक शादी में बहुत जरूरी है. अगर आप एक हैप्पी मैरेड लाइफ बिताना चाहते हैं तो शायद यह भी वजह है कि मैं शादी नहीं कर रही. जब लोग मुझसे यह सवाल पूछते हैं तो मैं उनसे यही पूछती हूं कि क्या मेरे मां या पिता हैं जो यह सवाल कर रहे. हमारे देश् में लोग शादी को लेकर बहुत ज्यादा आॅबशेसेस्ड हैं और मुझे इस बात से परेशानी हैं. मुझे यह बात समझ नहीं आती कि शादी कंपलशन क्यों समझा जाता है. मैंने तो ऐसी कई शादियां देखी हैं जहां शादी के बाद भी लोग अकेले रहते हैं. तो अगर साथ रह कर भी साथ नहीं हैं तो ऐसी शादी का क्या फायदा. सो, शादी को लेकर  हो हल्ला करने वालों से मुझे परेशानी है.
एकता क्या आप मानती हैं कि एक कामयाब महिला व कामकाजी महिला होने के बावजूद जब शादी होती है तो लड़कियों की जिंदगी बदल जाती है?
जी हां, मैं मानती हूं कि लड़कियों की ही जिंदगी बदल जाती है. एक लड़की पत् नी और मां बन कर पहली जिम्मेदारी उठाती है. मेरी मां ने भी निभाया है. लड़के तो लड़के ही रहते हैं. मेरा मानना है कि लड़कियां कभी भी जिम्मेदारियां नहीं भूलती. हालांकि मैं मानती हूं कि उन्हें बदलना नहीं चाहिए. लेकिन लड़कियां ही यह कर पाती हैं कि परिवार के सभी लोगों को खुश रख पाती हैं. उनका ख्याल रख पाती हैं. लड़कों से तो यह कभी भी नहीं होगा. मेरा मानना है कि लड़कियां अधिक जिम्मेदारियां संभालने वाली होती हैं. फिर वे शादीशुदा हो या न हो. वे परिवार लेकर चलती हैं. इसलिए मेरे धारावाहिकों की लड़कियों में उनका यह स्वभाव दर्शाना चाहती हूं और यही हकीकत भी है.लोग मुझसे हमेशा पूछते हैं कि मैं शादीशुदा नहीं हूं तो कैसे अपने धारावाहिकों में इनपुट दे पाती हूं कि अच्छी सफल शादी के क्या गुण हैं या टिप्स हैं. तो मेरा सीधा जवाब होता है. शादी के गुण व अवगुण जानने के लिए शादी करने की जरूरत नहीं है. शादी एक जिम्मेदारी है और लड़कियां जिम्मेदारियां संभालने में माहिर होती हैं. मैं अपने शोज में भी हमेशा इन बातों का ख्याल रखती हूं कि मैं वैसी लड़कियों को कास्ट करूं जो बहुत सुंदर हो यह जरूरी नहीं. हां, मगर वह हाउस व्हाइफ लगे. एक परिवार का हिस्सा लगे. ऐसा चेहरा हो जिसे देख कर लोग उनसे रिलेट कर पायें.वह लड़की जो हाउस व्हाइफ होते हुए भी निर्णय ले सके. ऐसी लड़कियों को देख कर दर्शक इंस्पायर हो पायें.
आपने हाल ही में अपना फैशन क्लोथिंग लाइन लांच किया है. किसी दौर में आपके फैशन स्टेटमेंट को लेकर काफी नकारात्मक बातें होती थीं?
हां, जब मैंने अपने कपड़ों पर ध्यान देना शुरू किया. अपनी फिटनेस को लेकर सजग हुई तो लोगों को लगने लगा कि मेरी जिंदगी में कोई आ गया है. कोई स्पेशल जिसके लिए मैं यह कर रही. मुझे इस सोच से भी परेशानी है कि अगर लड़की अपने लुक को लेकर सजग हुई तो इसका क्रेडिट भी लड़कों को दिया जाये. फिटनेस मेरे अपने स्वास्थ के लिए जरूरी था.सो, मैं अलर्ट हुई.  मैं आज भी किसी डिजाइनर को फॉलो नहीं करती. मैं वही पहनती हूं जिसे मैं कैरी कर सकूं. जहां तक बात है मेरे ब्रांड की तो मैंने आम महिलाओं की जेम को ध्यान में रखते हुए यह ब्रांड लांच किया है, जिनके मन में यह इच्छा होती है कि वे अपने शोज की रोल मॉडल्स की तरह दिखें उनके बजट में वे सारी चीजें आ सकें. आम महिला दर्शक वर्ग मेरी सबसे बड़ी पूंजी हैं.
 टेलीविजन की दुनिया में अब आप किस तरह के बदलाव महसूस करती हैं?
कई बदलाव हो चुके हंै. जिस वक्त हमने शुरुआत की थी. सास बहू का दौर था. अब दौर बदल चुका है. इसलिए वैसे विषय भी आने लगे हैं. खुद हमने अपनी सोच बदली है और मुझे समय के साथ चलना पसंद है. अब रियलिस्टिक विषय अप्रोच के साथ भी शोज आ रहे हैं और दर्शकों को पसंद भी आ रहे हैं. नये कलाकारों को मौके मिल रहे हैं. प्रतिभाओं को मौके मिल रहे हैं. बालाजी भी नये लोगों को मौके देते रहना चाहता है और देता ही है. जिस वक्त मैंने शुरुआत की थी. मैं हमेशा से महिलाओं के साथ काम करना प्रीफर करती रही हूं क्योंकि मुझे लगता है कि वे अच्छा काम ज्यादा करती हैं और मुझे लगता है कि यही वजह है कि टेलीविजन में मैंने कामयाबी हासिल की. हां, मगर जब मैं फिल्मों में आयी तो मैंने महसूस किया कि वहां ब्वॉयज क्लब ज्यादा है.
आपकी पार्टीज की भी काफ ीचर्चा होती है? इसकी कोई खास वजह?
ुमुझे लगता है कि हम बहुत बहुत ज्यादा काम करते हैं और छुट्टियां बहुत कम लेते हैं . मैं ही नहीं मेरे साथ काम करने वाले बाकी लोग भी काफी ज्यादा काम करते हैं तो यह मेरा फर्ज बनता है कि मंै उन्हें मस्ती करने का भी मौका दूं. सो, मैं जितना काम करती हूं उतनी ही पार्टियां भी करती हूं. मुझे पार्टी होस्ट करना अधिक पसंद है, इसी बहाने मैं अपने दोस्तों से मिलती रहती हूं. और इस बात को लेकर भी मैं स्पष्ट रहती हूं कि मैं चाहती हूं कि वे सारी पार्टिज मेरे घर पर हों. ऐसा नहीं है कि मैं किसी होटल में पार्टी नहीं दे सकती. लेकिन मैं चाहती हूं कि जिस तरह मेरी टीम काम करती हैं. वह परिवार का ही हिस्सा है. उन्हें जब मैं घर पर पार्टी देती हूं तो उन्हें महसूस होता है कि वह अपने घर पर हैं.
आप अपने मी टाइम में क्या करना पसंद करती हैं. मसलन जब अकेली होती हैं तो क्या करती हैं?
मुझे टीवी देखना बहुत पसंद है. खासतौर से अमेरिकन टेलीविजन के शोज देखना मेरा पसंदीदा काम है.

No comments:

Post a Comment