हाल ही में आर माधवन से मुलाकात हुई थी. उनसे जब यह सवाल पूछा गया कि छोटे शहरों के युवाओं को वह क्या टिप्स देना चाहेंगे, चूंकि वे खुद झारखंड के जमशेदपुर से ताल्लुक रखते हैं और जमशेदपुर में उन्होंने लंबा समय बिताया है तो उनका जवाब था कि मैं बस उन लोगों को यही कहना चाहूंगा कि यह सोच कर मुंबई मत आइए कि क्योंकि आप उस शहर से हैं तो कोई आपकी मदद करेगा.और यह सोच कर भी मत आइए कि आपको सलमान या शाहरुख ही बनना है. अपनी पहचान खुद बनाने की कोशिश कीजिए. किसी गलतफहमी में मत रहिए. किसी से उम्मीद मत रखिए. यकीन मानिए आपमें वह प्रतिभा होगी तो आपको सफलता जरूर मिलेगी. दरअसल, माधवन ने यह हकीकत बयां की है. अक्सर फिल्मी दुनिया में कदम रखने वाले नये युवा इस सोच से मुंबई आते हैं कि हमारे शहर के लोग वहां स्थापित नाम है तो वे उनकी मदद जरूर कर देंगे. लेखक व गीतकार निरंजन नांबियार बताते हैं कि उन्होंने जिम जाना छोड़ दिया क्योंकि वहां उन्हें कई लोग आॅडिशन दिलवाने की बातें करते थे. चूंकि निरंजन करन जौहर के कैंप में हैं. दरअसल, काम मांगने व तलाशने का भी अपना ढंग होता है. और यो आप कहीं भी काम नहीं कर सकते. ऐसे युवाओं को अभिनेता नीरज काबी से सीखना चाहिए कि जब उन्होंने काम नहीं किया. उस वक्त उन्होंने तैयारी की. उन्होंने एक्टिंग के वर्कशॉप किये. हकीकत यही है कि मुंबई मौका सबको देती है. हां, मगर आप में हुनर हो तो. एक बड़ी परेशानी छोटे शहरों के युवाओं में यह है कि वे शुरुआत में ही सुपरस्टार बन जाना चाहते हैं. या वे किसी को फॉलो करने लगते हैं. जबकि अच्छा एक्टर वही है जो खुद अपनी पहचान बनाने की कोशिश करे. सफलता तभी मिलेगी जब आप सही तरीके से सही दिशा में तैयारी करेंगी. वरना निराशा ही हाथ लगेगी.
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