जोया अख्तर ने अपनी फिल्म दिल धड़कने दो में एक कुत्ते को प्लूटो के रूप में एक अहम किरदार को दर्शकों के सामने रखा. वह फिल्म में सूत्रधार था. हम कहानी प्लूटो के माध्यम से ही सुन रहे होते हैं. जोया ने इस अंदाज में जिंदगी की फिलॉसफी को सामान्य तरीके से दर्शकों तक पहुंचाया है. संगीत समीक्षक पवन झा के फेसबुक वॉल से जानकारी मिली कि 55 साल पहले राज कपूर की एक फिल्म, जिसका नाम रिपोर्टर था. फिल्म का निर्देशन मणिभाई व्यास ने किया था. लेकिन फिल्म रिलीज नहीं हो पायी थी. उस फिल्म में राज कपूर के साथ एक कुत्ता अहम किरदार में था और वह यों ही बातें करता था. यों भी रिपोर्टर को वांचिंग डॉग की संज्ञा दी जाती है. ऐसे में निश्चित तौर पर मणि व्यास ने अपनी कहानी में व्यंग्यात्मक तरीके से अपनी बात रखी होगी और कुत्ते की अहम भूमिका रही होगी. पवन झा बताते हैं कि इस फिल्म में कुत्ता बातचीत करता है और महिला कुत्तियां राज कपूर की पत् नी होने का दावा करती है. उस कुत्तियां का कहना है कि पुर्नजन्म में वह राज कपूर की पत् नी थी. लेकिन अफसोस फिल्म पूरी नहीं हो पायी और दर्शकों तक नहीं पहुंच पायी. लेकिन कल्पना कीजिए अगर वाकई राज कपूर की उस फिल्म के तर्ज पर जानवरों को जुबां मिल जाये तो वह इंसानों के कितने भांडे फोड़ दें. वे कितनी हकीकत बयां कर दें. कितने घरों में उस सच्चाई से फूट पड़ जाये. कितने हुक्ममरान सड़क पर आ जायें. दरअसल, जानवर इंसानों के प्रिय तभी तक हैं, जब उनके पास भी जुबां नहीं. वरना, अन्य दुश्मनों की तरह वे जानवरों से भी नफरत ही करते. इन दिनों विनोद कापड़ी की फिल्म मिस तुनकपुर हाजिर हो कि काफी चर्चा है. यहां भैंस से एक लड़के का व्याह रचाया जा रहा है. उम्मीदन विनोद इस सोच को दर्शकों के सामने प्रस्तुत करने में कामयाब होंगे.
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20150630
जानवरों की जुबां
जोया अख्तर ने अपनी फिल्म दिल धड़कने दो में एक कुत्ते को प्लूटो के रूप में एक अहम किरदार को दर्शकों के सामने रखा. वह फिल्म में सूत्रधार था. हम कहानी प्लूटो के माध्यम से ही सुन रहे होते हैं. जोया ने इस अंदाज में जिंदगी की फिलॉसफी को सामान्य तरीके से दर्शकों तक पहुंचाया है. संगीत समीक्षक पवन झा के फेसबुक वॉल से जानकारी मिली कि 55 साल पहले राज कपूर की एक फिल्म, जिसका नाम रिपोर्टर था. फिल्म का निर्देशन मणिभाई व्यास ने किया था. लेकिन फिल्म रिलीज नहीं हो पायी थी. उस फिल्म में राज कपूर के साथ एक कुत्ता अहम किरदार में था और वह यों ही बातें करता था. यों भी रिपोर्टर को वांचिंग डॉग की संज्ञा दी जाती है. ऐसे में निश्चित तौर पर मणि व्यास ने अपनी कहानी में व्यंग्यात्मक तरीके से अपनी बात रखी होगी और कुत्ते की अहम भूमिका रही होगी. पवन झा बताते हैं कि इस फिल्म में कुत्ता बातचीत करता है और महिला कुत्तियां राज कपूर की पत् नी होने का दावा करती है. उस कुत्तियां का कहना है कि पुर्नजन्म में वह राज कपूर की पत् नी थी. लेकिन अफसोस फिल्म पूरी नहीं हो पायी और दर्शकों तक नहीं पहुंच पायी. लेकिन कल्पना कीजिए अगर वाकई राज कपूर की उस फिल्म के तर्ज पर जानवरों को जुबां मिल जाये तो वह इंसानों के कितने भांडे फोड़ दें. वे कितनी हकीकत बयां कर दें. कितने घरों में उस सच्चाई से फूट पड़ जाये. कितने हुक्ममरान सड़क पर आ जायें. दरअसल, जानवर इंसानों के प्रिय तभी तक हैं, जब उनके पास भी जुबां नहीं. वरना, अन्य दुश्मनों की तरह वे जानवरों से भी नफरत ही करते. इन दिनों विनोद कापड़ी की फिल्म मिस तुनकपुर हाजिर हो कि काफी चर्चा है. यहां भैंस से एक लड़के का व्याह रचाया जा रहा है. उम्मीदन विनोद इस सोच को दर्शकों के सामने प्रस्तुत करने में कामयाब होंगे.
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