20150630

कामयाबी व संघर्ष


फिल्म मिस तुनकपुर हाजिर हो में संजय मिश्रा एक तांत्रिक की भूमिका में हैं. इन दिनों संजय मिश्रा बेहद खुश हैं.फिल्म आंखों देखी के बाद उनके प्रति लोगों का नजरिया बिल्कुल बदल गया है. संजय मिश्रा लेकिन किसी खुशफहमी में नहीं. वे अपने काम से खुश हैं. उनका मानना है कि लोगों का रवैया उनके प्रति भले ही बदला हो. लेकिन काम के प्रति उनका रवैया आज भी वही है. वे इस भ्रम में बिल्कुल नहीं कि वे अब बहुत बड़े सितारें हो गये हैं और उन्हें छोटी भूमिकाओं वाली फिल्में करने की जरूरत नहीं हैं. उन्होंने स्पष्ट कहा है कि आंखों देखी उन्हें इसलिए मिली क्योंकि उन्होंने उससे पहले वे सारी फिल्में की हैं. एक दौर में संजय मिश्रा ने नौ सालों तक काम मिलने का इंतजार किया है. ऐसे में वे मानते हैं कि अभी उनका एक्टिंग का घोड़ा दौड़ रहा है और वे इस पर विराम नहीं लगायेंगे. दरअसल, हकीकत यही है कि फिल्म इंडस्ट्री देर से ही सही लेकिन अपने कलाकारों का चुनाव कर ही लेती है. नौ सालों के इंतजार में संजय ने यह सीख ली कि हुनर है तो मौके मिल जायेंगे. संजय, इरफान,नवाजुद्दीन सिद्दिकी उन्हीं कलाकारों में शामिल हैं, जिन्होंने लंबे संघर्ष के बाद अपनी पैठ जमायी है. इन कलाकारों को देख कर नये कलाकारों को यह सीख लेनी चाहिए. वरना, इंडस्ट्री में यह चलन है कि कलाकार अगर एक फिल्म से कामयाबी हासिल कर लेते हैं तो फिर उनके पैर जमीन पर नहीं होते. वे फिल्मों को न कहते चले जाते हैं. प्रशंसकों के प्रति भी उनका नजरिया बदल जाता है, जिन्होंने उन्हें पहचान दिलायी. वर्तमान दौर में संजय मिश्रा के लिए किरदार लिखे जा रहे हैं. चूंकि वह छोटे दृश्यों में भी विस्फोट करते हैं. आने वाले समय में ऐसे कलाकारों की ही तादाद बढ़ेगी और उनकी जरूरतें भी बढ़ेंगी. चूंकि सुपरसितारा फिल्मों के साथ छोटी तुनकपुर को हाजिर होना भी जरूरी है.

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