अनिल कपूर अपनी फिटनेस से सबको हैरान करते हैं. वे वर्तमान दौर के सभी अभिनेताओं के फिटनेस में मार्गदर्शक हैं. लेकिन फिर भी उन्होंने फिल्म दिल धड़कने दो में पिता की भूमिका निभाने का निर्णय लिया, क्योंकि वे मानते हैं कि इस फिल्म में उनका किरदार बेहद खास है.
दिल धड़कने दो में काफी लंबे समय के बाद बड़ी स्टार कास्ट नजर आ रही हैं. वह भी परिवार के रूप में?
जी हां, मैं तो दिल धड़कने दो वर्ल्ड क्लास फिल्म मानता हूं. मैं मानता हूं कि ऐसी फिल्में बार बार नहीं बनती. यहां सारे स्टार कास्ट को एक परिवार के रूप में दर्शाना एक अलग तरह का अनुभव है. खासतौर से ऐसा अनुभव जोया जैसी निर्देशिका ही करा सकती हैं. यह एक पारिवारिक फिल्म है और जोया का अपना अंदाज होता है फिल्मों को लेकर , वह अपने किरदारों को भी अलग तरह से दर्शाती है. इस फिल्म में आप टिपिकल पिता को नहीं देखेंगे. एक अलग तरह का किरदार है.
आप फिल्म में कमल मेहरा का किरदार निभा रहे हंै. वास्तविक जिंदगी में आप किस तरह के पिता हैं?
फिल्म में कमल मेहरा वह शख्स है, जो निर्णय लेता है और सब सुनते हैं. परिवार में उसकी ही चलती है और वह किसी की नहीं सुनता. वह परिवार का मुखिया है. वह बहुत मुसीबतों से एक कामयाब व्यक्ति बन पाया है तो वह पैसों को लेकर भी सजग है और अपने परिवार के बाकी बच्चों को लेकर भी. लेकिन वास्तविक दुनिया में मैं ऐसा नहीं हूं. दरअसल, मेरे परिवार में सभी सुनिता को सुनत े हैं और उनकी ही चलती है. वे जो कहती हैं. हम सब वही करते हैं, क्योंकि हम जानते हैं कि वह जो करेंगी हमारे लिए ही कर रही हैं. वह सही निर्णय ही लेंगी. वह मेरे घर की मुखिया हैं.
सुनिता अन्य स्टार पत् िनयों से बिल्कुल अलग हैं. वह मीडिया से खुद को दूर ही रखती हैं. इसकी कोई खास वजह?
सुनिता ने बहुत शुरुआती दौर में यह निर्णय ले लिया था कि उसे अपने परिवार से प्यार है और अपने परिवार के लिए वह सबकुछ छोड़ देगी,ऐसा नहीं है कि मैंने उससे कुछ छोड़ने को कहा था. लेकिन वह शुरू से एंबिशियस नहीं रही. उसके लिए पहले उसका परिवार है. बाद में कुछ और है. शायद यही वजह है कि उसने हमारे बच्चों की परवरिश इतने तरीके से किया और मैं बाहर का काम देख पाया. वरना, मेरे लिए भी दोनों तरफ सबकुछ मैनेज करना कठिन होता. मैं मानता हूं कि सुनिता जैसी औरतें मिलना मुश्किल है. मैं उसे पूजता हूं. जो उसने किया कई औरतें नहीं कर पातीं. परिवार के लिए अपना सबकुछ देना आसान बात नहीं है. और हमारी इंडस्ट्री में जहां सबको सिर्फ मीडिया में बने रहना आता है. सुनिता ने खुद को इससे दूर रखा है. वह कहती हैं कि आपका काम अलग मेरा अलग़. वह आज भी आम महिलाओं की तरह ही सब्जी मंडी भी चली जाती है. घर में क्या करना है क्या नहीं. किस तरह परिवार और रिश्तों में सामजस्य बना कर रखना है. यह मैं सुनिता से सीखने की बस कोशिश कर सकता हूं.
रणवीर सिंह आपके फैन रहे हैं और इस फिल्म में वह आपके साथ काम कर रहे हैं तो अनुभव कैसा रहा?
अब तो मैं उसका फैन बन गया हूं. बाप रे उसकी जो एनर्जी है. वह कमाल की है. मैं तो उसके सामने कुछ नहीं. मैं तो उससे पूछता हूं कि ये बता कि तू कभी थकता भी है कि नहीं. कभी सोता भी है कि नहीं. मुझे तो लगता है कि वह 24 घंटे आॅन ही रहता है. लेकिन लोगों को उसकी इन हरकतों से अगर यह लगता है कि वह काम को लेकर लापरवाह है तो बहुत गलत सोचते हैं. वह अपने काम के प्रति इतना समर्पित है कि मुझे लगता है कि आज अगर उससे रात के 3 बजे भी डायरेक्टर कहे कि चलो शूट करना है. वह उसी एनर्जी से सामने आयेगा. उसको देख कर मुझे मेरी जवानी के दिन आते हैं. मैं भी डायरेर्क्ट्स को अपने शॉट्स को फाइनल करने के लिए और अपना बेस्ट देने के लिए ललाइत रहता था. मैं रणवीर सिंह से काफी कुछ सीखता हूं. वह बहुत खुशमिजाज बच्चा है और उसके रहने से आस पास सकारात्मकता ही आती थी. मुझे उसके साथ काम करके बहुत बहुत मजा आया. दोबारा मौका मिला तो जरूर काम करना चाहूंगा उसके साथ.
आपके बेटे हर्षवर्धन भी फिल्मी दुनिया में कदम रख रहे हैं. तो उन्हें किस तरह के टिप्स दिये हैं?
मैंने फिलहाल उसे पूरी तरह से उसके निर्देशक को सौंप दिया है और मेरा मानना है कि वह अपने अनुभव से ही सीखेगा. मुझे बहुत ज्यादा दखल नहीं देना चाहिए. मुझे लगता है कि वह भी मुझे सोनम की तरह ही गौरवान्वित महसूस करायेगा. मुझे खुशी है कि मेरे बच्चे अपने स्तर से बेहतरीन काम करने की कोशिश कर रहे हैं.
No comments:
Post a Comment