फिल्म रिव्यू : तनु वेड्स मनु रिटर्न्स
कलाकार : कंगना रनौत, आर माधवन, दीपक डोबरियाल, जीशान, जिम्मी शेरगिल
निर्देशक: आनंद एल राय
लेखक : हिमांशु शर्मा
रेटिंग : 3.5 स्टार
हिंदी सिनेमा में सीक्वल फिल्में कई बनी हैं. लेकिन वे फिल्में दरअसल, केवल शीर्षक के लिए ही होती हैं. िपछली फिल्म से उनका कोई राबता नहीं होता. लेकिन इस बार आनंद एल राय तनु वेड्स मनु के रूप में एक सार्थक सीक्वल फिल्म लेकर आये हैं. कहानी पहले भाग में जहां खत्म होती है. वही से दोबारा शुरू होती है. इस बार तनु और मनु की जिंदगी में नयी किरदार दत्तो की एंट्री हुई है. दत्तो का चेहरा तनु जैसा ही है. तनु और मनु अपनी चार साल की जिंदगी से खुश नहीं हैं. दोनों एक दूसरे से प्रेम तो करते हैं. लेकिन उनके इजहार का तरीका अलग है और यही तरीके दोनों में दूरियां ले आती हैं और मनु दत्तो से टकराता है. दत्तो की कई बातें मनु का दिल जीत लेती है. दत्तो भले ही सजती संवरती नहीं, लेकिन वह तनु की तरह ही मुंहफट है.और उसके इराद ेमजबूत हैं. तनु और दत्तो में सबसे बड़ी फर्क यह है कि तनु अपनी जिंदगी में इस तरह बेपरवाह है कि उसे बड़ों की इज्जत का भी ख्याल नहीं, लेकिन वह दिल की बुरी नहीं. दत्तो वह हिम्मत रखती है कि वह शादी करेगी तो अपने बड़ों के आशीर्वाद से ही. तनु मनु का अलग होना. फिर दत्तो का मिलना और इस बीच पप्पी, व अन्य किरदार कहानी को दिलचस्प तरीके से आगे बढ़ाते जाते हैं. इस सीक्वल की यही खूबी है कि फिल्म आपका मनोरंजन पूरी तरह से करती है. आप कहीं भी बोर नहीं होते. आनंद एल राय और लेखक हिमांशु की जोड़ी एहसास कराती है कि दोनों मिल कर दर्शकों को अपने हर संवाद व दृश्य पर हंसाने का हुनर रखते हैं. फिल्म में ऐसे कई संवाद हैं जो आपको याद रह जायेंगे. पिछली बार की तरह ही इस बार भी फिल्म के गाने जो राज शेखर ने लिखे हैं और क्रष्णा ने इसका संगीत दिया है. आप उन्हें नजरअंदाज नहीं कर सकते. गानों में मायने हैं और कहानी के साथ बिल्कुल फिट बैठते हैं. गाने इस बार भी याद रखे जायेंगे. कंगना ने एक बार फिर डबल किरदार में दिल जीत लिया है. वे अब तक जितनी अभिनेत्रियां भी डबल रोल निभाती आयी हैं. उनमें सबसे बेहतरीन अदाकारी कंगना ने ही दिखाया है. तनु और दत्तो दोनों रूपों में वे चौंकाती हैं. आर माधवन की आंखें, उनकी मुस्कान ही उनकी खासियत है इस फिल्म की. दीपक डोबरियाल के बिना इस फिल्म की कल्पना अधूरी है. उन्होंने बेहतरीन अभिनय किया है. स्वरा भाष्कर, एजाज खान, जिम्मी शेरगिल और जीशान के रूप में नये किरदार की एंट्री कहानी को रोचक तरीक ेसे ले जाते हैं. फिल्म को सिर्फ एंटरटेनमेंट के लिहाज से ही नहीं इस लिहाज से भी देखा जाना चाहिए कि हरियाणा में लड़कियों को लेकर बनी सोच को किस तरह कहानी में दर्शाया गया है. फिल्म के शेष सहयोगी कलाकारों ने भी सार्थक अभिनय किया है और इस लिहाज से फिल्म इस साल की बेहतरीन फिल्मों में से एक है. कंगना इस फिल्म से दर्शकों को संकेत देती हैं कि उन्होंने खुद को क्वीन की कामयाबी के बाद समेट नहीं लिया है. अभी उनके और कलेवर देखने बाकी हैं.
कलाकार : कंगना रनौत, आर माधवन, दीपक डोबरियाल, जीशान, जिम्मी शेरगिल
निर्देशक: आनंद एल राय
लेखक : हिमांशु शर्मा
रेटिंग : 3.5 स्टार
हिंदी सिनेमा में सीक्वल फिल्में कई बनी हैं. लेकिन वे फिल्में दरअसल, केवल शीर्षक के लिए ही होती हैं. िपछली फिल्म से उनका कोई राबता नहीं होता. लेकिन इस बार आनंद एल राय तनु वेड्स मनु के रूप में एक सार्थक सीक्वल फिल्म लेकर आये हैं. कहानी पहले भाग में जहां खत्म होती है. वही से दोबारा शुरू होती है. इस बार तनु और मनु की जिंदगी में नयी किरदार दत्तो की एंट्री हुई है. दत्तो का चेहरा तनु जैसा ही है. तनु और मनु अपनी चार साल की जिंदगी से खुश नहीं हैं. दोनों एक दूसरे से प्रेम तो करते हैं. लेकिन उनके इजहार का तरीका अलग है और यही तरीके दोनों में दूरियां ले आती हैं और मनु दत्तो से टकराता है. दत्तो की कई बातें मनु का दिल जीत लेती है. दत्तो भले ही सजती संवरती नहीं, लेकिन वह तनु की तरह ही मुंहफट है.और उसके इराद ेमजबूत हैं. तनु और दत्तो में सबसे बड़ी फर्क यह है कि तनु अपनी जिंदगी में इस तरह बेपरवाह है कि उसे बड़ों की इज्जत का भी ख्याल नहीं, लेकिन वह दिल की बुरी नहीं. दत्तो वह हिम्मत रखती है कि वह शादी करेगी तो अपने बड़ों के आशीर्वाद से ही. तनु मनु का अलग होना. फिर दत्तो का मिलना और इस बीच पप्पी, व अन्य किरदार कहानी को दिलचस्प तरीके से आगे बढ़ाते जाते हैं. इस सीक्वल की यही खूबी है कि फिल्म आपका मनोरंजन पूरी तरह से करती है. आप कहीं भी बोर नहीं होते. आनंद एल राय और लेखक हिमांशु की जोड़ी एहसास कराती है कि दोनों मिल कर दर्शकों को अपने हर संवाद व दृश्य पर हंसाने का हुनर रखते हैं. फिल्म में ऐसे कई संवाद हैं जो आपको याद रह जायेंगे. पिछली बार की तरह ही इस बार भी फिल्म के गाने जो राज शेखर ने लिखे हैं और क्रष्णा ने इसका संगीत दिया है. आप उन्हें नजरअंदाज नहीं कर सकते. गानों में मायने हैं और कहानी के साथ बिल्कुल फिट बैठते हैं. गाने इस बार भी याद रखे जायेंगे. कंगना ने एक बार फिर डबल किरदार में दिल जीत लिया है. वे अब तक जितनी अभिनेत्रियां भी डबल रोल निभाती आयी हैं. उनमें सबसे बेहतरीन अदाकारी कंगना ने ही दिखाया है. तनु और दत्तो दोनों रूपों में वे चौंकाती हैं. आर माधवन की आंखें, उनकी मुस्कान ही उनकी खासियत है इस फिल्म की. दीपक डोबरियाल के बिना इस फिल्म की कल्पना अधूरी है. उन्होंने बेहतरीन अभिनय किया है. स्वरा भाष्कर, एजाज खान, जिम्मी शेरगिल और जीशान के रूप में नये किरदार की एंट्री कहानी को रोचक तरीक ेसे ले जाते हैं. फिल्म को सिर्फ एंटरटेनमेंट के लिहाज से ही नहीं इस लिहाज से भी देखा जाना चाहिए कि हरियाणा में लड़कियों को लेकर बनी सोच को किस तरह कहानी में दर्शाया गया है. फिल्म के शेष सहयोगी कलाकारों ने भी सार्थक अभिनय किया है और इस लिहाज से फिल्म इस साल की बेहतरीन फिल्मों में से एक है. कंगना इस फिल्म से दर्शकों को संकेत देती हैं कि उन्होंने खुद को क्वीन की कामयाबी के बाद समेट नहीं लिया है. अभी उनके और कलेवर देखने बाकी हैं.
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