रणबीर कपूर इससे पहले कभी इतने इंटेंस किरदार में नजर नहीं आये हैं. पहली बार वह फिल्म बांबे वेल्वेट में एक अलग अवतार में हैं. रणबीर को अपने किरदारों के साथ प्रयोग करना पसंद है. बांबे वेल्वेट के साथ उन्होंने कुछ ऐसा ही प्रयोग किया है.
रणबीर आपकी पहली दो फिल्में नाकामयाब रही हैं, तो आपको लगता है कि इन विफलताओं का आपके स्टारडम पर कुछ प्रभाव पड़ा है?
देखिए पहली बात कि मैं खुद को बिल्कुल कोई स्टार नहीं मानता. जहां तक बात है स्टारडम की तो मैं उन बातों को लेकर बहुत ज्यादा सजग नहीं रहता. मुझे पता है कि मैं अच्छी फिल्में करूंगा तो लोग देखेंगे. नहीं करूंगा तो लोग नहीं देखेंगे. और अभी मैं इतना बड़ा सुपरस्टार नहीं बना कि लोग मुझे बुरी फिल्मों के बावजूद याद रखेंगे. मैं यहां काम करने आया हूं. मेहनत करने आया हूं और कोशिश यही है कि वह ठीक से करूं. पिछली दो फिल्में मेरी कामयाब नहीं रहीं. बेशरम और रॉय. हालांकि रॉय को लेकर यही कहूंगा कि वह फिल्म मैंने दोस्ती में की थी. मेरा सिर्फ 10 प्रतिशत ही काम था. लेकिन रिलीज के बाद जब प्रशंसकों ने अपनी प्रतिक्रिया दी कि सिर्फ मेरी वजह से फिल्म देखने गये तो दुख हुआ क्योंकि मैंने भी बहुत मेहनत नहीं की थी फिल्म पर. आगे लेकिन ध्यान रखूंगा वही फिल्में करूंगा. जिसमें मेरा दिल हो और जिसमें मैं मेहनत कर पाऊं.
बांबे वेल्वेट में पहली बार आप इंटेंस किरदार में नजर आ रहे हैं. ऐसी फिल्म चुनने के पीछे कोई खास वजह?
हां, खास वजह यह है कि मंै अपनी एक ही छवि बरकरार नहीं रखना चाहता कि दर्शक यह न सोचें कि रणबीर इस फिल्म में ऐसा था तो आगे भी ऐसा ही नजर आता रहेगा. मुझे वो नहीं करना. यही वजह थी कि बांबे वेल्वेट तो कई लोगों के पास घूम चुकी थी. सैफ अली खान, आमिर खान, रणवीर सिंह सभी ने मना किया था. मुझे यह स्क्रिप्ट विकास बहल ने दी थी और कहा था कि मैं इसे पढ़ लूं. मैं मुंबई से दिल्ली जा रहा था और मैंने स्क्रिप्ट पढ़ी. मुझे लगा कि क्या वाकई कोई आदमी ऐसी फिल्म बना सकता है. इतने बड़े कैनवास पर पुराना बांबे क्रियेट करना आसान बात नहीं होगी. लेकिन जब मुझे स्क्रिप्ट में विश्वास नजर आया तो मैंने तुरंत अनुराग को कहा कि मैं करूंगा फिल्म. अनुराग भी सोच में पड़ गया कि अचानक मुझे क्या हो गया. और मैं अब तो पूरी गारंटी के साथ कह सकता हूं कि बांबे वेल्वेट जैसी फिल्म बनाने की हिम्मत अनुराग जैसे निर्देशक ही दिखा सकते हैं. हम लोग जब सेट पर जाते थे, जिस तरह से इसका सेट तैयार किया गया है. हमें गर्व महसूस होता था कि वह पूरा एरा सिर्फ हमारे लिए तैयार किया गया है. एक विशाल स्टेज की तरह नजर आता था और हम वहां परफॉर्म करने वाले होते थे. मैं जिंदगी में बाकी कई फिल्में भी करूंगा. लेकिन बांबे वेल्वेट मेरे लिए अहम एक्सपीरियंस में से एक रहेगा. साथ ही यह जिस तरह की फिल्म है. कम बजट में नहीं बन पाती. चूंकि ऐसी फिल्मों को स्टार्स की जरूरत है. सो, मैं जब फिल्म से जुड़ा तो अनुराग को बड़ा बजट मिला और वह बेहद जरूरी था. और हमें विश्वास था कि फिल्म अच्छी बनेगी.
यों भी हिट फिल्मों का कोई फॉर्मूला तो है नहीं. कम बजट की फिल्में भी कामयाब हो जाती है. और बड़े बजट की फिल्में भी फ्लॉप. फिल्मों का यही तो मजा है कि आपको पता नहीं होता कि क्या होने वाला है. हां, मैं यह भी कहना चाहूंगा कि मैंने अनुराग कश्यप की कोई भी फिल्म नहीं देखी है.
कुछ फिल्में फ्लॉप रहीं तो आपको क्या लगता है कहां चूक हुई?
दरअसल, गलतियां मुझसे ही हुई. उस वक्त जब ये जवानी है दीवानी आयी थी. बर्फी आयी थी. हिट रही दोनों फिल्में. दोनों फिल्मों में अलग किरदार था. तो मुझे लगा कि मुझे मेरे दर्शकों को फिर से एक सा नहीं कुछ अलग देना चाहिए तो मैंने बेश्रम कर ली. लेकिन इस फिल्म से मुझे एहसास हुआ कि आप मसाला फिल्म बनाओ, आर्ट फिल्म बनाओ या कैसी भी फिल्म बनाओ. कंटेंट जरूरी है, वरना कामयाब होना कठिन है.कई लोग कहते फिरते हैं कि मेरी पर्सनल लाइफ की वजह से मेरी फिल्में हिट नहीं रहीं. लेकिन ऐसा नहीं है कि जब मेरी फिल्में हिट होती थीं तो मेरी पर्सनल लाइफ नहीं थी. यह बात मुझे दुखी करती है. पर्सनल लाइफ को फिल्मों की सफलता विफलता से न जोड़ कर देखा जाये तो बेहतर है. मुझे बस यह लगता है कि आप बोलें लोग आपके बारे में जानना चाहते हैं तो लोगों को बतायें, लेकिन किसी की भी इज्जत न उछालें. उन्हें बदनाम न करें.
अब तक के आपके सफर को किस तरह देखते हैं?
मैं खुशनसीब हूं कि मुझे अपने शुरुआती दौर में ही संजय लीला भंसाली जैसे निर्देशक के साथ काम करने का मौका मिला. फिर लगातार अच्छे निर्देशक मिल रहे हैं. इम्तियाज अली मुझमें से कुछ अलग चीजें निकालता है तो अनुराग बसु तो एकदम पागलपंती वाले निर्देशक हैं. उन्हें क्या चाहिए होता है. यह कोई नहीं समझ सकता. बर्फी जब तक मैंने पूरी नहीं देखी मुझे समझ ही नहीं आया था कि बन क्या रही है फिल्म. अयान तो मेरा सबसे खास दोस्त है. तो उसे मैं जानता हूं और जानता हूं कि वह मुझे किस तरह प्रेजेंट करेगा. इम्तियाज की रॉकस्टार हमेशा खास रहेगी. अनुराग कश्यप मुझे अलग ही जॉनर में लेकर गये हैं. अब तक दर्शकों ने ऐसा रूप नहीं देखा था तो जाहिर है उनके साथ काम करके भी काफी सीखने का मौका मिला है. अनुराग कश्यप को जितना जाना है यही जाना है कि वह काफी रिसर्च करके लाते हैं. उनकी फिल्मों के बारे में लोग काफी कुछ कहते हैं.लेकिन यह हकीकत नहीं है कि उन्हें बॉलीवुड पसंद नहीं है. जो उन्हें करीब से जानेंगे उन्हें समझ पायेंगे. मैं अभिनव कश्यप के बारे में भी कहूंगा कि सुलझे हुए आदमी हैं और अच्छे इंसान हैं. मुझे अच्छे निर्देशकों का साथ मिलता रहा है और मैं इस बात को काफी सकारात्मक रूप से लेता हूं कि अच्छे निर्देशकों का साथ काम आ रहा है. मैं और बेहतर करने की ही कोशिशें कर रहा हूं.
आपकी आनेवाली फिल्में?
जग्गा जासूस, तमाशा इसी साल रिलीज होगी और ऐ दिल मुश्किल की शूटिंग जल्द ही शुरू करूंगा.
रणबीर आपकी पहली दो फिल्में नाकामयाब रही हैं, तो आपको लगता है कि इन विफलताओं का आपके स्टारडम पर कुछ प्रभाव पड़ा है?
देखिए पहली बात कि मैं खुद को बिल्कुल कोई स्टार नहीं मानता. जहां तक बात है स्टारडम की तो मैं उन बातों को लेकर बहुत ज्यादा सजग नहीं रहता. मुझे पता है कि मैं अच्छी फिल्में करूंगा तो लोग देखेंगे. नहीं करूंगा तो लोग नहीं देखेंगे. और अभी मैं इतना बड़ा सुपरस्टार नहीं बना कि लोग मुझे बुरी फिल्मों के बावजूद याद रखेंगे. मैं यहां काम करने आया हूं. मेहनत करने आया हूं और कोशिश यही है कि वह ठीक से करूं. पिछली दो फिल्में मेरी कामयाब नहीं रहीं. बेशरम और रॉय. हालांकि रॉय को लेकर यही कहूंगा कि वह फिल्म मैंने दोस्ती में की थी. मेरा सिर्फ 10 प्रतिशत ही काम था. लेकिन रिलीज के बाद जब प्रशंसकों ने अपनी प्रतिक्रिया दी कि सिर्फ मेरी वजह से फिल्म देखने गये तो दुख हुआ क्योंकि मैंने भी बहुत मेहनत नहीं की थी फिल्म पर. आगे लेकिन ध्यान रखूंगा वही फिल्में करूंगा. जिसमें मेरा दिल हो और जिसमें मैं मेहनत कर पाऊं.
बांबे वेल्वेट में पहली बार आप इंटेंस किरदार में नजर आ रहे हैं. ऐसी फिल्म चुनने के पीछे कोई खास वजह?
हां, खास वजह यह है कि मंै अपनी एक ही छवि बरकरार नहीं रखना चाहता कि दर्शक यह न सोचें कि रणबीर इस फिल्म में ऐसा था तो आगे भी ऐसा ही नजर आता रहेगा. मुझे वो नहीं करना. यही वजह थी कि बांबे वेल्वेट तो कई लोगों के पास घूम चुकी थी. सैफ अली खान, आमिर खान, रणवीर सिंह सभी ने मना किया था. मुझे यह स्क्रिप्ट विकास बहल ने दी थी और कहा था कि मैं इसे पढ़ लूं. मैं मुंबई से दिल्ली जा रहा था और मैंने स्क्रिप्ट पढ़ी. मुझे लगा कि क्या वाकई कोई आदमी ऐसी फिल्म बना सकता है. इतने बड़े कैनवास पर पुराना बांबे क्रियेट करना आसान बात नहीं होगी. लेकिन जब मुझे स्क्रिप्ट में विश्वास नजर आया तो मैंने तुरंत अनुराग को कहा कि मैं करूंगा फिल्म. अनुराग भी सोच में पड़ गया कि अचानक मुझे क्या हो गया. और मैं अब तो पूरी गारंटी के साथ कह सकता हूं कि बांबे वेल्वेट जैसी फिल्म बनाने की हिम्मत अनुराग जैसे निर्देशक ही दिखा सकते हैं. हम लोग जब सेट पर जाते थे, जिस तरह से इसका सेट तैयार किया गया है. हमें गर्व महसूस होता था कि वह पूरा एरा सिर्फ हमारे लिए तैयार किया गया है. एक विशाल स्टेज की तरह नजर आता था और हम वहां परफॉर्म करने वाले होते थे. मैं जिंदगी में बाकी कई फिल्में भी करूंगा. लेकिन बांबे वेल्वेट मेरे लिए अहम एक्सपीरियंस में से एक रहेगा. साथ ही यह जिस तरह की फिल्म है. कम बजट में नहीं बन पाती. चूंकि ऐसी फिल्मों को स्टार्स की जरूरत है. सो, मैं जब फिल्म से जुड़ा तो अनुराग को बड़ा बजट मिला और वह बेहद जरूरी था. और हमें विश्वास था कि फिल्म अच्छी बनेगी.
यों भी हिट फिल्मों का कोई फॉर्मूला तो है नहीं. कम बजट की फिल्में भी कामयाब हो जाती है. और बड़े बजट की फिल्में भी फ्लॉप. फिल्मों का यही तो मजा है कि आपको पता नहीं होता कि क्या होने वाला है. हां, मैं यह भी कहना चाहूंगा कि मैंने अनुराग कश्यप की कोई भी फिल्म नहीं देखी है.
कुछ फिल्में फ्लॉप रहीं तो आपको क्या लगता है कहां चूक हुई?
दरअसल, गलतियां मुझसे ही हुई. उस वक्त जब ये जवानी है दीवानी आयी थी. बर्फी आयी थी. हिट रही दोनों फिल्में. दोनों फिल्मों में अलग किरदार था. तो मुझे लगा कि मुझे मेरे दर्शकों को फिर से एक सा नहीं कुछ अलग देना चाहिए तो मैंने बेश्रम कर ली. लेकिन इस फिल्म से मुझे एहसास हुआ कि आप मसाला फिल्म बनाओ, आर्ट फिल्म बनाओ या कैसी भी फिल्म बनाओ. कंटेंट जरूरी है, वरना कामयाब होना कठिन है.कई लोग कहते फिरते हैं कि मेरी पर्सनल लाइफ की वजह से मेरी फिल्में हिट नहीं रहीं. लेकिन ऐसा नहीं है कि जब मेरी फिल्में हिट होती थीं तो मेरी पर्सनल लाइफ नहीं थी. यह बात मुझे दुखी करती है. पर्सनल लाइफ को फिल्मों की सफलता विफलता से न जोड़ कर देखा जाये तो बेहतर है. मुझे बस यह लगता है कि आप बोलें लोग आपके बारे में जानना चाहते हैं तो लोगों को बतायें, लेकिन किसी की भी इज्जत न उछालें. उन्हें बदनाम न करें.
अब तक के आपके सफर को किस तरह देखते हैं?
मैं खुशनसीब हूं कि मुझे अपने शुरुआती दौर में ही संजय लीला भंसाली जैसे निर्देशक के साथ काम करने का मौका मिला. फिर लगातार अच्छे निर्देशक मिल रहे हैं. इम्तियाज अली मुझमें से कुछ अलग चीजें निकालता है तो अनुराग बसु तो एकदम पागलपंती वाले निर्देशक हैं. उन्हें क्या चाहिए होता है. यह कोई नहीं समझ सकता. बर्फी जब तक मैंने पूरी नहीं देखी मुझे समझ ही नहीं आया था कि बन क्या रही है फिल्म. अयान तो मेरा सबसे खास दोस्त है. तो उसे मैं जानता हूं और जानता हूं कि वह मुझे किस तरह प्रेजेंट करेगा. इम्तियाज की रॉकस्टार हमेशा खास रहेगी. अनुराग कश्यप मुझे अलग ही जॉनर में लेकर गये हैं. अब तक दर्शकों ने ऐसा रूप नहीं देखा था तो जाहिर है उनके साथ काम करके भी काफी सीखने का मौका मिला है. अनुराग कश्यप को जितना जाना है यही जाना है कि वह काफी रिसर्च करके लाते हैं. उनकी फिल्मों के बारे में लोग काफी कुछ कहते हैं.लेकिन यह हकीकत नहीं है कि उन्हें बॉलीवुड पसंद नहीं है. जो उन्हें करीब से जानेंगे उन्हें समझ पायेंगे. मैं अभिनव कश्यप के बारे में भी कहूंगा कि सुलझे हुए आदमी हैं और अच्छे इंसान हैं. मुझे अच्छे निर्देशकों का साथ मिलता रहा है और मैं इस बात को काफी सकारात्मक रूप से लेता हूं कि अच्छे निर्देशकों का साथ काम आ रहा है. मैं और बेहतर करने की ही कोशिशें कर रहा हूं.
आपकी आनेवाली फिल्में?
जग्गा जासूस, तमाशा इसी साल रिलीज होगी और ऐ दिल मुश्किल की शूटिंग जल्द ही शुरू करूंगा.
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