20150630

पीकू को दर्शकों ने सफल बनाया : दीपिका


दीपिका पादुकोण को हाल ही में फिल्म पीकू के लिए समीक्षकों व दर्शकों सभी से बेइतहां प्यार मिला है. दीपिका इस बात से बेहद खुश हैं.

 दीपिका, पीकू को जिस तरह से रिस्पांस मिला है. आप मान रही हैं कि कंगना के लिए जो क्वीन साबित हुई. वही आपके लिए पीकू ?
हां, मैं और मेरी पूरी टीम इस बात से सरप्राइज्ड है. यह फिल्म अब हम नहीं बल्कि आॅडियंस ही प्रोमोट कर रहे हैं. मुझे जिस तरह के संदेश मिल रहे हैं. लोगों का प्यार मिल रहा है. मैं उससे बेहद खुश हूं. हां, मैं सातवें आसमान पर हूं. कुछ ही फिल्में होती हैं, जिन्हें दरअसल सेलिब्रेट किया जाता है. यह फिल्म उनमें से एक है. पीकू जिस सोच के साथ दर्शकों के सामने परोसी गयी थी. लोगों ने उसे स्वीकारा है. मैं बेहद खुश हूं. इतना बेइतहां प्यार मुझे किसी और फिल्म में नहीं मिला. हमने जब यह फिल्म बनाई थी. यह सोच कर नहीं बनाई थी कि कितनी कामयाब होगी कितनी नहीं. बस अच्छी कहानी थी. वही कहना चाहते थे. और हम उसमें कामयाब हुए.
यह पहली बार हुआ है जब इरफान खान, अमिताभ बच्चन और दीपिका पादुकोण यानी किसी फिल्म में हर कलाकार की समान तारीफ हुई है.
हां, बिल्कुल आप सही कह रही हैं. मुझे जब यह फिल्म मिली थी तो मैं भी थोड़ी नर्वस थी कि मैं इतने बारीक कलाकारों के साथ काम करने जा रही हूं. इरफान के साथ काम करने के लिए मैं काफी उत्साहित थी. मैं उनके साथ काम करना चाहती थी. वह बेहतरीन अभिनेता हैं और अमित सर के बारे में तो कुछ कहना कम ही होगा. शुरू में नर्वस हुई थी. लेकिन ये कहानी तीनों कलाकारों की ही थी. शायद सबने अपना बेस्ट दिया है और फिल्म इस मुकाम पर पहुंची.
इस फिल्म से कुछ ऐसी बातें या संदेश जो आप अपने साथ रखना चाहेंंगी?
यह फिल्म पिता पुत्री के रिश्ते पर है. इस फिल्म को करते समय मन में एक बात जरूर थी कि पीकू जिस तरह से अपने बाबा को डांटती है, क्योंकि वह उनकी फिक्र करती है. तो दर्शकों को कहीं से भी किसी बात से यह न लगे पीकू बाबा का अनादर करती है. लेकिन शुक्रगुजार हूं कि पीकू की फिक्र लोगों ने देखी. समझी. मैं भी अपने परिवार को लेकर इसी तरह से फिक्रमंद हूं. इस फिल्म को देख कर मैंने यह समझा है कि हम सबका बुढ़ापा आयेगा और हम सबको उसके लिए तैयार रहना है. साथ ही हां, हमें अपने पेरेंट्स को अपनी तरफ से वह हर खुशियां देने की कोशिश करनी चाहिए. जो हम नहीं करते. फिल्म का वह दृश्य जब बाबा की मौत हो जाती है. पीकू बिस्तर पर बैठ कर रोती है. .. वह मेरे लिए फिल्म का बहुत इमोशनल सीन है. और मुझे कई लोगों के संदेश आये जिन्होंने उसे देख कर अपने पापा को याद किया. अपनी मां को अपने पेरेंट्स को याद किया. इस फिल्म के माध्यम से मैं आज के बेटे बेटियों की भी कहानी कह पायी हूं शायद.
फिल्म में बाबा से आप अपने पिता को किसी तरह से समान पाती हैं?
नहीं, बाकी बातों में तो नहीं. हां, मगर मेरे पापा भी बाथरूम में काफी वक्त लगाते हैं और मेरी मां इस बात से परेशान रहती हैं.(हंसते हुए) मैं तो उन दोनों को हमेशा कहती हूं कि आप लोग घर में दो टॉयलेट्स क्यों नहीं बना लेते. उन दोनों की इस बात पर काफी लड़ाईयां होती रहती हैं. और हां, मैं खुद में पीकू की तरह कई बातें देखती हूं जैसे वह भी आजाद ख्यालों की है. मैं भी हूं. मैं भी अपेन पेरेंट्स के बगैर नहीं रह सकती. मैं खुशनसीब हूं कि मुझे ऐसे पेरेंट्स मिले.
आपकी नयी फिल्म बाजीराव मस्तानी के बारे में बतायें?
मैं उस फिल्म को लेकर भी उत्साहित हूं. मस्तानी एक ऐतिहासिक किरदार है. यह किरदार भी मैंने पहले कभी नहीं निभाया है. सो, यह मेरे लिए काफी महत्वपूर्ण किरदार है. मस्तानी एक वॉर वैरियर भी थी. एक कुशल पत् नी, एक सेविका और बहुत कुछ तो मेरे लिए यह चैलेंजिंग किरदार है कि मैं किस तरह इसे परदे पर भलिभांति परदे पर उतार पाऊं. संजय सर ने जिस भव्यता से इस किरदार को जीवित किया है. वह आप जब फिल्म देखेंगे तो समझ सकेंगे.
बॉक्स आॅफिस की दुनिया में ट्रेड विश्लेषकों ने यह मानना शुरू कर दिया है कि आप फिल्मों की सफलता की गारंटी हैं तो क्या आपको लगता है कि अब अभिनेत्रियां बॉक्स आॅफिस की मानक साबित होंगी?
मुझसे यह प्रश्न कई बार पूछे जा चुके हैं. और मेरा जवाब यही है कि अभिनेत्रियों को तब तक बराबरी का दर्जा नहीं मिल जायेगा, जब तक हमारी फीस में बराबरी न हो जाये. लेकिन कंगना, प्रियंका और वे सभी अभिनेत्रियां जिन्हें अब दर्शकों ने पसंद करना शुरू किया है. और वे फिल्में कामयाब भी हो रही हैं तो मुझे लगता है कि दौर बदलेगा और आनेवाला समय अभिनेत्रियों का ही होगा. वैसे बाजीराव मस्तानी में भी मस्तानी के किरदार पर काफी फोकस किया गया है और यह फिल्म भी महिला केंद्रित होगी, इसमें भी मस्तानी के किरदार को देख कर अभिनेत्री की एक अलग छवि स्थापित होगी.

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