हाल ही में रिलीज हुई फिल्म प्यार का पंचनामा दर्शकों को काफी पसंद आयी है. खासकर युवाओं को यह फिल्म काफी पसंद आयी है. युवा इस फिल्म की भाषा से काफी प्रभावित हुए हैं. हालांकि फिल्म के संवाद और दृश्यों से इसे महिला विरोधी फिल्म माना जा रहा है. लेकिन एक हकीकत यह भी है कि इस फिल्म की कामयाबी इस बात को दर्शा रही है कि काफी लंबे समय के बाद किसी सिताराविहीन बिना किसी लाग लपेट के युवाओं के मनोरंजन के लिए कोई फिल्म आयी है. इस फिल्म की खासियत यह है कि यह फिल्म न पूरी तरह से शहरी लगती है और न ही पूरी तरह मेट्रो के लड़कों के युवाओं की कहानी है. गौर करें तो लंबे अरसे के हिंदी सिनेमा ने कोई ऐसी कहानी दिखाई है. युवाओं को ध्यान में रखते हुए, जिसमें युवाओं के लिए होनेवाली क्रांति या किसी भाषणबाजी की बातें नहीं हैं. फिल्म में शुद्ध तरीके से युवाओं की नब्ज को पकड़ा गया है. यही वजह है कि युवा इससे कनेक्ट कर रहे हैं. यह हकीकत है कि पिछले लंबे अरसे से हिंदी सिनेमा ने मान लिया है कि युवा सिर्फ सुपरसितारा वाली फिल्में देखना ही युवाओं की फिल्में मानते हैं. और वे उन्हें ही देखना पसंद करते हैं. या फिर युवा देश में क्रांति या भाषणबाजी वाली फिल्में देखना पसंद करते हैं. ऐसे में फिल्मकारों ने मनोरंजन का एक महत्वपूर्ण रस हास्य छोड़ ही दिया था. युवा हैं तो मस्ती होगी ही. मनमौजी होगी ही. इन पक्षों को छोड़ते हुए फिल्मों को भी जरूरत से ज्यादा गंभीर दिखाने की कोशिश करते रहे हैं. या फिर फिल्म के किरदारों को इस कदर शुद्ध देसी रूप दे देते हैं कि युवा फिल्म में अपनी छवि देखना ही भूल गये थे. गौर करें तो रंग दे बसंती में युवाओं की वह मौज मस्ती नजर आयी थी. जबकि बाद में वह फिल्म भी गंभीर रुख करती है. ऐसे में प्यार का पंचनामा एक सार्थक मनोरंजक फिल्म है, जो युवाओं को आकर्षित कर रही है.
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20151126
mनोरंजन ka पंचनामा
हाल ही में रिलीज हुई फिल्म प्यार का पंचनामा दर्शकों को काफी पसंद आयी है. खासकर युवाओं को यह फिल्म काफी पसंद आयी है. युवा इस फिल्म की भाषा से काफी प्रभावित हुए हैं. हालांकि फिल्म के संवाद और दृश्यों से इसे महिला विरोधी फिल्म माना जा रहा है. लेकिन एक हकीकत यह भी है कि इस फिल्म की कामयाबी इस बात को दर्शा रही है कि काफी लंबे समय के बाद किसी सिताराविहीन बिना किसी लाग लपेट के युवाओं के मनोरंजन के लिए कोई फिल्म आयी है. इस फिल्म की खासियत यह है कि यह फिल्म न पूरी तरह से शहरी लगती है और न ही पूरी तरह मेट्रो के लड़कों के युवाओं की कहानी है. गौर करें तो लंबे अरसे के हिंदी सिनेमा ने कोई ऐसी कहानी दिखाई है. युवाओं को ध्यान में रखते हुए, जिसमें युवाओं के लिए होनेवाली क्रांति या किसी भाषणबाजी की बातें नहीं हैं. फिल्म में शुद्ध तरीके से युवाओं की नब्ज को पकड़ा गया है. यही वजह है कि युवा इससे कनेक्ट कर रहे हैं. यह हकीकत है कि पिछले लंबे अरसे से हिंदी सिनेमा ने मान लिया है कि युवा सिर्फ सुपरसितारा वाली फिल्में देखना ही युवाओं की फिल्में मानते हैं. और वे उन्हें ही देखना पसंद करते हैं. या फिर युवा देश में क्रांति या भाषणबाजी वाली फिल्में देखना पसंद करते हैं. ऐसे में फिल्मकारों ने मनोरंजन का एक महत्वपूर्ण रस हास्य छोड़ ही दिया था. युवा हैं तो मस्ती होगी ही. मनमौजी होगी ही. इन पक्षों को छोड़ते हुए फिल्मों को भी जरूरत से ज्यादा गंभीर दिखाने की कोशिश करते रहे हैं. या फिर फिल्म के किरदारों को इस कदर शुद्ध देसी रूप दे देते हैं कि युवा फिल्म में अपनी छवि देखना ही भूल गये थे. गौर करें तो रंग दे बसंती में युवाओं की वह मौज मस्ती नजर आयी थी. जबकि बाद में वह फिल्म भी गंभीर रुख करती है. ऐसे में प्यार का पंचनामा एक सार्थक मनोरंजक फिल्म है, जो युवाओं को आकर्षित कर रही है.
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