20151126

सफलता से ज़्यादा ज़रूरी असफलता है -रनबीर कपूर


अभिनेता रनबीर कपूर  की फिल्म तमाशा में जल्द ही नज़र आने वाले हैं। इस फिल्म में उनके साथ अभिनेत्री दीपिका पादुकोण भी होंगी,रनबीर इस फ़िल्म को अपने लिए खास करार देते हैं क्योंकि वह अपने पसंदीदा निर्देशकों में से इम्तियाज़ की यह फ़िल्म है,जिनकी फिल्में सही सोच से आती हैं।इस फ़िल्म में मनोरंजन के साथ साथ सन्देश भी है जिससे यह फ़िल्म और खास बन जाती है।रनबीर की इस फ़िल्म और कैरियर पर उर्मिला कोरी से हुई बातचीत
फिल्म के पोस्टर्स पर लिखा गया है वाई ऑलवेज द सेम स्टोरी ,कितनी अलग होगी तमाशा की कहानी
सबसे पहले मैं आपको यह बताना चाहूंगा कि ये बात फिल्म के संदर्भ में नहीं बल्कि हम सभी लोगों के बारे में लिखी गयी है ,कहने का मतलब है कि जिस तरह से मैं रहता हूं आप नहीं ,जिस तरह से आप सोचती हैं ,प्यार करती हैं ,ज़िन्दगी जीती हैं वैसे मैं नहीं हूं या दीपिका नहीं है या फिर आपसे जुड़े भाई बहन भी नहीं होते हैं। सबकी सोच और ज़िन्दगी जीने का तरीका अलग होता है ऐसे में हमारे पेरेंट्स हमसे ये क्यों कहते हैं कि तुम फलां की तरह बनो.उसकी तरह ये करो ,इसी बात को फिल्म में देव यानि मेरे किरदार के ज़रिए बयां किया गया है। दीपिका तारा के किरदार में देव को यही समझती है कि वह खुद की नहीं बल्कि दूसरे की ज़िन्दगी जी रहा है.वह देव के नज़रिए और सोच में बदलाव लाती है.
क्या प्यार में बदलाव ज़रूरी है
हाँ अगर प्यार आपको आपका बेस्ट वर्जन बनाता है तो उस में क्या बुराई है। प्यार का मतलब ही ईमानदारी और सच्चाई से जुड़ा है.आपकी किसी और की नक़ल बनते जा रहे हैं.आप वो नहीं है,आप वो अच्छा कर सकते हैं,जो आप नहीं कर रहे हो दूसरों की नक़ल बनने के चक्कर में. सच्चा प्यार आपको यही बताता है. कहीं न कहीं वह बदलाव लाता है जो आपकी ज़िन्दगी में अहम है 
निजी ज़िन्दगी की बात करे तो प्यार ने आप में क्या बदलाव लाया है
प्यार आपको ऑनेस्ट,ज़िम्मेदार और केयरिंग बनाता हैं। मेरी भी ज़िन्दगी में प्यार ने खुशियों के साथ साथ यही बदलाव लाया है वैसे प्यार का सीधा सम्बन्ध फीलिंग से जुड़ा है और प्यार एक अलग ही दुनिया का नाम है। फिल्मों और किताबों में प्यार की दुनिया बहुत ही ग्लॉसी दिखाई गयी है। रियल लाइफ में प्यार अलग ही एहसास है शायद जब में ७० साल का होऊंगा उस वक़्त अपनी पत्नी के साथ प्यार को सही ढंग से परिभाषित कर पाऊं, उससे जुडी हर चीज़ का जवाब बेहतर तरीके से दे पाउंगा। अभी तो समझने की शुरुवात ही हुई है। 
फिल्म में आपका किरदार क्या है और उससे क्या आप जुड़ाव महसूस करते हैं
फिल्म में मेरा किरदार वेद का है.वेद बनना कुछ और चाहता है लेकिन उसके  माता पिता  इंजीनियर या मार्केटिंग में करियर बनाने को मजबूर कर देते हैं। किस तरह से उसकी प्रोफेशनल लाइफ उसकी पर्सनल लाइफ पर भी हावी हो जाती है और वह अपनी ज़िन्दगी नहीं जी पा रहा है तभी उसकी ज़िन्दगी में तारा आती है और उसकी ज़िन्दगी बदल जाती है। यही फिल्म की कहानी है। जहाँ तक इस किरदार से जुड़ाव की बात है तो मैं किरदार से बहुत जुड़ाव महसूस करता हूँ' भले ही मेरे ऊपर कभी कोई दबाव करियर के चुनाव को लेकर नहीं रहा है लेकिन मैं आसानी से दूसरे की बातों से प्रभावित हो जाता हूँ। इस फिल्म से जुड़ना मेरे लिए लाइफ चेंज एक्सपीरियंस रहा है। मैं नहीं कहता हूं कि इस फिल्म के बाद मैं पूरी तरह से बदल गया हूं लेकिन खुद को और पहचानने में ज़रूर जुट गया हूं। मैं क्या करना चाहता हूं. किस तरह से करना चाहता हूं मैं इंटरव्यू में क्या बोलना चाहूंगा  सब पर मैं ज़्यादा ध्यान देने लगा हूं।  खुद से ज़्यादा इस फ़िल्म ने मुझे जोड़ दिया है।
दीपिका पादुकोण के साथ यह आपकी तीसरी फिल्म है ,आप दोनों ने एक समय पर ही अपने करियर की शुरुवात की थी एक एक्ट्रेस के तौर पर आप उनमें कितना बदलाव पाते हैं
दुनिया की नहीं दीपिका मेरी भी पसंदीदाअभिनेत्री है , अभिनेत्री के तौर पर कितना मैच्योर हुई है मैं नहीं जानता हूं लेकिन  मुझे शाहरुख़ , सलमान और आमिर खान से मिलने के बाद जिस औरा का एहसास होता है वही एहसास मुझे दीपिका से मिलने के बाद महसूस होता है, कई एक्टर्स टैलेंटेड होते हैं क्रिएटिव होते हैं और अनुभवी भी लेकिन औरा बहुत कम एक्टर्स में देखने को मिलता है.वह मेहनत  से मिलता है या अनुभव से या फिर आप में वह होता ही है मैं नहीं जानता लेकिन इतना ज़रूर जानता हूं दीपिका में वह है। वह और भी सफल होगी।  
आपकी और दीपिका की केमिस्ट्री पर्दे पर बहुत आकर्षक लगती है इसका श्रेय आप किसे देना चाहेंगे
हमारी दोस्ती को सबसे पहले। दीपिका और मैं अब भी बहुत अच्छे दोस्त हैं। हम हर बात एक दूसरे से अब भी डिस्कस करते हैं। दोस्ती के अलावा फिल्मों की स्क्रिप्ट और निर्देशक भी.बचना ये हसीनो के बाद दीपिका और मुझे कई फिल्में ऑफर हुई थी लेकिन हमने उन फिल्मों को न कहा क्यूंकि हम हमेशा अपने दर्शकों को पैसा वसूल मनोरंजन देना चाहते हैं। 
 फिल्म का शीर्षक तमाशा है क्या फिल्म की शूटिंग के दौरान तमाशा से जुड़ना हुआ  
जी बिलकुल तमाशा को अंग्रेजी में प्ले कहते हैं। मैंने पृथ्वी थिएटर में बहुत सारे प्लेस देखे हैं। फिल्मों में आने से पहले मैं मैं रंगमंच से जुड़ना चाहता  था। अभिनय में कदम रखने से पहले मैं कुछ सीखना चाहता था और इसके लिए मैंने रिहर्सल भी शुरू कर दी थी, लेकिन संजय लीला भंसाली ने कहा कि तुम फिल्मों में आओ और मैं तुम्हें अपने तरीके से लॉन्च करूंगा, जिस वजह से मैं रंगमंच का हिस्सा नहीं बन सका वैसे इस फिल्म की शूटिंग से पहले इम्तियाज़ हमें एम पी की तीजन बाई के  प्ले में ले गए थे। जहाँ स्टोरी टेलिंग की बारीकियों को और करीब से मैंने जाना। आँखों के हावभाव से सवांद में बदलाव सभी में ध्यान देना पड़ता है ।

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