20151126

50 की रेखा को पार करता बेपरवाह बादशाह


शाहरुख खान ने हाल ही में मुंबई में अपना 50वां जन्मदिन मनाया. शाहरुख बातों के धनी हैं. वे जब बातें करते हैं तो इत्तिमिनान से करते हैं. अपने जन्मदिन के अवसर पर उन्होंने सारे सवालों के जवाब तसल्ली से दिये. अगर आप शाहरुख के चाहने वाले हैं तो जानें उन्होंने अपनी जिंदगी के कुछ अनछुए पहलुओं को किस तरह हमें रूबरू कराया

अनुप्रिया अनंत

 अगर कभी मौका मिले कि अगले जन्म में इंसान का ही रूप हासिल हो..तो क्या बनना चाहेंगे...
मैं शाहरुख खान ही बनना चाहूंगा, चूंकि मुझे लगता है कि मैं लकी हूं कि शायद मैंने जो कुछ हासिल किया.शायद कई लोगों को यह सबकुछ नहीं मिल पाता है. मैं अपनी जिंदगी से बहुत खुश हूं. मुझे मेरी जिंदगी ने सबकुछ दिया है. मैं कभी अपनी जिंदगी किसी से भी बदलना नहीं चाहूंगा मुझे मेरी बेस्ट फैमिली मिली है.

सबसे ज्यादा खुशी कब मिलती है...
जब मैं अपने बेटे अबराम के साथ बाथरूम में नहाता हूं. उस वक्त उसे देख कर मैं भी बच्चा बन जाता हूं.
अगर कभी जिंदगी में वापसी करनी हो तो वे कौन से पल होंगे और स्थान होंगे, जिन्हें आप दोबारा देखना चाहेंगे
मैं दिल्ली जाना चाहूंगा क्योंकि वह मेरा अपना शहर है. मैं वही से हूं. मैं अपने पुराने मकान जाना चाहंूगा. हालांकि दिल्ली वाले उस मकान में मैं गया भी हूं अपने बच्चों को लेकर. वहां मैंने एक पर्चा भी लगाया था कि मैं यहां रहता था. लेकिन अब जो वहां रहते हैं. शायद उन्हें विश्वास न हुआ हो... कि मैं वहां रहता था. इसके अलावा पुराना किला जाना चाहूंगा, क्योंकि वहां से ही मुझे एक्टिंग का चस्का लगा था. वहां पर मैंने कई बड़े लोगों को काम करते देखा है. वहां राज बब्बर साहब भी अभिनय किया करते थे. और मैं उन्हें बब्बर शेर साहब कह कर बुलाता था. राज बब्बर, अजित भखानी, रोहिणी हतगंडे, सुरेखा सिकरी, रघुवीर यादव, राजेश विवेक इन सबको मैंने वही अभिनय करते देखा था. इसके अलावा मेरे पिताजी की वहां एक छोटी कैंटीन थी. जहां ये सभी लोग आते थे. तो वे जगह मेरे लिए हमेशा खास रहेगी.
आप खुद किसके फैन है...
दरअसल, जब मेरी किसी की फैन बनने वाली उम्र थी. उस वक्त मैं खुद स्टार बन गया था. तो शायद मैं फिर किसी का फैन बन नहीं पाया.फिल्म फैन मेरे लिए बहुत खास है. चूंकि इस फिल्म में दोबारा अपनी जिंदगी आर्यन खन्ना के रूप में जी रहा हूं.  मनीष की पूरी टीम मुझे इंस्पेरेशन देती है.
उत्तराधिकारी जैसे शब्द में यकीन नहीं
मुझे नहीं लगता कि यह जरूरी है कि अगर मैं अभिनय कर रहा तो मेरे बच्चे भी करें. मंै उत्तराधिकारी जैसे शब्दों में यकीन नहीं करता. इस बार बर्थ डे मेरे बच्चों ने मुझेकुछ भी नहीं दिया. उन्होंने बस मुझेगले लगाया और कहा कि जिसके पास सबकुछ है. उन्हें हम क्या दें.
अगर आपके पास अभी जो सबकुछ है वह छीन लिया जाये...
मुझे कोई परवाह नहीं. मुझसे मेरे सारे पैसे ले लो. धन संपत्ति ले लो. लेकिन जो प्यार मुझे लोगों का मिला है. वह मुझसे कोई नहीं छीन सकता. 

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