इरफान खान जिस फिल्म में मौजूद होते हैं वे अपनी अदायगी और अंदाज से अन्य कलाकारों को पीछे छोड़ते चले जाते हैं. हम हर बार इरफान को देखते हैं और चौंकते हैं. वे अपने किरदारों में हमेशा नयापन लाने के लिए तत्पर रहते हैं. हाल ही में रिलीज हुई फिल्म तलवार में उन्हें सबसे सराहना मिली और इस हफ्ते रिलीज हो रही फिल्म जज्बा से भी उन्हें काफी उम्मीदें हैं.
इरफान, आपकी हाल ही में रिलीज हुई फिल्म तलवार में आपके किरदार की काफी प्रशंसा हो रही है. आपकी क्या प्रतिक्रिया है? पीकू भी लाजवाब फिल्म रही.
मैं काफी खुश हूं. जाहिर है, जब एक कलाकार काम करता है और काम की सराहना होती है तो आप महसूस करते हंै कि आपकी मेहनत रंग लायी है और हर कलाकार इस बात से खुश होता है. मैं भी खुश हूं. मैं चाहता हूं कि मैं अनकनवेशनल काम ही करूं. वरना, आप बोर हो जायेंगे. खुद को स्थापित रखने के लिए प्रयोग करने जरूरी है.धीरे धीरे इंडस्ट्री भी बदल रही है और हां मैं जरूर कहूंगा कि यह साल मेरे लिए काफी खास है. और इस साल यह भी खास बात रही है कि अलग फिल्में हिट रही हैं. अब इसमें मेरा कितना योगदान रहा है.कितना नहीं. यह तो नहीं जानता.लेकिन एक बात महसूस करता हूं कि यह दुखदायी दौर नहीं है. यह सिनेमा इंडस्ट्री के लिए बहुत बड़ी बात है कि लोग अलग तरह की फिल्में देखना पसंद कर रहे हैं और उन्हें सराहना भी मिल रही है.अब ऐसी फिल्में बन रही हैं कि जो आपको एक्साइट भी कर रही है, एजुकेट भी कर रही है. साथ ही साथ मेसेज भी दे रही है. जैसे तलवार. तो मुझे लगता है कि यह एक गुड साइन है कि हम अच्छे दौर की तरफ जा रहे हैं.इस बात से यह एहसास हो रहा है कि अब आॅडियंस मैच्योर हुई है. दरअसल, आॅडियंस बदल रही है. और इसलिए फिल्में बदल रही हैं.फिल्ममेकर्स उनकी वजह से आ रहे हैं, क्योंकि आॅडियंस अलग फिल्मों का डिमांड कर रही हैं.
आमतौर पर बॉलीवुड के जो कलाकार हॉलीवुड का हिस्सा बनते हैं, वे सिर्फ पब्लिसिटी या छोटे से रोल में ही विलुप्त हो जाते हैं. लेकिन आप जब हॉलीवुड का हिस्सा बनते हैं तो आपको वहां भी अच्छे ही किरदार मिलते हैं. तो आपको क्या लगता है. क्या कारण हैं कि हॉलीवुड के निर्देशक भी आपके साथ काम करना चाहते हैं?
मुझे इस बारे में बिल्कुल एक्रुरेट जवाब देने में तो परेशानी होगी. मैंने कभी यह विश्लेषण किया नहीं है. मेरे लिए वैसे भी हॉलीवुड बॉलीवुड मैटर नहीं करता. अच्छा काम मैटर करता है. अच्छा विषय मैटर करता है. मैं मानता हूं कि फिल्म मेकिंग अपने आप में एक मिस्टीरियस जॉब है. किस चीज से कौन से लोग कब आकर्षित हो जायें. कौन सी बात कहां किसको कनेक्ट कर जाये. यह आप अनुमान नहीं कर सकते. लेकिन फिर भी आप तह तक नहीं जा सकते. आप तय नहीं कर सकते कि आपकी क्या बात किसको कहां कनेक्ट कर रही है. मैं मानता हूं कि हर व्यक्ति का अपना चार्म होता है, अपना आॅरा होता है.जिसे आॅडियंस देख रही है. या फिर डायरेक्टर जो एक्टर्स से मिल रहा है.जिसे देख कर उसे लगे कि आपको कुछ नया एक्सपीरियंस देगा. तो शायद यह वजह हो सकती है.जहां तक बात है कि बाकी कलाकारों का हॉलीवुड से जुड़ना तो मैं मानता हूं कि हर किसी की अपनी दुनिया है. अपनी सोच है. लोग अपने तरीके से काम करते हैं. कौन किस तरह से बढ़ना चाहता है. सबकी अपनी प्रायोरटरीज हैं. मैं इस पर कुछ कमेंट करना नहीं चाहता. ना मैं पसंद करता हूं.
आप मानते हैं कि आपको पहले हॉलीवुड में बड़ा नाम मिला फिर बॉलीवुड में ?
नहीं मुझे लगता है कि दोनों जगह साथ साथ काम चल रहा था. मुझे लगता है कि भारत में भी नाम बनने के काफी बाद मुझे हॉलीवुड में अवसर मिले.और ऐसा नहीं है कि बॉलीवुड ने मुझे कास्ट किया क्योंकि उन्होंने मेरा ग्रोथ हॉलीवुड में देखा. यहां आपको तभी कास्ट करेंगे. जब लोगों को यहां जरूरत होगी. किसी की लोकप्रियता से किसी की कास्टिंग अमूमन लीड किरदारों तक ही सीमित होती है. मैं जिस तरह का कलाकार हूं. मैं मानता हूं कि मेरे लिए किरदार को मेरी जरूरत है. तभी वो मुझे कास्ट करेंगे.
हॉलीवुड में हमारी फिल्मों को लेकर क्या नजरिया है?
मुझे लगता है कि थोड़ी सोच तो बदली है और मुझे लगता है कि यह बदल सकती है और अगर हम यूनिवर्सल कहानियां बनाएं. सिर्फ सांग गाने वाले नहीं.मुझे लगता है कि अब वह दौर शुरू हो गया है. जैसे अब हमने कुछ ऐसी फिल्में बनानी शुरू की है. फिर वह लंचबॉक्स जैसी फिल्में ही क्यों न हों. यहां से अधिक उस फिल्म को विदेशों में सराहना मिली है और धीरे धीरे यह पहचान बना सकती है. अगर थोड़े गंभीर होंगे तो.
बतौर एक्टर किसी फिल्म में क्या देखते हैं. काम करने से पहले?
मुझे लगता है कि यह पूरा पैकेज है. आपको स्टोरी एंटरटेन करनी चाहिए. एक्साइट करनी चाहिए. कंटेंट अच्छा होना चाहिए.थ्रीलर है फिल्म की कहानी तो वाकई रोलर कोस्टर राइड की तरह वह दर्शकों को थ्रील करनी चाहिए. तभी आपको फिल्में करने में मजा भी आयेगा.
एक एक्टर के रूप में हर फिल्म से आप खुद को किस तरह निखारते हैं?
अगर आपका काम आपके ग्रोथ में एड नहीं कर रहा है तो एक बहुत बड़ा बोझ होता है. मैं मानता हूं कि आप जो काम कर रहे हैं और उसके माध्यम से अगर आप ग्रो नहीं कर रहे हैं तो इसका मतलब है कि आपका काम आपको सब्सट्रैक्ट कर रहा है.आपको निराश करेगा.काम और आपके विकास का तालमेल वैसे ही होना चाहिए जो रिश्ता मियां बीवी का होता है.दोनों एक दूसरे के रक्षक ही हैं.
ऐश्वर्य राय बच्चन के साथ आपने पहली बार इस फिल्म में काम किया है. कैसा रहा अनुभव?
काफी दिल लगा कर काम करती हैं.बहुत ही सिंपल औरत हैं. अच्छा लगता है.काफी खूबसूरत हैं.
आप जिस फिल्म का भी हिस्सा होत हैं, कुछ अलग कर जाते हैं तो क्या फिल्म चुनते वक्त यह लगता है कि अरे यार स्क्रिप्ट कुछ भी हो...मैं तो इसमें कुछ अलग कर ही जाऊंगा?
नहीं बिल्कुल नहीं. काम को लेकर मेरा अप्रोच यह नहीं होता. हां, जब शुरू शुरू आया था. तो लगता था कि हां, अपनी पहचान बनानी है तो कुछ सोचा भी करता था. अब जबकि पहचान बन चुकी है तो आप उस स्क्रिप्ट में आपके किरदार में वह एक्साइटमेंट ढूंढते हैं. लोगों को लगे कि करके निकल गया कि नहीं निकला उस पर आपका बस नहीं है. आपका किरदार एक्साइट करता है कि नहीं लोगों को वह अहम है.कई बार आप सोचते हैं कि पता नहीं आपने कितना बड़ा कमाल कर दिया और लोग देख कर बोलते हैं कि यार ये तो कुछ था ही नहीं और कभी आप सिंपल चीज करते हैं और वह लोगों को पसंद आ जाती है. आप बस एंजॉय करके काम कीजिए.बाकी लोगों पर छोड़ दीजिए.
फिल्म जज्बा में ज्यादा चर्चा ऐश्वर्य की है तो कहीं इस बात का डर लगता है?
नहीं मुझे नहीं लगता कि इससे हीरो की बुनियाद कम होगी. लोगों को पता चल जाता है कि कौन कितना काम कर रहा है. किसका क्या योगदान है. वह तो लोगों के सामने आ ही जाती हैं बातें. और मैं मानता हूं कि अगर फिल्म में सिर्फ हीरोइन की ही कहानी होती तो पोस्टर में मेरा चेहरा क्यों होता. ये बातें मुझे हर्ट भी नहीं करतीं. क्योंकि कोई किसी का हिस्सा नहीं छीन सकता. किसी की वाहवाही नहीं छीन skte.
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