ऐश्वर्य राय बच्चन लंबे समय के बाद फिर से परदे पर वापसी कर रही हैं. फिल्म जज्बा में वे स्टंट करती हुई भी नजर आयेंगी. वे इस बात से खुश हैं कि उन्होंने अपने काम के साथ साथ अपनी बेटी की जिम्मेदारी को भी पूरा वक्त दिया है. और फिर से वे अपनी पसंदीदा दुनिया में लौट आयी हैं.
ऐश्वर्य, आप पिछले काफी समय से परदे पर नहीं रहीं. ऐसे में कैमरे को मिस किया?
नहीं, बिल्कुल मिस नहीं किया. क्योंकि ऐसा नहीं था कि मैं इस दुनिया से बिल्कुल अलग हो गयी थी. हां, बस मैं शूटिंग नहीं कर रही थी. वरना, निर्देशकों के साथ फिल्मों को लेकर चर्चाएं लगातार हो रही थीं. उन्हें वक्त देती ही थीं. बस, हां मैंने यह सोच रखा था कि जब तक आराध्या थोड़ी बड़ी नहीं हो जाती है. मैं उसको बिल्कुल अकेला नहीं छोड़ूंगी. यही वजह है कि मैं बिल्कुल उसके साथ साथ रही हूं. दरअसल, मेरे मम्मी पापा ने मुझे ऐसे ही पाला है और मैं भी अपनी बेटी के साथ पूरा वक्त देना चाहती थी और मुझे लगता है कि मां बनने से ज्यादा सुख तो किसी भ चीज में नहीं है. और मुझे समझ नहीं आ रहा कि लोग इसे मेरी कमबैक फिल्म क्यों कह रहे हैं. मैं कोई 10 सालों के बाद परदे पर नहीं लौट रही.
तो जब आप फिर से काम पर लौट आयी हैं तो आराध्या आपको मिस करती हैं?
नहीं आराध्या को अब भी पता नहीं है कि मेरा काम क्या है. और उसे कभी मिस होने का मौका इसलिए नहीं देती हूं कि कई बार शूटिंग के दौरान वह मेरे साथ ही होती थी. मैं शॉट देने के बाद फौरन उसके पास आ जाती थी. या फिर स्कूल पहुंचाने के बाद ही उसे मैं शूटिंग पर आती थी. और संजय (निर्देशक) ने मुझे काफी सपोर्ट किया. उनकी बेटियां भी अभी छोटी हैं और वह इस बात को अच्छी तरह समझ पाये कि एक छोटे बच्चे को मां की क्यों जरूरत पड़ती है.इसलिए उन्होंने सेट पर काफी अच्छा इंतजाम कर रखा था. और हर माता पिता के लिए उनके बच्चे सबसे खास होते हैं. मेरे लिए भी आराध्या खास हैं. उसकी एक मुस्कान से मेरी सारी परेशानी खत्म हो जाती है. हम आराध्या को बिल्कुल आम बच्चों की तरह ही जिंदगी दे रहे. ऐसा नहीं है कि हम उसे लैविश लाइफ दिखा रहे अभी से. इसलिए उसकी मासूमियत भी बरकरार है और हम चाहते हैं कि वह आम बच्चों की तरह ही पले बढ़े.
जज्बा में आपका अलग अवतार नजर आ रहा है?
हां, मैंने भी कोशिश की है कि दर्शकों को यह महसूस हो कि मैंने जो काम पहले कर लिये थे. वह मुझे नहीं करने थे. मुझे थोड़ा अलग करना था. यही वजह थी कि मैंने इस फिल्म को चुना. इसके बाद भी मेरे पास जो फिल्में आ रही हैं या फिर मैं जिन फिल्मों से जुड़ रही हूं. उन फिल्मों में इस बात की खूबी आप देखेंगे कि कोई भी फिल्म में मेरा किरदार एक दूसरे से मेल नहीं खाता. सभी किरदार अलग हैं. यह फिल्म सिर्फ स्टंट्स देखने के लिए नहीं हैं,बल्कि एक मां की कहानी है. मैं खुद एक मां हूं तो इस कहानी को अच्छे तरीके से समझ पायी हूं. और खुश हूं कि फिल्म को अच्छे रिस्पांस भी मिले हैं.
आज अमिताभ बच्चन का जन्मदिन भी है. इस साल आपकी क्या योजनाएं हैं, और बतौर एक परिवार के सदस्य और बतौर एक्टर वे आपको किस तरह प्रभावित करते हैं?
पा जैसी प्रसिद्धि मुझे लगता है कि आनेवाले कई दशकों तक संभव नहीं है. मैंने हमेशा उन्हें एक एक्टर के रूप में एडमायर किया है. अब भी उनसे काफी कुछ सीखने की कोशिश करती हूं. और पारिवारिक सदस्य के रूप में मैं कहूंगी कि वह हर किसी को अपनी राय रखने का मौका देते हैं. वे आजादी देते हैं. वे हम पर अपनी सोच भी नहीं थोपते. उनकी कोशिश यही होती है कि हम अपने निर्णय खुद लें. आराध्या उनकी लाड़ली हैं और वे दोनों जब साथ होते हैं तो आप उस मोमेंट को भूल नहीं सकते. दोनों में भावनात्मक जुड़ाव है. आराध्या लकी हैं कि उसे पा के रूप में दादाजी मिले हैं, जो उसे सांस्कृतिक रूप से काफी समृद्ध कर रहे हैं.
अब और किस तरह की फिल्में करने की चाहत है?
अभी तो मुझे बहुत सारे किरदार निभाने हैं.और बहुत सारे रोल मुझे आॅफर भी हो रहे हैं. मैं लगातार फिल्मों को न कह रही हूं, क्योंकि कई किरदार मुझे उत्साहित नहीं कर रहे. हां, मणि सर (मणि रत्नम) सर की फिल्म को मैंने हां, इसलिए क्योंकि उनका क्राफ्ट मुझे पसंद है. हमने पहले भी काम किया है और कमाल का काम किया है. दरअसल, मैं हमेशा से एक्सपेरिमेंट्स करने में विश्वास रखती हूं. फिर वह मेरी पहली फिल्म ही क्यों न हो. उस फिल्म को कई अदाकारा ने न कहा था. हो सकता है कि मैं भी यह सोचती कि शायद मुझे वह फिल्म नहीं करनी चाहिए. ऐसा रिस्क नहीं लेना चाहिए. लेकिन फिर भी मैंने काम किया.क्योंकि मुझे स्क्रिप्ट अच्छी लगी थी. इसलिए मैं खुश हूं कि मुझे अच्छे आॅफर मिल रहे हैं और मैं चुन कर ही फिल्में करूंगी. ऐ दिल है मुश्किल को लेकर भी मैं काफी उत्साहित हूं. खुश हूं.
ऐश्वर्य, आप पिछले काफी समय से परदे पर नहीं रहीं. ऐसे में कैमरे को मिस किया?
नहीं, बिल्कुल मिस नहीं किया. क्योंकि ऐसा नहीं था कि मैं इस दुनिया से बिल्कुल अलग हो गयी थी. हां, बस मैं शूटिंग नहीं कर रही थी. वरना, निर्देशकों के साथ फिल्मों को लेकर चर्चाएं लगातार हो रही थीं. उन्हें वक्त देती ही थीं. बस, हां मैंने यह सोच रखा था कि जब तक आराध्या थोड़ी बड़ी नहीं हो जाती है. मैं उसको बिल्कुल अकेला नहीं छोड़ूंगी. यही वजह है कि मैं बिल्कुल उसके साथ साथ रही हूं. दरअसल, मेरे मम्मी पापा ने मुझे ऐसे ही पाला है और मैं भी अपनी बेटी के साथ पूरा वक्त देना चाहती थी और मुझे लगता है कि मां बनने से ज्यादा सुख तो किसी भ चीज में नहीं है. और मुझे समझ नहीं आ रहा कि लोग इसे मेरी कमबैक फिल्म क्यों कह रहे हैं. मैं कोई 10 सालों के बाद परदे पर नहीं लौट रही.
तो जब आप फिर से काम पर लौट आयी हैं तो आराध्या आपको मिस करती हैं?
नहीं आराध्या को अब भी पता नहीं है कि मेरा काम क्या है. और उसे कभी मिस होने का मौका इसलिए नहीं देती हूं कि कई बार शूटिंग के दौरान वह मेरे साथ ही होती थी. मैं शॉट देने के बाद फौरन उसके पास आ जाती थी. या फिर स्कूल पहुंचाने के बाद ही उसे मैं शूटिंग पर आती थी. और संजय (निर्देशक) ने मुझे काफी सपोर्ट किया. उनकी बेटियां भी अभी छोटी हैं और वह इस बात को अच्छी तरह समझ पाये कि एक छोटे बच्चे को मां की क्यों जरूरत पड़ती है.इसलिए उन्होंने सेट पर काफी अच्छा इंतजाम कर रखा था. और हर माता पिता के लिए उनके बच्चे सबसे खास होते हैं. मेरे लिए भी आराध्या खास हैं. उसकी एक मुस्कान से मेरी सारी परेशानी खत्म हो जाती है. हम आराध्या को बिल्कुल आम बच्चों की तरह ही जिंदगी दे रहे. ऐसा नहीं है कि हम उसे लैविश लाइफ दिखा रहे अभी से. इसलिए उसकी मासूमियत भी बरकरार है और हम चाहते हैं कि वह आम बच्चों की तरह ही पले बढ़े.
जज्बा में आपका अलग अवतार नजर आ रहा है?
हां, मैंने भी कोशिश की है कि दर्शकों को यह महसूस हो कि मैंने जो काम पहले कर लिये थे. वह मुझे नहीं करने थे. मुझे थोड़ा अलग करना था. यही वजह थी कि मैंने इस फिल्म को चुना. इसके बाद भी मेरे पास जो फिल्में आ रही हैं या फिर मैं जिन फिल्मों से जुड़ रही हूं. उन फिल्मों में इस बात की खूबी आप देखेंगे कि कोई भी फिल्म में मेरा किरदार एक दूसरे से मेल नहीं खाता. सभी किरदार अलग हैं. यह फिल्म सिर्फ स्टंट्स देखने के लिए नहीं हैं,बल्कि एक मां की कहानी है. मैं खुद एक मां हूं तो इस कहानी को अच्छे तरीके से समझ पायी हूं. और खुश हूं कि फिल्म को अच्छे रिस्पांस भी मिले हैं.
आज अमिताभ बच्चन का जन्मदिन भी है. इस साल आपकी क्या योजनाएं हैं, और बतौर एक परिवार के सदस्य और बतौर एक्टर वे आपको किस तरह प्रभावित करते हैं?
पा जैसी प्रसिद्धि मुझे लगता है कि आनेवाले कई दशकों तक संभव नहीं है. मैंने हमेशा उन्हें एक एक्टर के रूप में एडमायर किया है. अब भी उनसे काफी कुछ सीखने की कोशिश करती हूं. और पारिवारिक सदस्य के रूप में मैं कहूंगी कि वह हर किसी को अपनी राय रखने का मौका देते हैं. वे आजादी देते हैं. वे हम पर अपनी सोच भी नहीं थोपते. उनकी कोशिश यही होती है कि हम अपने निर्णय खुद लें. आराध्या उनकी लाड़ली हैं और वे दोनों जब साथ होते हैं तो आप उस मोमेंट को भूल नहीं सकते. दोनों में भावनात्मक जुड़ाव है. आराध्या लकी हैं कि उसे पा के रूप में दादाजी मिले हैं, जो उसे सांस्कृतिक रूप से काफी समृद्ध कर रहे हैं.
अब और किस तरह की फिल्में करने की चाहत है?
अभी तो मुझे बहुत सारे किरदार निभाने हैं.और बहुत सारे रोल मुझे आॅफर भी हो रहे हैं. मैं लगातार फिल्मों को न कह रही हूं, क्योंकि कई किरदार मुझे उत्साहित नहीं कर रहे. हां, मणि सर (मणि रत्नम) सर की फिल्म को मैंने हां, इसलिए क्योंकि उनका क्राफ्ट मुझे पसंद है. हमने पहले भी काम किया है और कमाल का काम किया है. दरअसल, मैं हमेशा से एक्सपेरिमेंट्स करने में विश्वास रखती हूं. फिर वह मेरी पहली फिल्म ही क्यों न हो. उस फिल्म को कई अदाकारा ने न कहा था. हो सकता है कि मैं भी यह सोचती कि शायद मुझे वह फिल्म नहीं करनी चाहिए. ऐसा रिस्क नहीं लेना चाहिए. लेकिन फिर भी मैंने काम किया.क्योंकि मुझे स्क्रिप्ट अच्छी लगी थी. इसलिए मैं खुश हूं कि मुझे अच्छे आॅफर मिल रहे हैं और मैं चुन कर ही फिल्में करूंगी. ऐ दिल है मुश्किल को लेकर भी मैं काफी उत्साहित हूं. खुश हूं.
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